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बलिदान

बलिदान

परमेश्‍वर का धन्यवाद करने, अपना दोष मानने और उसके साथ फिर से एक अच्छा रिश्‍ता बनाने के लिए उसे अर्पित किया जानेवाला चढ़ावा। हाबिल के समय से इंसान अपनी मरज़ी से कई तरह के बलिदान चढ़ाते आया था, जैसे जानवरों का बलिदान। मगर आगे चलकर मूसा के कानून के तहत ऐसा करना एक नियम बन गया। जब यीशु ने अपने परिपूर्ण जीवन का बलिदान दिया, तब से जानवरों की बलि चढ़ाने की ज़रूरत नहीं रही। फिर भी मसीही इस मायने में बलिदान चढ़ाते आए हैं कि वे ऐसे काम करते हैं जिनसे परमेश्‍वर खुश होता है।​—उत 4:4; इब्र 13:15, 16; 1यूह 4:10.