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पाठ 24

कभी चोरी मत करना!

कभी चोरी मत करना!

किसी ने क्या कभी आपकी कोई चीज़ चुराई है?— उस वक्‍त आपको कैसा लगा?— जिसने भी आपकी चीज़ चुराई वह चोर है और चोर को कोई भी पसंद नहीं करता। आपको क्या लगता है एक इंसान चोर कैसे बनता है? क्या वह जन्म से ही चोर होता है?—

हमने पिछले पाठ में सीखा था कि इंसानों में जन्म से ही पाप होता है। इसलिए हम सभी असिद्ध हैं। लेकिन कोई इंसान जन्म से चोर नहीं होता। जो इंसान चोरी करता है, वह अच्छे परिवार से हो सकता है। हो सकता है उसके मम्मी-पापा, भाई-बहन ईमानदार हों। लेकिन जब एक इंसान बहुत लालची हो जाता है और चाहता है कि उसके पास ढेर सारा पैसा हो, चीज़ें हों तो वह चोर बन सकता है।

आपके हिसाब से सबसे पहला चोर कौन था?— चलो पता करते हैं। जब महान शिक्षक स्वर्ग में था तो उसने देखा कि किसने सबसे पहले चोरी की। वह चोर एक स्वर्गदूत था। लेकिन परमेश्वर ने तो सारे-के-सारे स्वर्गदूतों को सिद्ध बनाया था तो वह स्वर्गदूत चोर कैसे बन गया?— जैसा कि हमने इस किताब के पाठ 8 में देखा, वह उस चीज़ को पाने का लालच करने लगा जो उसकी नहीं थी। क्या आपको याद है वह क्या चीज़ थी?—

जब परमेश्वर ने सबसे पहले स्त्री-पुरुष को बनाया, तो वह स्वर्गदूत चाहने लगा कि इंसान उसकी उपासना करें। जबकि उसे कोई अधिकार नहीं था कि वह अपनी उपासना करवाए। उपासना सिर्फ परमेश्वर की होनी चाहिए थी। लेकिन उस स्वर्गदूत ने चोरी की! कैसे? उसने आदम और हव्वा से अपनी उपासना करवायी। इस तरह वह चोर बन गया। इसके बाद वह शैतान यानी इब्लीस बन गया।

एक इंसान चोर कैसे बनता है?— जब वह ऐसी चीज़ पाने की इच्छा करने लगता है, जो उसकी नहीं होती। यह इच्छा उसके दिल में इस कदर ज़ोर पकड़ने लगती है कि वह एक अच्छे इंसान से बुरा इंसान बन जाता है और गलत काम करने लगता है। जो लोग एक बार चोरी कर लेते हैं उनमें से कुछ अपनी यह गंदी आदत कभी नहीं छोड़ते और न कभी वे अच्छे काम करते हैं। यीशु का एक प्रेषित ऐसा ही था। उसका नाम था यहूदा इस्करियोती।

यहूदा जानता था कि चोरी करना गलत है। क्योंकि उसे बचपन से ही परमेश्वर के नियम-कानून सिखाए गए थे। उसे मालूम था कि एक बार खुद परमेश्वर ने स्वर्ग से अपने लोगों से कहा: ‘तुम चोरी न करना।’ (निर्गमन 20:15) जब यहूदा बड़ा हुआ तब वह महान शिक्षक से मिला और उसका चेला बना। बाद में यीशु ने उसे अपने 12 प्रेषितों में शामिल किया।

यीशु और उसके प्रेषित एक साथ सफर करते थे। वे एक साथ खाना खाते थे। उनके पास जो पैसा रहता था उसे वे एक ही बक्से में रखते थे। उस बक्से की ज़िम्मेदारी यीशु ने यहूदा को दी थी। मगर इसका मतलब यह नहीं कि अब सारा पैसा यहूदा का हो गया था। लेकिन जानते हो बाद में यहूदा ने क्या किया?—

यहूदा ने चोरी क्यों की?

यहूदा धीरे-धीरे अपनी मरज़ी से उस बक्से में से पैसे खर्च करने लगा, जबकि उसे ऐसा करने का अधिकार नहीं था। वह सबकी आँख बचाकर बक्से में से पैसे निकालता था और चाहता था कि उसे कहीं से और भी पैसे मिल जाएँ। वह हर वक्‍त पैसे के बारे में ही सोचता रहता था। चलो देखें कि महान शिक्षक की मौत से कुछ दिन पहले अपनी इस गलत इच्छा की वजह से उसने क्या किया।

यीशु के दोस्त लाज़र की बहन मरियम ने बहुत कीमती तेल यीशु के पाँवों पर उँडेल दिया। यह बात यहूदा को अच्छी नहीं लगी और वह शिकायत करने लगा। जानते हो क्यों?— यहूदा ने कहा कि वह तेल बेचकर जो पैसा मिलता उससे गरीबों की मदद की जा सकती थी। लेकिन असल में बात कुछ और ही थी। वह चाहता था कि उस तेल का पैसा बक्से में डाल दिया जाए ताकि वह बाद में उसे चुरा ले।—यूहन्ना 12:1-6.

यीशु ने यहूदा से कहा कि मरियम को परेशान मत करो, वह अच्छा काम कर रही है। यहूदा को यीशु की बात बहुत बुरी लगी इसलिए वह प्रधान याजकों के पास गया जो यीशु के दुश्मन थे। वे यीशु को गिरफ्तार करना चाहते थे, लेकिन रात के अँधेरे में ताकि लोग उन्हें देख न सकें।

यहूदा ने याजकों से कहा: ‘अगर तुम मुझे पैसे दो तो मैं तुम्हें बताऊँगा कि तुम यीशु को कैसे पकड़ सकते हो। इस काम के तुम मुझे कितने पैसे दोगे?’

याजकों ने जवाब दिया: ‘हम तुम्हें चाँदी के तीस सिक्के देंगे।’—मत्ती 26:14-16.

यहूदा ने पैसे ले लिए। इस तरह मानो उसने तीस सिक्कों में महान शिक्षक को उन याजकों के हाथ बेच दिया! कितना बुरा आदमी था वह! क्या कोई इस हद तक गंदा काम कर सकता है?— हाँ, जब एक इंसान चोर बन जाता है और पैसे चुराने लगता है तो उसका ऐसा करना कोई बड़ी बात नहीं। वह इंसानों से बढ़कर पैसे से प्यार करने लगता है। यहाँ तक कि वह पैसे के आगे परमेश्वर को भी कुछ नहीं समझता।

आप शायद कहें, ‘मैं यहोवा परमेश्वर से ज़्यादा किसी से प्यार नहीं करूँगा।’ अगर आप ऐसा सोचते हो, तो यह अच्छी बात है। जब यीशु ने यहूदा को अपना प्रेषित चुना, तब हो सकता है यहूदा ने भी ऐसा ही सोचा हो। जो लोग चोर बन गए वे भी शायद पहले ऐसा सोचते होंगे। चलो उनमें से कुछ के बारे में देखते हैं।

आकान और दाविद क्या गलत बात सोच रहे हैं?

महान शिक्षक के जन्म से कई साल पहले आकान नाम का एक आदमी था। वह परमेश्वर का एक सेवक था। एक बार आकान ने एक सुंदर कपड़ा, सोने की ईंट और चाँदी के कुछ सिक्के देखे। ये सब चीज़ें उसकी नहीं थीं। बाइबल कहती है कि वे यहोवा की थीं क्योंकि उन्हें परमेश्वर के लोगों के दुश्मनों से हासिल किया गया था। लेकिन आकान उन चीज़ों को किसी भी कीमत पर पाना चाहता था, इसलिए उसने उन्हें चुरा लिया।—यहोशू 6:19; 7:11, 20-22.

एक और उदाहरण पर गौर कीजिए। बहुत समय पहले यहोवा ने दाविद को इसराएल के लोगों का राजा बनाया। एक दिन दाविद ने एक खूबसूरत स्त्री बतशेबा को देखा। वह उसे देखता रहा और उसे अपनी पत्नी बनाकर अपने घर ले आने के बारे में सोचने लगा। लेकिन बतशेबा उरिय्याह नाम के आदमी की पत्नी थी। तो फिर दाविद को क्या करना चाहिए था?—

उसे बतशेबा के बारे में सोचना बंद कर देना चाहिए था। लेकिन उसने ऐसा नहीं किया। वह उसे अपने घर ले आया। फिर उसने बतशेबा के पति उरिय्याह को मरवा डाला। दाविद ने ये गंदे काम क्यों किए?— क्योंकि वह उस स्त्री को हर हाल में पाना चाहता था, जो किसी और की पत्नी थी।—2 शमूएल 11:2-27.

अबशालोम किस तरह चोर बना?

बाद में दाविद बहुत पछताया इसलिए यहोवा ने उसे जान से नहीं मारा। लेकिन इसके बाद दाविद को बहुत-सी मुसीबतों का सामना करना पड़ा। उसका अपना बेटा अबशालोम उसका राज छीनना चाहता था। इसलिए जब लोग दाविद से मिलने आते तो अबशालोम उन्हें गले लगाकर चूमता। बाइबल कहती है: ‘इस तरह उसने लोगों का मन हर लिया [या, चोरी किया]।’ नतीजा यह हुआ कि लोग भी चाहने लगे कि दाविद की जगह अबशालोम राजा बने।—2 शमूएल 15:1-12.

क्या कभी आप भी किसी चीज़ को पाने के लिए इतने उतावले हुए हो, जैसे कि आकान, दाविद और अबशालोम थे?— अगर वह चीज़ आपकी नहीं है और आप बिना पूछे उसे ले लेते हो तो वह चोरी है। क्या आपको याद है पहला चोर शैतान क्या चाहता था?— वह चाहता था कि लोग परमेश्वर के बजाय उसकी उपासना करें। इसलिए आदम और हव्वा से अपनी आज्ञा मनवाकर शैतान ने चोरी की।

एक इंसान अपनी चीज़ जिसे चाहे उसे दे सकता है। मान लीजिए, आप दूसरे बच्चों के घर खेलने जाते हो। अगर आप बिना पूछे उनके घर से कोई चीज़ उठा लाएँ, तो क्या यह अच्छी बात होगी?— नहीं। आपको तब तक उनके घर से कोई चीज़ नहीं लानी चाहिए, जब तक कि उनके मम्मी-पापा खुद आपको वह चीज़ न दें। अगर आप उनसे बिना पूछे कोई चीज़ ले जाते हो तो वह चोरी होगी।

आपका चोरी करने का मन क्यों कर सकता है?— क्योंकि आप वह चीज़ पाना चाहते हो जो आपकी नहीं है। जब आप कुछ चुराते हो तो भले ही कोई इंसान आपको न देख रहा हो मगर एक शख्स है जो आपको देख रहा होता है। वह कौन है?— यहोवा परमेश्वर। और हमें याद रखना चाहिए कि परमेश्वर चोरी से सख्त नफरत करता है। इसलिए अगर आप परमेश्वर और अपने पड़ोसी से प्यार करते हो तो आप कभी चोरी नहीं करोगे।

बाइबल साफ-साफ बताती है कि चोरी करना गलत है। यह बात आप मरकुस 10:17-19; रोमियों 13:9 और इफिसियों 4:28 में पढ़ सकते हो।