मशक
यह भेड़-बकरी या किसी और जानवर की खाल से बनी होती थी और इसमें दाख-मदिरा रखी जाती थी। जब दाख-मदिरा खमीरी होती थी तो उससे कार्बन डाइऑकसाइड गैस निकलती थी और यह मशक में दबाव पैदा करती थी। इसलिए दाख-मदिरा नयी मशक में रखी जाती थी क्योंकि यह लचीली होती थी और फैलती थी, जबकि पुरानी मशक कड़ी होती थी और ज़्यादा दबाव में फट जाती थी।—यह 9:4; मत 9:17.