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“कोई निवासी न कहेगा कि मैं रोगी हूं”

“कोई निवासी न कहेगा कि मैं रोगी हूं”

छब्बीसवाँ अध्याय

“कोई निवासी न कहेगा कि मैं रोगी हूं”

यशायाह 33:1-24

1. यशायाह 33:24 के शब्दों से हमें तसल्ली क्यों मिलती है?

प्रेरित पौलुस ने कहा, “सारी सृष्टि अब तक मिलकर कहरती और पीड़ाओं में पड़ी तड़पती है।” (रोमियों 8:22) चिकित्सा क्षेत्र में हुई तरक्की के बावजूद, बीमारी और मौत आज भी इंसानों को पीड़ित कर रही है। इसलिए, यशायाह की भविष्यवाणी के इस भाग के आखिर में बताए गए वादे से कितनी तसल्ली मिलती है! उस वक्‍त की कल्पना कीजिए जब “कोई निवासी न कहेगा कि मैं रोगी हूं।” (यशायाह 33:24) यह वादा कब और कैसे पूरा होगा?

2, 3. (क) इस्राएल देश किस तरीके से रोगी है? (ख) अश्‍शूर, परमेश्‍वर की ताड़ना के “लठ” की तरह कैसे काम करता है?

2 यशायाह ऐसे वक्‍त पर भविष्यवाणी करता है जब परमेश्‍वर के चुने हुए लोग आध्यात्मिक तौर पर रोगी हैं। (यशायाह 1:5,6) वे धर्मत्याग और अनैतिकता के दलदल में इस कदर धँस चुके हैं कि उन्हें यहोवा परमेश्‍वर की तरफ से सख्त ताड़ना की ज़रूरत है। यह ताड़ना देने के लिए यहोवा, अश्‍शूर को “लठ” की तरह इस्तेमाल करता है। (यशायाह 7:17; 10:5,15) पहले, सा.यु.पू. 740 में उत्तर में दस गोत्रों का इस्राएल राज्य, अश्‍शूरियों के कब्ज़े में चला जाता है। (2 राजा 17:1-18; 18:9-11) फिर कुछ साल बाद, अश्‍शूर का राजा सन्हेरीब दक्षिण में यहूदा राज्य पर धावा बोलता है। (2 राजा 18:13; यशायाह 36:1) अपने रास्ते की हर चीज़ को कुचलनेवाली अश्‍शूरी सेना जैसे-जैसे एक-के-बाद-एक नगर पर कब्ज़ा करती जाती है, यह यकीन होने लगता है कि यहूदा को भी उसके सर्वनाश से कोई नहीं बचा सकता।

3 मगर अश्‍शूर अपनी हद पार कर रहा है। उसे परमेश्‍वर के लोगों को सिर्फ ताड़ना देने का अधिकार मिला था, मगर वह तो अब पूरी दुनिया पर फतह हासिल करने की अपने दिल की ख्वाहिश पूरी करना चाहता है। (यशायाह 10:7-11) क्या यहोवा, इन ज़ालिमों को यूँ ही छोड़ देगा जो उसके लोगों को बेदर्दी से सता रहे हैं? क्या उसके देश को कभी आध्यात्मिक रूप से चंगा किया जाएगा? इन सवालों का यहोवा क्या जवाब देता है, इसके बारे में हम यशायाह के 33वें अध्याय में पढ़ते हैं।

नाश करनेवाले का नाश

4, 5. (क) अश्‍शूर का पासा कैसे पलट जाएगा? (ख) यहोवा के लोगों की तरफ से यशायाह क्या प्रार्थना करता है?

4 भविष्यवाणी की शुरूआत यूँ होती है: “हाय तुझ नाश करनेवाले पर जो नाश नहीं गया था; हाय तुझ विश्‍वासघाती पर, जिसके साथ विश्‍वासघात नहीं किया गया! जब तू नाश कर चुके, तब तू नाश किया जाएगा; और जब तू विश्‍वासघात कर चुके, तब तेरे साथ विश्‍वासघात किया जाएगा।” (यशायाह 33:1) यशायाह नाश करनेवाले, अश्‍शूर से सीधे बात करता है। इस वक्‍त, यह लड़ाकू और शक्‍तिशाली देश अपनी बुलंदियों पर है, इसलिए ऐसा लगता है कि इसे हराना किसी के भी बस की बात नहीं। इस ‘नाश करनेवाले का नाश नहीं किया गया है,’ इसने यहूदा के नगरों को उजाड़ दिया है, यहाँ तक कि यहोवा के भवन की दौलत लूटकर उसे खाली कर दिया है। और फिर ऐसी तबाही मचाते हुए भी वह सोचता है कि उसे पूछनेवाला कोई नहीं! (2 राजा 18:14-16; 2 इतिहास 28:21) लेकिन, अब पासा पलटनेवाला है। यशायाह बड़ी हिम्मत से यह ऐलान करता है: “तू नाश किया जाएगा।” यह भविष्यवाणी, परमेश्‍वर के वफादार जनों का क्या ही हौसला बढ़ाती है!

5 इस खौफनाक वक्‍त में यहोवा के वफादार उपासकों के लिए ज़रूरी है कि वे मदद के लिए यहोवा को पुकारें। इसलिए यशायाह प्रार्थना करता है: “हे यहोवा, हम पर अनुग्रह कर, हम तेरी ही बाट जोहते आए हैं। नित्य प्रात: तू हमारा बल, तथा संकट में हमारा उद्धार ठहर। हुल्लड़ सुनते ही देश देश के लोग भाग खड़े हुए, तेरे उठते ही जातियां तितर-बितर हो गईं।” (यशायाह 33:2,3, NHT) यशायाह का यह प्रार्थना करना बिलकुल सही है कि जैसे यहोवा ने पहले भी कई बार अपने लोगों का उद्धार किया था वैसे ही इस बार भी उन्हें छुटकारा दिलाए। (भजन 44:3; 68:1) और यशायाह अपनी प्रार्थना समाप्त करने के तुरंत बाद ही भविष्यवाणी करता है कि यहोवा का जवाब क्या है!

6. अश्‍शूर का क्या होगा, और ऐसा होना क्यों उचित है?

6“जैसे टिड्डियां चट करती हैं वैसे ही तुम्हारी [अश्‍शूरियों की] लूट चट की जाएगी, और जैसे टिड्डियां टूट पड़ती हैं, वैसे ही वे उस पर टूट पड़ेंगे।” (यशायाह 33:4) यहूदा देश के लोग इस बात से अच्छी तरह वाकिफ हैं कि जब टिड्डियों का प्रकोप आता है, तो कैसी तबाही मचती है। लेकिन, इस बार यहूदा के दुश्‍मनों के तबाह होने की बारी है। अश्‍शूर को बड़ी शर्मनाक हार का सामना करना होगा और इसके सैनिकों को मजबूरन भागना पड़ेगा। उनकी लूट का सारा माल, यहूदा के निवासियों को मिल जाएगा! अश्‍शूर तो नाश होने के ही लायक है, आखिर उसने बेरहम होने का नाम जो कमाया है।—यशायाह 37:36.

आज का अश्‍शूरी

7. (क) आध्यात्मिक रूप से रोगी इस्राएल जाति की तुलना आज किससे की जा सकती है? (ख) ईसाईजगत का खात्मा करने के लिए यहोवा का “लठ” कौन ठहरेगा?

7 यशायाह की यह भविष्यवाणी आज हमारे दिनों पर कैसे लागू होती है? आध्यात्मिक रूप से रोगी इस्राएल जाति की तुलना, आज के विश्‍वासघाती ईसाईजगत के साथ की जा सकती है। जैसे यहोवा ने इस्राएल को सज़ा देने के लिए अश्‍शूर को एक “लठ” की तरह इस्तेमाल किया था, उसी तरह वह ईसाईजगत को, साथ ही दुनिया भर में फैले झूठे धर्मों के साम्राज्य, बड़े बाबुल के बाकी हिस्से को सज़ा देने के लिए एक “लठ” का इस्तेमाल करेगा। (यशायाह 10:5; प्रकाशितवाक्य 18:2-8) यह “लठ” संयुक्‍त राष्ट्र संघ के सदस्य देश होंगे। यह वही संगठन है जिसे प्रकाशितवाक्य की किताब में एक किरमिजी रंग का पशु कहा गया है, जिसके सात सिर और दस सींग हैं।—प्रकाशितवाक्य 17:3,15-17.

8. (क) आज सन्हेरीब की तुलना किससे की जा सकती है? (ख) आज का सन्हेरीब किस पर हमला करने की जुर्रत करेगा मगर उसका अंजाम क्या होगा?

8 जब आज के ज़माने का अश्‍शूरी आवेश में आकर समस्त झूठे धर्म पर अपना गुस्सा उतारेगा तब ऐसा लगेगा जैसे उसे कोई रोक नहीं सकता। सन्हेरीब जैसा रवैया दिखाते हुए शैतान यानी इब्‌लीस न सिर्फ ऐसे धर्मत्यागी धर्म-संगठनों पर हमला करेगा जो सज़ा के लायक हैं, बल्कि सच्चे मसीहियों पर भी हमला करने की जुर्रत करेगा। आज यहोवा के शेष अभिषिक्‍त आत्मिक पुत्रों के साथ-साथ लाखों लोग यहोवा के राज्य का पक्ष लेते हैं। ये लोग शैतान की दुनिया से निकल आए हैं, जिसमें बड़ा बाबुल भी शामिल है। जब ये सच्चे मसीही, “इस संसार के ईश्‍वर” शैतान की उपासना करने से इनकार कर देंगे तब वह आग-बबूला होकर उनके खिलाफ चौ-तरफा हमला करेगा। (2 कुरिन्थियों 4:4; यहेजकेल 38:10-16) बेशक, यह हमला बहुत खौफनाक होगा, मगर यहोवा के लोगों को डरने की कोई ज़रूरत नहीं होगी। (यशायाह 10:24,25) परमेश्‍वर ने उन्हें यह आश्‍वासन दिया है कि वह ‘संकट में उनका उद्धार ठहरेगा।’ वह अपने लोगों की खातिर खुद मैदान में उतर आएगा और शैतान और उसकी टोली का खात्मा कर देगा। (यहेजकेल 38:18-23) प्राचीनकाल की तरह आज भी जो परमेश्‍वर के लोगों को नाश करने की कोशिश करते हैं उन्हें खुद ही नाश किया जाएगा! (नीतिवचन 13:22ख से तुलना कीजिए।) यहोवा का नाम पवित्र किया जाएगा और बचाए हुओं को प्रतिफल दिया जाएगा क्योंकि उन्होंने “बुद्धि और ज्ञान” की खोज की और “यहोवा का भय” माना है।यशायाह 33:5,6 पढ़िए।

विश्‍वासघातियों के लिए एक चेतावनी

9. (क) यहूदा के “शूरवीर” और “संधि के दूत” क्या करेंगे? (ख) अश्‍शूरी, यहूदा द्वारा शांति कायम करने की कोशिश का कैसा जवाब देगा?

9 लेकिन, यहूदा के विश्‍वासघाती लोगों का क्या अंजाम होगा? यशायाह बताता है कि किस तरह उनका भविष्य अंधकारमय होगा क्योंकि बहुत जल्द अश्‍शूरी उन्हें मौत के घाट उतार देंगे। (यशायाह 33:7 पढ़िए।) यहूदा के “शूरवीर” अश्‍शूर की बढ़ती चली आ रही फौज को देखकर डर के मारे चिल्लाएँगे। “संधि के दूत” यानी राजनयिक, लड़ाकू अश्‍शूरियों के साथ शांति का समझौता करने भेजे जाएँगे मगर उनका मज़ाक उड़ाया जाएगा और अपमान किया जाएगा। वे अपनी नाकामी पर बिलख-बिलखकर रोएँगे। (यिर्मयाह 8:15 से तुलना कीजिए।) निर्दयी अश्‍शूरी उन पर ज़रा भी तरस नहीं खाएगा। (यशायाह 33:8,9 पढ़िए।) वह कठोरता के साथ यहूदा के निवासियों के साथ किए समझौतों को मानने से इनकार कर देगा। (2 राजा 18:14-16) यह अश्‍शूरी, यहूदा के ‘नगरों को तुच्छ जानेगा’ और उनका तिरस्कार करेगा और खिल्ली उड़ाएगा। उसकी नज़रों में इंसान की ज़िंदगी का कोई मोल न रहेगा। हालात इतने खराब हो जाएँगे कि मानो सारा देश ही मातम मनाएगा। लबानोन, शारोन, बाशान और कर्मेल भी इसी तरह बरबादी पर विलाप करेंगे।

10. (क) ईसाईजगत के “शूरवीर” कैसे नाकाम साबित होंगे? (ख) ईसाईजगत पर आनेवाले संकट के दौरान कौन सच्चे मसीहियों की हिफाज़त करेगा?

10 इसमें कोई शक नहीं कि बहुत जल्द भविष्य में भी ऐसे ही हालात पैदा होंगे जब धर्म पर देशों का हमला शुरू होगा। जैसा हिजकिय्याह के दिनों में हुआ, इस विनाशकारी फौज के खिलाफ लड़ने का कोई फायदा नहीं होगा। ईसाईजगत के “शूरवीर,” यानी उसके राजनीतिक नेता, पूँजीपति और दबदबा रखनेवाले दूसरे लोग उसकी कोई मदद नहीं कर पाएँगे। ईसाईजगत को बचाने के लिए की गयी राजनीतिक और आर्थिक ‘वाचाएँ’ या समझौते तोड़ दिए जाएँगे। (यशायाह 28:15-18) बातचीत के ज़रिए शांति स्थापित करके विनाश को रोकने की ज़ोरदार कोशिशें नाकाम रहेंगी। ईसाईजगत की संपत्ति और व्यापार में लगायी गयी पूँजी ज़ब्त कर ली जाएगी या नष्ट कर दी जाएगी, इस वजह से सारा व्यापार ठप्प हो जाएगा। जिन लोगों के दिल में ईसाईजगत के लिए अब भी कुछ स्नेह बाकी होगा, वे बस दूर खड़े होकर उसके मिट जाने का शोक मनाएँगे। (प्रकाशितवाक्य 18:9-19) उस वक्‍त क्या सच्ची मसीहियत भी झूठे धर्म के साथ मिट जाएगी? नहीं, क्योंकि खुद यहोवा वादा करता है: “यहोवा कहता है, अब मैं उठूंगा, मैं अपना प्रताप दिखाऊंगा; अब मैं महान ठहरूंगा।” (यशायाह 33:10) आखिर में यहोवा, हिजकिय्याह जैसे वफादार लोगों की खातिर, दखल देगा और अश्‍शूर की बढ़ती चली आ रही फौज को रोक देगा।—भजन 12:5.

11, 12. (क) यशायाह 33:11-14 के शब्द कब और कैसे पूरे होते हैं? (ख) यहोवा के वचनों से आज के लिए कौन-सी चेतावनी मिलती है?

11 मगर इस वक्‍त में विश्‍वासघाती हिफाज़त पाने की उम्मीद नहीं कर सकते। यहोवा कहता है: “तुम में सूखी घास का गर्भ रहेगा, तुम से भूसी उत्पन्‍न होगी; तुम्हारी सांस आग है जो तुम्हें भस्म करेगी। देश देश के लोग फूंके हुए चूने के समान हो जाएंगे, और कटे हुए कटीले पेड़ों की नाईं आग में जलाए जाएंगे। हे दूर दूर के लोगो, सुनो कि मैं ने क्या किया है? और तुम भी जो निकट हो, मेरा पराक्रम जान लो। सिय्योन के पापी थरथरा गए हैं: भक्‍तिहीनों को कंपकंपी लगी है: हम में से कौन प्रचण्ड आग में रह सकता? हम में से कौन उस आग में बना रह सकता है जो कभी नहीं बुझेगी?” (यशायाह 33:11-14) ज़ाहिर है कि ये शब्द उस समय के बारे में हैं जब यहूदा को एक नए दुश्‍मन, बाबुल का सामना करना पड़ेगा। हिजकिय्याह की मौत के बाद, यहूदा फिर से दुष्ट मार्ग पर लौट जाता है। अगले कई दशकों में, यहूदा की हालत इस कदर बिगड़ जाती है कि पूरे देश को परमेश्‍वर के क्रोध की आग से गुज़रना पड़ता है।—व्यवस्थाविवरण 32:22.

12 परमेश्‍वर के न्यायदंड से बच निकलने के लिए, विद्रोहियों द्वारा की जानेवाली दुष्ट योजनाएँ और साज़िश भूसी की तरह बेकार साबित होंगी। दरअसल, इस देश के घमंड और विद्रोह की वजह से ही घटनाओं का ऐसा सिलसिला शुरू होगा, जो बाद में उसे विनाश की कगार पर ला खड़ा करेगा। (यिर्मयाह 52:3-11) दुष्ट लोग “फूंके हुए चूने के समान हो जाएंगे”—उनका नामोनिशान तक नहीं रहेगा! आनेवाली इस विपत्ति का खयाल आते ही यहूदा के विद्रोहियों पर दहशत-सी छा जाती है। विश्‍वासघाती यहूदा को कहे गए यहोवा के वचनों से एक साफ तसवीर मिलती है कि ईसाईजगत के लोगों की आज क्या स्थिति है। अगर वे परमेश्‍वर की चेतावनी पर ध्यान नहीं देंगे तो उनका भविष्य अंधकारमय होगा।

हमेशा ‘धार्मिकता से चलना’

13. जो व्यक्‍ति हमेशा “धार्मिकता से चलता” है, उससे क्या वादा किया गया है, और यिर्मयाह के मामले में यह वादा कैसे पूरा हुआ?

13 अब यहोवा एक बिलकुल ही अलग बात बताता है: “वह जो धार्मिकता से चलता और सीधी बातें बोलता, जो अन्धेर के लाभ से घृणा करता, तथा घूस थामने से अपने हाथ झटक देता, जो हत्या की बातें सुनने से कान फेर लेता तथा बुराई देखने से अपनी आंखें बन्द कर लेता है, वह ऊंचे स्थानों पर वास करेगा, अटल चट्टान उसका शरणस्थान होगा, उसको उसकी रोटी मिलती रहेगी, और उसे पानी की घटी कभी न होगी।” (यशायाह 33:15,16, NHT) जैसे प्रेरित पतरस ने बाद में कहा, “प्रभु भक्‍तों को परीक्षा में से निकाल लेना और अधर्मियों को न्याय के दिन तक दण्ड की दशा में रखना भी जानता है।” (2 पतरस 2:9) यिर्मयाह को भी इसी तरह परीक्षा से निकाला गया। जब बाबुल ने यरूशलेम को घेर रखा था तब लोगों को ‘तौल तौलकर और चिन्ता कर करके रोटी खानी’ पड़ी थी। (यहेजकेल 4:16) कुछ औरतों ने तो अपने ही बच्चों का मांस खाया। (विलापगीत 2:20) लेकिन ऐसे माहौल में भी यहोवा ने यिर्मयाह की हिफाज़त की।

14. आज मसीही किस तरह हमेशा ‘धार्मिकता से चल’ सकते हैं?

14 आज मसीहियों को भी हमेशा ‘धार्मिकता से चलना’ और रोज़ाना यहोवा के स्तरों का पालन करना चाहिए। (भजन 15:1-5) उन्हें ‘सीधी बातें बोलनी’ चाहिए और झूठ और गलत बातों को ठुकराना चाहिए। (नीतिवचन 3:32) कई देशों में धोखाधड़ी और रिश्‍वतखोरी आम बात है, मगर जो हमेशा “धार्मिकता से चलता” है, उसके लिए ये काम घिनौने हैं। मसीहियों को गलत किस्म की और छल से भरी व्यापार योजनाओं से दूर रहने का पूरा-पूरा ध्यान रखना चाहिए ताकि वे इस मामले में भी अपना “विवेक शुद्ध” रख सकें। (इब्रानियों 13:18; 1 तीमुथियुस 6:9,10) इतना ही नहीं, जो व्यक्‍ति “हत्या की बातें सुनने से कान फेर लेता [है] तथा बुराई देखने से अपनी आंखें बन्द कर लेता है,” वह मनोरंजन और संगीत का चुनाव बहुत सोच-समझकर करेगा। (भजन 119:37) ऐसे स्तरों के मुताबिक जीनेवाले अपने उपासकों को यहोवा, न्याय के दिन में शरण देगा और उन्हें सँभाले रहेगा।—सपन्याह 2:3.

अपने राजा को देखना

15. बंधुआई के दौर से गुज़रने में वफादार यहूदियों को किस वादे से मदद मिलती?

15 यशायाह अब भविष्य की एक बहुत ही सुंदर झलक देता है: “तू अपनी आंखों से राजा को उसकी शोभा सहित देखेगा; और लम्बे चौड़े देश पर दृष्टि करेगा। तू भय के दिनों को स्मरण करेगा: लेखा लेनेवाला और कर तौल कर लेनेवाला कहां रहा? गुम्मटों का गिननेवाला कहां रहा? जिनकी कठिन भाषा तू नहीं समझता, और जिनकी लड़बड़ाती जीभ की बात तू नहीं बूझ सकता उन निर्दय लोगों को तू फिर न देखेगा।” (यशायाह 33:17-19) यहाँ वफादार यहूदियों से यह वादा किया गया है कि भविष्य में मसीहाई राजा और उसका राज्य आएगा। हालाँकि वे इस राज्य को सिर्फ दूर से ही देख सकते थे, मगर इस वादे से उन्हें बाबुल की बंधुआई के लंबे दौर से गुज़रने में मदद मिलती। (इब्रानियों 11:13) और जब आखिरकार मसीहा का राज्य सचमुच आएगा, तब उनके लिए बाबुल के ज़ुल्मों-सितम बस एक बीती याद बनकर रह जाएँगे। तब अश्‍शूर के हमले से बचनेवाले भी खुशी से पूछेंगे: “दूसरे देशों के वे सेवक और कर एकत्र करने वाले कहाँ हैं?”—यशायाह 33:18, ईज़ी-टू-रीड वर्शन।

16. परमेश्‍वर के लोग कब से मसीहाई राजा को ‘देख’ पाए हैं, और इसका नतीजा क्या हुआ है?

16 हालाँकि यशायाह के इन शब्दों से यहूदियों को यह आश्‍वासन मिला कि वे बाबुल की बंधुआई से छूटकर ज़रूर अपने वतन वापस लौटेंगे, मगर इस भविष्यवाणी के सभी पहलुओं को पूरा होते देखने के लिए हर यहूदी को उस दिन का इंतज़ार करना होगा जब उसका पुनरुत्थान किया जाएगा। क्या आज परमेश्‍वर के सेवकों ने इस भविष्यवाणी को पूरा होते देखा है? सन्‌ 1914 से, यहोवा के लोग मसीहाई राजा, यीशु मसीह को उसके पूरे आध्यात्मिक वैभव और शोभा के साथ मन की आँखों से ‘देख’ सके हैं। (भजन 45:2; 118:22-26) इसका नतीजा यह हुआ है कि उन्हें शैतान की दुष्ट दुनिया के चंगुल से और इसके ज़ुल्मों-सितम से छुटकारा मिला है। परमेश्‍वर के राज्य के केंद्र, सिय्योन के अधीन रहकर, वे सच्ची आध्यात्मिक सुरक्षा का आनंद ले पा रहे हैं।

17. (क) सिय्योन के बारे में कौन-से वादे किए गए हैं? (ख) सिय्योन के बारे में यहोवा के वादे, मसीहाई राज्य और पृथ्वी पर इसके समर्थकों पर कैसे पूरे होते हैं?

17 यशायाह आगे कहता है: “हमारे नियत पर्वों के नगर सिय्योन पर दृष्टि कर, तू अपनी आंखों से यरूशलेम को देखेगा: वह तो सुरक्षित निवास और ऐसा तम्बू होगा जो कभी न गिराया जाएगा, जिसका न तो कोई खूंटा उखाड़ा जाएगा और न ही कोई रस्सी कभी तोड़ी जाएगी। वहां वह महाप्रतापी अर्थात्‌ यहोवा हमारे लिए नदियों और चौड़ी नहरों का ऐसा स्थान होगा, जिस पर न तो कोई नाव चप्पू से चलेगी और न ही कोई विशाल जलयान पार होगा।” (यशायाह 33:20,21, NHT) यशायाह हमें यकीन दिलाता है कि परमेश्‍वर के मसीहाई राज्य का कभी-भी तख्ता-पलट नहीं होगा, वह सदा तक कायम रहेगा। और बेशक आज पृथ्वी पर इस राज्य का वफादारी से समर्थन करनेवालों को भी यही आश्‍वासन दिया जाता है कि उनकी हमेशा हिफाज़त की जाएगी। हालाँकि परमेश्‍वर के राज्य की प्रजा के ज़्यादातर लोगों को कड़ी-से-कड़ी परीक्षाओं से गुज़रना पड़े, फिर भी उन्हें यकीन है कि उनके खिलाफ चाहे कोई भी हथकंडा क्यों न अपनाया जाए मगर एक कलीसिया के तौर पर कभी-भी उनका नामोनिशान नहीं मिटाया जा सकता। (यशायाह 54:17) यहोवा अपने लोगों की रक्षा इस तरह करेगा जैसे किसी नगर के चारों ओर बहनेवाली नहर या नदी, नगर की रक्षा करती है। उनके खिलाफ आनेवाले हर दुश्‍मन का विनाश ही होगा, फिर चाहे वह कितना ही शक्‍तिशाली क्यों न हो या बहुत सारे ‘चप्पुओं से चलनेवाली नाव’ या कोई ‘विशाल जलयान’ ही क्यों न हो!

18. यहोवा कौन-सी ज़िम्मेदारी उठाता है?

18 लेकिन, परमेश्‍वर के राज्य के प्रेमी क्यों बेफिक्र हो सकते हैं कि परमेश्‍वर उनकी रक्षा ज़रूर करेगा? कारण बताते हुए यशायाह कहता है: “क्योंकि यहोवा हमारा न्यायी, यहोवा हमारा व्यवस्था देनेवाला और यहोवा हमारा राजा है; वही हमारा उद्धार करेगा।” (यशायाह 33:22, NHT) यहोवा ने खुद यह ज़िम्मेदारी उठायी है कि वह अपने लोगों की हिफाज़त करेगा और उन्हें राह दिखाएगा क्योंकि वे कबूल करते हैं कि यहोवा ही सारे जहान का महाराजा और मालिक है। यहोवा के लोग मसीहाई राजा के ज़रिए परमेश्‍वर की हुकूमत को खुशी-खुशी स्वीकार करते हैं और मानते हैं कि यहोवा को न सिर्फ कानून बनाने का बल्कि उनको लागू करवाने का भी हक है। वे उसके शासन के अधीन रहना कोई बोझ नहीं समझते, क्योंकि यहोवा धार्मिकता और न्याय से प्रेम करता है। दरअसल, जो लोग उसके अधिकार के अधीन रहते हैं, उनका “लाभ” ही होता है। (यशायाह 48:17) यहोवा अपने वफादार सेवकों को कभी नहीं त्यागेगा।—भजन 37:28.

19. यशायाह किस तरह समझाता है कि यहोवा के वफादार लोगों के दुश्‍मन बेकार हो जाएँगे?

19 यशायाह, यहोवा के वफादार लोगों के दुश्‍मनों से कहता है: “तेरी रस्सियां ढीली हो गईं, वे मस्तूल की जड़ को दृढ़ न रख सकीं, और न पाल को तान सकीं। तब बड़ी लूट छीनकर बांटी गई, लंगड़े लोग भी लूट के भागी हुए।” (यशायाह 33:23) यहोवा के खिलाफ आनेवाला हर दुश्‍मन, उसके सामने इस कदर बेकार और बेबस हो जाएगा जैसे पानी के किसी लड़ाकू जहाज़ की रस्सियाँ ढीली पड़ गयी हों, मस्तूल डगमगा रहा हो और पाल तना हुआ न हो। परमेश्‍वर के दुश्‍मनों के विनाश से, लूट का माल इतना निकलेगा कि अपाहिज लोग भी इस लूट में हिस्सा लेंगे। तो फिर, हम इस बात का विश्‍वास रख सकते हैं कि आनेवाले “बड़े क्लेश” में राजा यीशु मसीह के ज़रिए यहोवा अपने दुश्‍मनों पर विजयी होगा।—प्रकाशितवाक्य 7:14.

चंगाई

20. परमेश्‍वर के लोगों को किस मायने में चंगा किया जाएगा, और ऐसा कब होगा?

20 यशायाह की भविष्यवाणी का यह हिस्सा एक बहुत ही खुशनुमा वादे के साथ खत्म होता है: “कोई निवासी न कहेगा कि मैं रोगी हूं; और जो लोग उस में बसेंगे, उनका अधर्म क्षमा किया जाएगा।” (यशायाह 33:24) यशायाह यहाँ खास तौर पर आध्यात्मिक रोग की बात कर रहा है, क्योंकि वह पाप या “अधर्म” का भी ज़िक्र करता है। इन शब्दों की पहली पूर्ति के बारे में बताते हुए, यहोवा वादा करता है कि वह अपने लोगों को बाबुल की बंधुआई से छुड़ाकर उन्हें आध्यात्मिक मायने में चंगा करेगा। (यशायाह 35:5,6; यिर्मयाह 33:6. भजन 103:1-5 से तुलना कीजिए।) अपने वतन लौटनेवाले यहूदियों के पिछले पाप माफ किए जाएँगे, इसलिए वे यरूशलेम में फिर से शुद्ध उपासना शुरू करेंगे।

21. आज यहोवा के उपासक किन तरीकों से आध्यात्मिक चंगाई का अनुभव कर रहे हैं?

21 यशायाह की यह भविष्यवाणी हमारे दिनों में भी पूरी हुई है। आज भी यहोवा के लोग आध्यात्मिक रूप से चंगे किए गए हैं। उन्हें अमर आत्मा, त्रिएक और नरकाग्नि जैसी झूठी शिक्षाओं से छुटकारा मिला है। उन्हें चालचलन के मामले में सही मार्गदर्शन दिया जाता है, और इस वजह से उन्होंने अनैतिक कामों को छोड़ दिया है और ज़िंदगी में सही फैसले कर पाते हैं। और यीशु मसीह के छुड़ौती बलिदान की बदौलत वे परमेश्‍वर की नज़रों में शुद्ध ठहरे हैं और उनके विवेक भी बेदाग हैं। (कुलुस्सियों 1:13,14; 1 पतरस 2:24; 1 यूहन्‍ना 4:10) इस आध्यात्मिक चंगाई से शारीरिक तौर पर भी फायदे होते हैं। मिसाल के लिए, मसीहियों को नाजायज़ लैंगिक संबंधों और तंबाकू से दूर रहने का यह फायदा हुआ है कि वे यौन-संबंधी रोगों से और कुछ किस्म के कैंसर से सुरक्षित रहते हैं।—1 कुरिन्थियों 6:18; 2 कुरिन्थियों 7:1.

22, 23. (क) भविष्य में यशायाह 33:24 के शब्द कैसे शानदार तरीके से पूरे होंगे? (ख) आज सच्चे मसीहियों का क्या संकल्प है?

22 यही नहीं, यशायाह 33:24 के शब्द हरमगिदोन के बाद, परमेश्‍वर की नयी दुनिया में और भी शानदार तरीके से पूरे होंगे। मसीहाई राज्य के शासन में, सभी इंसानों को न सिर्फ आध्यात्मिक तौर पर बल्कि शारीरिक तौर पर भी चंगा किया जाएगा। (प्रकाशितवाक्य 21:3,4) जैसे चमत्कार यीशु ने पृथ्वी पर रहते वक्‍त किए थे, बेशक वैसे चमत्कार शैतान की दुष्ट दुनिया के विनाश के फौरन बाद, सारी पृथ्वी पर किए जाएँगे। तब अंधे देखेंगे, बहिरे सुनेंगे, और लंगड़े चलेंगे! (यशायाह 35:5,6) इस वजह से, बड़े क्लेश से बचनेवाले सभी लोग पृथ्वी को एक सुंदर बाग बनाने के शानदार काम में हिस्सा ले पाएँगे।

23 बाद में जब पुनरुत्थान शुरू होगा, तब लोगों को बेशक अच्छी सेहत के साथ ही जी उठाया जाएगा। फिर समय के गुज़रते जब इंसानों के लिए छुड़ौती बलिदान के फायदे और बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किए जाएँगे, तो उन्हें शारीरिक तौर पर बहुत-से फायदे होंगे और आखिर में सारी मानवजाति सिद्ध की जाएगी। तब जाकर ही धर्मी जन सही अर्थ में हर मायने में ‘जी उठेंगे।’ (प्रकाशितवाक्य 20:5,6) उस समय आध्यात्मिक और शारीरिक, दोनों मायनों में “कोई निवासी न कहेगा कि मैं रोगी हूं।” यह वादा सुनकर ही हमारा रोम-रोम खिल उठता है! हमारी दुआ है कि आज सभी सच्चे उपासक यह संकल्प कर लें कि वे भी उन लोगों में होंगे जो इन शब्दों को पूरा होते देखेंगे!

[अध्ययन के लिए सवाल]

[पेज 344 पर तसवीर]

यशायाह पूरे विश्‍वास के साथ यहोवा से प्रार्थना करता है

[पेज 353 पर तसवीरें]

छुड़ौती बलिदान की बदौलत यहोवा के लोग उसके सामने शुद्ध ठहरे हैं

[पेज 354 पर तसवीर]

नयी दुनिया में बड़े पैमाने पर शारीरिक चंगाई की जाएगी