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पाठ 42

हमें काम क्यों करना चाहिए

हमें काम क्यों करना चाहिए

आपको सबसे अच्छा क्या लगता है, काम करना या खेलना?— खेलने में कोई बुराई नहीं है। बाइबल कहती है कि यरूशलेम के “चौक खेलनेवाले लड़कों और लड़कियों से भरे” रहते थे।—जकर्याह 8:5.

महान शिक्षक जब बच्चों को खेलते देखता था तो उसे बड़ा अच्छा लगता था। धरती पर आने से पहले उसने कहा: ‘मैं कुशल कारीगर-सा परमेश्वर के साथ था; और हर दिन उसके सामने आनन्दित रहता था।’ यीशु को “कुशल कारीगर” कहा गया है, इसका मतलब वह स्वर्ग में यहोवा के साथ काम करता था। जब वह स्वर्ग में था तब उसने कहा: “मेरा आनन्द मानवजाति में था।” यह बात बिलकुल सही है क्योंकि जैसा हमने पहले सीखा था, महान शिक्षक को सभी इंसानों में बहुत दिलचस्पी थी और बच्चों से भी उसे बहुत प्यार था।—नीतिवचन 8:30, 31, NHT.

धरती पर आने से पहले महान शिक्षक को किस बात से खुशी मिली?

क्या आपको लगता है यीशु भी बचपन में खेलता होगा?— हाँ वह खेला होगा। वह स्वर्ग में “कुशल कारीगर” था, क्या उसने धरती पर भी काम किया?— जी हाँ, यीशु को “बढ़ई का बेटा” कहा गया। लेकिन उसे “बढ़ई” भी कहा जाता था। इससे क्या पता चलता है?— यूसुफ ने उसे अपने बेटे की तरह पाला था, उसने यीशु को ज़रूर बढ़ई का काम सिखाया होगा। इसलिए यीशु बड़ा होकर एक बढ़ई बना।—मत्ती 13:55; मरकुस 6:3.

यीशु किस तरह का बढ़ई था?— स्वर्ग में तो वह कुशल कारीगर था, तो क्या आपको नहीं लगता कि वह धरती पर कुशल बढ़ई रहा होगा?— ज़रा गौर कीजिए कि यीशु के दिनों में बढ़ई का काम करने में कितनी मेहनत लगती थी। यीशु शायद जंगल में जाकर पेड़ काटता होगा, फिर उनके टुकड़े करके घर लाता होगा और फिर उन्हें आकार देकर मेज़, बेंच और दूसरी चीज़ें बनाता होगा।

क्या आपको लगता है इस काम से यीशु को खुशी हुई?— अगर आप लोगों के लिए मेज़, कुरसी या दूसरी चीज़ें बना पाते, तो क्या आपको खुशी होती?— बाइबल कहती है ‘अपने काम से आनन्दित’ होना अच्छी बात है। काम से हमें जो खुशी मिलती है वह खेलने से नहीं मिलती।—सभोपदेशक 3:22.

वाकई काम करना, तन और मन दोनों के लिए अच्छा है। बहुत-से बच्चे बस टी.वी. के सामने बैठे रहते हैं या वीडियो गेम खेलते रहते हैं। बैठे-बैठे वे बहुत मोटे हो जाते हैं मगर उनमें ताकत नहीं होती। और सच पूछो तो वे खुश नहीं होते। और उनके इस तरह के काम से दूसरों को भी खुशी नहीं होती। खुश रहने के लिए हमें क्या करने की ज़रूरत है?—

हमने इस किताब के 17वें पाठ में सीखा था कि दूसरों की मदद करने और उन्हें देने से हमें खुशी मिलती है। (प्रेषितों 20:35) बाइबल यहोवा को “आनंदित परमेश्वर” कहती है। (1 तीमुथियुस 1:11) जैसा कि हमने नीतिवचन में पढ़ा, यीशु ‘हर दिन उसके सामने आनन्दित’ रहता था। यीशु क्यों खुश रहता था?— उसने खुश रहने की एक वजह बताते हुए कहा: “मेरा पिता अब तक काम करता आ रहा है और मैं भी काम करता रहता हूँ।”—यूहन्ना 5:17.

जब यीशु धरती पर था तब वह पूरी ज़िंदगी बढ़ई का काम नहीं करता रहा। यहोवा परमेश्वर ने उसे धरती पर एक खास काम के लिए भेजा था। क्या आप जानते हो वह काम क्या था?— यीशु ने कहा: “मुझे . . . परमेश्वर के राज की खुशखबरी सुनानी है, क्योंकि मुझे इसीलिए भेजा गया है।” (लूका 4:43) कभी-कभी जब यीशु लोगों को खुशखबरी सुनाता था तो वे उसकी बात पर विश्वास करते और जाकर दूसरों को उसकी बातें बताते। जैसा कि यहाँ तसवीर में दिखायी सामरी स्त्री ने किया।—यूहन्ना 4:7-15, 27-30.

यीशु जब धरती पर था तो उसने कौन-से दो तरह के काम किए?

यीशु को अपना काम कैसा लगता था? क्या वह दिल से इस काम को करना चाहता था?— यीशु ने कहा: “मेरा खाना यह है कि मैं अपने भेजनेवाले की मरज़ी पूरी करूँ और उसका काम पूरा करूँ।” (यूहन्ना 4:34) अगर आपको आपका मनपसंद खाना दिया जाए तो आपको कैसे लगेगा?— इससे पता चलता है कि यीशु, परमेश्वर का दिया काम कितनी खुशी से करता था।

परमेश्वर ने हमें इसलिए बनाया है कि हम काम करना सीखें क्योंकि इससे हमें खुशी मिलती है। वह कहता है कि इंसानों के लिए उसका तोहफा यह है कि वे ‘अपने परिश्रम में आनन्द मनाएँ।’ अगर आप बचपन में काम करना सीख लें तो आपकी ज़िंदगी और भी खुशियों से भर जाएगी।—सभोपदेशक 5:19.

इसका मतलब यह नहीं कि बच्चों को वे काम करने चाहिए जो बड़े लोग करते हैं। लेकिन हम सभी कोई-न-कोई काम कर सकते हैं। आपके मम्मी-पापा शायद हर दिन काम पर जाते हों ताकि वे पैसे कमा सकें, जिससे पूरे परिवार को भरपेट खाना और रहने के लिए घर मिले। और जैसा कि आप जानते होंगे कि घर को साफ-सुथरा रखने के लिए काफी काम करना होता है।

आप ऐसा कौन-सा काम कर सकते हो जिससे पूरे परिवार को फायदा हो?— आप मेज़ पर खाना लगाने, बरतन धोने, कूड़ा बाहर फेंकने, अपना कमरा साफ करने और खिलौनों को सही जगह रखने में हाथ बँटा सकते हो। शायद आप इनमें से कुछ काम पहले से ही कर रहे होंगे। काम में हाथ बँटाने से वाकई आपके परिवार को फायदा होगा।

खेलने के बाद अपने खिलौने वापस सही जगह पर रखना क्यों ज़रूरी है?

चलो देखते हैं कि इस तरह के कामों से कैसे फायदा हो सकता है। खेलने के बाद आपको अपने खिलौने वापस अपनी जगह पर रख देने चाहिए। ऐसा करना क्यों ज़रूरी है?— ऐसा करने से एक तो घर साफ-सुथरा रहेगा और किसी को चोट भी नहीं लगेगी। मान लीजिए कि आपके खिलौने इधर-उधर बिखरे पड़े हैं और तभी आपकी मम्मी अपने दोनों हाथों में कुछ सामान लिए वहाँ से निकलती है। उसका पैर आपके एक खिलौने पर पड़ता है और वह गिर जाती है। उसे चोट लग जाती है। हो सकता है उसे अस्पताल ले जाना पड़े। अगर ऐसा हुआ तो आपको बहुत बुरा लगेगा, है ना?— इसलिए खेलने के बाद अगर आप अपने खिलौने सही जगह पर रखें तो इससे सभी को फायदा होगा।

बच्चे एक और काम कर सकते हैं। जैसे कि अपना होमवर्क। स्कूल में आपको पढ़ना-लिखना सिखाया जाता है। कुछ बच्चों को पढ़ने में मज़ा आता है मगर कुछ को यह मुश्किल लगता है। शुरू-शुरू में अगर आपको पढ़ना मुश्किल लगे तब भी आपको पढ़ना सीखना चाहिए। क्योंकि आगे चलकर जब आप अच्छी तरह पढ़ना सीख जाओगे तो आपको बड़ी खुशी होगी। तब आप बहुत-सारी अच्छी-अच्छी बातें सीख सकोगे। आप परमेश्वर की किताब बाइबल भी पढ़ सकोगे। तो देखा, अगर आप स्कूल की पढ़ाई मन लगाकर करोगे, तो इससे कितना फायदा होगा। सही बात है ना?—

लेकिन कुछ लोग काम से जी चुराते हैं। शायद आप ऐसे किसी इंसान को जानते होंगे। हमें परमेश्वर ने काम करने के लिए बनाया है, इसलिए हमें यह सीखने की ज़रूरत है कि हम अपने काम में खुशी कैसे पा सकते हैं। महान शिक्षक को अपने काम में कितना मज़ा आता था?— वह उसके लिए मनपसंद खाना खाने के बराबर था। वह किस काम की बात कर रहा था?— वह जिस काम की बात कर रहा था उसमें दो चीज़ें शामिल थीं। लोगों को यहोवा के बारे में बताना और यह कि उन्हें हमेशा की ज़िंदगी कैसे मिल सकती है।

हमें काम में मज़ा आए, इसके लिए कुछ बातें हमारी मदद कर सकती हैं। जैसे, कोई काम करने से पहले खुद से पूछिए, ‘यह काम करना ज़रूरी क्यों है?’ जब आपको पता चल जाता है कि वह काम ज़रूरी क्यों है तो आप वह काम आसानी से कर सकोगे। काम चाहे छोटा हो या बड़ा हमें उसे खूब मन लगाकर करना चाहिए। ऐसा करने से आपको अपने काम से खुशी मिलेगी जैसे कि हमारे महान शिक्षक को मिली थी।

बाइबल एक इंसान को मेहनती बनने में मदद कर सकती है। देखिए कि नीतिवचन 10:4; 22:29; सभोपदेशक 3:12, 13 और कुलुस्सियों 3:23 में इस बारे में क्या लिखा है।