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मार्गदर्शन और सुरक्षा के लिए यहोवा पर भरोसा रखिए

मार्गदर्शन और सुरक्षा के लिए यहोवा पर भरोसा रखिए

सोलहवाँ अध्याय

मार्गदर्शन और सुरक्षा के लिए यहोवा पर भरोसा रखिए

यशायाह 20:1-6

1, 2. सा.यु.पू. आठवीं सदी में परमेश्‍वर के लोगों के सामने कौन-सा खतरा आ खड़ा हुआ, और सुरक्षा पाने के लिए बहुत-से लोग किसकी तरफ ताक रहे थे?

हम इस किताब के पिछले अध्यायों में देख चुके हैं कि सा.यु.पू. आठवीं सदी में परमेश्‍वर के लोगों के सामने एक बहुत बड़ा खतरा आ खड़ा हुआ। खून के प्यासे अश्‍शूरी एक-के-बाद-एक देशों को कुचलते चले जा रहे हैं और कुछ ही समय में वे दक्षिण में यहूदा देश तक भी आ पहुँचेंगे। ऐसे में, इस देश के लोग बचने के लिए किसकी पनाह में जाना चाहेंगे? यहोवा ने इन लोगों के साथ वाचा बाँधी है, इसलिए उन्हें मदद के लिए सिर्फ उसी पर भरोसा करना चाहिए। (निर्गमन 19:5,6) राजा दाऊद ने भी यही किया था। उसने यकीन के साथ कहा था: “यहोवा मेरी चट्टान, और मेरा गढ़, मेरा छुड़ानेवाला” है। (2 शमूएल 22:2) मगर, ऐसा लगता है कि सा.यु.पू. आठवीं सदी में यहूदा के बहुत-से लोग यहोवा को अपना गढ़ नहीं समझते, न ही वे उस पर भरोसा करते हैं। उनके मन तो मिस्र और कूश की तरफ लगे हुए हैं, जिनसे वे यह उम्मीद लगाए बैठे हैं कि अगर अश्‍शूर हमला करेगा तो ये दो देश उनके लिए आड़ बनकर उन्हें बचाएँगे। मगर ऐसा सोचना उनकी गलतफहमी है।

2 अपने भविष्यवक्‍ता यशायाह के ज़रिए यहोवा चेतावनी देता है कि मिस्र या कूश में शरण लेने का मतलब अपने पैर पर कुल्हाड़ी मारना होगा। भविष्यवक्‍ता के ईश्‍वर-प्रेरित शब्दों से न सिर्फ उस ज़माने में रहनेवाले लोगों को बल्कि हमें भी एक ज़रूरी सबक सीखने को मिलता है कि यहोवा पर भरोसा रखना कितना ज़रूरी है।

एक हत्यारा देश

3. बताइए कि अश्‍शूर फौजी ताकत पर किस कदर ज़ोर देता था।

3 अश्‍शूरी अपनी फौजी ताकत के लिए मशहूर थे। प्राचीन नगर (अँग्रेज़ी) किताब कहती है: “वे शक्‍ति की पूजा करते थे और सिर्फ बड़ी और विशालकाय मूरतों के सामने प्रार्थना करते थे। शेर और बैलों की इन मूरतों का एक-एक अंग बहुत भारी-भरकम दिखता था, इनके उकाब के पंख होते थे और सिर इंसान के। इन्हें बल, साहस और विजय का प्रतीक माना जाता था। उस देश का काम ही युद्ध करना था। और उनके पुजारी हमेशा लोगों में युद्ध की भावनाएँ भरते रहते थे।” यही वजह थी कि बाइबल भविष्यवक्‍ता नहूम ने अश्‍शूर की राजधानी, नीनवे को एक “हत्यारी नगरी” कहकर पुकारा था।—नहूम 3:1.

4. अश्‍शूरियों ने दूसरे देशों के लोगों के दिलों में कैसे खौफ पैदा किया था?

4 अश्‍शूरियों की रणनीतियों में हद-से-ज़्यादा क्रूरता होती थी। उन दिनों की जो नक्काशियाँ मिली हैं वे दिखाती हैं कि अश्‍शूर के सैनिक, बंधुओं की नाक या होठों में काँटा लगाकर उन्हें खींचते हुए ले जाते थे। कुछ की अपने भालों से आँखें फोड़ देते थे। एक प्राचीन शिलालेख बताता है कि एक बार अश्‍शूर की सेना ने जब जीत हासिल की तो उन्होंने अपने बंधुओं के टुकड़े-टुकड़े कर दिए और नगर के बाहर दो ढेर बनाए, एक उनके सिरों का और दूसरा बाकी अंगों का। जिन लोगों को जीत लिया जाता था, उनके बच्चों को वे आग में जला देते थे। अश्‍शूरी फौजें ऐसी क्रूरता करके दूसरे देशों में अपना खौफ बैठाना चाहती थीं। इस वजह से कोई भी उनकी फौजों का सामना करने की जुर्रत नहीं करता होगा।

अशदोद के खिलाफ युद्ध

5. यशायाह के दिनों में अश्‍शूर का ताकतवर राजा कौन था, और बाइबल में उसके बारे में दी गयी जानकारी कैसे सच साबित हुई?

5 यशायाह के दिनों में, राजा सर्गोन के राज में अश्‍शूर का साम्राज्य उस मुकाम तक पहुँचा जब उसकी ताकत की बराबरी करनेवाला कोई न था। * कई सालों तक, आलोचकों को इस राजा के होने का यकीन नहीं था, क्योंकि तब तक दुनिया के इतिहास में उसका नाम कहीं नहीं था। मगर, कुछ समय बाद पुरातत्वविज्ञानियों ने सर्गोन के महल के खंडहरों को ढूँढ़ निकाला और बाइबल में उसके बारे में जो लिखा था वह सच साबित हुआ।

6, 7. (क) सर्गोन के अशदोद पर हमला करने की क्या वजह रही होंगी? (ख) अशदोद की हार का पलिश्‍तीन के पड़ोसियों पर कैसा असर हुआ?

6 यशायाह ने सर्गोन की एक कामयाबी के बारे में कुछ ही शब्दों में यह जानकारी दी: “अश्‍शूर के राजा सर्गोन की आज्ञा से तर्तान ने अशदोद आकर उस से युद्ध किया और उसको ले भी लिया।” (यशायाह 20:1) * मगर सर्गोन पलिश्‍तीन के नगर अशदोद पर हमला करने का आदेश क्यों देता है? पहली वजह यह है कि पलिश्‍तीन, मिस्र का साथी है और अशदोद नगर, जहाँ दागोन देवता का मंदिर भी था, ऐसे रास्ते पर है जो सागर-तट से गुज़रता हुआ मिस्र और इस्राएल देश के इलाके को जोड़ता है। इसलिए रणनीति के हिसाब से इस नगर पर कब्ज़ा करना बहुत ज़रूरी था। अगर इस नगर पर कब्ज़ा कर लिया गया तो मिस्र पर कब्ज़ा करना और भी आसान हो जाता। इसके अलावा, अश्‍शूरियों के लेख दिखाते हैं कि अशदोद का राजा अज़ूरी, अश्‍शूर के खिलाफ साज़िश कर रहा था। इसलिए सर्गोन ने इस बागी राजा को हटा दिया और उसकी जगह उसके छोटे भाई अहीमिती को राजगद्दी पर बिठा दिया। मगर इसके बाद भी समस्या खत्म नहीं हुई। फिर एक बार बगावत फूट पड़ती है और इस बार सर्गोन पहले से ज़्यादा सख्ती से काम लेता है। वह अशदोद पर धावा बोलने का हुक्म देता है, और तब अशदोद को घेरकर उस पर कब्ज़ा कर लिया जाता है। यशायाह 20:1 में शायद इसी घटना का ज़िक्र किया गया है।

7 अशदोद की शिकस्त से उसके पड़ोसियों पर, खासकर यहूदा पर खतरे के काले बादल मंडराने लगे। यहोवा जानता है कि उसके लोग दक्षिण में मिस्र या कूश जैसी “माँस की बाह” से मदद की उम्मीद रखते हैं। इसलिए, वह यशायाह को अभिनय करके एक गंभीर चेतावनी देने के लिए भेजता है।—2 इतिहास 32:7,8, फुटनोट।

“नंगा और नंगे पांव”

8. यशायाह अब भविष्यवाणी करने के लिए क्या अभिनय करता है?

8 यहोवा, यशायाह से कहता है: “जाकर अपनी कमर का टाट खोल और अपनी जूतियां उतार।” जैसी यहोवा ने आज्ञा दी यशायाह वैसे ही करता है। “उस ने वैसा ही किया, और वह नंगा और नंगे पांव घूमता फिरता था।” (यशायाह 20:2) टाट एक खुरदरा कपड़ा होता था, जिसे अकसर भविष्यवक्‍ता चेतावनी के संदेश देने के लिए पहना करते थे। इसे संकट के समय में या कोई बुरी खबर सुनने पर भी शोक ज़ाहिर करने के लिए पहना जाता था। (2 राजा 19:2; भजन 35:13; दानिय्येल 9:3) क्या यशायाह वाकई नंगा घूम रहा था, यानी क्या उसने अपने शरीर पर कोई कपड़ा नहीं पहना था? ऐसा ज़रूरी नहीं है। जिस इब्रानी शब्द का अनुवाद “नंगा” किया गया है, उसका मतलब यह भी हो सकता है कि एक व्यक्‍ति ने आधे या बहुत कम कपड़े पहने हैं। (1 शमूएल 19:24, NW, फुटनोट) तो कहा जा सकता है कि यशायाह ने सिर्फ अपना बाहरी वस्त्र या चोगा उतारा होगा, और वह अपना अंगरखा पहने हुए था। अश्‍शूर की शिल्पकला में अकसर बंधुआ मर्दों को यही पोशाक पहने दिखाया गया है।

9. यशायाह ने भविष्यवाणी करने के लिए जो अभिनय किया उसका मतलब क्या है?

9 यशायाह के इस अनोखे अभिनय का क्या मतलब है, यह भी साफ-साफ बताया जाता है: “यहोवा ने कहा, जिस प्रकार मेरा दास यशायाह तीन वर्ष से उघाड़ा और नंगे पांव चलता आया है, कि मिस्र और कूश के लिये चिन्ह और चमत्कार हो, उसी प्रकार अश्‍शूर का राजा मिस्री और कूश के लोगों को बंधुआ करके देश-निकाल करेगा, क्या लड़के क्या बूढ़े, सभों को बंधुए करके उघाड़े और नंगे पांव और नितम्ब खुले ले जाएगा, जिस से मिस्र लज्जित हो।” (यशायाह 20:3,4) जी हाँ, बहुत जल्द मिस्रियों और कूशियों को बंधुआ बनाकर ले जाया जाएगा। किसी को भी नहीं बख्शा जाएगा। यहाँ तक कि ‘लड़के और बूढ़े,’ यानी बुज़ुर्गों और बच्चों से भी उनका सबकुछ छीन लिया जाएगा और बंधुआ बनाकर ले जाया जाएगा। मिस्र और कूश के भविष्य की ऐसी निराशाजनक तसवीर पेश करके यहोवा, यहूदा के लोगों को चेतावनी देता है कि मिस्र और कूश पर भरोसा रखना बेकार है। ये देश अपनी बरबादी की वजह से नंगापन सहेंगे। इससे ज़्यादा “लज्जित” होने की बात और क्या हो सकती है!

आशा टूट गयी, महिमा मिट गयी

10, 11. (क) जब यहूदा के लोग मिस्र और कूश जैसे देशों को अश्‍शूरियों के सामने लाचार देखेंगे, तो वे क्या कहेंगे? (ख) मिस्र और कूश की तरफ यहूदा के लोगों के झुकाव की शायद क्या वजह थी?

10 अब, भविष्यवाणी में यहोवा यह बताता है कि जब यहूदा के लोग देखेंगे कि कैसे मिस्र और कूश जैसे देश, जिनकी शरण लेने की खुद उन्होंने उम्मीद की थी, अब अश्‍शूरियों के सामने लाचार हो गए हैं तो वे कैसा महसूस करेंगे? “‘जो लोग सहायता के लिये कूश की ओर देखा करते थे, वे टूट जायेंगे। जो लोग मिस्र की महिमा से चकित थे वे लज्जित होंगे।’ समुद्र के पास रहने वाले, वे लोग कहेंगे, ‘हमने सहायता के लिये उन देशों पर विश्‍वास किया। हम उनके पास दौड़े गये ताकि वे हमें अश्‍शूर के राजा से बचा लें किन्तु उन देशों को देखो कि उन देशों पर ही जब कब्जा कर लिया गया तब हम कैसे बच सकते थे?’”—यशायाह 20:5,6, ईज़ी-टू-रीड वर्शन।

11 मिस्र और कूश जैसी ताकतों के मुकाबले, यहूदा देश तो समुद्र के किनारे का सिर्फ एक छोटा-सा देश ही नज़र आता है। शायद “समुद्र के पास” बसे इस देश के कुछ लोग मिस्र की महिमा देखकर मोहित हो गए हैं। उसके शानदार पिरामिड, आकाश से बातें करते उसके मंदिर और आलीशान और बड़ी-बड़ी हवेलियाँ और उसके चारों तरफ फैले फूलों और फलों के बाग, और तालाब। मिस्र की आलीशान सजावट मानो इस बात का सबूत देती थी कि यह देश सदा तक कायम रहेगा। बेशक, इस देश का कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता! इसी तरह, शायद यहूदियों को कूश देश के तीरंदाज़ों, रथों और घुड़सवारों को भी देखकर हैरत होती थी।

12. यहूदा को किस पर भरोसा रखना चाहिए?

12 यशायाह के अभिनय के ज़रिए दी गयी चेतावनी और यहोवा की भविष्यवाणी के शब्दों को ध्यान में रखते हुए, ऐसे लोगों को गंभीरता से सोचने पर मजबूर होना पड़ेगा जो परमेश्‍वर के लोग होने का दावा तो करते हैं मगर मिस्र और कूश पर भरोसा रखते हैं। इन्हें ध्यान में रखते हुए परमेश्‍वर के लोग होने का दावा करनेवालों में से जो मिस्र और कूश पर भरोसा रखते हैं, उन्हें गंभीरता से सोचने पर मजबूर होना चाहिए। किसी इंसान पर भरोसा रखने के बजाय यहोवा पर भरोसा रखना कितना बेहतर है! (भजन 25:2; 40:4) दिन बीतते गए और घटनाएँ घटती गयीं। अश्‍शूर के राजा के हाथों यहूदा को बहुत बड़ी-बड़ी मुसीबतें झेलनी पड़ीं और बाद में, बाबुल ने यहूदा देश की राजधानी और उसके मंदिर को नाश किया। लेकिन, उनका “दसवां अंश,” एक “पवित्र वंश” बच गया, वैसे ही जैसे किसी विशाल पेड़ को काटने के बाद उसका ठूंठ रह जाता है। (यशायाह 6:13) जब वह घड़ी आएगी, तब यशायाह का संदेश उस छोटे से समूह के विश्‍वास को मज़बूत करेगा जो यहोवा पर भरोसा रखना नहीं छोड़ता!

यहोवा पर भरोसा रखिए

13. यहोवा के उपासकों और अविश्‍वासियों, दोनों को आज किन मुश्‍किलों का सामना करना पड़ रहा है?

13 यशायाह की किताब में दी गयी चेतावनी कि मिस्र और कूश पर भरोसा करना व्यर्थ है, सिर्फ एक ऐतिहासिक घटना नहीं है जिसका आज हमसे कोई लेना-देना ना हो। आज हम इससे बहुत अहम सबक सीख सकते हैं। हम आज “कठिन समय” में जी रहे हैं। (2 तीमुथियुस 3:1) अर्थ-व्यवस्था में संकट, हर तरफ फैली गरीबी, राजनीति में अस्थिरता, लोगों में अराजकता और बड़े या छोटे युद्ध, ये सारी समस्याएँ हर तरफ कहर ढा रही हैं। इसका बुरा असर न सिर्फ परमेश्‍वर के राज्य को ठुकरानेवाले लोगों पर बल्कि उन पर भी होता है जो यहोवा की उपासना करते हैं। हरेक के सामने आज यही सवाल है, ‘मदद पाने के लिए मैं किसकी पनाह लूँगा?’

14. हमें सिर्फ यहोवा पर भरोसा क्यों रखना चाहिए?

14 आज कुछ लोगों पर पैसा कमाने की जादूगरी दिखानेवालों, मंत्रियों और वैज्ञानिकों की बातों का ज़बरदस्त असर हो सकता है, क्योंकि वे इंसान की अक्ल और टेक्नॉलजी के बल-बूते पर इंसान की सारी समस्याओं का हल करने का दावा करते हैं। मगर, बाइबल साफ-साफ कहती है: “यहोवा की शरण लेनी, प्रधानों पर भी भरोसा रखने से उत्तम है।” (भजन 118:9) शांति और सुरक्षा पाने के लिए इंसान ने जितनी भी तरकीबें बनायी हैं, वे सब धरी-की-धरी रह जाएँगी और इसकी वजह भविष्यवक्‍ता यिर्मयाह ने बड़े साफ शब्दों में बतायी है: “हे यहोवा, मैं जान गया हूं, कि मनुष्य का मार्ग उसके वश में नहीं है, मनुष्य चलता तो है, परन्तु उसके डग उसके अधीन नहीं हैं।”—यिर्मयाह 10:23.

15. तकलीफों के बोझ से दबे इंसानों का एकमात्र सहारा कौन है?

15 तो फिर, यह बेहद ज़रूरी है कि परमेश्‍वर के सेवक इस दुनिया की खोखली ताकत या ज्ञान पर हद-से-ज़्यादा ताज्जुब न करें। (भजन 33:10; 1 कुरिन्थियों 3:19,20) तकलीफों के बोझ तले दबे इंसानों के लिए एकमात्र सहारा हमारा सिरजनहार, यहोवा है। जो कोई उस पर भरोसा रखेगा, वही उद्धार पाएगा। यही बात परमेश्‍वर की प्रेरणा से प्रेरित यूहन्‍ना ने लिखी थी, “संसार और उस की अभिलाषाएं दोनों मिटते जाते हैं, पर जो परमेश्‍वर की इच्छा पर चलता है, वह सर्वदा बना रहेगा।”—1 यूहन्‍ना 2:17.

[फुटनोट]

^ पैरा. 5 इतिहासकार इस राजा को सर्गोन II कहते हैं। इससे पहले एक राजा हो चुका था, जो अश्‍शूर का नहीं बल्कि बाबुल का राजा था और उसे “सर्गोन I” कहा गया है।

^ पैरा. 6 “तर्तान” किसी आदमी का नाम नहीं, बल्कि अश्‍शूर की सेना के सेनापति की पदवी है। शायद वही, सारे साम्राज्य में दूसरा सबसे शक्‍तिशाली व्यक्‍ति हुआ करता था।

[अध्ययन के लिए सवाल]

[पेज 209 पर तसवीर]

अश्‍शूरी अपने कुछ बंधुओं की आँखें फोड़ देते थे

[पेज 213 पर तसवीर]

कुछ लोग शायद इंसान की सफलता देखकर ताज्जुब करें, मगर यहोवा पर भरोसा रखना इससे कहीं बेहतर है