नाज़ीर
इब्रानी से निकला एक शब्द जिसका मतलब है “चुना गया,” “समर्पित किया गया,” “अलग किया गया।” नाज़ीर दो किस्म के होते थे, एक वे जो अपनी मरज़ी से नाज़ीर बनते थे और दूसरे जिन्हें परमेश्वर चुनता था। कुछ वक्त तक नाज़ीर की ज़िंदगी जीने के लिए एक आदमी (या औरत) यहोवा से खास मन्नत मानता था। जो अपनी मरज़ी से यह मन्नत मानते थे उन पर खास तीन पाबंदियाँ होती थीं: उन्हें न तो दाख-मदिरा पीनी थी न ही अंगूर की बेल से बनी कोई चीज़ खानी थी, उन्हें अपने बाल नहीं कटवाने थे और किसी की भी लाश नहीं छूनी थी। जिन्हें यहोवा नाज़ीर चुनता था वे जीवन-भर नाज़ीर रहते थे और यहोवा ही उनके लिए कुछ खास हिदायतें देता था।—गि 6:2-7; न्या 13:5.