जब एक इंसान परमेश्वर से वादा करता है कि वह कोई काम या खास सेवा करेगा, उसे कोई चढ़ावा या भेंट देगा या उन चीज़ों से दूर रहेगा जो कानून के मुताबिक गलत नहीं है, तो उस वादे को मन्नत कहते हैं। मन्नत मानना, शपथ खाने जितना गंभीर होता था।—गि 6:2; सभ 5:4; मत 5:33.