पाठ 4
परमेश्वर का एक नाम है
जब आप किसी से पहली बार मिलते हो तो सबसे पहले आप उससे क्या पूछते हो?— आप उसका नाम पूछते हो। हम सभी का अपना-अपना एक नाम है। जब परमेश्वर ने सबसे पहले इंसान को बनाया तो उसका एक नाम रखा। परमेश्वर ने उसका नाम आदम रखा। और उसकी पत्नी का नाम था हव्वा।
लेकिन नाम सिर्फ इंसानों के ही नहीं होते। इंसानों के अलावा कुछ दूसरी चीज़ों के बारे में सोचो जिनके नाम होते हैं। जैसे, जब कोई आपको एक गुड़िया या एक प्यारा-सा छोटा-सा जानवर देता है आप उसका भी नाम रखते हो, है ना?— जी हाँ, नाम होना बहुत ज़रूरी है।
अगर आप रात में आसमान को देखो तो आपको ढेरों तारे दिखायी देंगे। आप क्या सोचते हो क्या उनका नाम होगा?— बिलकुल, परमेश्वर ने आसमान में दिखायी देनेवाले हर तारे का नाम रखा है। बाइबल हमें बताती है: “वह तारों को गिनता, और उन में से एक एक का नाम रखता है।”—भजन 147:4.
अच्छा यह बताइए पूरी दुनिया में सबसे बड़ा कौन है?— ठीक कहा आपने, परमेश्वर। क्या आपको लगता है कि परमेश्वर का भी नाम है?— यीशु ने कहा कि परमेश्वर का नाम है। एक बार उसने प्रार्थना में परमेश्वर से कहा: ‘मैंने अपने चेलों को तेरा नाम बताया है।’ (यूहन्ना 17:26) क्या आप परमेश्वर का नाम जानते हो?— परमेश्वर खुद हमें अपना नाम बताता है। वह कहता है: “मैं यहोवा हूं, मेरा नाम यही है।” अब मालूम हुआ, परमेश्वर का नाम यहोवा है।—यशायाह 42:8.
जब दूसरे आपका नाम याद रखते हैं तो आपको कैसा लगता है?— आपको खुशी होती है, है ना?— यहोवा भी चाहता है कि लोग उसका नाम जानें। इसलिए जब हम परमेश्वर के बारे में बात करते हैं तो हमें उसका नाम लेना चाहिए। महान शिक्षक यीशु भी लोगों से बात करते वक्त परमेश्वर का नाम लेता था। एक बार यीशु ने कहा: ‘तुम्हें अपने परमेश्वर यहोवा से अपने पूरे दिल से प्यार करना चाहिए।’—मरकुस 12:30.
यीशु जानता था कि “यहोवा” का नाम सबसे ज़रूरी है। इसलिए उसने अपने चेलों को यहोवा का नाम लेना सिखाया। उसने उन्हें सिखाया कि प्रार्थना में परमेश्वर का नाम लेना बहुत ज़रूरी है। परमेश्वर चाहता है कि सब लोग जानें कि उसका नाम यहोवा है। और यह बात यीशु भी अच्छी तरह जानता था।
परमेश्वर का नाम कितना महान है यह बात परमेश्वर ने बहुत समय पहले मूसा नाम के एक आदमी को बतायी। मूसा एक इसराएली था। असल में इसराएल एक आदमी का नाम था। उसके बच्चे और बच्चों के बच्चे, सबको इसराएली कहा जाने लगा। वे मिस्र देश में रहते थे। मिस्र में रहनेवाले लोग मिस्री के नाम से जाने जाते थे। मिस्रियों ने इसराएलियों को अपना गुलाम बना लिया था। वे इसराएलियों के साथ बहुत बुरा सलूक करते थे, उन्हें परेशान करते थे। जब मूसा बड़ा हो गया तो उसने एक इसराएली की मदद करने की कोशिश की। यह देखकर मिस्र का राजा जिसे फिरौन कहा जाता था, बहुत गुस्सा हुआ। वह मूसा को मार डालना चाहता था! इसलिए अपनी जान बचाने के लिए मूसा को मिस्र से भागना पड़ा।
मूसा एक दूसरे देश में चला गया। उस देश का नाम था मिद्यान। वहाँ मूसा ने शादी कर ली और अपने परिवार की देखभाल करने लगा। मिद्यान में वह चरवाहे का काम करने लगा यानी भेड़ों की रखवाली करने लगा। एक दिन मूसा एक पहाड़ी के पास अपनी भेड़ें चरा रहा था कि उसने एक अनोखी चीज़ देखी। उसने देखा कि एक कंटीली झाड़ी में आग लगी हुई है, मगर वह झाड़ी जलकर राख नहीं हो रही है। यह तो बड़ी अजीब-सी बात थी, इसलिए वह देखने के लिए उस झाड़ी के पास गया।
जानते हो फिर क्या हुआ?— मूसा को कंटीली झाड़ी से एक आवाज़ सुनायी दी, “मूसा! मूसा!” पता है वह किसकी आवाज़ थी?— परमेश्वर की! परमेश्वर को मूसा से बहुत-सारा काम कराना था। परमेश्वर ने उससे कहा: ‘मैं तुझे मिस्र के राजा फिरौन के पास भेजना चाहता हूँ। तू जा और मेरे लोगों, इसराएलियों को मिस्र से छुड़ा ला।’ परमेश्वर ने मूसा से वादा किया कि इस काम में वह उसकी मदद करेगा।
मगर मूसा ने परमेश्वर से कहा: ‘मान लो कि मैं मिस्र में इसराएलियों के पास जाता हूँ और उनसे कहता हूँ कि परमेश्वर ने मुझे भेजा है। लेकिन अगर वे मुझसे तेरा नाम पूछने लगे, तो मैं उनसे क्या कहूँगा?’ परमेश्वर ने मूसा से कहा कि तू इसराएलियों से कहना: ‘यहोवा ने मुझे भेजा है। और उसने मुझसे कहा है कि उसका नाम हमेशा तक निर्गमन 3:1-15) इससे पता चलता है कि परमेश्वर अपना नाम यहोवा हमेशा के लिए रखनेवाला था। वह इस नाम को कभी नहीं बदलेगा। परमेश्वर चाहता है कि लोग हमेशा-हमेशा तक उसे इसी नाम से जानें।
यहोवा रहेगा।’ (जब मूसा मिस्र वापस गया, तो मिस्रियों ने सोचा कि यहोवा इसराएलियों का कोई छोटा-मोटा देवता होगा। उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि यहोवा पूरी धरती का परमेश्वर है। इसलिए यहोवा ने मिस्र के राजा से कहा: ‘मैं अपना नाम सारी धरती पर मशहूर करूँगा।’ (निर्गमन 9:16) वाकई यहोवा ने ऐसा ही किया। पूरी धरती के लोग जान गए कि यहोवा ही परमेश्वर है। जानते हो, उसने यह कैसे किया?—
सबसे पहले तो उसने मूसा से कहा कि वह इसराएलियों को मिस्र से छुड़ाकर ले जाए। जब इसराएली मिस्र से निकलकर लाल सागर के पास पहुँचे तो यहोवा ने सागर का पानी दो हिस्सों में बाँट दिया और उसके बीचों-बीच एक सूखा रास्ता बना दिया। इसराएलियों ने आराम से सूखी ज़मीन पर चलकर सागर पार कर लिया। लेकिन जब फिरौन और उसकी सेना इसराएलियों को पकड़ने के लिए उनके पीछे-पीछे सागर में घुसी तो दो हिस्सों में बँटा पानी फिर से मिल गया। सारे मिस्री उसमें डूबकर मर गए।
यहोवा ने लाल सागर पर जो चमत्कार किया उसके बारे में जल्द ही पूरी धरती के लोगों को पता चल गया। यह हम इतने यकीन के साथ कैसे कह सकते हैं?— इस घटना के करीब चालीस साल बाद इसराएली यहोशू 2:10.
कनान नाम के देश में आए। इसी देश को देने का यहोवा ने इसराएलियों से वादा किया था। उस देश में राहाब नाम की एक स्त्री रहती थी। उसने दो इसराएली आदमियों से कहा: ‘हम ने सुना है कि जब तुम मिस्र से निकले, तो यहोवा ने तुम्हारे सामने लाल सागर का पानी सुखा दिया था।’—आज बहुत-से लोग उन मिस्रियों की तरह हैं। वे नहीं मानते कि यहोवा ही पूरी धरती का परमेश्वर है। इसलिए यहोवा चाहता है कि उसके अपने लोग दूसरों को उसके बारे में बताएँ। यीशु ने भी ऐसा किया था। जब वह धरती पर था, तो अपनी मौत से थोड़े समय यूहन्ना 17:26.
पहले उसने प्रार्थना में यहोवा से कहा: “मैंने तेरा नाम उन्हें बताया है।”—क्या आप यीशु की तरह बनना चाहते हो? अगर हाँ तो लोगों को बताइए कि परमेश्वर का नाम यहोवा है। आप शायद पाएँगे कि बहुत-सारे लोगों को परमेश्वर का नाम मालूम नहीं है। आप चाहें तो उन्हें बाइबल की भजन संहिता किताब में 83:18 दिखा सकते हो। चलो हम अपनी बाइबल में यह आयत पढ़ते हैं। यह कहती है: “जिस से यह जानें कि केवल तू जिसका नाम यहोवा है, सारी पृथ्वी के ऊपर परमप्रधान है।”
इस आयत से हम क्या सीखते हैं?— जी हाँ, हम सीखते हैं कि इस पूरी दुनिया में सबसे महान नाम यहोवा है। यह उस परमेश्वर का नाम है जो सबसे ज़्यादा शक्तिशाली है, जो यीशु का पिता है और जिसने सबकुछ बनाया है। और याद कीजिए कि यीशु ने कहा था कि हमें यहोवा परमेश्वर से पूरे दिल से प्यार करना चाहिए। क्या आप यहोवा से प्यार करते हो?—
हम कैसे दिखा सकते हैं कि हम यहोवा से प्यार करते हैं?— एक तरीका है, उसके बारे में अच्छी तरह जानना और उसे अपना दोस्त बनाना। दूसरा तरीका है, लोगों को उसका नाम बताना। हम लोगों को सीधे बाइबल से दिखा सकते हैं कि परमेश्वर का नाम यहोवा है। साथ ही हम लोगों को उन खूबसूरत चीज़ों के बारे में बता सकते हैं, जो यहोवा ने बनायी हैं। हम उन्हें यह भी बता सकते हैं कि यहोवा ने कितने अच्छे-अच्छे काम किए हैं। इससे यहोवा बहुत खुश होगा क्योंकि वह चाहता है कि लोग उसे जानें। तो क्या हमें लोगों को यहोवा का नाम नहीं बताना चाहिए?—
जब हम यहोवा के बारे में लोगों को बताएँगे तो शायद सभी लोग हमारी बात न सुनें। हमारे महान शिक्षक यीशु ने भी जब यहोवा के बारे में बताया तो बहुत-से लोगों ने उसकी बात नहीं सुनी। लेकिन इस वजह से यीशु ने यहोवा के बारे में बताना बंद नहीं किया।
तो आइए हम भी यीशु की तरह बनें और लोगों को यहोवा का नाम बताते रहें। अगर हम ऐसा करेंगे तो यहोवा हमसे बहुत खुश होगा, क्योंकि इससे हम दिखा रहे होंगे कि हमें उसका नाम बहुत प्यारा है।
अब आइए हम बाइबल से कुछ और आयतें पढ़ें, जो दिखाती हैं कि यहोवा का नाम जानना और लेना कितना ज़रूरी है: यशायाह 12:4, 5; मत्ती 6:9; यूहन्ना 17:6 और रोमियों 10:13.