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बाइबल की यूनानी भाषा

बाइबल की यूनानी भाषा

मसीही यूनानी शास्त्र इसी भाषा में लिखा गया था। बाइबल में जिस तरह की यूनानी भाषा खास तौर से इस्तेमाल हुई है, उसे कीनी या आम बोलचाल की यूनानी कहा जाता है। फिर भी कुछ शब्द हैं जो प्राचीन यूनानी भाषा से लिए गए हैं। ज़ाहिर है कि मत्ती की खुशखबरी की किताब पहले इब्रानी में लिखी गयी थी और फिर उसका कीनी में अनुवाद किया गया।

सिकंदर महान की जीत के बाद, यानी करीब ईसा पूर्व 300 से करीब ईसवी सन्‌ 500 तक भूमध्य सागर के पूर्वी इलाकों में कीनी बोली जाने लगी। प्राचीन यहूदी लेखों के मुताबिक, ईसा पूर्व तीसरी सदी के दौरान यहूदी विद्वान इब्रानी शास्त्र का अनुवाद कीनी में करने लगे। इस तरह सेप्टुआजेंट नाम का अनुवाद तैयार हुआ। इसलिए स्वाभाविक है कि बाइबल की इब्रानी भाषा (यानी इब्रानी शास्त्र में इस्तेमाल हुए शब्दों और लेखन-शैली) का सेप्टुआजेंट और मसीही यूनानी शास्त्र में इस्तेमाल हुई यूनानी भाषा पर काफी असर हुआ।

कीनी भाषा की खासियत यह थी कि दूसरी भाषाओं के मुकाबले यह सबसे जानी-मानी थी। इसमें यूनानी भाषा की कई बोलियों का मिश्रण था, खासकर ऐटिक बोली का, फिर भी इसका व्याकरण सरल था। कीनी भाषा में कई तरीकों से विचारों को खुलकर बताया जा सकता था, यहाँ तक कि छोटी-छोटी बारीकियाँ भी आसानी से बतायी जा सकती थीं।