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मुसीबत के वक्‍त यहोवा पर भरोसा रखिए

मुसीबत के वक्‍त यहोवा पर भरोसा रखिए

नौवाँ अध्याय

मुसीबत के वक्‍त यहोवा पर भरोसा रखिए

यशायाह 7:1–8:18

1. यशायाह 7 और 8 अध्याय की जाँच करने से आज मसीहियों को क्यों फायदा होगा?

यशायाह के 7 और 8 अध्याय में ऐसे दो आदमियों के बारे में बताया गया है जिनका रवैया एक-दूसरे से बिलकुल फर्क था। वे थे यशायाह और आहाज। वे दोनों एक ऐसी जाति में पैदा हुए थे जो यहोवा को समर्पित थी; दोनों को परमेश्‍वर की तरफ से ज़िम्मेदारी का काम मिला था, एक को भविष्यवाणी करने का और दूसरे को यहूदा पर राज करने का; दोनों के सामने एक ही खतरा मंडरा रहा था: उनके देश यहूदा पर ताकतवर दुश्‍मनों ने हमला कर दिया था। मगर, यशायाह ने यहोवा पर भरोसा रखकर इस खतरे का सामना किया जबकि आहाज का डर के मारे बुरा हाल हो गया। एक ही खतरे को लेकर, इन दोनों के रवैए में इतना बड़ा फर्क क्यों था? आज मसीही भी दुश्‍मनों से घिरे हुए हैं। इसलिए उनके लिए भी यह फायदेमंद साबित होगा कि वे यशायाह के इन दो अध्यायों की अच्छी तरह जाँच करें और पता लगाएँ कि इसमें उनके लिए क्या सबक दिया गया है।

फैसला करने की कशमकश

2, 3. यशायाह ने अपनी बात शुरू करते वक्‍त थोड़े शब्दों में क्या बताया?

2 जिस तरह एक चित्रकार किसी नयी पेंटिंग की शुरूआत करते वक्‍त, चंद बड़ी-बड़ी लकीरों से तसवीर का खाका खींच लेता है, उसी तरह यशायाह जो कहने जा रहा है, पहले उसका थोड़े शब्दों में शुरू से आखिर तक का निचोड़ दे देता है: “यहूदा का राजा आहाज़ जो योताम का पुत्र और उज्जिय्याह का पोता था, उसके दिनों में आराम के राजा रसीन और इस्राएल के राजा रमल्याह के पुत्र पेकह ने यरूशलेम से लड़ने के लिये चढ़ाई की, परन्तु युद्ध करके उन से कुछ बन न पड़ा।”—यशायाह 7:1.

3 यह वक्‍त है सा.यु.पू. आठवीं सदी का। यहूदा देश में, राजा योताम की मौत के बाद अब उसका बेटा आहाज राज करने लगा है। अराम देश के राजा रसीन और उत्तर में इस्राएल के राजा पेकह, यहूदा पर चढ़ाई करते हैं और उनकी सेना बड़ी निर्दयता से यहूदा पर हमला करती है। आखिर में, वे यरूशलेम को भी घेर लेंगे। मगर, वे यरूशलेम पर कब्ज़ा करने में कामयाब नहीं होंगे। (2 राजा 16:5,6; 2 इतिहास 28:5-8) क्यों? यह हम बाद में जानेंगे।

4. आहाज और उसकी प्रजा डर के मारे काँपने क्यों लगे?

4 इस युद्ध की शुरूआत में, “दाऊद के घराने को यह समाचार मिला कि अरामियों ने एप्रैमियों से सन्धि की है, तब उसका और प्रजा का भी मन ऐसा कांप उठा जैसे बन के वृक्ष वायु चलने से कांप जाते हैं।” (यशायाह 7:2) जी हाँ, आहाज और उसकी प्रजा यह जानकर काँप उठे कि अरामी और इस्राएली मिल गए हैं और इस वक्‍त उनकी सेना एप्रैम (इस्राएल) की ज़मीन पर डेरा डाले हुए है। यरूशलेम पर चढ़ाई करने के लिए दुश्‍मनों को बस दो या तीन दिन का पैदल सफर तय करना बाकी है!

5. आज परमेश्‍वर के लोग यशायाह से कैसे मेल खाते हैं?

5 यहोवा, यशायाह से कहता है: “अपने पुत्र शार्याशूब को लेकर धोबियों के खेत की सड़क से ऊपरली पोखरे की नाली के सिरे पर आहाज़ से भेंट करने के लिये जा।” (यशायाह 7:3) ज़रा सोचिए तो! ऐसे संकट के वक्‍त राजा को मदद माँगने के लिए यहोवा के भविष्यवक्‍ता की खोज करते हुए आना चाहिए, मगर यहाँ तो उल्टे भविष्यवक्‍ता को ही राजा को ढूँढ़ने जाना है! ऐसा होने पर भी, यशायाह तुरंत यहोवा की आज्ञा का पालन करता है। उसी तरह, आज परमेश्‍वर के सेवक ऐसे लोगों को ढूँढ़ने निकलते हैं जो इस दुनिया की तकलीफों की वजह से डरे और सहमे हुए हैं। (मत्ती 24:6,14) कितनी खुशी की बात है कि हर साल लाखों लोग, परमेश्‍वर के राज्य का सुसमाचार प्रचार करनेवालों की बातें सुनकर यहोवा की पनाह में आते हैं!

6. (क) यशायाह, राजा आहाज की हिम्मत बढ़ाने के लिए उसे कैसा संदेश सुनाता है? (ख) आज के हालात कैसे हैं?

6 यशायाह, आहाज को यरूशलेम की शहरपनाह के बाहर पाता है, जहाँ वह आनेवाले घेराव की तैयारी में नगर को मिलनेवाले पानी की सप्लाई की जाँच कर रहा है। यशायाह उसे यहोवा का संदेश सुनाता है: “सावधान और शान्त हो; और उन दोनों धूंआं निकलती लुकटियों से अर्थात्‌ रसीन और अरामियों के भड़के हुए कोप से, और रमल्याह के पुत्र से मत डर, और न तेरा मन कच्चा हो।” (यशायाह 7:4) जब इन हमलावरों ने पहले यहूदा को उजाड़ना शुरू किया तब उनका क्रोध आग की धधकती लपटों की तरह था। मगर अब तो वे बस “धूंआं निकलती” लकड़ियाँ ही रह गए हैं। आहाज को अरामी राजा रसीन या रमल्याह के पुत्र और इस्राएली राजा पेकह से खौफ खाने की कोई ज़रूरत नहीं है। आज के हालात भी ऐसे ही हैं। सदियों से, ईसाईजगत के पादरियों ने सच्चे मसीहियों पर कहर ढाया है और उन्हें तरह-तरह से सताया है। लेकिन, अब ईसाईजगत ऐसी लकड़ी की तरह हो गया है जो करीब-करीब जल चुकी है। उसके दिन पूरे होनेवाले हैं।

7. यशायाह और उसके बेटे के नाम से क्यों उम्मीद बँधती है?

7 आहाज के दिनों में, न सिर्फ यशायाह के संदेश से बल्कि खुद यशायाह और उसके बेटे के नाम के मतलब से भी, यहोवा पर भरोसा रखनेवालों की उम्मीद बँधती है। सच है कि यहूदा को दुश्‍मनों से खतरा है, मगर यशायाह के नाम का मतलब, “यहोवा की ओर से उद्धार” दिखाता है कि यहोवा जल्द ही इन दुश्‍मनों से छुटकारा दिलाएगा। यहोवा, यशायाह से कहता है कि आहाज को संदेश सुनाते वक्‍त वह अपने साथ अपने बेटे शार्याशूब को ले जाए, जिसके नाम का मतलब है, “बचा हुआ भाग लौट आएगा।” बाद में, जब यहूदा देश आखिरकार तबाह होता, तब भी परमेश्‍वर दया दिखाकर कुछ शेष लोगों को वापस उनके वतन लौटा ले आता।

सिर्फ देशों के बीच की लड़ाई नहीं

8. यरूशलेम पर किया जा रहा हमला, सिर्फ देशों के बीच की एक लड़ाई क्यों नहीं है?

8 यशायाह के ज़रिए, यहोवा बताता है कि यहूदा के दुश्‍मन किस तरह हमला करने की सोच रहे हैं। उनके मनसूबे कुछ ऐसे थे: “आओ, हम यहूदा पर चढ़ाई करके उसको घबरा दें, और उसको अपने वश में लाकर ताबेल के पुत्र को राजा नियुक्‍त कर दें।” (यशायाह 7:5,6) अराम-इस्राएल की यह जोड़ी यहूदा पर कब्ज़ा करके, दाऊद के वंशज, आहाज को हटाकर अपने आदमी को यहूदा की राजगद्दी पर बिठाना चाहती है। इससे ज़ाहिर है कि यरूशलेम पर किया जा रहा हमला, सिर्फ देशों के बीच हो रही लड़ाई नहीं बल्कि इससे भी बढ़कर है। असल में, यह शैतान और यहोवा के बीच संघर्ष बन गया है। क्यों? वह इसलिए कि यहोवा परमेश्‍वर ने राजा दाऊद के साथ वाचा बाँधी थी और उसे यकीन दिलाया था कि उसका वंश ही यहोवा के लोगों पर राज करेगा। (2 शमूएल 7:11,16) अगर शैतान, यरूशलेम में यहूदा की राजगद्दी पर किसी दूसरे वंश के आदमी को बिठा देता तो यह उसके लिए कितनी बड़ी जीत होती! इतना ही नहीं, वह शायद यहोवा के इस उद्देश्‍य को भी नाकाम करना चाहेगा कि दाऊद के वंश से ही सदा तक प्रभुता करनेवाला वारिस, “शान्ति का शासक” पैदा हो।—यशायाह 9:6,7, नयी हिन्दी बाइबिल।

यहोवा के प्यार-भरे वादे

9. किन वादों से आहाज का और आज हम मसीहियों का भी हौसला बढ़ना चाहिए?

9 क्या अराम और इस्राएल की साज़िश कामयाब होगी? नहीं। यहोवा ऐलान करता है: “यह युक्‍ति न तो सफल होगी और न पूरी।” (यशायाह 7:7) यशायाह के ज़रिए, यहोवा कहता है कि न सिर्फ यरूशलेम का घेराव नाकाम रहेगा, बल्कि “पैंसठ वर्षों के अन्दर एप्रैम का बल ऐसा टूट जाएगा कि वह जाति बनी न रहेगी।” (यशायाह 7:8, NHT) जी हाँ, पैंसठ साल के अंदर उत्तर का इस्राएल राज्य इस कदर टूट जाएगा कि उनकी जाति बनी ना रहेगी। * इतने साफ शब्दों में किए गए वादे से आहाज का हौसला बढ़ना चाहिए था। यहोवा ने तो उसे ठीक-ठीक वक्‍त भी बता दिया था। उसी तरह आज, यह जानकर परमेश्‍वर के लोगों का हौसला कितना बढ़ता है कि शैतान की दुनिया का वक्‍त खत्म होता जा रहा है।

10. (क) आज सच्चे मसीही यहोवा की मिसाल पर कैसे चल सकते हैं? (ख) यहोवा आहाज के सामने क्या पेशकश रखता है?

10 शायद आहाज के चेहरे पर अविश्‍वास नज़र आ रहा था, क्योंकि यशायाह के ज़रिए यहोवा कहता है: “यदि तुम विश्‍वास न करोगे तो स्थिर भी न रहने पाओगे।” मगर फिर भी और ज़्यादा धीरज दिखाते हुए “यहोवा ने आहाज़ से पुन: कहा।” (यशायाह 7:9,10, NHT) यहोवा ने क्या ही बढ़िया मिसाल रखी! आज बहुत-से लोग हैं जो राज्य का संदेश सुनकर तुरंत कोई कदम नहीं उठाते। ऐसे लोगों के मामले में हमें, यहोवा की मिसाल पर चलते हुए उनके पास बार-बार जाकर उनसे “पुन:” बात करनी है। यहोवा इसके बाद आहाज से कहता है: “अपने परमेश्‍वर यहोवा से कोई चिन्ह मांग; चाहे वह गहिरे स्थान का हो, वा ऊपर आसमान का हो।” (यशायाह 7:11) आहाज चाहे तो यहोवा से कोई ऐसा चमत्कार करने के लिए कह सकता है, जो इस बात की गारंटी होगा कि वह ज़रूर दाऊद के घराने की रक्षा करेगा।

11. “अपने परमेश्‍वर,” इन शब्दों से क्या आश्‍वासन मिलता है?

11 ध्यान दीजिए, यहोवा कहता है: “अपने परमेश्‍वर यहोवा से कोई चिन्ह मांग।” (तिरछे टाइप हमारे।) यहोवा सचमुच दयालु है। सब जानते हैं कि आहाज झूठे देवी-देवताओं को पूजने लगा है और विधर्मियों के घिनौने रीति-रिवाज़ों पर चलता है। (2 राजा 16:3,4) इसके बावजूद, और आहाज का डरपोक रवैया देखने के बाद भी यहोवा खुद को आहाज का परमेश्‍वर कहता है। इससे हमें यह आश्‍वासन मिलता है कि यहोवा जल्दबाज़ी में किसी इंसान को त्याग नहीं देता। जो गलती कर बैठे हैं या जिनका विश्‍वास कमज़ोर हो गया है, यहोवा उनकी मदद करने के लिए तैयार है। परमेश्‍वर के प्यार का विश्‍वास दिलाए जाने पर, क्या आहाज ने यहोवा का हाथ थाम लिया?

पहले शक किया फिर आज्ञा नहीं मानी

12. (क) आहाज ने कैसा घमंडी रवैया अपनाया? (ख) यहोवा का हाथ थामने के बजाय, आहाज किससे मदद माँगता है?

12 आहाज ने यहोवा के वचन की परवाह किए बिना यह जवाब दिया: “मैं नहीं मांगने का, और मैं यहोवा की परीक्षा नहीं करूंगा।” (यशायाह 7:12) ऐसा कहकर आहाज मूसा की व्यवस्था में दिए गए इस नियम का पालन नहीं कर रहा है: “तुम अपने परमेश्‍वर यहोवा की परीक्षा न करना।” (व्यवस्थाविवरण 6:16) सदियों बाद, जब शैतान, यीशु को बहकाना चाहता था तब यीशु ने इसी नियम का हवाला दिया था। (मत्ती 4:7) मगर आहाज के मामले में यहोवा उसे फिर से सच्ची उपासना करने का बुलावा दे रहा है और किसी चिन्ह या चमत्कार के ज़रिए उसका विश्‍वास मज़बूत करने की पेशकश कर रहा है। आहाज को अपनी हिफाज़त के लिए कहीं और भटकना मंज़ूर है, लेकिन यहोवा से चिन्ह माँगना मंज़ूर नहीं। शायद इसी वक्‍त के दौरान आहाज, अश्‍शूर के राजा को बहुत बड़ी रकम भेजता है और उत्तर से आ रहे दुश्‍मनों से अपनी रक्षा के लिए मदद माँगता है। (2 राजा 16:7,8) इस दौरान, अराम और इस्राएल की सेना आकर यरूशलेम को घेर लेती है।

13. हम आयत 13 में कौन-सा बदलाव देखते हैं, और इसका क्या मतलब है?

13 आहाज में विश्‍वास की इतनी कमी देखकर, यशायाह कहता है: “हे दाऊद के घराने सुनो! क्या तुम मनुष्यों को उकता देना छोटी बात समझकर अब मेरे परमेश्‍वर को भी उकता दोगे?” (यशायाह 7:13) जी हाँ, बार-बार अपने लोगों को आज्ञा तोड़ते देखकर यहोवा उकता सकता है। गौर कीजिए कि अब यशायाह ‘मेरा परमेश्‍वर’ कहता है, न कि ‘तुम्हारा परमेश्‍वर।’ (तिरछे टाइप हमारे।) यह बहुत ही भयंकर बदलाव था! यहोवा से मुँह फेरकर और अश्‍शूर की शरण लेकर आहाज ने परमेश्‍वर के साथ दोबारा रिश्‍ता कायम करने का बढ़िया मौका गवाँ दिया। हम ऐसा कभी न करें कि थोड़ी देर के फायदे के लिए अपने ईमान का सौदा करके यहोवा के साथ अपना रिश्‍ता गवाँ दें।

इम्मानूएल का चिन्ह

14. यहोवा कैसे दिखाता है कि वह दाऊद के साथ अपनी वाचा निभाएगा?

14 यहोवा दाऊद के साथ अपनी वाचा को निभाता है और अपने वादे पर कायम रहता है। एक चिन्ह की पेशकश की गयी थी और एक चिन्ह दिया भी जाएगा! यशायाह आगे कहता है: “प्रभु आप ही तुम को एक चिन्ह देगा। सुनो, एक कुमारी गर्भवती होगी और पुत्र जनेगी, और उसका नाम इम्मानूएल रखेगी। और जब तक वह बुरे को त्यागना और भले को ग्रहण करना न जाने तब तक वह मक्खन और मधु खाएगा। क्योंकि उस से पहिले कि वह लड़का बुरे को त्यागना और भले को ग्रहण करना जाने, वह देश जिसके दोनों राजाओं से तू घबरा रहा है निर्जन हो जाएगा।”—यशायाह 7:14-16.

15. इम्मानूएल के बारे में की गयी भविष्यवाणी से किन दो सवालों का जवाब मिला?

15 यह वाकई उन लोगों के लिए एक खुशखबरी है जिन्हें यह डर था कि हमलावर, दाऊद के वंश का अंत कर देंगे। शब्द “इम्मानूएल” का मतलब है “परमेश्‍वर हमारे साथ” है। परमेश्‍वर यहूदा के साथ है और वह दाऊद के साथ अपनी वाचा को टूटने नहीं देगा। इसके अलावा, आहाज और उसकी प्रजा को न सिर्फ यह बताया जाता है कि यहोवा क्या करेगा बल्कि यह भी कि वह यह सब कब करेगा। इससे पहले कि बालक इम्मानूएल भले-बुरे में फर्क करना सीखे, इन दुश्‍मन जातियों का खात्मा हो जाएगा। और ऐसा ही हुआ!

16. शायद किस वजह से यहोवा ने आहाज के दिनों में इम्मानूएल की सही-सही पहचान नहीं दी?

16 बाइबल यह नहीं बताती कि यह इम्मानूएल किसकी संतान है। लेकिन यह बालक इम्मानूएल एक चिन्ह था और यशायाह बाद में कहता है कि वह खुद और उसके बच्चे भी ‘चिन्ह हैं,’ इसलिए इम्मानूएल शायद उसी का बेटा था। (यशायाह 8:18) यहोवा ने आहाज के दिनों में इम्मानूएल की सही-सही पहचान शायद इसलिए नहीं दी ताकि आनेवाली पीढ़ियों का ध्यान महान इम्मानूएल से कहीं हट न जाए। यह महान इम्मानूएल कौन था?

17. (क) महान इम्मानूएल कौन है, और उसका जन्म किस बात का चिन्ह था? (ख) आज परमेश्‍वर के लोग क्यों पूरी हिम्मत से यह ऐलान कर सकते हैं कि “परमेश्‍वर हमारे साथ” है?

17 यशायाह की किताब के अलावा, पूरी बाइबल में इम्मानूएल नाम सिर्फ एक बार आता है और वह है मत्ती 1:23 में। यहोवा ने मत्ती को यह लिखने के लिए प्रेरित किया कि इम्मानूएल के जन्म की भविष्यवाणी यीशु के जन्म पर पूरी होती है, जो दाऊद के सिंहासन का असली वारिस था। (मत्ती 1:18-23) पहले इम्मानूएल का जन्म इस बात का चिन्ह था कि परमेश्‍वर ने दाऊद के घराने को नहीं छोड़ा है। उसी तरह महान इम्मानूएल, यीशु का जन्म इस बात का चिन्ह था कि परमेश्‍वर ने इंसानों को नहीं छोड़ा है या वह दाऊद के घराने के साथ अपनी वाचा को नहीं भूला है। (लूका 1:31-33) अब जब यहोवा का सबसे बड़ा प्रतिनिधि इंसानों के बीच था, तो मत्ती वाकई कह सकता था “परमेश्‍वर हमारे साथ” है। आज, यीशु स्वर्ग में राज कर रहा है और पृथ्वी पर अपनी मसीही कलीसिया के साथ है। (मत्ती 28:20) बेशक, आज परमेश्‍वर के लोगों के पास यह भी एक वजह है कि वे पूरी हिम्मत से ऐलान करें: “परमेश्‍वर हमारे साथ” है!

विश्‍वासघात के दूसरे अंजाम

18. (क) यशायाह अब जो कहता है उससे सुननेवालों के दिल क्यों काँप उठते हैं? (ख) बहुत जल्द कौन-सा बदलाव होना था?

18 यशायाह ने अभी-अभी जो कहा उससे वाकई हिम्मत मिलती है, मगर वह अब आगे जो कहनेवाला है उससे सुननेवालों के दिल काँप उठते हैं: “यहोवा तुझ पर, तेरी प्रजा पर और तेरे पिता के घराने पर ऐसे दिनों को ले आएगा कि जब से एप्रैम यहूदा से अलग हो गया, तब से वैसे दिन कभी नहीं आए—अर्थात्‌ अश्‍शूर के राजा के दिन।” (यशायाह 7:17) जी हाँ, अश्‍शूर के राजा के हाथों बड़ी विपत्ति आनेवाली है। अपनी क्रूरता के लिए मशहूर अश्‍शूरियों की हुकूमत के अधीन जीने की बात सोचकर ही आहाज और उसकी प्रजा की रातों की नींद उड़ गयी होगी। आहाज ने सोचा था कि अश्‍शूर से दोस्ती करके उसे इस्राएल और अराम से छुटकारा मिलेगा। बेशक, शुरू में अश्‍शूर का राजा, आहाज की मदद की पुकार का जवाब ज़रूर देगा और इस्राएल और अराम पर हमला भी करेगा। (2 राजा 16:9) और इसीलिए पेकह और रसीन को मजबूर होकर यरूशलेम से अपना घेराव हटाना पड़ेगा। इस तरह, अराम और इस्राएल के देश मिलकर भी यरूशलेम पर कब्ज़ा करने में कामयाब नहीं होंगे। (यशायाह 7:1) मगर, अब यशायाह अपने सुननेवाले और घबराए हुए लोगों से कहता है कि जिस अश्‍शूर को उन्होंने अपना रक्षक माना था, वही उनका भक्षक बन जाएगा!—नीतिवचन 29:25 से तुलना कीजिए।

19. इतिहास की इस सच्ची कहानी से आज मसीहियों को क्या चेतावनी मिलती है?

19 इतिहास की इस सच्ची कहानी से आज मसीहियों को एक चेतावनी मिलती है। जब हम मुसीबत में हों और हम पर दबाव डाला जा रहा हो, तब क्या हम अपने मसीही उसूलों से मुकर जाएँगे, और इस तरह यहोवा की मदद को ठुकरा देंगे? दो पल के लिए अपनी जान बचाने का यह काम अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी मारने के बराबर होगा और यशायाह ने जो आगे कहा उससे यह एकदम साफ नज़र आता है। वह बताता है कि अश्‍शूरियों के हमले से देश का और इसके लोगों का क्या हाल होगा।

20. ‘मक्खियां’ और ‘मधुमक्खियां’ कौन हैं, और वे क्या करेंगी?

20 यशायाह अब चार हिस्सों में घोषणाएँ करता है कि “उस समय,” यानी जिस समय अश्‍शूर यहूदा देश पर हमला करेगा तब क्या होगा। “उस समय यहोवा उन मक्खियों को जो मिस्र की नदियों के सिरों पर रहती हैं, और उन मधुमक्खियों को जो अश्‍शूर देश में रहती हैं, सीटी बजाकर बुलाएगा। और वे सब की सब आकर इस देश के पहाड़ी नालों में, और चट्टानों की दरारों में, और सब भटकटैयों और सब चराइयों पर बैठ जाएंगी।” (यशायाह 7:18,19) मिस्र और अश्‍शूर की सेनाएँ, मक्खियों और मधुमक्खियों के झुंड की तरह हैं और उनका ध्यान, वादा किए हुए देश की ओर खींचा जाएगा। यह आक्रमण सिर्फ कुछ देर तक नहीं चलेगा। ‘मक्खियां’ और ‘मधुमक्खियां’ आकर देश में “बैठ जाएंगी।” वे हर कोने में फैलकर पीड़ा देंगी।

21. अश्‍शूर का राजा किस तरह एक छुरे जैसा होगा?

21 यशायाह आगे कहता है: “उसी समय प्रभु महानद के पारवाले अश्‍शूर के राजारूपी भाड़े के छुरे से सिर और पांवों के रोंएं मूंड़ेगा, उस से दाढ़ी भी पूरी मूंड़ जाएगी।” (यशायाह 7:20) अब सिर्फ अश्‍शूर का ज़िक्र किया जा रहा है जो यहूदा के लिए सबसे बड़ा खतरा है। आहाज ने अराम और इस्राएल को ‘मुंडाने’ के लिए अश्‍शूर के राजा को भाड़े पर लिया था। मगर, महानद या फरात नदी के उस पार से आनेवाला यह ‘भाड़े का छुरा’ यहूदा के “सिर” को ही मूंड देगा और उसकी दाढ़ी को भी पूरी तरह से मूंड देगा!

22. अश्‍शूर के हमले का अंजाम क्या होगा, यह दिखाने के लिए यशायाह ने कौन-सी मिसालें दीं?

22 इसका अंजाम क्या होगा? “उस समय ऐसा होगा कि मनुष्य केवल एक कलोर और दो भेड़ों को पालेगा; और वे इतना दूध देंगी कि वह मक्खन खाया करेगा; क्योंकि जितने इस देश में रह जाएंगे वह सब मक्खन और मधु खाया करेंगे।” (यशायाह 7:21,22) जब अश्‍शूरी सारे देश को ‘मूंड’ देंगे, तो इतने कम लोग रह जाएँगे कि उनके खाने-पीने की ज़रूरतें पूरी करने के लिए सिर्फ कुछ मवेशी ही काफी होंगे। सिर्फ “मक्खन और मधु” खाया जाएगा, न तो दाखमधु होगा, न रोटी और न दूसरा अनाज। देश किस कदर बरबाद हो जाएगा, इस बात पर ज़ोर देने के लिए यशायाह तीन बार कहता है कि जो पहले फायदेमंद, यानी उपजाऊ ज़मीन हुआ करती थी, वहाँ अब कंटीले झाड़-झंखाड़ उग आएँगे। जो लोग इन इलाकों में जाएँगे उन्हें अपनी हिफाज़त के लिए “तीर और धनुष” की ज़रूरत पड़ेगी क्योंकि इन्हीं झाड़-झंखाड़ में जंगली जानवर छिपे बैठे होंगे। और खुले मैदानों को बैल और भेड़ें अपने पाँवों तले रौंदेगीं। (यशायाह 7:23-25) यह भविष्यवाणी आहाज के दिनों से ही पूरी होने लगी।—2 इतिहास 28:20.

अचूक भविष्यवाणियाँ

23. (क) यशायाह को अब क्या करने की आज्ञा दी जाती है? (ख) पटिया की लिखावट के सच होने की गवाही कैसे दी जानी थी?

23 यशायाह अब दोबारा वर्तमान हालात के बारे में बताता है। अब जबकि यरूशलेम को अराम और इस्राएल की सेनाएँ घेरे हुए हैं, तो यशायाह कहता है: “यहोवा ने मुझ से कहा, एक बड़ी पटिया लेकर उस पर साधारण अक्षरों से यह लिख: महेर्शालाल्हाशबज के लिये। और मैं विश्‍वासयोग्य पुरुषों को अर्थात्‌ ऊरिय्याह याजक और जेबेरेक्याह के पुत्र जकर्याह को इस बात की साक्षी करूंगा।” (यशायाह 8:1,2) महेर्शालाल्हाशबज नाम का मतलब है, “लूट शीघ्र आती है, छिन जाना फुर्ती करता है।” यशायाह अपने समाज के दो जाने-माने, आदरणीय पुरुषों को गवाह बनाकर एक बड़ी पटिया पर यह नाम लिखता है, ताकि बाद में वे इस लिखाई के सच होने की साक्षी दे सकें। लेकिन, इस चिन्ह की गवाही एक और चिन्ह से भी दी जानी है।

24. महेर-शालाल-हाश-बज़ के चिन्ह का यहूदा के लोगों पर क्या असर होना चाहिए था?

24 यशायाह कहता है: “अत: मैं नबिया के पास गया और वह गर्भवती हुई और एक पुत्र को जन्म दिया। तब यहोवा ने मुझसे कहा, ‘उसका नाम महेर-शालाल-हाश-बज़ रख। क्योंकि इसके पूर्व कि वह बालक “पापा-मामा” कहना सीखे, दमिश्‍क की धन-सम्पत्ति और सामरिया की लूट को अश्‍शूर का राजा अपने साथ ले जाएगा।’” (यशायाह 8:3,4, NHT) वह बड़ी पटिया और अभी-अभी जन्मा यह शिशु, दोनों ही इस बात के चिन्ह थे कि अश्‍शूर बहुत जल्द यहूदा पर ज़ुल्म ढानेवाले, अराम और इस्राएल देशों को लूटकर बरबाद कर देगा। कितनी जल्दी? इससे पहले कि यह बालक वे शब्द बोलना सीखे जो आम तौर पर बच्चे सबसे पहले सीखते हैं—“पापा” और “मामा।” ऐसी अचूक भविष्यवाणी से, या तो लोगों का भरोसा यहोवा पर और बढ़ना चाहिए था। या फिर यह हो सकता है कि इस भविष्यवाणी की वजह से कुछ लोग यशायाह और उसके बेटों का ठट्ठा उड़ाने लग जाएँ। चाहे इसका जैसा भी असर हुआ हो, यशायाह की इस भविष्यवाणी का एक-एक शब्द पूरा हुआ।—2 राजा 17:1-6.

25. यशायाह के दिनों और हमारे दिनों के बीच क्या-क्या समानताएँ हैं?

25 यशायाह ने जो बार-बार चेतावनियाँ दी थीं, उनसे मसीही बहुत कुछ सीख सकते हैं। प्रेरित पौलुस ने बताया कि इतिहास की इस घटना में यशायाह, यीशु मसीह को दर्शाता है और यशायाह के पुत्र, यीशु के अभिषिक्‍त चेलों को। (इब्रानियों 2:10-13) पृथ्वी पर अपने अभिषिक्‍त चेलों के ज़रिए, यीशु सच्चे मसीहियों को यह याद दिलाता आया है कि वे इस कठिन समय में ‘जागते रहें।’ (लूका 21:34-36) इसके साथ-साथ, बुरे कामों को न छोड़नेवाले विरोधियों को भी उनके विनाश की चेतावनी दी जा रही है, हालाँकि वे अकसर इसे ठट्ठों में उड़ा देते हैं। (2 पतरस 3:3,4) यशायाह के दिनों के लिए की गयी हर भविष्यवाणी अपने ठहराए हुए वक्‍त पर ठीक-ठीक पूरी हुई। यह इस बात की गारंटी है कि हमारे समय के लिए परमेश्‍वर ने जो ठाना है, वह भी “निश्‍चय पू[रा] हो[गा] और उस में देर न होगी।”—हबक्कूक 2:3.

बरबादी लानेवाली “बाढ़”

26, 27. (क) यशायाह किन घटनाओं की भविष्यवाणी करता है? (ख) आज यहोवा के सेवकों के लिए यशायाह के शब्दों का क्या मतलब है?

26 यशायाह और चेतावनी देता है: “इसलिए कि ये लोग शीलोह के धीरे धीरे बहने वाले जल को त्याग कर रसीन और रमल्याह के पुत्र के साथ आनन्दपूर्वक मिल गए हैं, इसलिए अब देख, प्रभु उन पर फरात महानद की प्रबल और प्रलयंकारी बाढ़ को, अर्थात्‌ अश्‍शूर के राजा को उसके समस्त प्रताप के साथ चढ़ा ले आएगा, और वह सब नदी-नालों से उफनेगा और अपने सब तटों के ऊपर से बहने लगेगा। तब यह बाढ़ यहूदा में चढ़ आएगी, और ऊपर से बह जाएगी तथा बढ़कर उसे गले तक डुबा लेगी। हे इम्मानुएल, तेरा समस्त देश उसके पंखों के फैलने से ढंप जाएगा।”—यशायाह 8:5-8, NHT.

27 उत्तर में इस्राएल राज्य के “ये लोग,” दाऊद के साथ यहोवा की वाचा को तुच्छ समझकर ठुकरा रहे हैं। (2 राजा 17:16-18) उनके लिए यहोवा की यह वाचा यरूशलेम को पानी देनेवाले “शीलोह के धीरे धीरे बहने वाले जल” की धारा की तरह बेजान और कमज़ोर है। यहूदा के खिलाफ युद्ध करके उनका मन फूल उठा है। मगर यहूदा से इतनी जलन रखने की उन्हें ज़रूर सज़ा दी जाएगी। यहोवा, अश्‍शूरियों की “बाढ़” से अराम और इस्राएल को ‘बहा ले जाएगा’ या तहस-नहस कर डालेगा। और आज भी बहुत जल्द, यहोवा झूठे धर्म के पूरे साम्राज्य को राजनीतिक तत्वों की बाढ़ से तहस-नहस कर देगा। (प्रकाशितवाक्य 17:16; दानिय्येल 9:26 से तुलना कीजिए।) उसके बाद, यशायाह कहता है “बाढ़” का उफनता पानी ‘यहूदा में चढ़ आएगा,’ और “गले तक” यानी यरूशलेम तक चढ़ आएगा जहाँ यहूदा का सिर (राजा) राज करता है। * हमारे दिनों में झूठे धर्म का अंत करनेवाली राजनीतिक संस्थाएँ भी यहोवा के सेवकों को घेर लेंगी और उनके “गले तक” चढ़ आएँगी। (यहेजकेल 38:2,10-16) फिर क्या होगा? यशायाह के दिनों में क्या हुआ था? क्या अश्‍शूरी लोग नगर की दीवारों को पार करके परमेश्‍वर के लोगों को बहा ले गए? नहीं। क्योंकि परमेश्‍वर उनके साथ था।

डरो मत—“परमेश्‍वर हमारे संग है”

28. दुश्‍मनों की ज़बरदस्त कोशिशों के बावजूद, यहोवा यहूदा के लोगों को किस बात का यकीन दिलाता है?

28 यशायाह चेतावनी देता है: “हे लोगो, [परमेश्‍वर के चुने हुए लोगों के विरोधी] हल्ला करो तो करो, परन्तु तुम्हारा सत्यानाश हो जाएगा। हे पृथ्वी के दूर दूर देश के सब लोगो कान लगाकर सुनो, अपनी अपनी कमर कसो तो कसो, परन्तु तुम्हारे टुकड़े टुकड़े किए जाएंगे; अपनी कमर कसो तो कसो, परन्तु तुम्हारा सत्यानाश हो जाएगा। तुम युक्‍ति [दिमागी ताकत इस्तेमाल] करो तो करो, परन्तु वह निष्फल हो जाएगी, तुम कुछ भी कहो, परन्तु तुम्हारा कहा हुआ ठहरेगा नहीं, क्योंकि परमेश्‍वर हमारे संग है।” (यशायाह 8:9,10) कुछ साल बाद, परमेश्‍वर का भय माननेवाला, आहाज का बेटा हिजकिय्याह जब यहूदा का राजा बना तब ये वचन पूरे हुए। जब अश्‍शूरी सेना यरूशलेम पर कब्ज़ा करने आयी तब यहोवा के स्वर्गदूत ने उनके 1,85,000 सैनिकों को मार डाला। बेशक, परमेश्‍वर अपने चुने हुए लोगों के और दाऊद के शाही वंश के साथ है। (यशायाह 37:33-37) अरमगिदोन के आनेवाले युद्ध में भी, यहोवा इसी तरह महान इम्मानुएल को भेजेगा ताकि वह न सिर्फ उसके दुश्‍मनों के टुकड़े-टुकड़े करके उनका नामो-निशान मिटा दे बल्कि उन सभी को बचाए जो परमेश्‍वर पर भरोसा रखते हैं।—भजन 2:2,9,12.

29. (क) हिजकिय्याह के दिनों के यहूदियों और आहाज के ज़माने के यहूदियों के बीच क्या फर्क है? (ख) आज यहोवा के सेवक, धर्म और राजनीति से जुड़ी किसी भी संस्था पर भरोसा क्यों नहीं रखते?

29 जैसे हिजकिय्याह के दिनों के यहूदियों को यहोवा पर भरोसा था, वैसा आहाज के ज़माने के यहूदियों में नहीं था। उन्होंने अराम और इस्राएल की जोड़ी से बचने के लिए, अश्‍शूरियों की शरण ली या उनके साथ एक “षड्यन्त्र” रचा। मगर, यहोवा की “सामर्थ” यशायाह को ‘इन लोगों की चाल’ या लोगों के चलन के खिलाफ गवाही देने के लिए उकसाती है। वह आगाह करता है: “जिस बात से ये डरते हैं उस से तू न तो डरना और न भय खाना। तू सेनाओं के यहोवा को ही पवित्र मानना। वही तेरे भय का कारण हो और तू उसी का भय मानना।” (यशायाह 8:11-13, NHT) इस बात को ध्यान में रखते हुए, आज यहोवा के सेवक, धर्म और राजनीति से जुड़ी किसी भी संस्था के साथ मिलकर षड्यंत्र नहीं करते और ना ही उन पर भरोसा रखते हैं। यहोवा के सेवकों को पूरा भरोसा है कि परमेश्‍वर उनकी हिफाज़त कर सकता है। और क्यों ना हो, अगर ‘यहोवा हमारी ओर है, तो मनुष्य हमारा क्या कर सकता है?’—भजन 118:6.

30. जो यहोवा पर भरोसा नहीं रखते, उनका क्या हश्र होगा?

30 यशायाह फिर से दोहराता है कि जो कोई यहोवा पर भरोसा रखता है, वह उसके लिए “शरणस्थान” साबित होगा। मगर जो उसे ठुकरा देते हैं, वे “ठोकर खाएंगे; वे गिरेंगे और चकनाचूर होंगे; वे फन्दे में फसेंगे और पकड़े जाएंगे।” इन पाँचों अंजामों से साफ पता लगता है कि यहोवा पर भरोसा न रखनेवालों का क्या हश्र होगा। (यशायाह 8:14,15) पहली सदी में, जिन लोगों ने यीशु को ठुकरा दिया था उन्होंने भी इसी तरह ठोकर खाई और वे नाश हुए। (लूका 20:17,18) आज ऐसा ही अंजाम उन लोगों का होना है जो स्वर्ग में विराजमान राजा यीशु मसीह की हुकूमत को स्वीकार नहीं करते।—भजन 2:5-9.

31. आज सच्चे मसीही कैसे यशायाह की और उसका उपदेश सुननेवालों की मिसाल पर चल सकते हैं?

31 यशायाह के दिनों में सभी ने ठोकर नहीं खायी थी। यशायाह कहता है: “चितौनी का पत्र बन्द कर दो, मेरे चेलों के बीच शिक्षा पर छाप लगा दो। मैं उस यहोवा की बाट जोहता रहूंगा जो अपने मुख को याकूब के घराने से छिपाये है, और मैं उसी पर आशा लगाए रहूंगा।” (यशायाह 8:16,17) हालाँकि यशायाह के अपने ही जाति-भाई, परमेश्‍वर पर भरोसा ना करते हुए उसके विरुद्ध जाते हैं, और इसलिए यहोवा उनसे अपना मुख फेर लेता है। फिर भी, यशायाह और उसका उपदेश सुननेवाले परमेश्‍वर की शिक्षा को नहीं त्यागते। वे यहोवा पर अपना भरोसा कायम रखते हैं। आइए हम यहोवा पर भरोसा रखनेवाले ऐसे लोगों की मिसाल पर चलें और उनकी तरह जी-जान से शुद्ध उपासना करते रहने का संकल्प करें!—दानिय्येल 12:4,9; मत्ती 24:45. इब्रानियों 6:11,12 से तुलना कीजिए।

“चिन्ह” और “चमत्कार”

32. (क) आज कौन लोग “चिन्ह और चमत्कार” का काम कर रहे हैं? (ख) मसीहियों को दुनिया से अलग क्यों नज़र आना चाहिए?

32 यशायाह अब यह ऐलान करता है: “देख, मैं और जो लड़के यहोवा ने मुझे सौंपे हैं, उसी सेनाओं के यहोवा की ओर से जो सिय्योन पर्वत पर निवास किए रहता है इस्राएलियों के लिये चिन्ह और चमत्कार हैं।” (यशायाह 8:18) जी हाँ, यशायाह, शार्याशूब और महेर-शालाल-हाश-बज़ इस बात के चिन्ह हैं कि यहोवा, यहूदा देश के लिए क्या करनेवाला है। उसी तरह आज, यीशु और उसके अभिषिक्‍त भाई भी लोगों के लिए चिन्ह का काम कर रहे हैं। (इब्रानियों 2:11-13) और अब उनके इस काम में ‘अन्य भेड़ों’ की एक “बड़ी भीड़” भी हाथ बँटा रही है। (यूहन्‍ना 10:16, NW; प्रकाशितवाक्य 7:9,14) बेशक, एक चिन्ह या निशानी का फायदा तभी होगा जब वह आसपास की चीज़ों से अलग नज़र आए और साफ दिखायी दे। उसी तरह, मसीहियों को भी दुनिया के सामने चिन्ह होना है। लेकिन वे सिर्फ तभी ऐसे हो पाएँगे जब वे इस दुनिया से साफ अलग नज़र आएँगे, यहोवा पर पूरा भरोसा रखेंगे और हिम्मत से उसके मकसदों के बारे में दूसरों को बताएँगे।

33. (क) सच्चे मसीहियों ने क्या करने की ठानी है? (ख) सच्चे मसीही क्यों अपनी जगह पर अटल खड़े रह पाएँगे?

33 तो फिर, आइए हम सभी परमेश्‍वर के आदर्शों पर चलें, न कि इस दुनिया के। जैसे चिन्ह और निशानियाँ होती हैं, वैसे ही दुनिया से अलग होने की हिम्मत रखिए और महान यशायाह, यीशु मसीह को दिए काम को आगे बढ़ाते रहिए यानी “यहोवा के प्रसन्‍न रहने के वर्ष का और . . . पलटा लेने के दिन का प्रचार” करते रहिए। (यशायाह 61:1,2; लूका 4:17-21) बेशक, जब आज के ज़माने में अश्‍शूरियों की बाढ़ सारी पृथ्वी पर फैल जाएगी और हमारे गले तक पहुँच जाएगी, तो भी यह सच्चे मसीहियों को बहाकर नहीं ले जा सकेगी। हम अपनी जगह पर अटल खड़े रहेंगे क्योंकि “परमेश्‍वर हमारे संग है।”

[फुटनोट]

^ पैरा. 9 इस भविष्यवाणी की पूर्ति के बारे में ज़्यादा जानकारी पाने के लिए इंसाइट ऑन द स्क्रिप्चर्स्‌, पहला भाग, पेज 62 और 758 देखिए। इसे वॉच टावर बाइबल एण्ड ट्रैक्ट सोसाइटी ने प्रकाशित किया है।

^ पैरा. 27 अश्‍शूर की तुलना एक ऐसे पक्षी से भी की गयी है ‘जिसके पंखों के फैलने से समस्त देश ढंप जाता’ है। जहाँ तक देश का इलाका होगा वहाँ तक अश्‍शूर की सेनाएँ फैल जाएँगी।

[अध्ययन के लिए सवाल]

[पेज 103 पर तसवीर]

आहाज को यहोवा का संदेश सुनाते वक्‍त, यशायाह अपने साथ शार्याशूब को ले गया

[पेज 111 पर तसवीर]

यशायाह ने एक बड़ी पटिया पर “महेर-शालाल-हाश-बज़” क्यों लिखा?