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फिरदौस की वापसी!

फिरदौस की वापसी!

अट्ठाइसवाँ अध्याय

फिरदौस की वापसी!

यशायाह 35:1-10

1. बहुत-से धर्म, लोगों को फिरदौस में ज़िंदगी जीने की आशा क्यों देते हैं?

“वैसे तो इंसान के दिल में बहुत-सी हसरतें होती हैं, मगर सदियों से वह ऐसी दुनिया की तलाश में भटक रहा है जो फिरदौस की तरह हो। आज भी उसकी यह हसरत मिटी नहीं। दुनिया के हर धर्म और तबके में कहीं-न-कहीं उसकी इस तमन्‍ना का ज़िक्र ज़रूर देखा जा सकता है।” ये शब्द इन्साइक्लोपीडिया ऑफ रिलिजियन में लिखे हैं। इंसान के दिल में यह हसरत पैदाइशी है, क्योंकि बाइबल कहती है कि इंसान की शुरूआत फिरदौस में हुई थी, जो एक ऐसा फलता-फूलता, खूबसूरत बगीचा था जिसमें बीमारी और मौत का साया तक न था। (उत्पत्ति 2:8-15) इसलिए, यह ताज्जुब की बात नहीं कि दुनिया के बहुत-से धर्मों में किसी-न-किसी किस्म के फिरदौस के बारे में सिखाया जाता है, और लोगों को भविष्य में जीने की आशा दी जाती है।

2. भविष्य में आनेवाले फिरदौस के बारे में सच्ची आशा हम कहाँ पा सकते हैं?

2 बाइबल की कई आयतों में हम भविष्य में आनेवाले फिरदौस की सच्ची आशा के बारे में पढ़ सकते हैं। (यशायाह 51:3) मिसाल के लिए, यशायाह के 35वें अध्याय में लिखी भविष्यवाणी बताती है कि जो जगहें पहले वीरान पड़ी थीं, वे बाग-बगीचे और खेतों में बदल दी जाएँगी और उनमें फल-फूल लगेंगे। उस समय अंधे देखने लगेंगे, गूंगे बोलने लगेंगे और बहिरे सुनने लगेंगे। वादा किए गए इस फिरदौस में शोक या आहें नहीं होंगी, जिसका मतलब है कि मौत भी नहीं रहेगी। यह क्या ही शानदार वादा है! लेकिन इन शब्दों को किस तरह समझा जाना चाहिए? क्या इनसे आज हमें कोई आशा मिलती है? यशायाह के इस अध्याय पर गौर करने से हमें इन सवालों के जवाब मिलेंगे।

वीरान पड़ी धरती मगन होती है

3. यशायाह की भविष्यवाणी के मुताबिक, धरती की किस तरह कायापलट होगी?

3 फिरदौस की वापसी के बारे में यशायाह की ईश्‍वर-प्रेरित भविष्यवाणी की शुरूआत इन शब्दों से होती है: “जंगल और निर्जल देश प्रफुल्लित होंगे, मरुभूमि मगन होकर केसर की नाईं फूलेगी; वह अत्यन्त प्रफुल्लित होगी और आनन्द के साथ जयजयकार करेगी। उसकी शोभा लबानोन की सी होगी और वह कर्मेल और शारोन के तुल्य तेजोमय हो जाएगी। वे यहोवा की शोभा और हमारे परमेश्‍वर का तेज देखेंगे।”—यशायाह 35:1,2.

4. यहूदियों का देश कब और कैसे वीराना बन जाता है?

4 यशायाह ने ये शब्द लगभग सा.यु.पू. 732 में लिखे थे। करीब 125 साल बाद, बाबुली आकर यरूशलेम को तबाह कर देते हैं और यहूदा के लोगों को बंधुआ बनाकर बाबुल ले जाते हैं। उनका देश सुनसान और वीरान पड़ा रहता है। (2 राजा 25:8-11,21-26) इस तरह, यहोवा की यह चेतावनी सच साबित होती है कि इस्राएल के लोग अगर उसके वफादार न रहे तो उन्हें बंधुआ बनाकर दूसरे देश ले जाया जाएगा। (व्यवस्थाविवरण 28:15,36,37; 1 राजा 9:6-8) यहूदियों की यह जाति पराए देश की गुलाम बनकर जीती है और 70 सालों तक यहूदियों के हरे-भरे खेतों और फलों के बागों की देख-रेख करनेवाला कोई नहीं रहता। इसलिए वहाँ एक जंगल उग आता है।—यशायाह 64:10; यिर्मयाह 4:23-27; 9:10-12.

5. (क) देश में फिर से फिरदौस जैसा माहौल कैसे लाया जाता है? (ख) लोग किस अर्थ में “यहोवा की शोभा” देखते हैं?

5 लेकिन, यशायाह की भविष्यवाणी बताती है कि यह देश सदा तक यूँ ही उजाड़ नहीं रहेगा। यह फिर एक सचमुच का फिरदौस बन जाएगा। उसकी “शोभा लबानोन की सी होगी” और “वह कर्मेल और शारोन के तुल्य तेजोमय हो” जाएगा। * कैसे? जब यहूदी गुलामी से आज़ाद होकर लौटेंगे, तो वे अपने खेतों में फिर से काम करेंगे, उन्हें सींचेंगे और तब उनका देश पहले की तरह हरा-भरा और फलदायक हो जाएगा। मगर इसका सारा श्रेय यहोवा को ही मिलेगा क्योंकि उसकी मरज़ी से, साथ ही उसकी मदद और आशीष की बदौलत ही, यहूदी फिरदौस जैसे माहौल का आनंद ले पाएँगे। जब लोग यह कबूल करेंगे कि यहोवा ने ही उनके देश को हैरतअंगेज़ तरीके से बदल डाला है, तब वे “यहोवा की शोभा और [अपने] परमेश्‍वर का तेज” देख पाएँगे।

6. यशायाह के शब्द किस महत्त्वपूर्ण तरीके से पूरे होते हैं?

6 लेकिन, इस्राएल के फिर से बसाए गए देश पर यशायाह के शब्द एक और महत्त्वपूर्ण तरीके से पूरे होते हैं। आध्यात्मिक तरीके से भी, इस्राएल की हालत कई सालों से सूखे रेगिस्तान जैसी रही है। जब यहूदी बाबुल की बंधुआई में थे तो शुद्ध उपासना पर सख्त पाबंदी लगी हुई थी। वहाँ न तो मंदिर था, न वेदी और ना ही याजकों का कोई इंतज़ाम था। रोज़ाना चढ़ाए जानेवाले बलिदान बंद हो गए थे। मगर अब, यशायाह भविष्यवाणी करता है कि हालात बदलनेवाले हैं। जरुब्बाबेल, एज्रा और नहेमायाह जैसे पुरुषों की अगुवाई में, इस्राएल के सभी 12 गोत्रों में से लोग यरूशलेम लौटकर मंदिर का फिर से निर्माण करते हैं और बिना किसी रोक-टोक के यहोवा की उपासना करते हैं। (एज्रा 2:1,2) यह वाकई आध्यात्मिक फिरदौस है!

दिल में जोश भरा हुआ

7, 8. यहूदी बंधुओं को सही नज़रिया रखने की ज़रूरत क्यों है, और यशायाह के शब्दों से उन्हें कैसे हिम्मत मिलती है?

7यशायाह के 35वें अध्याय के शब्दों में खुशी का पैगाम मिलता है। भविष्यवक्‍ता इस जाति के लिए एक उज्ज्वल भविष्य की घोषणा कर रहा है, जो अपने पापों का प्रायश्‍चित कर चुकी है। और वह जो कुछ कहता है, उसे पूरे यकीन के साथ कहता है और उम्मीद बँधाता है। भविष्यवाणी करने के दो सदियों बाद, जब यहूदी बँधुए गुलामी से आज़ाद होनेवाले थे तब उन्हें ऐसे ही विश्‍वास और उम्मीद की ज़रूरत थी। यशायाह की भविष्यवाणी के ज़रिए, यहोवा उनका हौसला बुलंद करते हुए कहता है: “ढीले हाथों को दृढ़ करो और थरथराते हुए घुटनों को स्थिर करो। घबरानेवालों से कहो, हियाव बान्धो, मत डरो! देखो, तुम्हारा परमेश्‍वर पलटा लेने और प्रतिफल देने को आ रहा है। हां, परमेश्‍वर आकर तुम्हारा उद्धार करेगा।”—यशायाह 35:3,4.

8 अब जब बंधुआई का लंबा अरसा बीत चुका है, तो यह काम में लग जाने का समय है। फारस का राजा कुस्रू, जिसके ज़रिए यहोवा ने बाबुल से पलटा लिया है, अब यह आदेश जारी करता है कि यरूशलेम में यहोवा की उपासना फिर से शुरू की जाए। (2 इतिहास 36:22,23) बाबुल से यरूशलेम तक का खतरनाक सफर तय करने के लिए हज़ारों यहूदी परिवारों को तैयारी करनी पड़ेगी। जब वे वहाँ पहुँचेंगे तो उन्हें रहने लायक कुछ मकान बनाने होंगे, साथ ही मंदिर और नगर का दोबारा निर्माण करने की तैयारियाँ करनी पड़ेंगी जो वाकई एक भारी ज़िम्मेदारी है। इसलिए बाबुल में रहनेवाले कुछ यहूदियों को शायद लगे कि ये सब उनके बस का नहीं है। लेकिन, यह वक्‍त हिम्मत हारने या डरने का नहीं है। यहूदियों को एक-दूसरे की हिम्मत बँधानी है और यहोवा पर भरोसा रखना है। वह उनको यकीन दिलाता है कि उनका उद्धार ज़रूर होगा।

9. लौटनेवाले यहूदियों से कौन-सा शानदार वादा किया गया है?

9 बाबुल की बंधुआई से छूटनेवाले यहूदी आनन्द मनाएँगे क्योंकि यरूशलेम लौटने पर उन्हें खुशियों से भरी ज़िंदगी मिलनेवाली है। यशायाह भविष्यवाणी करता है: “तब अन्धों की आंखें खोली जाएंगी और बहिरों के कान भी खोले जाएंगे; तब लंगड़ा हरिण की सी चौकड़िया भरेगा और गूंगे अपनी जीभ से जयजयकार करेंगे।”—यशायाह 35:5,6क.

10, 11. यह क्यों कहा जा सकता है कि अपने वतन लौटनेवाले यहूदियों के लिए, यशायाह के शब्द आध्यात्मिक तरीके से पूरे होते हैं, और इनका क्या मतलब है?

10 ज़ाहिर है कि यहोवा अपने लोगों की आध्यात्मिक हालत के बारे में बात कर रहा है। यहोवा को छोड़ देने की वजह से उन्हें 70 साल के लिए बंधुआई की सज़ा दी गयी। फिर भी, यह ताड़ना देते वक्‍त यहोवा ने अपने लोगों को अंधा, बहिरा, लंगड़ा या गूँगा नहीं कर दिया था। इसलिए, इस्राएल जाति को फिर से बसाने के लिए शारीरिक अपंगताएँ ठीक करने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी। यहोवा उनकी आध्यात्मिक सेहत लौटाता है, जो उन्होंने खो दी थी।

11 पश्‍चाताप करनेवाले यहूदी इस अर्थ में चंगे किए जाते हैं कि उनकी आध्यात्मिक इंद्रियाँ फिर से काम करने लगती हैं। दूसरे शब्दों में कहें तो उनकी आध्यात्मिक नज़र ठीक हो जाती है, वे यहोवा के वचन को सुनने, उसका पालन करने और दूसरों को बताने के काबिल हो जाते हैं। उन्हें इस बात का एहसास होता है कि यहोवा के करीब रहना उनके लिए कितना ज़रूरी है। अपने अच्छे चालचलन के ज़रिए वे अपने परमेश्‍वर यहोवा का “जयजयकार” करते हुए खुशी से उसकी स्तुति करते हैं। जो पहले ‘लंगड़े’ थे, उनमें अब यहोवा की उपासना के लिए उत्साह और जोश भर आता है। लाक्षणिक अर्थ में, वे ‘हरिण की सी चौकड़िया भरते हैं।’

यहोवा अपने लोगों को ताज़गी देता है

12. यहोवा की आशीष से देश की ज़मीन पर कितना पानी होगा?

12 हम ऐसे फिरदौस की कल्पना ही नहीं कर सकते जहाँ पानी न हो। शुरूआत की अदन वाटिका में पानी भरपूर मात्रा में मिलता था। (उत्पत्ति 2:10-14) जो देश इस्राएल को दिया गया था, वह भी “जल की नदियों का, और तराइयों और पहाड़ों से निकले हुए गहिरे गहिरे सोतों का देश” था। (व्यवस्थाविवरण 8:7) इसीलिए, यशायाह यह ताज़गी देनेवाला वादा करता है: “जंगल में जल के सोते फूट निकलेंगे और मरुभूमि में नदियां बहने लगेंगी; मृगतृष्णा ताल बन जाएगी और सूखी भूमि में सोते फूटेंगे; और जिस स्थान में सियार बैठा करते हैं उस में घास और नरकट और सरकण्डे होंगे।” (यशायाह 35:6ख,7) जब इस्राएली फिर से अपनी ज़मीन की देखभाल करेंगे, तो जिन वीरान जगहों पर पहले सियार घूमा करते थे, वहाँ हर तरफ हरे-भरे पेड़-पौधे उग आएँगे। सूखी और रेतीली ज़मीन पानी से भरकर “कीच” हो जाएगी जहाँ कछार और पानी में पैदा होनेवाली दूसरी किस्म की घास बढ़ेगी।—अय्यूब 8:11.

13. अपने देश में फिर से बसनेवाले यहूदियों को कौन-सा आध्यात्मिक जल भरपूर मात्रा में दिया जाएगा?

13 लेकिन, इस पानी से भी ज़्यादा ज़रूरी है सच्चाई का आध्यात्मिक जल, जो लौटनेवाले यहूदियों को भरपूर मात्रा में दिया जाएगा। यहोवा अपने वचन के ज़रिए उन्हें ज्ञान देगा, उनकी हिम्मत बँधाएगा और उन्हें शांति देगा। यही नहीं, वफादार पुरनिए और हाकिम ‘निर्जल देश में जल के झरनों’ जैसे साबित होंगे। (यशायाह 32:1,2) शुद्ध उपासना को बढ़ावा देनेवाले लोग, जैसे कि एज्रा, जकर्याह, जरुब्बाबेल, नहेमायाह, येशू और हाग्गै, यशायाह की इस भविष्यवाणी के पूरा होने का जीता-जागता सबूत होंगे।—एज्रा 5:1,2; 7:6,10; नहेमायाह 12:47.

“पवित्र मार्ग”

14. बाबुल और यरूशलेम के बीच के सफर के बारे में बताइए।

14 लेकिन, इससे पहले कि बंधुआ यहूदी अपने देश में फिरदौस जैसे माहौल का और आध्यात्मिक फिरदौस का आनंद ले सकें, उन्हें बाबुल से यरूशलेम तक का लंबा और खतरनाक सफर तय करना होगा। सीधे रास्ते पर निकलने से उन्हें तपते रेगिस्तान के इलाके से 800 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती। एक और रास्ता था जिस पर उन्हें ज़्यादा तकलीफ नहीं होती मगर वह 1,600 किलोमीटर लंबा सफर था। वे चाहे जिस रास्ते से भी निकलते उन्हें कई महीनों तक धूप-ताप, सर्दी-गर्मी सहनी पड़ती और जंगली जानवरों या जानवर जैसे खूँखार इंसानों के साथ आमना-सामना होने का भी खतरा था। फिर भी, जो यशायाह की भविष्यवाणी पर भरोसा रखते हैं, वे चिंता में डूब नहीं जाते। क्यों?

15, 16. (क) वफादार यहूदियों की वापसी यात्रा के दौरान यहोवा उनकी हिफाज़त कैसे करता है? (ख) किस दूसरे अर्थ में भी यहोवा यहूदियों को एक सुरक्षित राजमार्ग से ले जाता है?

15 यशायाह के ज़रिए यहोवा वादा करता है: “वहां एक सड़क अर्थात्‌ राजमार्ग होगा और उसे ‘पवित्र मार्ग’ कहा जाएगा। अशुद्ध जन उस पर न चलने पाएगा; पर यह उन्हीं के लिए होगा जो उस मार्ग पर चलते हैं, मूर्ख तो उस पर पैर भी न रखने पाएंगे। न तो वहां सिंह होगा और न ही कोई हिंसक जन्तु उस पर चल पाएगा। ये सब वहां नहीं पाए जाएंगे, परन्तु जो छुड़ाए हुए हैं वे ही उस पर चलेंगे।” (यशायाह 35:8,9, NHT) यहोवा ने अपने लोगों को आज़ाद करा दिया है! वे उसके “छुड़ाए हुए” लोग हैं और वह वचन देता है कि उन्हें उनके घर तक सही-सलामत पहुँचाएगा। क्या बाबुल और यरूशलेम के बीच में सचमुच ऐसी कोई सड़क है जो पक्की और ऊँची है, और जिसके दोनों तरफ बाड़ा लगाया हुआ है? नहीं, मगर सफर के दौरान यहोवा अपने लोगों की हिफाज़त करने की इतनी ज़बरदस्त गारंटी देता है कि वे महसूस करेंगे मानो वे सचमुच किसी राजमार्ग पर चल रहे हों।—भजन 91:1-16 से तुलना कीजिए।

16 यहूदी, आध्यात्मिक खतरों से भी बचाए जाएँगे। इस लाक्षणिक राजमार्ग को “पवित्र मार्ग” कहा गया है। इसलिए जो लोग पवित्र चीज़ों का आदर नहीं करते या आध्यात्मिक तरीके से अशुद्ध हैं, वे इस रास्ते पर चलने के लायक नहीं हैं। फिर से बसाए जा रहे देश में ऐसे लोगों के लिए कोई जगह नहीं है। और जिन लोगों को इस रास्ते पर चलने की मंज़ूरी मिली है, वे सही इरादे से वापस जा रहे हैं। लौटते वक्‍त उनके दिलों में राष्ट्र अभिमान की भावना नहीं है, न ही वे अपने मन में स्वार्थ की भावना लिए जा रहे हैं। आध्यात्मिक बातों को अहमियत देनेवाले ये यहूदी जानते हैं कि उनके लौटने का सबसे खास मकसद है, उस देश में यहोवा की शुद्ध उपासना को फिर से कायम करना।—एज्रा 1:1-3.

यहोवा के लोग आनंद मनाते हैं

17. गुलामी के दौरान वफादार यहूदियों को यशायाह की भविष्यवाणी से कैसी तसल्ली मिली?

17यशायाह के 35वें अध्याय की भविष्यवाणी एक खुशखबरी देते हुए समाप्त होती है: “यहोवा के छुड़ाए हुए लोग लौटकर जयजयकार करते हुए सिय्योन में आएंगे; और उनके सिर पर सदा का आनन्द होगा; वे हर्ष और आनन्द पाएंगे और शोक और लम्बी सांस का लेना जाता रहेगा।” (यशायाह 35:10) गुलामी के दौरान जिन यहूदियों ने इस भविष्यवाणी से तसल्ली और उम्मीद पायी होगी, उन्होंने कई बार सोचा होगा कि इस भविष्यवाणी में बतायी गयी अलग-अलग बातें किस तरीके से पूरी होंगी। शायद वे इस भविष्यवाणी की कई बातें समझ नहीं पाए होंगे। मगर एक बात तो उनके लिए बिलकुल साफ थी कि वे ज़रूर ‘लौटकर सिय्योन में आएंगे।’

18. बाबुल में शोक और दुःख से आहें भरनेवाले इस्राएली, अब किस तरीके से हर्ष और आनंद मना रहे हैं?

18 इसलिए, सा.यु.पू. 537 के साल में, लगभग 50,000 पुरुष, (जिनमें 7,000 से ज़्यादा दास थे) स्त्रियाँ और बच्चे, यहोवा पर पूरा भरोसा रखते हुए यरूशलेम के लिए रवाना हो गए। यह सफर चार महीने का है। (एज्रा 2:64,65) कुछ ही महीनों बाद, यहोवा की वेदी खड़ी की जाती है जो कि पूरे मंदिर का पुनःनिर्माण करने में पहला कदम है। इस तरह 200 साल पहले बतायी गयी यशायाह की भविष्यवाणी पूरी होती है। जो इस्राएली बाबुल में शोक और दुःख से आहें भरते थे, वे अब अपने वतन वापस लौटकर हर्ष और आनंद मना रहे हैं। यहोवा ने अपना वादा पूरा किया है। उसने आध्यात्मिक और सचमुच का फिरदौस वापस दे दिया है!

नयी जाति का जन्म

19. हम यह क्यों कह सकते हैं कि सा.यु.पू. छठी सदी में यशायाह की भविष्यवाणी सिर्फ कुछ हद तक ही पूरी हुई थी?

19यशायाह के 35वें अध्याय की भविष्यवाणी, सा.यु.पू. छठी सदी में सिर्फ कुछ हद तक ही पूरी हुई थी। अपने वतन लौटे यहूदियों के बीच फिरदौस जैसे हालात ज़्यादा समय तक नहीं बने रहे। समय के गुज़रते, झूठे धर्म की शिक्षाओं और राष्ट्रवाद की भावना से शुद्ध उपासना भ्रष्ट हो गयी। आध्यात्मिक अर्थ में, यहूदी फिर से शोक मनाने और आहें भरने लगे। आखिरकार, ऐसा वक्‍त आया जब यहोवा ने अपने इन चुने हुए लोगों को ठुकरा दिया। (मत्ती 21:43) यहोवा की आज्ञाओं को फिर से तोड़ने की वजह से उनकी खुशी हमेशा कायम नहीं रही। इन सारे सबूतों से पता लगता है कि यशायाह का 35वाँ अध्याय भविष्य में और भी बड़े पैमाने पर पूरा होनेवाला था।

20. सामान्य युग पहली सदी में किस नए इस्राएल का जन्म हुआ?

20 यहोवा के ठहराए हुए समय पर, एक और इस्राएल यानी आत्मिक इस्राएल का जन्म हुआ। (गलतियों 6:16) यीशु ने पृथ्वी पर अपनी सेवकाई के दौरान इस नए इस्राएल के जन्म के लिए माहौल तैयार किया। उसने शुद्ध उपासना फिर से कायम की और उसकी शिक्षाओं के ज़रिए सच्चाई का जल फिर से बहने लगा। उसने लोगों की शारीरिक और आध्यात्मिक बीमारियाँ ठीक कीं। परमेश्‍वर के राज्य का सुसमाचार सुनाने के ज़रिए जयजयकार के शब्द गूँज उठे। अपनी मौत और पुनरुत्थान के सात हफ्ते बाद, महिमा पाए हुए यीशु ने मसीही कलीसिया की स्थापना की। यही कलीसिया आत्मिक इस्राएल थी और इसके सदस्य यहूदी और दूसरी जातियों के लोग भी थे, जिन्हें यीशु के बहाए गए लहू की कीमत से छुड़ाया गया था। परमेश्‍वर के आत्मिक पुत्रों और यीशु के भाइयों के तौर पर उनका नया जन्म हुआ और उन्हें पवित्र आत्मा से अभिषिक्‍त किया गया।—प्रेरितों 2:1-4; रोमियों 8:16,17; 1 पतरस 1:18,19.

21. पहली सदी की मसीही कलीसिया से जुड़ी किन घटनाओं के बारे में कहा जा सकता है कि ये यशायाह की भविष्यवाणी के कुछ भागों की पूर्ति थी?

21 आत्मिक इस्राएल के सदस्यों को लिखी एक पत्री में प्रेरित पौलुस ने यशायाह 35:3 के शब्दों का हवाला देते हुए कहा: “ढीले हाथों और निर्बल घुटनों को सीधे करो।” (इब्रानियों 12:12) इससे पता चलता है कि पहली सदी में भी यशायाह के 35वें अध्याय की भविष्यवाणी पूरी हुई। यीशु और उसके चेलों ने चमत्कारों के ज़रिए वाकई अंधों को आँखें और बहिरों को सुनने की शक्‍ति दी। उनके चमत्कार से ‘लंगड़े’ चलने लगे और गूंगे बोलने लगे। (मत्ती 9:32; 11:5; लूका 10:9) लेकिन इससे भी अहम बात यह थी कि नेकदिल इंसान झूठे धर्म के चंगुल से आज़ाद हुए और उन्होंने मसीही कलीसिया में आध्यात्मिक फिरदौस की आशीष पायी। (यशायाह 52:11; 2 कुरिन्थियों 6:17) बाबुल से लौटनेवाले यहूदियों की तरह, इन आज़ाद लोगों को भी यह एहसास हुआ कि सही नज़रिया बनाए रखना और हिम्मत से काम लेना उनके लिए बेहद ज़रूरी है।—रोमियों 12:11.

22. आज के ज़माने में, दिल से सच्चाई की खोज करनेवाले मसीही बाबुल के गुलाम कैसे हो गए?

22 अब हमारे दिनों के बारे में क्या? क्या यशायाह की भविष्यवाणी, आज हमारे ज़माने में मसीही कलीसिया पर और भी अच्छी तरह पूरी होनी थी? जी हाँ। प्रेरितों की मौत के बाद, सच्चे अभिषिक्‍त मसीहियों की गिनती बहुत कम हो गयी और झूठे मसीही, यानी “जंगली दाने” सारी दुनिया में फलने-फूलने लगे। (मत्ती 13:36-43; प्रेरितों 20:30; 2 पतरस 2:1-3) यहाँ तक कि उन्‍नीसवीं सदी के दौरान, हालाँकि सच्चे दिल के लोग ईसाईजगत से अलग होकर शुद्ध उपासना करने लगे थे, मगर अब भी बाइबल के बारे में उनकी समझ में झूठी शिक्षाओं का असर देखा जा सकता था। सन्‌ 1914 में यीशु को मसीहाई राजा के तौर पर विराजमान किया गया मगर इसके कुछ ही समय बाद, सच्चाई की दिल से खोज करनेवाले इन लोगों की दशा इतनी बुरी हो गयी कि उनके लिए कोई उम्मीद नज़र नहीं आ रही थी। भविष्यवाणी में कहे अनुसार, दुनिया के देश इनसे ‘लड़कर जीत गए’ और सुसमाचार सुनाने की इन सच्चे मसीहियों की कोशिशों पर बंदिश लगा दी गयी। इस तरह, वे बाबुल के गुलाम हो गए।—प्रकाशितवाक्य 11:7, 8.

23, 24. सन्‌ 1919 से परमेश्‍वर के लोगों के बीच यशायाह की भविष्यवाणी किन तरीकों से पूरी हो रही है?

23 लेकिन, 1919 में हालात बदल गए। यहोवा ने अपने लोगों को कैद से छुड़ा दिया। वे उन झूठी शिक्षाओं को ठुकराने लगे जिनकी वजह से उनकी उपासना पहले भ्रष्ट हो गयी थी। नतीजा यह हुआ कि उन्होंने आध्यात्मिक चंगाई का आनंद लिया। वे आध्यात्मिक फिरदौस में आ गए, जिसकी सरहदें आज भी सारी पृथ्वी पर फैलती जा रही हैं। आज आध्यात्मिक अर्थ में, अंधे देखना और बहिरे सुनना सीख रहे हैं यानी वे जान गए हैं कि परमेश्‍वर की पवित्र आत्मा किस तरह काम कर रही है और उन्हें हमेशा यह एहसास रहता है कि यहोवा के करीब रहना कितना ज़रूरी है। (1 थिस्सलुनीकियों 5:6; 2 तीमुथियुस 4:5) सच्चे मसीही अब गूंगे नहीं रहे, इसलिए वे दूसरों को बड़े उत्साह से बाइबल की सच्चाइयाँ बताकर “जयजयकार” कर रहे हैं। (रोमियों 1:15) जो पहले आध्यात्मिक रीति से ‘लंगड़े’ या कमज़ोर थे उनमें अब जोश और खुशी झलक रही है। लाक्षणिक अर्थ में, वे “हरिण की सी चौकड़िया” भरने के काबिल हो गए हैं।

24 बहाल किए गए ये मसीही “पवित्र मार्ग” पर चलते हैं। यह “मार्ग,” लोगों को बड़े बाबुल से निकालकर आध्यात्मिक फिरदौस तक ले जाता है और यह उन सभी उपासकों के लिए खुला है जो आध्यात्मिक रीति से शुद्ध हैं। (1 पतरस 1:13-16) वे यकीन रख सकते हैं कि यहोवा उनकी हिफाज़त करेगा और शैतान के ऐसे किसी भी वहशियाना हमले को कभी कामयाब नहीं होने देगा जो सच्ची उपासना को मिटाने के मकसद से किया जाता है। (1 पतरस 5:8) जो लोग आज्ञा नहीं मानते और खूँखार जंगली जानवरों जैसा व्यवहार करते हैं, उन्हें परमेश्‍वर के पवित्र राजमार्ग पर चलनेवालों को भ्रष्ट करने की इजाज़त नहीं दी जाएगी। (1 कुरिन्थियों 5:11) यहोवा के छुड़ाए हुए अभिषिक्‍त और ‘अन्य भेड़’ के लोग, ऐसे सुरक्षित माहौल में रहकर एक ही सच्चे परमेश्‍वर की सेवा करने में खुशी पाते हैं।—यूहन्‍ना 10:16, NW.

25. यशायाह के 35वें अध्याय के मुताबिक, क्या कभी शरीर की सारी अपंगताएँ दूर की जाएँगी? समझाइए।

25 भविष्य के बारे में क्या? क्या वह समय कभी आएगा जब यशायाह की भविष्यवाणी के मुताबिक शरीर की सारी अपंगताएँ दूर की जाएँगी? जी हाँ। पहली सदी में यीशु और उसके प्रेरितों के चमत्कारों से यही साबित हुआ कि भविष्य में ना सिर्फ यहोवा ऐसी चंगाई बड़े पैमाने पर करना चाहता है बल्कि ऐसा करने की ताकत भी रखता है। ईश्‍वर-प्रेरित भजनों में बताया गया है कि किस तरह इंसान को इसी पृथ्वी पर शांति के माहौल में हमेशा तक जीने का मौका मिलेगा। (भजन 37:9,11,29) यीशु ने भी फिरदौस में ज़िंदगी देने का वादा किया था। (लूका 23:43) बाइबल की शुरू से लेकर आखिरी किताब में, पृथ्वी पर आनेवाले एक फिरदौस की आशा दी गयी है। उस वक्‍त, अंधे, बहिरे, लंगड़े और गूंगे हमेशा-हमेशा के लिए चंगे किए जाएँगे। शोक और दुःख से आहें भरना न रहेगा। सदा तक, जी हाँ, अनंतकाल तक आनंद मनाया जाएगा।—प्रकाशितवाक्य 7:9,16,17; 21:3,4.

26. यशायाह के शब्दों से आज मसीहियों को कैसे हिम्मत मिलती है?

26 जबकि सच्चे मसीही उस दिन का इंतज़ार करते हैं जब यह धरती दोबारा फिरदौस बन जाएगी, मगर आज भी वे आध्यात्मिक फिरदौस की आशीषों का आनंद ले रहे हैं। परीक्षाएँ और तकलीफें झेलते वक्‍त भी उनकी उम्मीद बँधी रहती है। यहोवा पर अटूट विश्‍वास होने की वजह से वे इस सलाह को मानते हुए एक-दूसरे की हिम्मत बढ़ाते हैं: “ढीले हाथों को दृढ़ करो और थरथराते हुए घुटनों को स्थिर करो। घबरानेवालों से कहो, हियाव बान्धो, मत डरो!” उन्हें इस भविष्यवाणी में दिए गए वादे पर पूरा भरोसा है: “देखो, तुम्हारा परमेश्‍वर पलटा लेने और प्रतिफल देने को आ रहा है। हां, परमेश्‍वर आकर तुम्हारा उद्धार करेगा।”—यशायाह 35:3,4.

[फुटनोट]

^ पैरा. 5 बाइबल बताती है कि प्राचीनकाल का लबानोन बहुत ही फलदायक देश था। उसमें हरे-भरे, घने जंगल और देवदार के विशाल पेड़ भी थे। इसलिए उसकी तुलना अदन के बाग से की गयी है। (भजन 29:5; 72:16; यहेजकेल 28:11-13) शारोन अपने झरनों और बाँज या बलूत के जंगलों के लिए मशहूर था; कर्मेल अपनी दाख की बारियों, फलों के बागों और फूलों से ढकी वादियों के लिए जाना जाता था।

[अध्ययन के लिए सवाल]

[पेज 370 पर बड़ी तसवीर दी गयी है]

[पेज 375 पर तसवीरें]

रेगिस्तान में इतना पानी होगा कि उसमें कछार की घास और सरकण्डे उगेंगे

[पेज 378 पर तसवीर]

यीशु ने आध्यात्मिक और शारीरिक दोनों तरीकों से रोगियों को चंगा किया