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यहोवा बचे हुओं पर दया करता है

यहोवा बचे हुओं पर दया करता है

छठा अध्याय

यहोवा बचे हुओं पर दया करता है

यशायाह 4:2-6

1, 2. भविष्यवक्‍ता यशायाह, यहूदा और यरूशलेम के बारे में क्या भविष्यवाणी करता है?

घनी आबादीवाले एक इलाके के ऊपर काली अँधियारी घटाएँ छाने लगती हैं। ज़बरदस्त तूफान के साथ, मूसलाधार बरसात होती है और बाढ़ आ जाती है। देखते ही देखते, बाढ़ का पानी एक बड़ी नदी की तरह घर, फसलें और रास्ते में आनेवाली हर चीज़ को तबाह और बरबाद करता हुआ अपने साथ बहा ले जाता है। कई लोग मारे जाते हैं। मगर फिर, जल्द ही तूफान गुज़र जाता है, हवाएँ थम जाती हैं और हर तरफ चैन-सा छा जाता है। जो लोग इस तूफान से बच गए हैं, उनके लिए यह वक्‍त है कि वे चीज़ों की मरम्मत करें, दोबारा घर बनाएँ और नए सिरे से ज़िंदगी शुरू करें।

2 भविष्यवक्‍ता यशायाह ने यहूदा और यरूशलेम के बारे में कुछ ऐसी ही भविष्यवाणी की थी। परमेश्‍वर से आनेवाले न्यायदंड के काले-घने डरावने बादल, यहूदा पर घिरते आ रहे हैं और ऐसा होना ही था! क्योंकि पूरे देश का अपराध बहुत भारी है। सिर्फ राज करनेवालों ने ही नहीं बल्कि आम जनता ने भी देश को अन्याय और खून-खराबे से भर दिया है। यशायाह के ज़रिए यहोवा, यहूदा देश के पाप का परदाफाश करता है और उन्हें चेतावनी देता है कि वह इस भ्रष्ट देश को ज़रूर सज़ा देगा। (यशायाह 3:25) जब उसके न्याय का तूफान आएगा तो उससे यहूदा देश पूरी तरह उजड़ जाएगा। बेशक, देश का यह अंजाम सुनकर यशायाह ज़रूर मायूस हो गया होगा।

3. यशायाह 4:2-6 में परमेश्‍वर की प्रेरणा से लिखे संदेश में कौन-सी खुशखबरी बतायी गयी है?

3 मगर उसके लिए एक खुशखबरी भी है! यहोवा की तरफ से आनेवाले इस इंसाफ में कुछ लोग बचेंगे। जी हाँ, यहूदा का न्याय करते वक्‍त यहोवा दया भी दिखाएगा! तब देश में खुशहाली और समृद्धि होगी। ऐसे वक्‍त के बारे में यशायाह 4:2-6 में, ईश्‍वर-प्रेरणा से यशायाह भविष्यवाणी करता है। यह मानो ऐसा है जैसे तूफानी बादल छँटने पर सूरज की किरणें दिखाई देने लगती हैं। यशायाह 2:6–4:1 में बताए गए न्यायदंड के शोर-शराबे और खौफनाक नज़ारे से हटकर, अब हम साफ-सुथरे और सुंदर देश में नए सिरे से ज़िंदगी की शुरूआत करते लोगों को देख पाते हैं।

4. बचे हुओं की बहाली के बारे में यशायाह की भविष्यवाणी पर हमें क्यों चर्चा करनी चाहिए?

4 बचे हुए लोग, नए सिरे से ज़िंदगी शुरू करेंगे और उन्हें किसी तरह का डर नहीं होगा, यशायाह की यह भविष्यवाणी हमारे दिनों में, यानी “अन्त के दिनों में” भी पूरी हो रही है। (यशायाह 2:2-4) आइए इस भविष्यवाणी पर चर्चा करें जो हमारे लिए भी खास अहमियत रखती है। क्योंकि यह भविष्यवाणी हमें न सिर्फ आनेवाले भविष्य के बारे में बल्कि यहोवा की दया के बारे में भी सिखाती है, और यह भी कि हम इस दया को पाने के लिए क्या कर सकते हैं।

“यहोवा की डाली”

5, 6. (क) यशायाह आनेवाले तूफान के बाद की शांति का वर्णन कैसे करता है? (ख) “डाली” शब्द का क्या मतलब है, और यह यहूदा देश के बारे में क्या बताता है?

5 इस आनेवाले तूफान के बाद शांति के माहौल के बारे में यशायाह प्यार भरे अंदाज़ में भविष्यवाणी करता है। वह लिखता है: “उस दिन यहोवा की डाली सुन्दर [“शिरोमणि,” NW] और भव्य होगी, तथा पृथ्वी का फल शेष बचे इस्राएलियों के लिए गर्व और आभूषण ठहरेगा।”—यशायाह 4:2, NHT.

6 यशायाह यहाँ दोबारा बसाए जाने या बहाल किए जाने का ज़िक्र कर रहा है। जिस इब्रानी संज्ञा का यहाँ “डाली” अनुवाद किया गया है उसका मतलब है, ‘अंकुर फूटना, टहनी या डाली निकलना।’ इस शब्द से खुशहाली, बढ़ोतरी और यहोवा की आशीषों की तसवीर मन में उभर आती है। इस तरह यशायाह एक आस बँधाता है कि आनेवाली तबाही का असर हमेशा तक नहीं रहेगा। जो यहूदा देश पहले कभी फल-फूल रहा था, यहोवा की आशीष से उसमें फिर से बहार आएगी और धरती अपनी उपज देगी। *लैव्यव्यवस्था 26:3-5.

7. यहोवा की डाली किस तरह ‘शिरोमणि और भव्य’ होगी?

7 यह बदलाव कितना शानदार होगा, इसका यशायाह बहुत ही खूबसूरती से बयान करता है। यहोवा की डाली ‘शिरोमणि और भव्य’ होगी। यहाँ ‘शिरोमणि’ शब्द, हमें वादा किए हुए उस देश की खूबसूरती याद दिलाता है, जिसे सदियों पहले यहोवा ने इस्राएल को दिया था। वह देश इतना सुन्दर था कि उसे “सब देशों का शिरोमणि [“नगीना,” न्यू अमेरिकन बाइबल]” कहा गया था। (यहेजकेल 20:6) इस तरह यशायाह के शब्द लोगों को यह यकीन दिलाते हैं कि यहूदा देश की महिमा और सुन्दरता फिर से लौट आएगी। जी हाँ, यह सारी पृथ्वी का ताज बन जाएगा।

8. फिर से बसाए गए यहूदा देश की सुन्दरता का मज़ा कौन उठाएगा और यशायाह उनकी भावनाओं के बारे में क्या कहता है?

8 लेकिन, इस देश की सुन्दरता का मज़ा उठाने के लिए कौन रहेगा? यशायाह लिखता है, ‘शेष बचे इस्राएली’ इसका आनंद लेंगे। जी हाँ, कुछ लोग भविष्यवाणी में बताए गए उस शर्मनाक विनाश से बच जाएँगे। (यशायाह 3:25,26) इन बचे हुए शेष इस्राएलियों का एक दल यहूदा वापस जाएगा और इसे फिर से बसाने में हाथ बँटाएगा। दोबारा बहाल किए गए इस देश की भरपूर उपज, लौटनेवाले इन “शेष बचे” इस्राएलियों के लिए “गर्व और आभूषण” ठहरेगी। (यशायाह 4:2, NHT) इस तरह विनाश की वजह से हुए अपमान के बाद अब वे एक बार फिर गर्व महसूस कर सकेंगे।

9. (क) यशायाह के शब्दों के मुताबिक, सा.यु.पू. 537 में क्या हुआ? (ख) ऐसा क्यों कहा जा सकता है कि “शेष बचे इस्राएलियों” में कुछ ऐसे लोग भी शामिल थे जो बाबुल की बंधुआई के दौरान पैदा हुए थे? (फुटनोट देखिए।)

9 यशायाह ने जैसा कहा था ठीक वैसा ही हुआ। सा.यु.पू. 607 में न्यायदंड की आँधी तब चली जब बाबुलियों ने आकर यरूशलेम को नाश किया और बहुत-से इस्राएलियों को मौत के घाट उतार दिया। जो बच गए थे उन्हें बंदी बनाकर बाबुल ले जाया गया। लेकिन अगर यहोवा उन पर तरस ना खाता तो एक भी आदमी ना बचता। (नहेमायाह 9:31) आखिर में, यहूदा देश को उजाड़ छोड़ दिया गया। (2 इतिहास 36:17-21) कुछ समय बाद सा.यु.पू. 537 में, दया के सागर यहोवा परमेश्‍वर ने “शेष बचे इस्राएलियों” को यहूदा लौटाकर फिर से सच्ची उपासना शुरू करने का मौका दिया। * (एज्रा 1:1-4; 2:1) बाबुल की बंधुआई से छूटकर लौटनेवालों के दिल में प्रायश्‍चित की बहुत गहरी भावना थी और यह भजन 137 में बखूबी बयान की गयी है, जिसे शायद बाबुल की बंधुआई के दौरान या उसके बाद लिखा गया था। यहूदा आकर उन्होंने ज़मीन जोती और बीज बोये। सोचिए उस वक्‍त उन्हें कैसा महसूस हुआ होगा जब उन्होंने देखा कि यहोवा उनकी मेहनत पर आशीष दे रहा है और उनकी ज़मीन इस कदर फल-फूल रही है जैसे “एदेन की बारी” थी!—यहेजकेल 36:34-36.

10, 11. (क) बीसवीं सदी की शुरूआत में बाइबल विद्यार्थी किस तरह ‘बड़े बाबुल’ की कैद में थे? (ख) यहोवा ने कैसे शेष बचे आत्मिक इस्राएलियों को आशीष दी?

10 हमारे दिनों में भी ऐसे ही दोबारा बसाए जाने या बहाल किए जाने का काम हुआ है। बीसवीं सदी की शुरूआत में यहोवा के साक्षी, जिन्हें उस वक्‍त बाइबल विद्यार्थियों के नाम से जाना जाता था, आध्यात्मिक तरीके से ‘बड़े बाबुल’ यानी, एक साम्राज्य की तरह सारी दुनिया पर हुकूमत करनेवाले झूठे धर्म की जकड़ में आ गए। (प्रकाशितवाक्य 17:5) हालाँकि इन बाइबल विद्यार्थियों ने झूठे धर्म की बहुत-सी शिक्षाओं को ठुकरा दिया था, मगर अब भी उनके दामन पर झूठे धर्म के विचारों और रस्मो-रिवाज़ के कुछ दाग लगे हुए थे। पादरियों के भड़काए विरोध की वजह से उनमें से कुछ लोगों को सचमुच कैद की सज़ा हो गई। उनका आध्यात्मिक देश यानी उनकी धार्मिक या आध्यात्मिक भूमि उजाड़ दी गयी।

11 मगर सन्‌ 1919 के वसंत में, यहोवा ने शेष बचे इन आत्मिक इस्राएलियों पर दया दिखायी। (गलतियों 6:16) उसने उनका पश्‍चाताप देखा और सच्चाई से परमेश्‍वर की उपासना करने की गहरी इच्छा भी देखी। इसलिए परमेश्‍वर ने न सिर्फ उन्हें कैद से रिहा करवाया बल्कि उन्हें आध्यात्मिक बेड़ियों से भी आज़ादी दिलायी और यह आज़ादी उनके लिए ज़्यादा मायने रखती थी। इन ‘शेष बचे हुओं’ को फिर से उनके आध्यात्मिक देश में बसाया गया, जो यहोवा की आशीष से बेहद फलने-फूलने लगा। यह आध्यात्मिक देश इतना सुंदर और आकर्षक बन गया कि परमेश्‍वर का भय माननेवाले और भी लाखों लोग इसकी तरफ खिंचकर आने लगे और आज वे शेष बचे हुओं के साथ मिलकर सच्ची उपासना कर रहे हैं।

12. यशायाह के शब्दों से, अपने लोगों के लिए यहोवा की दया कैसे साफ नज़र आती है?

12 यशायाह के शब्दों से, अपने लोगों के लिए यहोवा की दया साफ नज़र आती है। हालाँकि, पूरी इस्राएल जाति ने यहोवा के खिलाफ बगावत की थी, मगर उनमें से जिन थोड़े लोगों ने पश्‍चाताप किया उन पर यहोवा ने दया की। यह जानकर हमें कितनी राहत मिलती है कि जो लोग गंभीर पाप करते हैं वे भी यहोवा के पास लौट सकते हैं। उन्हें कभी निराश नहीं होना पड़ेगा। अपने पापों से पश्‍चाताप करनेवाले इन लोगों को यह कभी नहीं सोचना चाहिए कि वे ऐसे पापी हैं जो यहोवा की दया के लायक नहीं, क्योंकि यहोवा कभी-भी टूटे और पिसे हुए मन को नहीं ठुकराता। (भजन 51:17) बाइबल हमें यकीन दिलाती है: “यहोवा दयालु और अनुग्रहकारी, विलम्ब से कोप करनेवाला और अति करुणामय है। जैसे पिता अपने बालकों पर दया करता है, वैसे ही यहोवा अपने डरवैयों पर दया करता है।” (भजन 103:8, 13) बेशक, ऐसे दया के सागर परमेश्‍वर की हमें हर तरीके से स्तुति और तारीफ करनी चाहिए!

बचे हुए लोग यहोवा के लिए पवित्र कहलाते हैं

13. जिन शेष बचे लोगों पर यहोवा दया करेगा उनके बारे में यशायाह, हमें यशायाह 4:3 में क्या बताता है?

13 उन शेष बचे लोगों के बारे में हमें पहले भी बताया गया है जिन पर यहोवा दया करेगा। मगर अब यशायाह उनके बारे में और भी ज़्यादा जानकारी देता है। वह लिखता है: “जो सिय्योन में बचा रहेगा और यरूशलेम में ही रहेगा अर्थात्‌ प्रत्येक जिसका नाम यरूशलेम के जीवित लोगों की सूची में लिखा होगा—वह [“उसके लिए,” NW] पवित्र कहलाएगा।”—यशायाह 4:3, NHT.

14. वे लोग कौन हैं जो ‘बचे रहेंगे’ और यहोवा उन पर दया क्यों करेगा?

14 ये लोग कौन हैं जिनके बारे में कहा गया है कि वे ‘बचे रहेंगे’? ये वही हैं, जिन्हें पिछली आयत में शेष बचे इस्राएली कहा गया है, यानी वही यहूदी बंधुए जिन्हें यहूदा वापस जाने की इजाज़त दी जाएगी। अब यशायाह दिखाता है कि क्यों यहोवा उन पर दया करेगा। इसलिए क्योंकि ‘वे उसके लिए पवित्र’ हैं। पवित्रता का मतलब है “धार्मिक स्वच्छता या शुद्धता; पवित्रता।” पवित्र होने का मतलब है कि हम जो कुछ कहें या करें उसमें हम शुद्ध और पवित्र हों और वही करें जो यहोवा की नज़रों में सही और उचित है। जी हाँ, यहोवा उन लोगों पर दया करेगा जो ‘उसके लिए पवित्र’ हैं और उन्हें “पवित्र नगर” यरूशलेम लौटा लाएगा।—नहेमायाह 11:1.

15. (क) “यरूशलेम के जीवित लोगों की सूची में लिखा,” इन शब्दों से हमें यहूदियों का कौन-सा रिवाज़ याद आता है? (ख) यशायाह के शब्दों में कौन-सी गंभीर चेतावनी छिपी है?

15 क्या ये शेष बचे हुए वफादार जन यरूशलेम में बसे रहेंगे? यशायाह वादा करता है, उनका नाम “यरूशलेम के जीवित लोगों की सूची में लिखा” जाएगा। इससे हमें यहूदियों के एक रिवाज़ की याद आती है जिसके मुताबिक वे बड़े ध्यान से इस्राएल के हर परिवार और गोत्र के लोगों के नाम रजिस्टरों में लिखते थे। (नहेमायाह 7:5) रजिस्टर में किसी का नाम होने का मतलब था कि वह शख्स ज़िंदा है, क्योंकि मर जाने पर रजिस्टर में से उसका नाम काट दिया जाता था। बाइबल में दूसरी जगहों पर हमें ऐसे लाक्षणिक रजिस्टर या पुस्तक के बारे में पढ़ने को मिलता है जिसमें यहोवा से जीवन का वरदान पानेवाले लोगों के नाम लिखे हैं। मगर इस पुस्तक में नाम इस शर्त पर लिखे जाते हैं, कि यहोवा इन नामों को “काट” सकता है। (निर्गमन 32:32,33; भजन 69:28) इससे पता चलता है कि यशायाह के इन शब्दों में एक गंभीर चेतावनी भी छिपी है—लौटनेवाले लोग बहाल किए गए देश में सिर्फ इस शर्त पर टिके रह सकते हैं कि वे यहोवा की नज़रों में पवित्र बने रहें।

16. (क) सा.यु.पू. 537 में, यहूदा लौटने का रास्ता लेनेवालों से यहोवा की क्या माँग थी? (ख) यह क्यों कहा जा सकता है कि अभिषिक्‍त शेषजनों और ‘अन्य भेड़ों’ पर यहोवा का दया करना बेकार नहीं गया है?

16 सामान्य युग पूर्व 537 में, जो शेष बचे हुए लोग यरूशलेम लौटे वे सच्ची उपासना को फिर से शुरू करने की साफ नीयत से लौटे थे। ऐसे किसी भी व्यक्‍ति को लौटने का हक नहीं था जो उन झूठी धार्मिक प्रथाओं से और बुरे चालचलन से भ्रष्ट हो चुका हो, जिनके खिलाफ यशायाह ने इतने कड़े शब्दों में चेतावनी दी थी। (यशायाह 1:15-17) सिर्फ वही लोग यहूदा लौटने का रास्ता ले सकते थे जो यहोवा की नज़र में पवित्र थे। (यशायाह 35:8) उसी तरह, सन्‌ 1919 में आध्यात्मिक कैद से छूटने के बाद, अभिषिक्‍त शेषजनों की भी पूरी कोशिश रही है कि वे परमेश्‍वर की नज़र में पवित्र हों। आज इन अभिषिक्‍त जनों के साथ ‘अन्य भेड़ों’ के लाखों लोग भी आ मिले हैं, जिन्हें इस पृथ्वी पर सदा तक जीने की आशा है। (यूहन्‍ना 10:16, NW) इन लोगों ने बड़े बाबुल के झूठे धर्मों की शिक्षाओं और रीति-रिवाज़ों को त्याग दिया है। इनमें से हरेक की पूरी-पूरी कोशिश यही है कि वे चालचलन के मामले में यहोवा के ऊँचे आदर्शों का पालन करें। (1 पतरस 1:14-16) यहोवा का उन पर दया करना बेकार नहीं गया है।

17. यहोवा अपनी “जीवन की पुस्तक” में किन लोगों के नाम लिखता है, और हमें क्या करने की पूरी-पूरी कोशिश करनी चाहिए?

17 याद कीजिए कि यहोवा ने सिर्फ उन्हीं इस्राएलियों पर ध्यान दिया जो पवित्र थे और ‘उनके नाम यरूशलेम के जीवित लोगों की सूची में लिखे।’ आज भी, यहोवा देखता है कि कैसे हम अपने मन और शरीर को शुद्ध बनाए रखने की कोशिश करते हैं और ‘अपने शरीरों को जीवित, और पवित्र, और परमेश्‍वर को भावते हुए बलिदान के रूप में चढ़ाते’ हैं। (रोमियों 12:1) और जो कोई अपनी ज़िंदगी इस तरह जीता है, उसका नाम परमेश्‍वर अपनी “जीवन की पुस्तक” में लिख लेता है। यह एक लाक्षणिक किताब है जिसमें उन लोगों के नाम लिखे हैं जिन्हें या तो स्वर्ग में या फिर पृथ्वी पर अनंत जीवन मिलेगा। (फिलिप्पियों 4:3; मलाकी 3:16) तो फिर, आइए हम परमेश्‍वर की नज़र में पवित्र बने रहने की पूरी-पूरी कोशिश करें, क्योंकि ऐसा करने से ही उस अनमोल “पुस्तक” में हमारा नाम कायम रह सकेगा।—प्रकाशितवाक्य 3:5.

प्यार से देखभाल करने का वादा

18, 19. यशायाह 4:4,5 के मुताबिक यहोवा किस तरह का शुद्धिकरण करनेवाला है और यह कैसे किया जाएगा?

18 इसके बाद यशायाह दिखाता है कि फिर से बसाए गए देश के निवासी कैसे पवित्र होंगे और उन्हें भविष्य में कैसी-कैसी आशीषें मिलेंगी। वह कहता है: “जब यहोवा अपने न्याय के आत्मा तथा भस्म करने वाले आत्मा से सिय्योन की स्त्रियों की गन्दगी को धो चुकेगा तथा यरूशलेम में बहाए गए लहू को दूर कर चुकेगा, तब यहोवा सिय्योन पर्वत के सम्पूर्ण क्षेत्र तथा उसकी सभाओं पर दिन को धुएं का बादल तथा रात्रि को धधकती आग का प्रकाश उत्पन्‍न करेगा, क्योंकि इन सब के ऊपर छतरी के समान सम्पूर्ण महिमा छाया करेगी।”—यशायाह 4:4,5, NHT.

19 पहले यशायाह ने ‘सिय्योन की पुत्रियों’ को फटकारा था, जो अपने दिखावटी गहनों की तड़क-भड़क से अपने बुरे आचरण को छिपाए हुए थीं। उसने आम लोगों के रक्‍तदोष का भी परदाफाश किया था और उनसे अपने आप को धोने और शुद्ध करने की गुज़ारिश की थी। (यशायाह 1:15,16; 3:16-23NHT) लेकिन, इन आयतों में यशायाह उस वक्‍त की भविष्यवाणी करता है जब परमेश्‍वर खुद नैतिक “गंदगी” और “खून के दागों” को धो चुकेगा। (यशायाह 4:4, नयी हिन्दी बाइबिल) लेकिन यह शुद्धिकरण कैसे किया जाएगा? “न्याय के आत्मा” और “भस्म करने वाले आत्मा से।” यरूशलेम पर विनाश लाकर और बाद में इस्राएलियों को बाबुल की बंधुआई में भेजकर, परमेश्‍वर इस अशुद्ध जाति को दंड देगा और उस पर अपना प्रकोप उंडेलेगा। इन विपत्तियों से बचनेवाले लोग अपने वतन वापस लौटेंगे और वे नम्र और शुद्ध किए जा चुके होंगे। इसीलिए वे यहोवा के लिए पवित्र होंगे और वह उन पर दया करेगा।—मलाकी 3:2,3 से तुलना कीजिए।

20. (क) “धुएं,” “बादल” और “धधकती आग का प्रकाश” जैसे शब्द हमें किसकी याद दिलाते हैं? (ख) बंधुआई से लौटे और शुद्ध किए गए इस्राएलियों को डरने की ज़रूरत क्यों नहीं है?

20 यशायाह के ज़रिए, यहोवा वादा करता है कि वह शुद्ध किए गए इन शेषजनों की प्यार से देखभाल करेगा। “धुएं,” “बादल” और “धधकती आग का प्रकाश” जैसे शब्द हमें उन बीते दिनों की याद दिलाते हैं जब यहोवा ने इस्राएलियों को मिस्र से छुड़ाने के बाद उन्हें अपनी पनाह में ले लिया था। “बादल और आग के खम्भे” ने पीछा कर रहे मिस्रियों से उनकी हिफाज़त की; और उनके आगे-आगे चलकर वीराने में उन्हें राह भी दिखायी। (निर्गमन 13:21,22; 14:19,20,24) जब यहोवा सीनै पर्वत पर प्रकट हुआ, तो वह पर्वत “धुएं से भर गया।” (निर्गमन 19:18) तो फिर, बंधुआई से लौटे और शुद्ध किए गए इस्राएलियों को डरने की ज़रूरत नहीं होगी। क्योंकि यहोवा उनका रक्षक होगा। वे चाहे अपने घरों में इकट्ठे हों या पवित्र सभाओं के लिए जमा हों, वह हमेशा उनके साथ रहेगा।

21, 22. (क) एक आश्रय या छप्पर अकसर किस मकसद से बनाया जाता था? (ख) शुद्ध किए गए इन शेषजनों के सामने कैसा भविष्य है?

21 यशायाह, आखिर में रोज़मर्रा की ज़िंदगी पर ध्यान दिलाते हुए बताता है कि परमेश्‍वर कैसे हमारी हिफाज़त करता है। वह लिखता है: “वहां दिन की धूप से छाया देने के लिए आश्रय, तथा तूफान और वर्षा से बचाव के लिए शरणस्थान होगा।” (यशायाह 4:6, NHT) अकसर किसी दाख की बारी या खेत में, दिन की कड़कती धूप से छाया देने और बारिश के मौसम में ठंड और तूफानों से बचने के लिए एक आश्रय या छप्पर बनाया जाता था।—योना 4:5 से तुलना कीजिए।

22 जब शुद्ध किए गए शेषजन ज़ुल्म और तकलीफों की झुलसानेवाली धूप का और विरोध की आँधियों का सामना करेंगे, तो यहोवा उनकी हिफाज़त करेगा, वह उन्हें शरण देगा और उन्हें अपनी छाया में रखेगा। (भजन 91:1,2; 121:5) इन शेषजनों के सामने बहुत ही सुंदर भविष्य है: अगर वे बाबुल के अशुद्ध और गंदे विश्‍वासों और रीति-रिवाज़ों को त्याग दें, यहोवा के न्याय से शुद्ध हों और पवित्र बने रहने की कोशिश करें तो वे सुरक्षित रहेंगे, मानो वे परमेश्‍वर के “आश्रय” में होंगे।

23. यहोवा ने अभिषिक्‍त शेषजनों और उनके साथियों को आशीष क्यों दी है?

23 मगर ध्यान दीजिए कि पहले शुद्ध होना ज़रूरी है, उसी के बाद आशीषें मिलती हैं। यही बात हमारे दिनों में भी सच साबित हुई। सन्‌ 1919 में अभिषिक्‍त शेषजनों ने नम्रता से यहोवा द्वारा शुद्ध किया जाना स्वीकार किया और यहोवा ने उनकी गंदगी को ‘धो दिया।’ तब से, अन्य भेड़ों की एक “बड़ी भीड़” ने भी यहोवा द्वारा शुद्ध किया जाना स्वीकार किया है। (प्रकाशितवाक्य 7:9) इस तरह शुद्ध किए जाने से, अभिषिक्‍त शेषवर्ग और उनके साथियों को आशीष मिली है, यहोवा ने उनकी हिफाज़त और देखभाल करने के लिए उन्हें अपनी पनाह में ले लिया है। यह सच है कि यहोवा कोई चमत्कार करके उन पर आनेवाले ज़ुल्मों की तपिश या विरोध की आँधियों को नहीं रोकता। मगर वह उनकी रक्षा ज़रूर करता है, मानो वह उनके ऊपर “छाया देने के लिए आश्रय, तथा तूफान और वर्षा से बचाव के लिए शरणस्थान” बना देता है। वह कैसे?

24. यह कैसे साफ ज़ाहिर है कि यहोवा ने अपने संगठित लोगों को आशीष दी है?

24 इस बात पर गौर कीजिए: दुनिया की कुछ सबसे ताकतवर सरकारों ने यहोवा के साक्षियों के प्रचार काम पर पाबंदी लगाने या उनका नामो-निशान तक मिटाने की पूरी-पूरी कोशिश की है। मगर, फिर भी यहोवा के साक्षी डटे रहे और बिना रुके लगातार प्रचार करते रहे हैं! बड़े-बड़े और ताकतवर देश मिलकर भी, छोटे-से और निहत्थे लोगों के इस समूह का काम बंद क्यों नहीं कर पाए? क्योंकि यहोवा ने अपने शुद्ध सेवकों को एक ऐसे “आश्रय” में शरण दी है जिसे कोई इंसान तोड़ नहीं सकता!

25. व्यक्‍तिगत तौर पर यहोवा हमारा रक्षक है, इसका क्या मतलब है?

25 लेकिन हममें से हरेक के मामले में क्या कहा जा सकता है? यहोवा हमारा रक्षक है, इसका यह मतलब नहीं कि हम इस दुनिया में चैन की ज़िंदगी जी पाएँगे और हम पर कोई मुसीबत नहीं आएगी। आज बहुत-से वफादार मसीहियों को बड़ी-बड़ी मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है, जैसे कि गरीबी, प्राकृतिक विपत्तियाँ, युद्ध, बीमारी और मौत। मगर इन दुःखों का सामना करते वक्‍त, हमें यह कभी नहीं भूलना चाहिए कि हमारा परमेश्‍वर हमारे साथ है। वह आध्यात्मिक तरीके से हमारी हिफाज़त करता है और हमारी हर ज़रूरत को पूरा करता है। और इतना ही नहीं वह हमें “असीम सामर्थ” देता है ताकि हम वफादार रहकर तकलीफों का सामना कर सकें। (2 कुरिन्थियों 4:7) उसकी हिफाज़त में रहकर हमें डरने की कोई ज़रूरत नहीं है। और फिर, जब तक हम उसकी नज़र में खुद को पवित्र रखने के लिए अपनी तरफ से पूरी-पूरी कोशिश करते हैं, तो ऐसी कोई चीज़ नहीं होगी जो “हमें परमेश्‍वर के प्रेम से . . . अलग कर सकेगी।”—रोमियों 8:38,39.

[फुटनोट]

^ पैरा. 6 कुछ विद्वानों के मुताबिक “यहोवा की डाली,” ये शब्द असल में मसीहा की ओर इशारा करते हैं, जिसे यरूशलेम के फिर से बसाए जाने के बाद ही प्रकट होना था। इब्रानी शास्त्र के अरामी भाषा के अनुवाद में, इन शब्दों का मतलब यूँ समझाया गया है: “यहोवा का [अभिषिक्‍त] मसीहा।” गौर करने लायक बात यह है कि बाद में यिर्मयाह ने भी मसीहा के बारे में बात करते वक्‍त इसी इब्रानी संज्ञा (सीमाख) का इस्तेमाल किया। उसने मसीहा को दाऊद के वंश से निकलनेवाली “एक धर्मी डाली” कहा।—यिर्मयाह 23:5; 33:15, NHT.

^ पैरा. 9 “शेष बचे इस्राएलियों” में वे लोग भी शामिल थे जो बाबुल की बंधुआई के दौरान पैदा हुए थे। इन्हें “बचे” हुए कहा जा सकता है, क्योंकि अगर उनके माता-पिता विनाश से न बचते तो वे कभी पैदा ही न होते।—एज्रा 9:13-15. इब्रानियों 7:9,10 से तुलना कीजिए।

[अध्ययन के लिए सवाल]

[पेज 63 पर तसवीर]

यहूदा देश परमेश्‍वर के न्याय की आँधी आनेवाली है