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दो शब्द

दो शब्द

प्यारे पाठक:

“मेरा चेला बन जा और मेरे पीछे हो ले।” (मरकुस 10:21) इन शब्दों से यीशु मानो हम सब को उसके पीछे हो लेने का न्यौता दे रहा है। क्या आप उसका यह न्यौता स्वीकार करेंगे? अगर आप इसे कबूल करते हैं तो इसका आपकी ज़िंदगी पर गहरा असर होगा। हम ऐसा क्यों कह सकते हैं?

यहोवा ने अपने इकलौते बेटे यीशु को धरती पर भेजा ताकि वह अपना जीवन फिरौती के तौर पर दे सके। (यूहन्‍ना 3:16) हमारी खातिर अपनी जान कुरबान करने के अलावा, उस बेटे ने हमें जीना सिखाया। वह हर काम में अपने पिता का वफादार रहा और उसके दिल को खुश किया। यीशु ने यह भी दिखाया कि हम कैसे उसके पिता की तरह बन सकते हैं। उसने अपनी बातों और कामों में हू-ब-हू अपने पिता की शख्सियत और उसकी मरज़ी ज़ाहिर की।—यूहन्‍ना 14:9.

बाइबल कहती है कि यीशु हमारे लिए ‘एक आदर्श है कि हम उसके नक्शे-कदम पर नज़दीकी से चल सकें।’ (1 पतरस 2:21) अगर हम यहोवा के और करीब आना चाहते हैं, एक मकसद-भरी ज़िंदगी जीना चाहते हैं और उस राह पर बने रहना चाहते हैं जो हमेशा की ज़िंदगी की ओर ले जाएगी, तो हमें यीशु के नक्शे-कदम पर नज़दीकी से चलना होगा।

इसके लिए पहले हमें उसकी ज़िंदगी के बारे में जानना होगा जो उसने धरती पर जी थी। लिहाज़ा, बाइबल में यीशु के बारे में जो लिखा गया है, उसका गहराई से अध्ययन कीजिए। यीशु ने क्या कहा और क्या किया, उस पर मनन कीजिए। देखिए कि हम अपनी बातों और कामों में उसकी मिसाल पर कैसे चल सकते हैं। इस तरह हम समझ पाएँगे कि हमें यीशु के नक्शे-कदम पर किस तरह चलना चाहिए।

हमारी दुआ है कि यह किताब आपको यीशु और यहोवा के लिए अपना प्यार बढ़ाने में मदद दे। हम यह भी दुआ करते हैं कि यह प्यार आपको यीशु के नक्शे-कदम पर चलने के लिए उकसाए ताकि आप हमेशा यहोवा का दिल खुश कर सकें।

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