शाप
किसी को धमकाना या यह ऐलान करना कि उसके साथ या किसी चीज़ के साथ बुरा होगा। इसका मतलब गाली देना या गुस्से में आकर बुरा-भला कहना नहीं था। शाप अकसर सबके सामने दिया जाता था। और जब परमेश्वर या उसका ठहराया हुआ कोई जन शाप देता था, तो यह एक भविष्यवाणी होती थी जो ज़रूर पूरी होती थी।—उत 12:3; गि 22:12; गल 3:10.