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अपने बच्चों की ज़रूरतें समझिए

अपने बच्चों की ज़रूरतें समझिए

हर माता-पिता के जीवन में एक ऐसी घटना घटती है, जिसे इंसान पूरी तरह नहीं समझ सकते। इस घटना में माता-पिता दोनों खास भूमिका निभाते हैं। वे अपने-अपने शरीर का हिस्सा देते हैं, जिस वजह से माँ की कोख में एक नन्हीं-सी जान पनपने लगती है। धीरे-धीरे उसके शरीर के सभी अंग बनने लगते हैं और नतीजा यह होता है कि एक प्यारा-सा बच्चा इस दुनिया में जन्म लेता है। लोग कहते हैं कि यह किसी “चमत्कार” से कम नहीं।

माता-पिता की ज़िम्मेदारी बच्चे को जन्म देने से ही खत्म नहीं हो जाती, बल्कि यहाँ से तो सही मायने में उनकी ज़िम्मेदारी शुरू होती है। शुरू-शुरू में बच्चे पूरी तरह अपने माता-पिता पर निर्भर होते हैं। लेकिन जैसे-जैसे वे बड़े होते हैं उनकी ज़रूरतें बढ़ती जाती हैं, उन्हें खाने-पहनने के अलावा और भी चीज़ों की ज़रूरत होती है। उन्हें एक अच्छा इंसान बनने यानी उनकी सोच को सही दिशा में ढालने, भावनाओं को सही तरीके से ज़ाहिर करने, सही चालचलन बनाए रखने और परमेश्वर के साथ एक मज़बूत रिश्ता बनाने के लिए मदद की ज़रूरत होती है।

बच्चों की अच्छी परवरिश के लिए ज़रूरी है कि उन्हें माता-पिता का प्यार मिले। माता-पिताओं को अपनी बातों से ज़ाहिर करना चाहिए कि वे अपने बच्चों से प्यार करते हैं, लेकिन सिर्फ कहना काफी नहीं है। उनका प्यार उनके कामों से भी झलकना चाहिए। जी हाँ, बच्चों को अपने माता-पिता के अच्छे उदाहरण की ज़रूरत होती है। साथ ही, बच्चों को ऐसे सिद्धांत सीखने और हिदायतें पाने की ज़रूरत है जिससे कि उन पर दुनिया के गंदे माहौल का असर न हो। उन्हें छुटपन से ही इन सब बातों की ज़रूरत होती है। अगर समय रहते उनकी ये ज़रूरतें पूरी न की गयीं तो अंजाम बड़े भयानक हो सकते हैं और ऐसा होता भी है।

सबसे बेहतरीन सिद्धांत हमें बाइबल के सिवा और कहीं नहीं मिल सकते। बाइबल की हिदायतों पर चलने से जो फायदे होते हैं उनकी बराबरी किसी से नहीं की जा सकती। अगर बच्चों को बाइबल से सिखाया जाए तो उन्हें पता चलेगा कि वे जो बातें सीख रहे हैं, वे किसी इंसान ने नहीं बल्कि उनके बनानेवाले यानी स्वर्ग में रहनेवाले उनके पिता ने कही हैं। इस तरह माता-पिता अधिकार के साथ अपने बच्चों को सलाह दे पाएँगे, क्योंकि बाइबल में दी बातों का मुकाबला दुनिया की किसी चीज़ से नहीं किया जा सकता।

बाइबल माता-पिताओं को बढ़ावा देती है कि वे अपने बच्चों के दिलो-दिमाग में सही सिद्धांत बिठाने के लिए खूब मेहनत करें। लेकिन जैसे-जैसे बच्चे बड़े होते हैं, अकसर माता-पिताओं को बच्चों से उन विषयों पर बात करना मुश्किल लगता है जो बहुत ज़रूरी होते हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए यह किताब, महान शिक्षक से सीखिए तैयार की गयी है। इसमें सही-गलत के मामलों और परमेश्वर की उपासना से जुड़ी बातें बतायी गयी हैं, जिन्हें आप अपने बच्चों के साथ पढ़ सकते हैं। इतना ही नहीं, इस किताब से बच्चों और उनके साथ जो लोग यह किताब पढ़ेंगे, उन्हें एक-दूसरे से खुलकर बातचीत करने का बढ़ावा मिलना चाहिए।

आप देखेंगे कि यह किताब बच्चों को जवाब देने के लिए उकसाती है। किताब में बच्चों से कई सवाल पूछे गए हैं। ऐसे सभी सवालों के आगे आप एक डैश (—) देखेंगे। यह याद दिलाएगा कि आपको यहाँ रुकना है और बच्चे को जवाब देना है। अध्ययन के दौरान बच्चे भी अपनी बात कहना चाहते हैं। अगर बच्चों को अपनी बात कहने का मौका न दिया जाए और सिर्फ आप ही बोलते रहें तो बच्चे जल्द ही ऊबने लगेंगे।

इससे भी बढ़कर, इन सवालों की मदद से आप यह जान पाएँगे कि आपके बच्चे के मन में क्या चल रहा है। हो सकता है कई बार बच्चे गलत जवाब दें। लेकिन सवाल के बाद दी गयी जानकारी से बच्चों को सही तरीके से सोचने में मदद मिलेगी।

इस किताब की एक खासियत है कि इसमें 230 से भी ज़्यादा तसवीरें हैं। ज़्यादातर तसवीरों के साथ एक वाक्य दिया गया है। इसे पढ़कर बच्चे को यह बताने का बढ़ावा मिलेगा कि उसने उस तसवीर और कहानी से क्या सीखा है। इसलिए पाठ खत्म होने के बाद बच्चे के साथ तसवीरों पर ज़रूर चर्चा कीजिए। तसवीरों के ज़रिए भी बहुत अच्छी तरह सिखाया जा सकता है। इससे बच्चा सीखी बातों को अच्छी तरह याद रख पाता है।

जब बच्चा पढ़ना सीख जाता है तो उससे कहिए कि वह ज़ोर से पढ़े ताकि आप भी सुन सकें। वह जितना ज़्यादा पढ़ेगा उतनी ही ज़्यादा इस किताब की अच्छी सलाहें उसके दिलो-दिमाग में समाती जाएँगी। अगर आप चाहते हैं कि आपके बच्चे के साथ आपका रिश्ता प्यार-भरा हो और वह आपका आदर करे, तो यह ज़रूरी है कि आप साथ मिलकर नियमित तौर पर यह किताब पढ़ें।

कुछ दशकों पहले इंसान ने सोचा भी नहीं था कि बच्चे लैंगिक कामों, भूत-विद्या और दूसरी गंदी आदतों के चंगुल में फँस सकते हैं। इन सब चीज़ों से बच्चों की हिफाज़त करने की ज़रूरत है। इस मामले में यह किताब बड़े अच्छे ढंग से, मगर सीधे-सीधे सलाह देती है। फिर भी बच्चों को खासकर यह सिखाने की ज़रूरत है कि संसार का सबसे बुद्धिमान शख्स स्वर्ग में रहनेवाला हमारा पिता यहोवा परमेश्वर है। महान शिक्षक यीशु ने भी हमेशा लोगों को सिखाया कि सारी बुद्धि का स्रोत हमारा बनानेवाला है। हमें पूरी उम्मीद है कि इस किताब से आपको और आपके परिवार को अपनी ज़िंदगी इस तरह जीने में मदद मिलेगी जिससे यहोवा परमेश्वर खुश हो और आपको हमेशा-हमेशा की आशीषें मिलें।