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“मेरी प्रजा को शान्ति दो”

“मेरी प्रजा को शान्ति दो”

तीसवाँ अध्याय

“मेरी प्रजा को शान्ति दो”

यशायाह 40:1-31

1. कौन-सा एक तरीका है जिससे यहोवा हमें शांति देता है?

यहोवा “शान्ति का दाता परमेश्‍वर” है। एक तरीका जिससे वह हमें शांति देता है या हमारा ढाढ़स बँधाता है वह है, उसके वादे जो उसने अपने वचन में लिखवाए हैं। (रोमियों 15:4,5) मिसाल के तौर पर, जब आपके किसी अज़ीज़ की मौत हो जाती है, तब आपको इससे ज़्यादा शांति और किस बात से मिलेगी कि एक दिन वह परमेश्‍वर की नयी दुनिया में फिर से जी उठेगा? (यूहन्‍ना 5:28,29) और क्या यहोवा के इस वादे से हमें शांति नहीं मिलती कि वह बहुत जल्द दुष्टता का अंत करेगा और इस पृथ्वी को एक फिरदौस बना देगा? क्या इस आशा से आपको खुशी नहीं होती कि आप उस आनेवाले फिरदौस में पहुँच पाएँगे और आपको कभी-भी मौत का मुँह नहीं देखना पड़ेगा?—भजन 37:9-11,29; प्रकाशितवाक्य 21:3-5.

2. हम परमेश्‍वर के वादों पर भरोसा क्यों रख सकते हैं?

2 क्या हम परमेश्‍वर के वादों पर वाकई भरोसा रख सकते हैं? बेशक रख सकते हैं! जिसने ये वादे किए हैं, वह सौ-फीसदी भरोसे के लायक है। वह अपने वादे को पूरा करने की न सिर्फ ताकत रखता है बल्कि वह हर हाल में इन्हें पूरा करना भी चाहता है। (यशायाह 55:10,11) इस बात का बहुत ही ज़बरदस्त सबूत हमें यहोवा के उस ऐलान से मिलता है, जिसमें उसने भविष्यवक्‍ता यशायाह के ज़रिए बताया कि वह यरूशलेम में फिर से सच्ची उपासना शुरू करके रहेगा। आइए हम उस भविष्यवाणी पर ध्यान दें जो यशायाह के अध्याय 40 में लिखी है। ऐसा करने से यहोवा पर हमारा विश्‍वास और भी मज़बूत होगा क्योंकि वह वादों को पूरा करनेवाला परमेश्‍वर है।

शांति देनेवाला एक वादा

3, 4. (क) यशायाह शांति देनेवाले कौन-से वचन लिखता है जिनकी बाद में यहोवा के लोगों को सख्त ज़रूरत पड़ती? (ख) यहूदा और यरूशलेम के निवासियों को बाबुल क्यों ले जाया जाएगा और वे कितने समय तक गुलाम बने रहेंगे?

3 सामान्य युग पूर्व आठवीं सदी में, भविष्यवक्‍ता यशायाह शांति देनेवाले ऐसे वचन लिखता है जिनकी यहोवा के लोगों को बाद में सख्त ज़रूरत होगी। हमने देखा कि यशायाह ने, राजा हिजकिय्याह को यरूशलेम पर आनेवाले विनाश और यहूदियों के बाबुल ले जाए जाने के बारे में बताया। इसके तुरंत बाद यशायाह, यहोवा का वचन सुनाता है, जो देश के फिर से बसाए जाने के बारे में यकीन दिलाता है: “तुम्हारा परमेश्‍वर यह कहता है, मेरी प्रजा को शान्ति दो, शान्ति! यरूशलेम से शान्ति की बातें कहो; और उस से पुकारकर कहो कि तेरी कठिन सेवा पूरी हुई है, तेरे अधर्म का दण्ड अंगीकार किया गया [“तूने अपने अपराधों की कीमत दे दी,” ईज़ी-टू-रीड वर्शन] है: यहोवा के हाथ से तू अपने सब पापों का . . . दण्ड पा चुका है।”यशायाह 40:1,2.

4यशायाह के 40वें अध्याय के पहले वाक्य में ही शब्द “शान्ति” आता है। यही वह शब्द है जो यशायाह की बाकी किताब में दिए गए उजियाले और आशा के संदेश का वर्णन करने के लिए बिलकुल ठीक है। यहूदा और यरूशलेम के लोगों ने यहोवा को छोड़ दिया है, इसलिए उन्हें सा.यु.पू. 607 में गुलाम बनाकर बाबुल ले जाया जाएगा। मगर ये यहूदी बंधुए सदा के लिए बाबुल की गुलामी नहीं करेंगे। वे सिर्फ तब तक गुलाम रहेंगे जब तक कि वे अपने अपराधों की “कीमत” न चुका दें। और उन्हें यह कीमत कब तक चुकानी होगी? भविष्यवक्‍ता यिर्मयाह के मुताबिक 70 साल तक। (यिर्मयाह 25:11,12) उसके बाद, पश्‍चाताप करनेवाले बचे हुए यहूदियों को यहोवा बाबुल से वापस यरूशलेम ले आएगा। यहूदा के विनाश के 70वें साल में, बंधुओं को यह जानकर कितनी शांति मिलेगी कि जिस छुटकारे का वादा यहोवा ने उनसे किया था, वह बस पूरा होने ही वाला है!—दानिय्येल 9:1,2.

5, 6. (क) बाबुल से यरूशलेम का लंबा सफर, परमेश्‍वर का वादा पूरा होने में बाधा क्यों नहीं बनेगा? (ख) यहूदियों के अपने वतन वापस लौटने से दूसरी जातियों पर क्या असर होगा?

5 बाबुल से यरूशलेम जाने के लिए अलग-अलग रास्तों का सफर करीब 800 से 1,600 किलोमीटर लंबा है। क्या इस लंबे सफर की वजह से परमेश्‍वर का वादा पूरा नहीं होगा? बिलकुल नहीं! यशायाह लिखता है: “किसी की पुकार सुनाई देती है, जंगल में यहोवा का मार्ग सुधारो, हमारे परमेश्‍वर के लिये अराबा में एक राजमार्ग चौरस करो। हर एक तराई भर दी जाए और हर एक पहाड़ और पहाड़ी गिरा दी जाए; जो टेढ़ा है वह सीधा और जो ऊंचा-नीचा है वह चौरस किया जाए। तब यहोवा का तेज प्रगट होगा और सब प्राणी उसको एक संग देखेंगे; क्योंकि यहोवा ने आप ही ऐसा कहा है।”—यशायाह 40:3-5.

6 सफर शुरू करने से पहले, पूर्वी देशों के राजा अकसर अपने आदमियों को रास्ता तैयार करने के लिए भेजा करते थे। वे बड़े-बड़े पत्थर हटाते थे, और-तो-और कई पुल भी बनाते थे और पहाड़ियों को समतल किया जाता था। लौटनेवाले यहूदियों के मामले में, मानो परमेश्‍वर खुद उनके आगे-आगे चलेगा और आनेवाली हर बाधा को हटा देगा। और ऐसा क्यों न हो, आखिरकार वे यहोवा का नाम धारण करनेवाले लोग हैं और जब वह उन्हें उनके वतन लौटा ले आने का अपना वादा पूरा करेगा तो इससे सब जातियों के सामने उसी की महिमा होगी। चाहे उन जातियों को यह बात पसंद आए या न आए, उन्हें कबूल करना पड़ेगा कि यहोवा अपने वादे निभानेवाला परमेश्‍वर है।

7, 8. (क) यशायाह 40:3 के शब्द, पहली सदी में कैसे पूरे हुए? (ख) सन्‌ 1919 में यशायाह की भविष्यवाणी बड़े पैमाने पर कैसे पूरी हुई?

7 इस भविष्यवाणी की पूर्ति सिर्फ सा.यु.पू. छठी सदी में उस वक्‍त ही नहीं हुई जब यहूदी अपने देश में फिर से बस गए थे। बल्कि पहली सदी में भी इस भविष्यवाणी की पूर्ति हुई। उस वक्‍त “जंगल में एक पुकारनेवाले का शब्द,” यूहन्‍ना बपतिस्मा देनेवाले की आवाज़ थी जिससे यशायाह 40:3 की पूर्ति हुई। (लूका 3:1-6) ईश्‍वर-प्रेरणा पाकर यूहन्‍ना बपतिस्मा देनेवाले ने यशायाह के ये शब्द खुद पर लागू किए। (यूहन्‍ना 1:19-23) यूहन्‍ना ने सा.यु. 29 से यीशु मसीह के लिए रास्ता तैयार करना शुरू किया। * यूहन्‍ना ने वादा किए मसीहा के आने से पहले ही उसके बारे में ऐलान करके लोगों को तैयार किया, ताकि वे मसीहा की सुनें और उसके शिष्य बनें। (लूका 1:13-17,76) यीशु के ज़रिए, यहोवा प्रायश्‍चित्त करनेवालों को वह आज़ादी दिलाएगा जो सिर्फ परमेश्‍वर का राज्य दे सकता है, यानी पाप और मृत्यु की गुलामी से छुटकारा। (यूहन्‍ना 1:29; 8:32) यशायाह के शब्द, बड़े पैमाने पर सन्‌ 1919 में पूरे हुए जब आत्मिक इस्राएल के बचे हुए जनों को बड़े बाबुल की कैद से छुड़ाया गया और उन्होंने फिर से शुद्ध उपासना की शुरूआत की।

8 लेकिन, जिन लोगों पर इस भविष्यवाणी की पहली पूर्ति होनी है यानी बाबुल की बंधुआई में पड़े यहूदियों के बारे में क्या? क्या वे सचमुच यहोवा के वादे पर भरोसा रख सकते थे कि वह उन्हें अपने प्यारे वतन वापस ले जाएगा? बिलकुल, वे भरोसा रख सकते हैं! रोज़मर्रा ज़िंदगी से मिसालें लेकर और स्पष्ट शब्दों में, यशायाह अब कुछ ऐसे कारण बताता है जिन्हें देखकर ये लोग इस बात का पूरा भरोसा रख सकते थे कि यहोवा हर हाल में अपना वचन पूरा करेगा।

परमेश्‍वर जिसका वचन सदा तक अटल रहेगा

9, 10. इंसान के जीवन की नश्‍वरता और परमेश्‍वर के “वचन” की अटलता के बीच यशायाह फर्क कैसे बताता है?

9 पहला कारण यह है कि जिस परमेश्‍वर ने उनकी वापसी का वादा किया है उसका वचन सदा तक अटल रहता है। यशायाह लिखता है: “बोलनेवाले का वचन सुनाई दिया, प्रचार कर! मैं ने कहा, मैं क्या प्रचार करूं? सब प्राणी घास हैं, उनकी शोभा मैदान के फूल के समान है। जब यहोवा की सांस उस पर चलती है, तब घास सूख जाती है, और फूल मुर्झा जाता है; नि:सन्देह प्रजा घास है। घास तो सूख जाती, और फूल मुर्झा जाता है; परन्तु हमारे परमेश्‍वर का वचन सदैव अटल रहेगा।”—यशायाह 40:6-8.

10 इस्राएली यह अच्छी तरह जानते हैं कि घास ज़्यादा देर नहीं टिकती और बहुत जल्द मुर्झा जाती है। सूखे मौसम में, सूरज की तेज़ धूप से इसका रंग उड़ जाता है और यह झुलसकर सूख जाती है। कुछ हद तक इंसान की ज़िंदगी भी घास की तरह बस कुछ ही पल की होती है। (भजन 103:15,16; याकूब 1:10,11) यशायाह यहाँ इंसान के जीवन की नश्‍वरता और परमेश्‍वर के “वचन” या उसके ज़ाहिर किए गए मकसद की अटलता के बीच फर्क बताता है। जी हाँ, “हमारे परमेश्‍वर का वचन” सदा तक कायम रहेगा। जब परमेश्‍वर बोलता है, तब ऐसा कुछ नहीं है जो उसके वचनों को खारिज कर सके या उन्हें पूरा होने से रोक सके।—यहोशू 23:14.

11. हम क्यों यह भरोसा रख सकते हैं कि यहोवा अपने लिखित वचन में दिए वादों को ज़रूर पूरा करेगा?

11 यहोवा ने अपने मकसद के बारे में जो कहा है, वह आज हमारे पास बाइबल के रूप में मौजूद है। सदियों से बाइबल का कड़ा विरोध किया गया है और इसे बचाने के लिए साहसी अनुवादकों और दूसरे लोगों ने अपनी जान तक दाँव पर लगा दी। फिर भी, सिर्फ उनकी मेहनत की वजह से, आज बाइबल बचकर हम तक नहीं आयी। इसके आज तक कायम रहने का सारा श्रेय यहोवा को जाता है, जो ‘जीवता और सदा ठहरनेवाला परमेश्‍वर’ है और अपने वचन का रखवाला है। (1 पतरस 1:23-25) ज़रा सोचिए, अगर यहोवा ने अपने लिखित वचन को आज तक बचाए रखा है, तो क्या हमें यह भरोसा नहीं रख सकते कि वह इसमें लिखे अपने वादों को भी पूरा करेगा?

सार्मथी परमेश्‍वर जो अपनी भेड़ों की बड़े प्यार से देखभाल करता है

12, 13. (क) बहाली के वादे पर भरोसा क्यों किया जा सकता है? (ख) यहूदी बंधुओं के लिए क्या खुशखबरी है, और वे इस पर क्यों भरोसा रख सकते हैं?

12 यशायाह अब बहाली के वादे पर भरोसा रखने का दूसरा कारण बताता है। जिसने यह वादा किया है, वह एक सामर्थी परमेश्‍वर है और वह अपने लोगों की बड़े प्यार से देखभाल करता है। यशायाह आगे कहता है: “हे सिय्योन को शुभ समाचार सुनानेवाली, ऊंचे पहाड़ पर चढ़ जा; हे यरूशलेम को शुभ समाचार सुनानेवाली, बहुत ऊंचे शब्द से सुना, ऊंचे शब्द से सुना, मत डर; यहूदा के नगरों से कह, अपने परमेश्‍वर को देखो! देखो, प्रभु यहोवा सामर्थ दिखाता हुआ रहा है, वह अपने भुजबल से प्रभुता करेगा; देखो, जो मज़दूरी देने की है वह उसके पास है और जो बदला देने का है वह उसके हाथ में है। वह चरवाहे की नाईं अपने झुण्ड को चराएगा, वह भेड़ों के बच्चों को अंकवार में लिए रहेगा और दूध पिलानेवालियों को धीरे-धीरे ले चलेगा।”—यशायाह 40:9-11.

13 बाइबल के ज़माने में आम तौर पर स्त्रियाँ, बड़े ज़ोर से पुकारकर या गीत गाकर लड़ाइयों में जीत की खबर या आनेवाले छुटकारे की खुशखबरी सुनाकर खुशियाँ मनाती थीं। (1 शमूएल 18:6,7; भजन 68:11) यशायाह, भविष्यवाणी के ज़रिए बताता है कि यहूदी बंधुओं के लिए एक खुशखबरी है, ऐसी खबर जो निडरता से, ज़ोर-ज़ोर से चिल्लाकर यहाँ तक कि पहाड़ियों की चोटियों से भी सुनायी जा सकती है—यहोवा अपने लोगों के आगे-आगे चलकर उनके प्यारे यरूशलेम वापस ले जाएगा! वे भरोसा रख सकते हैं क्योंकि यहोवा “सामर्थ दिखाता हुआ” आएगा। इसलिए, उसे अपना वादा पूरा करने से कोई नहीं रोक सकता।

14. (क) यहोवा अपने लोगों को जिस तरह प्यार से ले चलता है, उसका उदाहरण यशायाह ने कैसे दिया? (ख) कौन-सी मिसाल दिखाती है कि चरवाहे अपनी भेड़ों की बड़े प्यार से देखभाल करते हैं? (पेज 405 पर बक्स देखिए।)

14 मगर, इस सामर्थी और शक्‍तिशाली परमेश्‍वर में कोमलता की खूबी भी है। यशायाह प्यार-भरे शब्दों में बताता है कि कैसे यहोवा अपने लोगों को उनके वतन तक पहुँचाएगा। यहोवा एक ऐसे प्रेममय चरवाहे जैसा है जो अपने मेम्नों को इकट्ठा करके उन्हें अपनी “अंकवार” या गोद में लेकर चलता है। यहाँ “अंकवार” शब्द का मतलब है, कपड़े की ऊपरी सलवटें। कभी-कभी चरवाहे नए जन्मे मेम्नों को इसी तरह लेकर चलते थे, क्योंकि ये छोटे मेम्ने बाकी झुंड के साथ तेज़ नहीं चल पाते थे। (2 शमूएल 12:3) गड़ेरियों की ज़िंदगी में ऐसा मर्मस्पर्शी नज़ारा, बंधुआई में पड़े यहोवा के लोगों को यकीन दिलाता है कि यहोवा उनसे बेहद प्यार करता है और उसे उनकी परवाह है। बेशक, ऐसे सामर्थी मगर प्यार दिखानेवाले परमेश्‍वर पर भरोसा किया जा सकता है कि वह अपना वादा हर हाल में पूरा करेगा!

15. (क) यहोवा “सामर्थ दिखाता हुआ” कब आया, और वह जिस ‘भुजबल से प्रभुता करता’ है, वह कौन है? (ख) किस खुशखबरी का निडरता से ऐलान किया जाना चाहिए?

15 यशायाह के इन शब्दों में आज हमारे ज़माने के लिए भी एक खास भविष्यवाणी है। सन्‌ 1914 में, यहोवा “सामर्थ दिखाता हुआ” आया और उसने स्वर्ग में अपना राज्य कायम किया। वह जिस “भुजबल से प्रभुता करेगा” वह उसका बेटा, यीशु मसीह है जिसे यहोवा ने अपने स्वर्गीय सिंहासन पर बिठाया है। सन्‌ 1919 में, यहोवा ने पृथ्वी पर अपने अभिषिक्‍त सेवकों को बड़े बाबुल की बंधुआई से छुड़ाया और उन्हें तैयार किया, जिससे जीवते और सच्चे परमेश्‍वर की शुद्ध उपासना पूरी तरह से बहाल हुई। यह ऐसी खुशखबरी है जिसका ऐलान निडरता से किया जाना चाहिए, मानो पहाड़ों की चोटियों पर चढ़कर इसका ऐलान किया जाना चाहिए ताकि दूर-दूर तक यह सुनायी दे। तो फिर, आइए हम साहस के साथ अपनी बुलंद आवाज़ में दूसरों के सामने ऐलान करें कि यहोवा परमेश्‍वर ने इस पृथ्वी पर अपनी शुद्ध उपासना को बहाल किया है!

16. आज यहोवा किस तरीके से अपने लोगों की अगुवाई कर रहा है, और उसने कौन-सी मिसाल कायम की है?

16यशायाह 40:10,11 के शब्द हमारे दिनों पर भी लागू होते हैं। इस जानकारी से कितनी तसल्ली मिलती है कि यहोवा अपने लोगों की बड़े प्यार से अगुवाई करता है। जैसे एक चरवाहा अपनी हर भेड़ की और उन मेम्नों की भी ज़रूरत को समझता है जो बाकी झुंड के साथ नहीं चल पाते, वैसे ही यहोवा अपने हर वफादार सेवक की सीमाओं को जानता है। इसके अलावा, करुणामयी चरवाहे के तौर पर यहोवा ने, आज मसीही चरवाहों के लिए एक मिसाल कायम की है। प्राचीनों को झुंड के साथ बड़े प्यार से पेश आना चाहिए और झुंड के लिए वैसी ही प्यार-भरी चिंता दिखानी चाहिए जैसी खुद यहोवा दिखाता है। उन्हें हमेशा यह याद रखना चाहिए कि यहोवा अपने झुंड के हर सदस्य के बारे में “जिसे उसने अपने प्रिय पुत्र के रक्‍त से प्राप्त किया है,” कैसा महसूस करता होगा।—प्रेरितों 20:28, नयी हिन्दी बाइबिल।

सबसे ताकतवर, सबसे बुद्धिमान

17, 18. (क) यहूदी बंधुए क्यों भरोसा रख सकते हैं कि उन्हें अपने देश में बहाल किया जाएगा? (ख) यशायाह ने हैरत में डाल देनेवाले कौन-से सवाल पूछे?

17 यहूदी बंधुए पूरा भरोसा रख सकते हैं कि उन्हें अपने देश में बहाल किया जाएगा क्योंकि परमेश्‍वर के पास इतनी ताकत और बुद्धि है जितनी किसी के पास नहीं है। यशायाह कहता है: “किस ने महासागर को चुल्लू से मापा और किस के वित्ते से आकाश का नाप हुआ, किस ने पृथ्वी की मिट्टी को नपवे में भरा और पहाड़ों को तराजू में और पहाड़ियों को कांटे में तौला है? किस ने यहोवा की आत्मा को मार्ग बताया वा उसका मन्त्री होकर उसको ज्ञान सिखाया है? उस ने किस से सम्मति ली और किस ने उसे समझाकर न्याय का पथ बता दिया और ज्ञान सिखाकर बुद्धि का मार्ग जता दिया है?”—यशायाह 40:12-14.

18 हैरत में डाल देनेवाले इन सवालों पर यहूदी बंधुओं को विचार करना चाहिए। क्या अदना-सा इंसान विशाल महासागर में चढ़ते ज्वारभाटे को पीछे धकेल सकता है? हरगिज़ नहीं! मगर, यहोवा के लिए सारी पृथ्वी के सागर मिलकर भी ऐसे हैं जैसे हथेली पर पानी की एक बूँद। * क्या पिद्दा-सा इंसान, तारों से भरे विशाल आसमान को नाप सकता है या क्या वह पृथ्वी के पहाड़ों और पहाड़ियों को तराज़ू में रखकर तौल सकता है? नहीं। मगर यहोवा आकाश को इतनी आसानी से नाप सकता है जैसे कोई मनुष्य अपनी बालिश्‍त या बित्ते—हाथों की उंगलियों को फैलाने पर अंगूठे के सिरे से छोटी उंगली के सिरे तक दूरी—से किसी चीज़ को नाप ले। दरअसल, परमेश्‍वर पहाड़ों और पहाड़ियों को मानो तराज़ू में तौल सकता है। क्या दुनिया का सबसे बुद्धिमान व्यक्‍ति परमेश्‍वर को सलाह दे सकता है कि उसे मौजूदा हालात को देखते हुए क्या करना चाहिए या भविष्य में क्या करना चाहिए? नहीं, हरगिज़ नहीं!

19, 20. यहोवा की महानता दिखाने के लिए, यशायाह किस तरह की जीती-जागती मिसालें देता है?

19 दुनिया के शक्‍तिशाली देशों के बारे में क्या कहा जा सकता है? जब परमेश्‍वर अपना वादा पूरा करने जा रहा हो, तब क्या वे उसे रोक सकेंगे? इस सवाल का जवाब देते हुए यशायाह बताता है कि ये सारे देश यहोवा की नज़र में कैसे हैं: “देखो, जातियां तो डोल की एक बून्द वा पलड़ों पर की धूलि के तुल्य ठहरीं; देखो, वह द्वीपों को धूलि के किनकों सरीखे उठाता है। लबानोन भी ईंधन के लिये थोड़ा होगा और उस में के जीव-जन्तु होमबलि के लिये बस न होंगे। सारी जातियां उसके साम्हने कुछ नहीं हैं, वे उसकी दृष्टि में लेश और शून्य से भी घट ठहरीं हैं।”—यशायाह 40:15-17.

20 यहोवा के सामने सारी जातियाँ और देश तो ऐसे हैं जैसे एक बाल्टी से गिरनेवाली पानी की एक बूंद। वे उस महीन धूल से ज़्यादा और कुछ नहीं हैं जो तराज़ू के पलड़ों पर बैठ जाती है, और जो ना होने के बराबर है। * मान लीजिए कि कोई एक विशालकाय वेदी बनाए और वह लबानोन की पहाड़ियों के तमाम पेड़ों की लकड़ियाँ उस पर रख दे और लबानोन के सारे जानवरों को बलि करके उस वेदी पर चढ़ाए तो भी ऐसी भेंट पर यहोवा नज़र नहीं करता। मानो जो मिसालें अब तक बताई गयी हैं, वे काफी नहीं हैं कि यशायाह इससे भी ज़बरदस्त बात कहता है—सारी जातियाँ यहोवा की नज़र में “शून्य से भी घट ठहरी हैं।”—यशायाह 40:17.

21, 22. (क) यशायाह कैसे इस बात पर ज़ोर देता है कि यहोवा बेजोड़ है? (ख) यशायाह की ज़बरदस्त मिसालों को पढ़कर हम किस नतीजे पर पहुँचते हैं? (ग) भविष्यवक्‍ता यशायाह ने कौन-सी बात लिखी जो विज्ञान के मुताबिक बिलकुल सही है? (पेज 412 पर बक्स देखिए।)

21 इस बात पर और ज़ोर देने के लिए कि यहोवा की बराबरी कोई कर ही नहीं सकता, यशायाह उन लोगों की मूर्खता पर ध्यान दिलाता है जो सोने, चाँदी या लकड़ियों की मूरतें बनाते हैं। यह सोचना कितनी बड़ी बेवकूफी है कि इस तरह की कोई मूर्ति उसका प्रतिरूप हो सकती है “जो पृथ्वी के घेरे के ऊपर . . . विराजमान है,” और जो इसके निवासियों पर हुकूमत करता है!यशायाह 40:18-24 पढ़िए।

22 इन सारी ज़बरदस्त मिसालों से हम एक ही नतीजे पर पहुँचते हैं—ऐसी कोई चीज़ नहीं है जो सबसे ताकतवर, सबसे बुद्धिमान और बेजोड़ परमेश्‍वर यहोवा को उसका वादा पूरा करने से रोक सके। यशायाह के इन शब्दों से बाबुल में रहनेवाले यहूदी बंधुओं को कितनी शांति, कितनी हिम्मत मिली होगी जो अपने वतन वापस लौटने के लिए तरस रहे थे! आज हम भी पूरा भरोसा रख सकते हैं कि हमारे भविष्य के बारे में यहोवा के वादे ज़रूर पूरे होंगे।

“किस ने इनको सिरजा?”

23. किस बात से यहूदी बंधुओं को हिम्मत मिल सकती है, और अब यहोवा अपनी किस काबिलीयत पर ध्यान दिलाता है?

23 एक और कारण है जिससे यहूदी बंधुओं को हिम्मत मिल सकती है। जिसने छुटकारा दिलाने का उनसे वादा किया है, वह सब वस्तुओं का सिरजनहार है और वह असीम सामर्थ का मालिक है। अपनी अनोखी काबिलीयत पर ध्यान दिलाने के लिए, यहोवा अपनी उस सामर्थ के बारे में बताता है जो उसकी सृष्टि से ज़ाहिर होती है: “सो तुम मुझे किस के समान बताओगे कि मैं उसके तुल्य ठहरूं? उस पवित्र का यही वचन है। अपनी आंखें ऊपर उठाकर देखो, किस ने इनको सिरजा? वह इन गणों को गिन गिनकर निकालता, उन सब को नाम ले लेकर बुलाता है? वह ऐसा सामर्थी और अत्यन्त बली है कि उन में से कोई बिना आए नहीं रहता।”—यशायाह 40:25,26.

24. अपने लिए खुद बोलते हुए यहोवा कैसे दिखाता है कि उसकी बराबरी कोई नहीं कर सकता?

24 इस्राएल का पवित्र अपने लिए खुद बात कर रहा है। यह दिखाने के लिए कि उसकी बराबरी कोई नहीं कर सकता, यहोवा आकाश के तारों की तरफ ध्यान दिलाता है। जैसे एक सेनापति अपने सैनिकों को उनकी अपनी-अपनी जगह पर तैनात करता है, उसी तरह यहोवा ने तारों को तैनात किया है। अगर वह उनको इकट्ठा करना चाहे, तो ‘उन में से कोई बिना आए नहीं रहेगा।’ तारों की गिनती अनगिनत होने पर भी यहोवा उनमें से हरेक को उसका नाम लेकर पुकारता है, जिसका मतलब है या तो हर तारे का नाम हो सकता है या कोई उपाधि। आज्ञा माननेवाले सैनिकों की तरह, वे अपनी-अपनी जगह पर तैनात रहते हैं और सही क्रम में चलते रहते हैं, क्योंकि उनका सेनापति “सामर्थी और अत्यन्त बली है।” इसलिए, यहूदी बंधुओं को भरोसा रखना चाहिए। जो सिरजनहार तारों को आज्ञा दे सकता है, उसके पास अपने सेवकों को सहारा देने के लिए अपार शक्‍ति भी होगी।

25. यशायाह 40:26 में परमेश्‍वर के इस बुलावे का जवाब हम कैसे देंगे, और इसका हम पर क्या असर होना चाहिए?

25 हम में से कौन है जो यशायाह 40:26 में परमेश्‍वर के इस बुलावे को स्वीकार न करेगा: “अपनी आंखें ऊपर उठाकर देखो”? आज के ज़माने के खगोल-विज्ञानियों की खोज ने दिखाया है कि हमारा तारों-भरा आकाश, यशायाह के दिनों में जितना नज़र आता था, उससे कहीं ज़्यादा विस्मयकारी है। खगोल-विज्ञानी, जो अपनी शक्‍तिशाली दूरबीनों से आकाश का नज़ारा देखते हैं, उन्होंने अनुमान लगाया है कि विश्‍वमंडल में जहाँ तक नज़र जा सकती है उसमें 125 खरब मंदाकिनियाँ पायी जाती हैं। और कुछ अनुमानों के मुताबिक, इनमें से सिर्फ एक मंदाकिनी यानी हमारी दुग्ध मेखला मंदाकिनी में 100 खरब से ज़्यादा तारे पाए जाते हैं! यह जानकर हमारे दिलों में अपने सिरजनहार के लिए ज़रूर गहरी श्रद्धा पैदा होनी चाहिए और हमें उसके वादों पर पूरा भरोसा रखना चाहिए।

26, 27. बाबुल की बंधुआई में रहनेवालों की भावनाएँ कैसे ज़ाहिर की गयी हैं, और उन्हें किन बातों का पता होना चाहिए?

26 यहोवा यह जानता है कि सालों तक गुलामी में रहने की वजह से यहूदियों की हिम्मत टूट जाएगी, इसलिए वह उनका ढाढ़स बँधाने देने के लिए पहले ही यशायाह को ये शब्द लिखने के लिए प्रेरित करता है: “हे याकूब, तू क्यों कहता है, हे इस्राएल तू क्यों बोलता है, मेरा मार्ग यहोवा से छिपा हुआ है, मेरा परमेश्‍वर मेरे न्याय की कुछ चिन्ता नहीं करता? क्या तुम नहीं जानते? क्या तुम ने नहीं सुना? यहोवा जो सनातन परमेश्‍वर और पृथ्वी भर का सिरजनहार है, वह न थकता, न श्रमित होता है, उसकी बुद्धि अगम है।”—यशायाह 40:27,28. *

27 यशायाह उन शब्दों को लिखता है जिनके ज़रिए यहोवा गुलामी में रहनेवाले यहूदियों की भावनाएँ ज़ाहिर कर रहा है, जो अपने वतन से सैकड़ों किलोमीटर दूर बाबुल में हैं। कुछ यहूदी सोचते हैं कि उनका “मार्ग” यानी मुसीबतों से भरा उनका जीवन यहोवा को नज़र नहीं आता या वह नहीं जानता। उन्हें लगता है कि जो अन्याय वे सह रहे हैं, उसकी यहोवा को कोई परवाह नहीं है। लेकिन उन्हें वे बातें याद दिलायी जाती हैं जो उन्हें पता होनी चाहिए। चाहे उन्होंने यह खुद अनुभव न किया हो, मगर जो जानकारी उन्हें अपने पुरखाओं से मिली थी उससे उन्हें यह पता होना चाहिए कि यहोवा अपने लोगों को छुटकारा दिलाने के काबिल है और उन्हें छुटकारा दिलाना चाहता भी है। वह सनातन परमेश्‍वर और सारी पृथ्वी का सिरजनहार है। इसलिए, उसके पास अब भी वह ताकत है जो उसने सृष्टि करते वक्‍त इस्तेमाल की थी और शक्‍तिशाली बाबुल भी उसकी पहुँच से बाहर नहीं है। ऐसा परमेश्‍वर थक नहीं सकता और ना ही वह अपने लोगों को निराश कर सकता है। वे इस बात की उम्मीद नहीं कर सकते कि वे यहोवा के सभी कामों को अच्छी तरह समझ पाएँगे, क्योंकि उसकी समझ, या उसका ज्ञान, परख-शक्‍ति, उनकी समझ से परे है।

28, 29. (क) यहोवा अपने लोगों को कैसे याद दिलाता है कि वह थके हुओं की मदद करेगा? (ख) यहोवा अपने सेवकों को कैसे शक्‍ति देता है, यह समझाने के लिए क्या उदाहरण इस्तेमाल किया गया है?

28 यशायाह के ज़रिए, यहोवा दुःखी बंधुओं की हिम्मत बँधाना जारी रखते हुए कहता है: “वह थके हुए को बल देता है और शक्‍तिहीन को बहुत सामर्थ देता है। तरुण तो थकते और श्रमित हो जाते हैं, और जवान ठोकर खाकर गिरते हैं; परन्तु जो यहोवा की बाट जोहते हैं, वे नया बल प्राप्त करते जाएंगे, वे उकाबों की नाईं उड़ेंगे, वे दौड़ेंगे और श्रमित न होंगे, चलेंगे और थकित न होंगे।”—यशायाह 40:29-31.

29 थके हुए को बल देने की बात करते वक्‍त, यहोवा के मन में शायद पस्त कर देनेवाला वह सफर होगा जो बंधुओं को अपने वतन वापस लौटने के लिए करना पड़ेगा। यहोवा अपने लोगों को याद दिलाता है कि उसकी खासियत यही है कि वह उन थके हुए लोगों को सहारा देता है जो उसके पास मदद के लिए आते हैं। इंसानों में सबसे ताकतवर, यानी “लड़के” और “जवान” भी शायद थककर चूर हो जाएँ और पस्त होकर गिर पड़ें। मगर, यहोवा वादा करता है कि उस पर भरोसा रखनेवालों को वह ऐसी शक्‍ति देगा कि वे बिना थके दौड़ेंगे और चलेंगे। यहोवा अपने सेवकों को कैसे शक्‍ति देता है, यह समझाने के लिए उकाब का उदाहरण दिया गया है, जो मानो बिना ताकत लगाए घंटों तक आकाश में उड़ता रहता है। * जब यहोवा की तरफ से ऐसा सहारा मिलने की उम्मीद है तो यहूदी बंधुओं के पास निराश होने की कोई वजह नहीं है।

30. आज सच्चे मसीही यशायाह के 40वें अध्याय की आखिरी आयतों से कैसे शांति पा सकते हैं?

30यशायाह के 40वें अध्याय के इन आखिरी वचनों से, उन सच्चे मसीहियों को शांति मिलती है जो इस दुष्ट संसार के अन्तिम दिनों में जी रहे हैं। निराश करनेवाले इतने सारे दबावों और समस्याओं के होते हुए, यह जानकर हमारा विश्‍वास कितना मज़बूत होता है कि हम जिन तकलीफों से गुज़र रहे हैं और जिन अन्यायों को सह रहे हैं, वे यहोवा की नज़रों से छिप नहीं सकते। हम यकीन रख सकते हैं कि सब चीज़ों का सिरजनहार, जिसकी “बुद्धि अपरम्पार है,” अपने वक्‍त पर और अपने तरीके से सारे अन्याय को मिटा देगा। (भजन 147:5,6) इस दौरान, हमें अपनी ताकत के भरोसे मुसीबतों का सामना करने की ज़रूरत नहीं है। यहोवा जिसके पास बेहिसाब ताकत का भंडार है, अपने सेवकों को परीक्षा की घड़ियों में बल दे सकता है, जी हाँ, “असीम सामर्थ” दे सकता है।—2 कुरिन्थियों 4:7.

31. यशायाह की भविष्यवाणी में, बाबुल की गुलामी कर रहे यहूदियों के लिए किस उजियाले का वादा किया गया है, और हम किस बात पर पूरा भरोसा रख सकते हैं?

31 सामान्य युग पूर्व छठी सदी में बाबुल में गुलाम बने उन यहूदियों के बारे में सोचिए। सैकड़ों किलोमीटर दूर, उनका प्यारा नगर यरूशलेम उजाड़ पड़ा था और उसका मंदिर खंडहर बन चुका था। उनसे यशायाह की भविष्यवाणी में ऐसा शांति देनेवाला वादा किया गया था जिससे उन्हें आध्यात्मिक उजियाला और उम्मीद मिली कि यहोवा उन्हें अपने वतन वापस लौटाएगा! और सा.यु.पू. 537 में, यहोवा ने अपने लोगों को उनके वतन वापस ले जाकर यह साबित कर दिया कि वह वादों को पूरा करनेवाला परमेश्‍वर है। हम भी यहोवा पर पूरा भरोसा रख सकते हैं। उसने अपना राज्य लाने का जो वादा किया है और जिसका यशायाह की किताब में बहुत खूबसूरती से बयान किया गया है, उसे हम अपनी आँखों से पूरा होते हुए देखेंगे। यह वाकई एक खुशखबरी है—एक ऐसा संदेश जो सारे जगत के लिए उजियाला है!

[फुटनोट]

^ पैरा. 7 यशायाह भविष्यवाणी करता है कि यहोवा के लिए मार्ग तैयार किया जाएगा। (यशायाह 40:3) लेकिन, सुसमाचार की पुस्तकों में यह भविष्यवाणी यूहन्‍ना बपतिस्मा देनेवाले के काम पर लागू की गयी जिसने यीशु मसीह के लिए मार्ग तैयार किया। मसीही यूनानी शास्त्र के ईश्‍वर-प्रेरित लेखकों ने यह वचन इस तरीके से इसलिए लागू किया, क्योंकि यीशु अपने पिता का प्रतिनिधि है और वह अपने पिता के नाम से आया था।—यूहन्‍ना 5:43; 8:29.

^ पैरा. 18 यह हिसाब लगाया गया है कि “पूरी दुनिया में फैले समुद्र का कुल द्रव्यमान करीब 1.35 क्विन्टिलियन (1.35 x 1018) मेट्रिक टन है या इस पृथ्वी के कुल द्रव्यमान का लगभग 1/4400 है।”—एनकार्टा 97 इन्साइक्लोपीडिया।

^ पैरा. 20 दी एक्सपॉज़िटर्स्‌ बाइबल कमेन्ट्री कहती है: “पूर्वी देशों के बाज़ारों में, नापनेवाले डोल में पानी की एक बूंद का कोई मोल नहीं था और गोश्‍त या फल तौलते वक्‍त पलड़ों पर धूल की परत पर, कोई ध्यान नहीं देता था।”

^ पैरा. 26 यशायाह 40:28 में, शब्द “सनातन” का मतलब है “युगानुयुग” क्योंकि यहोवा “सनातन राजा” है।—यशायाह 40:28; 1 तीमुथियुस 1:17.

^ पैरा. 29 उकाब कम-से-कम ताकत का इस्तेमाल किए आकाश में उड़ता रहता है। इसके लिए वह, गर्म होकर ऊपर उठनेवाली हवाओं का इस्तेमाल करता है।

[अध्ययन के लिए सवाल]

[पेज 404,405 पर बक्स/तसवीर]

यहोवा, प्यार करनेवाला चरवाहा है

यशायाह बताता है कि यहोवा ऐसा प्यार करनेवाला चरवाहा है जो अपने मेम्नों को अपनी गोद में उठाए चलता है। (यशायाह 40:10,11) यशायाह ने यह प्यार-भरी मिसाल उन चरवाहों की ज़िंदगी से ली जो अपने मेम्नों से बेहद प्यार करते हैं। आज के मध्य पूर्व में, हर्मोन पर्वत की ढलानों पर अपनी भेड़ों को चरानेवाले चरवाहों को देखनेवाला एक आदमी यह लिखता है: “हर चरवाहा अपने झुंड पर कड़ी निगरानी रखे हुए था, ताकि वह जान सके कि वे सब ठीक-ठाक हैं कि नहीं। जब उसे कोई नया जन्मा मेम्ना मिलता है तो वह उसे अपनी गोद में उठाकर अपने . . . लबादे के अंदर कर लेता है, क्योंकि यह नन्हा-सा बच्चा इतना कमज़ोर है कि अपनी माँ के साथ-साथ नहीं चल पाता। जब उसकी गोद में जगह नहीं रहती तो वह मेम्नों को अपने कंधों पर उठा लेता है और उनके पाँवों से उन्हें पकड़े रहता है। या फिर वह उन्हें एक गधे की पीठ पर रखे थैले या टोकरी में डाल देता है। वह तब तक ऐसा करता है जब तक छोटे-छोटे मेम्ने अपनी माँ के पीछे-पीछे चलने के काबिल नहीं हो जाते।” क्या यह जानकर हमें शांति नहीं मिलती कि हम ऐसे परमेश्‍वर की सेवा कर रहे हैं जो अपने लोगों की इतने ही प्यार से परवाह करता है?

[पेज 412 पर बक्स/तसवीर]

पृथ्वी का आकार कैसा है?

प्राचीन काल में, ज़्यादातर लोग यही मानते थे कि पृथ्वी सपाट है। लेकिन, सा.यु.पू. छठी सदी में यूनान के तत्त्वज्ञानी पाइथागोरस ने यह अनुमान लगाया कि पृथ्वी का आकार ज़रूर गोल है। लेकिन, पाइथागोरस के यह सिद्धांत पेश करने के दो सौ साल पहले ही, भविष्यवक्‍ता यशायाह ने बिलकुल साफ शब्दों में और पूरे यकीन के साथ यह लिखा: “यह वह है जो पृथ्वी के घेरे के ऊपर . . . विराजमान है।” (तिरछे टाइप हमारे।) (यशायाह 40:22) यहाँ इब्रानी शब्द कुघ का अनुवाद ‘घेरा’ किया गया है और इसे ‘गोला’ भी कहा जा सकता है। दिलचस्पी की बात है कि एक गोलाकार चीज़ ही हर तरफ से एक घेरा नज़र आती है। * तो फिर, भविष्यवक्‍ता यशायाह ने बहुत समय पहले ही एक ऐसी बात कही जो वैज्ञानिक रूप से बिलकुल सही है और प्राचीन काल की मनगढ़ंत कहानियों से एकदम अलग है।

[फुटनोट]

^ पैरा. 73 बारीकी से देखा जाए तो पृथ्वी एक चपटा गोलाभ है। यह ध्रुवों पर थोड़ी-सी चपटी है।

[पेज 403 पर तसवीरें]

“जंगल में एक पुकारनेवाले का शब्द” यूहन्‍ना बपतिस्मा देनेवाले की आवाज़ थी