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स्वर्गदूत

स्वर्गदूत

इसका इब्रानी शब्द मलाख है और यूनानी शब्द एगीलोस। दोनों शब्दों का शाब्दिक मतलब है “दूत।” लेकिन जब स्वर्ग से आए दूतों की बात की गयी है तो उन्हें “स्वर्गदूत” कहा गया है। (उत 16:7; 32:3; याकू 2:25; प्रक 22:8) स्वर्गदूत शक्‍तिशाली अदृश्‍य प्राणी हैं जिन्हें परमेश्‍वर ने इंसानों की सृष्टि से बहुत पहले रचा था। उन्हें बाइबल में “लाखों पवित्र स्वर्गदूत,” “परमेश्‍वर के बेटे” और “भोर के तारे” कहा गया है। (व्य 33:2; अय 1:6; 38:7) उन्हें बच्चे पैदा करके अपनी गिनती बढ़ाने की काबिलीयत के साथ नहीं बनाया गया था बल्कि हर स्वर्गदूत की सृष्टि की गयी थी। उनकी गिनती करोड़ों में है। (दान 7:10) बाइबल बताती है कि हर स्वर्गदूत का एक नाम और एक अलग शख्सियत है। फिर भी वे नम्र हैं और जब इंसानों ने उनकी उपासना करनी चाही तो उन्होंने मना कर दिया। कइयों ने तो अपना नाम तक बताने से इनकार कर दिया। (उत 32:29; लूक 1:26; प्रक 22:8, 9) उनका अलग-अलग ओहदा है और उन्हें तरह-तरह के काम दिए जाते हैं। जैसे, यहोवा की राजगद्दी के सामने सेवा करना, उसके संदेश पहुँचाना, धरती पर उसके सेवकों की मदद करना, उसकी तरफ से सज़ा देना और खुशखबरी सुनाने के काम में साथ देना। (2रा 19:35; भज 34:7; लूक 1:30, 31; प्रक 5:11; 14:6) आनेवाले हर-मगिदोन के युद्ध में वे यीशु के साथ मिलकर लड़ेंगे।​—प्रक 19:14, 15.