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यहोवा सोर का घमंड मिट्टी में मिला देता है

यहोवा सोर का घमंड मिट्टी में मिला देता है

उन्‍नीसवाँ अध्याय

यहोवा सोर का घमंड मिट्टी में मिला देता है

यशायाह 23:1-18

1, 2. (क) प्राचीन सोर किस किस्म का नगर था? (ख) यशायाह ने सोर के बारे में क्या भविष्यवाणी की?

वह “सर्वांग सुन्दर” था और उसके पास “सब प्रकार की सम्पत्ति की बहुतायत” थी। (यहेजकेल 27:4,12) उसके समुद्री जहाज़ों का बड़ा दस्ता दूर-दूर तक यात्रा करता था। वह “समुद्र के बीच रहकर बहुत . . . प्रतापी हो” गया था। और उसके “धन” से “पृथ्वी के राजा धनी” हो गए थे। (यहेजकेल 27:25,33) सा.यु.पू. सातवीं सदी में, सोर की ऐसी ही साख और प्रतिष्ठा थी। सोर, फीनीके का एक नगर था और भूमध्य सागर के पूर्वी तट पर बसा हुआ था।

2 मगर, बहुत जल्द सोर तबाह होनेवाला था। यहेजकेल ने सोर के बारे में जो कहा, उससे करीब 100 साल पहले यशायाह ने भविष्यवाणी की कि फीनीके का यह मज़बूत नगर ढह जाएगा और जो लोग इस नगर पर भरोसा रखे हुए हैं, उन्हें निराश होना पड़ेगा। यशायाह ने यह भी बताया कि कुछ समय बाद परमेश्‍वर इस नगर पर कृपादृष्टि करेगा और यह फिर से खुशहाल हो जाएगा। यशायाह के ये शब्द कैसे पूरे हुए? और सोर के साथ जो कुछ हुआ उससे हम क्या सीख सकते हैं? उस पर क्या-क्या बीती और ऐसा क्यों हुआ, यह सब अच्छी तरह समझने से यहोवा और उसके वादों में हमारा विश्‍वास मज़बूत होगा।

“तर्शीश के जहाज़ो हाय, हाय, करो”

3, 4. (क) तर्शीश कहाँ था, और सोर और तर्शीश के बीच क्या संबंध था? (ख) तर्शीश से व्यापार करनेवाले नाविक, “हाय, हाय” क्यों करेंगे?

3“सोर के विषय भारी वचन,” यह परिचय देने के बाद यशायाह ऐलान करता है: “हे तर्शीश के जहाज़ो हाय, हाय, करो; क्योंकि वह उजड़ गया; वहां न तो कोई घर और न कोई शरण का स्थान [“बन्दरगाह,” NHT] है!” (यशायाह 23:1क) माना जाता है कि एक वक्‍त तर्शीश स्पेन का हिस्सा था और यह भूमध्य सागर के पूर्वी इलाके के सोर से बहुत दूर था। * फीनीके के लोग बहुत ही कुशल नाविक थे और उनके समुद्री जहाज़ बहुत बड़े और मज़बूत हुआ करते थे। कुछ इतिहासकारों का मानना है कि फीनीके के लोगों ने ही सबसे पहले यह पता लगाया था कि चंद्रमा और ज्वारभाटे के बीच क्या नाता है और उन्होंने ही तारों को देखकर सागर के बीचों-बीच दिशा जानने की शुरूआत की थी। इसलिए सोर से तर्शीश तक का लंबा सफर तय करना, उनके लिए कोई मुश्‍किल काम नहीं था।

4 यशायाह के दिनों में, सोर अपना माल तर्शीश में ले जाकर उसका व्यापार करता है और लंबे अरसे तक, तर्शीश के साथ व्यापार करने से सोर ने बहुत सारी दौलत कमायी है। स्पेन (प्राचीनकाल के तर्शीश की जगह) में चाँदी, लोहे, टिन और दूसरी धातुओं की खानें हैं जिनमें से बड़ी मात्रा में धातुएँ निकाली जाती हैं। (यिर्मयाह 10:9; यहेजकेल 27:12 से तुलना कीजिए।) इसलिए, ‘तर्शीश के जहाज़’ शायद सोर के ही जहाज़ हैं जो तर्शीश में व्यापार के लिए आते हैं। वे “हाय, हाय” करेंगे क्योंकि उनके अपने देश, सोर के बन्दरगाह को नाश कर दिया गया है।

5. तर्शीश से आनेवाले नाविकों को सोर के विनाश की खबर कहाँ मिलती है?

5 मगर समुद्र के सफर के बीच इन नाविकों को सोर की बरबादी की खबर कैसे मिलेगी? यशायाह जवाब देता है: “यह बात उनको कित्तियों के देश में से प्रगट की गई है।” (यशायाह 23:1ख) ‘कित्तियों का देश’ शायद साइप्रस द्वीप है, जो फीनीके के तट से करीब 100 किलोमीटर दूर पश्‍चिम में है। तर्शीश से पूर्व में सोर की तरफ जानेवाले समुद्री जहाज़ों का आखिरी पड़ाव यही द्वीप है और इसके बाद वे सोर पहुँचते हैं। इसलिए, जब नाविक साइप्रस द्वीप पर आते हैं तो वे अपने प्यारे देश के बंदरगाह की तबाही का समाचार सुनते हैं। यह सुनकर उन्हें कैसा भारी सदमा पहुँचता है! वे व्याकुल होकर, दुःख के मारे “हाय, हाय” करने लगते हैं।

6. बताइए कि सोर और सीदोन के बीच क्या रिश्‍ता था।

6 फीनीके के तट पर रहनेवाले लोग भी व्याकुल और परेशान हो जाएँगे। भविष्यवक्‍ता कहता है: “हे समुद्र के तीर के रहनेवालो, जिनको समुद्र के पार जानेवाले सीदोनी ब्योपारियों ने धन से भर दिया है, चुप रहो! शीहोर का अन्‍न, और नील नदी के पास की उपज महासागर के मार्ग से उसको मिलती थी, क्योंकि वह और जातियों के लिये ब्योपार का स्थान था।” (यशायाह 23:2,3) ‘समुद्र के तीर के रहनेवाले’ यानी सोर के पड़ोसी भी उसका ऐसा हश्र होते देख इस कदर हैरान हो जाएँगे कि उनसे कुछ भी बोलते न बन पड़ेगा। मगर ये ‘सीदोनी व्यापारी’ कौन हैं जिन्होंने इन निवासियों को “धन से भर दिया है”? सीदोन सागर-तट पर बसा एक नगर है जो सोर के उत्तर में सिर्फ 35 किलोमीटर की दूरी पर है। पहले सोर, सीदोन नगर के अधीन एक उपनिवेश था। सीदोन के सिक्कों पर लिखा गया है, सोर की माता। हालाँकि अब सोर की धन-दौलत के सामने सीदोन फीका पड़ गया है, फिर भी वह ‘सीदोन की कन्या’ कहलाता है और सोर के रहनेवाले अब भी खुद को सीदोनी कहते हैं। (यशायाह 23:12, NHT) इसलिए, ‘सीदोन के व्यापारियों’ का मतलब शायद सोर के व्यापारी है।

7. सीदोनी व्यापारियों ने कैसे हर तरफ धन बढ़ाया है?

7 दौलतमंद सीदोनी व्यापारी, व्यापार के सिलसिले में भूमध्य सागर के न जाने कितने चक्कर काटते हैं। वे बहुत-सी जगहों तक शीहोर के बीज या अनाज ले जाते हैं। मिस्र में नील नदी कई धाराओं में बँट जाती है, और पूर्व की ओर जो आखिरी धारा है, वही शीहोर नदी कहलाती है और यह मिस्र के डेल्टावाले इलाके में है। (यिर्मयाह 2:18 से तुलना कीजिए।) “नील नदी के पास की उपज” में मिस्र की कई और पैदावारें भी शामिल हैं। ऐसे माल का व्यापार और लेन-देन करने से, समुद्र से आनेवाले इन व्यापारियों को बहुत फायदा होता है। साथ ही उन देशों को भी फायदा होता है जिनके साथ ये व्यापार करते हैं। तो जिन सीदोनी व्यापारियों ने सोर में दौलत के अंबार लगा दिए हैं, वे इसके उजड़ जाने पर क्या ही शोक मनाएँगे!

8. सोर के विनाश का सीदोन पर कैसा असर होगा?

8 यशायाह इसके बाद सीदोन से यह कहता है: “हे सीदोन, लज्जित हो, क्योंकि समुद्र ने अर्थात्‌ समुद्र के दृढ़ स्थान ने यह कहा है, मैं ने न तो कभी जन्माने की पीड़ा जानी और न बालक को जन्म दिया, और न बेटों को पाला और न बेटियों को पोसा है।” (यशायाह 23:4) सोर के विनाश के बाद, जिस समुद्र तट पर वह बसा हुआ था वह उजड़ा हुआ और वीरान लगेगा। समुद्र मानो दुःख के मारे एक ऐसी माँ की तरह पुकार उठेगा जिसके बच्चे खो गए हैं और जो इस सदमे से पागल हो जाए और कहने लगे कि उसके बच्चे थे ही नहीं। सीदोन, अपनी बेटी का यह हश्र देखकर शर्मिंदा हो जाएगा।

9. सोर की बरबादी की खबर सुनने के बाद लोगों की पीड़ा, दूसरी किन घटनाओं के बाद हुई पीड़ा की तरह होगी?

9 जी हाँ, सोर के विनाश की खबर से हर तरफ शोक और मातम मनाया जाएगा। यशायाह कहता है: “जैसे मिस्र के बारे में खबर मिलने पर हुआ, वैसे ही सोर की खबर मिलने पर भी लोगों को वेदना होगी।” (यशायाह 23:5, NW) शोक मनानेवालों को वैसी ही पीड़ा होगी जैसी तब हुई थी जब उन्होंने मिस्र के बारे में खबर सुनी थी। मगर यहाँ भविष्यवक्‍ता किस खबर की बात कर रहा है? शायद वह पहले “मिस्र के विषय में [जो] भारी भविष्यवाणी” की गई थी उसके पूरा होने की बात कर रहा है। * (यशायाह 19:1-25) या शायद यशायाह, मूसा के दिनों में फिरौन की फौज के विनाश की उस खबर के बारे में बात कर रहा है जिसे सुनकर चारों तरफ लोगों में दहशत फैल गयी थी। (निर्गमन 15:4,5,14-16; यहोशू 2:9-11) चाहे जो भी हो, सोर के विनाश की खबर सुनकर लोगों को भारी वेदना होगी। उनसे कहा जाता है कि वे शरण पाने के लिए दूर तर्शीश भाग जाएँ और यह आज्ञा दी जाती है कि वे चिल्ला-चिल्लाकर अपना शोक ज़ाहिर करें: “हे समुद्र के तीर के रहनेवालो हाय, हाय, करो! पार होकर तर्शीश को जाओ।”—यशायाह 23:6.

“प्राचीनकाल से” प्रसन्‍नता से भरी हुई

10-12. सोर की दौलत, प्राचीन इतिहास और उसकी साख के बारे में बताइए।

10 सोर एक प्राचीन नगर है, जैसे कि यशायाह एक सवाल पूछते हुए हमें याद दिलाता है: “क्या यह तुम्हारी प्रसन्‍नता से भरी हुई नगरी है जो प्राचीनकाल से बसी थी?” (यशायाह 23:7क) एक दौलतमंद देश की हैसियत से सोर का इतिहास कम-से-कम यहोशू के ज़माने जितना पुराना है। (यहोशू 19:29) वक्‍त के गुज़रते सोर, धातु से बनी चीज़ों, शीशे के सामान और बैंजनी डाई बनाने के लिए काफी मशहूर हो गया। सोर के बैंजनी रंग की पोशाकें बहुत महँगी बिकती हैं और राजा-महाराजाओं और बड़े-बड़े लोगों में सोर के कीमती कपड़ों की बहुत माँग है। (यहेजकेल 27:7,24 से तुलना कीजिए।) व्यापारियों के काफिले व्यापार के लिए सोर ही आते हैं साथ ही यह जगह आयात-निर्यात की चीज़ों का बहुत बड़ा भंडार भी है।

11 यही नहीं, इस नगर की फौज भी बहुत ताकतवर है। एल. स्प्रेग डी कैंप लिखते हैं: “हालाँकि, फीनीके के लोग योद्धा नहीं बल्कि व्यापारी थे और युद्ध करना उनके स्वभाव में नहीं था, फिर भी जब अपने नगरों की हिफाज़त करने की बात आती थी तो वे मानो सिर पर कफन बाँध लेते थे, उन्हें मर जाना कबूल था मगर पीछे हटना नहीं। सोर के लोगों के इन्हीं गुणों की वजह से और उनके समुद्री जहाज़ों के बड़े लशकर की वजह से वे अश्‍शूरी सेना का मुकाबला कर सके जो उस वक्‍त की सबसे ताकतवर फौज मानी जाती थी।”

12 बेशक, सोर ने भूमध्य सागर के इलाके पर अपना सिक्का जमा लिया है। वह “अपने पैर दूर दूर तक जमाया करता था।” (यशायाह 23:7ख, NHT) फीनीके के लोग दूर-दराज़ इलाकों में जाते हैं, ताकि वहाँ अपने व्यापारिक अड्डे और जहाज़ों के रुकने के लिए छोटे-छोटे बंदरगाह बनाएँ। ऐसे ही कुछ बंदरगाह तो बढ़कर एक उपनिवेश बस्ती बन गए हैं। मिसाल के लिए, अफ्रीका के उत्तरी समुद्र-तट पर सोर की एक ऐसी ही बस्ती है, कार्थेज। यह बस्ती कुछ समय बाद सोर से भी ज़्यादा ताकतवर हो जाएगी और भूमध्य सागर के इलाके में इसका दबदबा रोम के बराबर होगा।

उसका घमंड मिट्टी में मिला दिया जाएगा

13. यह सवाल क्यों उठता है कि सोर के खिलाफ बोलने की जुर्रत कौन कर सकता है?

13 सोर के ऐसे प्राचीन इतिहास और दौलत को देखते हुए, यह सवाल उठना लाज़मी है: “सोर जो राजाओं को गद्दी पर बैठाती थी, जिसके ब्योपारी हाकिम थे, और जिसके महाजन पृथ्वी भर में प्रतिष्ठित थे, उसके विरुद्ध किस ने ऐसी युक्‍ति की है?” (यशायाह 23:8) किसकी मजाल है कि वह उस नगर के खिलाफ चूँ तक कर सके जिसने अपनी बस्तियों में और दूसरी जगहों पर ताकतवर हाकिमों को अधिकार के पद पर नियुक्‍त किया है, और जिसे इसी वजह से ‘राजाओं को गद्दी पर बैठानेवाली’ कहा जाता है? कौन इस महानगर के खिलाफ बोलने की जुर्रत कर सकता है, जिसके व्यापारी हाकिम हैं और जिसके महाजन प्रतिष्ठित लोग हैं? लेबनान में, प्राचीनकाल की वस्तुओं के नैशनल म्यूज़ियम ऑफ बेरूत में पूर्व डाइरेक्टर रह चुके मौरिस शेहाब ने कहा, “सा.यु.पू. नौवीं सदी से लेकर छठी सदी तक, सोर की ऐसी शान थी, जैसी बीसवीं सदी के शुरूआत में लंदन की थी।” इसलिए इस नगर के खिलाफ बोलने की हिम्मत भला कौन कर सकता है?

14. सोर के खिलाफ दंड कौन सुनाता है, और क्यों?

14 परमेश्‍वर की ओर से इस सवाल का जवाब दिया जाता है और यह जवाब सुनकर सोर के लोगों में खलबली मच जाएगी। यशायाह कहता है: “सेनाओं के यहोवा ही ने ऐसी युक्‍ति की है कि समस्त गौरव के घमण्ड को तुच्छ कर दे और पृथ्वी के प्रतिष्ठितों का अपमान करवाए।” (यशायाह 23:9) लेकिन, यहोवा इस प्राचीन और दौलतमंद नगरी के खिलाफ दंड क्यों सुनाता है? क्या इसलिए कि इसके निवासी झूठे देवता बाल की पूजा करते हैं? क्या इसलिए कि ईज़बेल सीदोन और सोर के राजा एतबाल की बेटी थी, और उसकी शादी इस्राएल के राजा आहाब के साथ हुई और उसने यहोवा के भविष्यवक्‍ताओं को मौत के घाट उतार दिया था? (1 राजा 16:29,31; 18:4,13,19) इन दोनों सवालों का जवाब है, नहीं। सोर को उसके अभिमान और घमंड के लिए दंड सुनाया जा रहा है। वह दूसरों का माल खा-खाकर मोटा हो गया है, और-तो-और उसने परमेश्‍वर के लोगों यानी इस्राएलियों को भी लूटा है। सा.यु.पू. नौवीं सदी में, योएल भविष्यवक्‍ता के ज़रिए यहोवा ने सोर और दूसरे नगरों से कहा: तुमने “यहूदियों और यरूशलेमियों को यूनानियों के हाथ इसलिये बेच डाला है कि वे अपने देश से दूर किए जाएं।” (योएल 3:6) क्या यहोवा यह बर्दाश्‍त कर सकता है कि सोर उसकी चुनी हुई प्रजा के लोगों को किसी सामान की तरह बेच डाले?

15. जब नबूकदनेस्सर यरूशलेम को तबाह करेगा तब सोर क्या करेगा?

15 सौ साल के बाद भी सोर में कोई बदलाव नहीं आया। जब बाबुल का राजा नबूकदनेस्सर सा.यु.पू. 607 में यरूशलेम का विनाश करेगा तो सोर खुशी से उछलकर कहेगा: “अहा, अहा! जो [यरूशलेम] देश देश के लोगों के फाटक के समान थी, वह नाश हो गई! उसके उजड़ जाने से मैं भरपूर हो जाऊं[गी]।” (यहेजकेल 26:2,3) सोर को इस बात की बेहद खुशी होगी कि यरूशलेम की तबाही से उसका फायदा होगा। यहूदा की राजधानी ना रहने से, व्यापार में उसके साथ मुकाबला करनेवाला कोई नहीं रहेगा, और सारे व्यापारी उसी के पास आएँगे और उसका व्यापार बढ़ेगा। मगर जो खुद को ‘प्रतिष्ठित’ कहते हैं और जो घमंडी उसके चुने हुए लोगों के दुश्‍मनों का साथ देते हैं, यहोवा उनका अपमान करेगा।

16, 17. सोर के पराजित होने पर उसके निवासियों का क्या होगा? (फुटनोट देखिए।)

16 यशायाह, सोर के खिलाफ यहोवा का दंड सुनाना जारी रखता है: “हे तर्शीश की पुत्री, नील नदी के समान अपने देश में फैल जा, रुकने का अब कोई कारण न रहा। उसने अपना हाथ समुद्र पर बढ़ाया है, उसने राज्यों को हिला दिया है। यहोवा ने कनान देश [“फिनिसियाँ,” ईज़ी-टू-रीड वर्शन] के किलों को ढा देने का आदेश दिया है। और उसने कहा है, ‘हे सीदोन की पीड़ित कुंवारी कन्या, अब से तू आनन्द न मनाएगी। उठ, [कित्तीम, फुटनोट] चली जा, परन्तु वहां भी तुझे चैन नहीं मिलेगा।”—यशायाह 23:10-12, NHT.

17 सोर को “तर्शीश की पुत्री” क्यों कहा गया है? शायद इसलिए कि सोर की पराजय के बाद तर्शीश नगर ज़्यादा ताकतवर बन जाएगा। * सोर के उजड़ने से उसके निवासी इस तरह तितर-बितर हो जाएँगे जैसे बाढ़ के वक्‍त नदी का पानी किनारे को पार करके आसपास के मैदानों में फैल जाता है। “तर्शीश की पुत्री” के लिए यशायाह के संदेश से पता लगता है कि सोर पर कितना भारी संकट आनेवाला है। यहोवा खुद अपना हाथ बढ़ाकर आज्ञा देता है। किसी की मजाल नहीं जो इसे पूरा होने से रोक सके।

18. सोर को ‘सीदोन की कुंवारी कन्या’ क्यों कहा गया है, और उसकी स्थिति कैसे बदल जाएगी?

18 यशायाह यह भी कहता है कि सोर ‘सीदोन की कुंवारी कन्या’ है, जिससे पता चलता है कि इससे पहले दूसरे देशों के किसी भी राजा ने, न तो कभी उस पर कब्ज़ा किया न ही उसे लूटा है और यह अब तक किसी और के अधीन नहीं हुआ। (2 राजा 19:21; यशायाह 47:1; यिर्मयाह 46:11 से तुलना कीजिए।) लेकिन अब जब उसका सत्यानाश किया जाएगा तो उसके कुछ निवासी शरणार्थी बनकर फीनीके की बस्ती कित्तीम की शरण लेंगे। फिर भी वे वहाँ चैन से नहीं रह पाएँगे, क्योंकि उनकी दौलत तो लुट चुकी है।

कसदी उसे बरबाद करेंगे

19, 20. भविष्यवाणी के मुताबिक सोर को जीतनेवाला कौन था और यह भविष्यवाणी कैसे पूरी हुई?

19 सोर को यहोवा की तरफ से कौन-सा देश दंड देगा? यशायाह ऐलान करता है: “देखो, यह कसदी कौम का देश है, वे राष्ट्र नहीं थे, वे असीरिया जाति के भी नहीं थे। उन्होंने सोर को विनिष्ट कर जंगली पशुओं का निवास-स्थान बना दिया। उन्होंने गढ़ बना-बनाकर मोर्चाबन्दी की; उन्होंने सोर के महल ढाह दिए; उसको खंडहरों का ढेर बना दिया। ओ तर्शीश के जलयानो, विलाप करो। तुम्हारा बन्दरगाह ध्वस्त कर दिया गया।” (यशायाह 23:13,14, नयी हिन्दी बाइबिल) सोर, अश्‍शूर के हाथों नहीं बल्कि कसदियों के हाथों गिरेगा। वे घेरा डालने के लिए बड़े-बड़े गुम्मट खड़े करेंगे, सोर के महलों को मिट्टी में मिला देंगे और तर्शीश के समुद्री जहाज़ों के इस गढ़ को ध्वस्त करके मलबे का ढेर बना देंगे।

20 यह भविष्यवाणी पूरी हुई। यरूशलेम के गिरने के कुछ वक्‍त बाद, सोर बाबुल के खिलाफ बगावत करता है और नबूकदनेस्सर उस नगर को घेर लेता है। सोर को यकीन है कि उसे कोई हरा नहीं सकता इसलिए वह नबूकदनेस्सर का विरोध करता है। इस घेराबन्दी के दौरान, बाबुल के सैनिकों की हालत इतनी खराब हो गई थी कि टोप की रगड़ से उनका सिर “चन्दला हो गया” और घेराबन्दी का सामान ढो-ढोकर उनके “कन्धों का चमड़ा उड़ गया।” (यहेजकेल 29:18) यह घेराव नबूकदनेस्सर को बहुत महँगा पड़ा है। उसने महाद्वीप पर सोर नगर को तो तबाह कर दिया मगर उसे चकमा देकर सोर का ज़्यादातर खज़ाना एक छोटे द्वीप पर पहुँचा दिया जाता है जो तट से आधे मील की दूरी पर है। नबूकदनेस्सर के पास समुद्री जहाज़ नहीं हैं, इसलिए वह इस द्वीप पर कब्ज़ा नहीं कर सकता। तेरह साल के घेराव के बाद, सोर हार मान लेता है। मगर वह इस संकट से उबरेगा क्योंकि उस पर अभी और भी कई भविष्यवाणियाँ पूरी होनी हैं।

‘वह वेश्‍या की कमाई पर पुनः मन लगाएगी’

21. सोर किस तरह “बिसरा” दिया गया है, और कितने समय तक?

21 यशायाह, भविष्यवाणी में आगे कहता है: “उस समय एक राजा के दिनों के अनुसार सत्तर वर्ष तक सोर बिसरा हुआ रहेगा।” (यशायाह 23:15क) महाद्वीप के सोर नगर का बाबुलियों के हाथों विनाश होने के बाद, द्वीप पर बसा सोर नगर “बिसरा” दिया जाएगा। ठीक जैसा भविष्यवाणी में बताया गया है, “एक राजा” यानी बाबुल साम्राज्य के शासन के दौरान, लेन-देन करनेवाले ताकतवर देश की हैसियत से द्वीप पर बसे सोर नगर की कोई अहमियत नहीं रहेगी। यहोवा ने यिर्मयाह के ज़रिए बताया कि सोर उन देशों में से एक होगा जिन्हें उसकी जलजलाहट के दाखमधु के कटोरे से पीने के लिए चुना जाएगा। यहोवा कहता है: “ये सब जातियां सत्तर वर्ष तक बाबुल के राजा के आधीन रहेंगी।” (यिर्मयाह 25:8-17,22,27) बेशक, सोर का द्वीप-नगर पूरे 70 साल तक बाबुल के राजा के अधीन नहीं था, क्योंकि बाबुल का साम्राज्य सा.यु.पू. 539 में गिर गया। इससे पता लगता है कि ये 70 साल उन सालों को दिखाते हैं, जिनके दौरान बाबुल की हुकूमत बुलंदी पर थी और जब बाबुल के राजवंश ने घमंड से भरकर यह डींग मारी कि उसने अपना सिंहासन “ईश्‍वर के तारागण” से भी ऊँचा कर दिया है। (यशायाह 14:13) अलग-अलग समय पर अलग-अलग देश इस हुकूमत के अधीन आए। मगर 70 साल के आखिर में यह हुकूमत टूटकर टुकड़े-टुकड़े हो जाएगी। उस वक्‍त सोर का क्या होगा?

22, 23. बाबुल के चंगुल से छूटने के बाद सोर का क्या होगा?

22 यशायाह आगे कहता है: “सत्तर वर्ष के बीतने पर सूर के साथ वेश्‍या के इस गीत के अनुसार होगा: ‘हे भूली बिसरी वेश्‍या, वीणा लेकर नगर में घूम, तारों पर रागिनी छेड़ और खूब गा कि तुझे फिर याद किया जाए।’ सत्तर वर्ष के बीतने पर ऐसा होगा कि यहोवा सूर की सुधि लेगा। फिर भी वह वेश्‍या की कमाई पर पुन: मन लगाकर पृथ्वी के समस्त राज्यों के साथ वेश्‍यावृत्ति करेगी।”—यशायाह 23:15ख-17, NHT.

23 सामान्य युग पूर्व 539 में, बाबुल की पराजय के बाद फीनीके, मादी-फारस साम्राज्य का एक प्रांत बन गया। फारस का सम्राट कुस्रू महान, खुले विचारोंवाला शासक है। इस नयी हुकूमत के अधीन सोर अपने पिछले काम-काज को फिर से शुरू कर देगा और पूरी कोशिश करेगा कि वह दोबारा दुनिया का सबसे मशहूर व्यापार केंद्र बन जाए। मानो वह उस वेश्‍या की तरह है जिसे भुला दिया गया है और जिसके ग्राहक उसे छोड़कर चले गए हैं, इसलिए अब वह सारे नगर में घूम-घूमकर, वीणा बजाकर और गीत गा-गाकर नए ग्राहकों को लुभाने की कोशिश कर रही है। क्या सोर अपनी कोशिश में कामयाब होगा? जी हाँ होगा, क्योंकि यहोवा उसे कामयाब होने देगा। कुछ ही समय बाद, इस द्वीप-नगर के पास इतनी दौलत आ जाएगी कि सा.यु.पू. छठी सदी के खत्म होते-होते भविष्यवक्‍ता जकर्याह यह कहेगा: “सोर ने अपने लिये एक गढ़ बनाया, और धूलि के किनकों की नाईं चान्दी, और सड़कों की कीच के समान चोखा सोना बटोर रखा है।”—जकर्याह 9:3.

‘उसका लाभ यहोवा के लिए पवित्र किया जाएगा’

24, 25. (क) सोर की दौलत यहोवा के लिए पवित्र कैसे हो जाती है? (ख) सोर परमेश्‍वर के लोगों की मदद करता है, मगर इसके बावजूद यहोवा उसके खिलाफ क्या भविष्यवाणी करता है?

24 भविष्यवाणी के आगे के शब्द सचमुच गौर करने लायक हैं! “उसका लाभ और उसकी वेश्‍यावृत्ति की कमाई यहोवा के लिए समर्पित [“पवित्र,” NW] की जाएगी। यह न तो संचित की जाएगी और न जमा रहेगी, परन्तु उसके व्यापार का लाभ यहोवा की उपस्थिति में रहने वालों के लिए भरपूर भोजन तथा सुन्दर वस्त्र ठहरेगा।” (यशायाह 23:18, NHT) सोर की दौलत पवित्र कैसे हो जाती है? यहोवा हालात को इस तरह बदलता है कि यह दौलत उसकी इच्छा के अनुसार इस्तेमाल की जाती है। इस दौलत से उसके लोगों को भरपूर भोजन और पहनने के लिए वस्त्र मिलते हैं। यह तब होता है जब इस्राएली, बाबुल की बंधुआई से छूटकर अपने वतन वापस आते हैं। सोर के लोग, मंदिर को दोबारा बनाने के लिए उन्हें देवदार की लकड़ी सप्लाई करते हैं। वे यरूशलेम के साथ फिर से व्यापार भी कायम करते हैं।—एज्रा 3:7; नहेमायाह 13:16.

25 यह सब होने के बावजूद, यहोवा सोर के खिलाफ एक और भविष्यवाणी करता है। दोबारा धनी बने इस द्वीप-नगर के खिलाफ अब जकर्याह भविष्यवाणी करता है: “देखो, परमेश्‍वर उसको औरों के अधिकार में कर देगा, और उसके घमण्ड को तोड़कर समुद्र में डाल देगा; और वह नगर आग का कौर हो जाएगा।” (जकर्याह 9:4) ये शब्द सा.यु.पू. 332 में पूरे हुए जब सिकंदर महान ने समुद्र पर राज करनेवाली इस घमंडी रानी को पूरी तरह से तहस-नहस कर दिया।

पैसे की पूजा और घमंड से दूर रहिए

26. परमेश्‍वर ने सोर को दोषी क्यों ठहराया?

26 यहोवा ने सोर को उसके घमंड की वजह से दंड दिया, क्योंकि यह ऐसा अवगुण है जिससे वह घृणा करता है। जिन सात चीज़ों से यहोवा बैर रखता है उनमें सबसे आगे है, “घमण्ड से चढ़ी हुई आंखें।” (नीतिवचन 6:16-19) पौलुस ने बताया कि शैतान का घमंड से गहरा नाता है। और यहेजकेल ने घमंडी सोर का जिस तरह वर्णन किया उसमें कुछ बातें शैतान पर ही लागू होती हैं। (यहेजकेल 28:13-15; 1 तीमुथियुस 3:6) सोर घमंडी क्यों था? यहेजकेल सोर से कहता है: “धन के कारण तेरा मन फूल उठा है।” (यहेजकेल 28:5) यह नगर व्यापार की पूजा करता था और दौलत कमाना उनकी खासियत थी। और इसमें मिली कामयाबी की वजह से ही सोर हद-से-ज़्यादा घमंड से फूल उठा। यहेजकेल के ज़रिये यहोवा ने “सोर के प्रधान” से कहा: “तू ने मन में फूलकर यह कहा है, मैं ईश्‍वर हूं, मैं . . . परमेश्‍वर के आसन पर बैठा हूं।”—यहेजकेल 28:2.

27, 28. एक इंसान किस फंदे में फँस सकता है, और यीशु ने यह समझाने के लिए कौन-सी कहानी बतायी?

27 जैसे कोई देश घमंडी बन सकता है और धन-दौलत के बारे में गलत नज़रिया पैदा कर सकता है, उसी तरह इंसान भी ऐसा बन सकता है। यीशु ने एक कहानी बताकर समझाया कि कैसे अनजाने में कोई व्यक्‍ति इस फंदे में फँस सकता है। उसने एक ऐसे धनवान आदमी के बारे में बताया जिसके खेतों में भरपूर पैदावार हुई। खुश होकर, उसने अपनी फसल को जमा करने के लिए पहले से बड़े खत्ते बनवाए और वह यह सोचकर खुश हो रहा था कि अब बरसों-बरस उसकी ज़िंदगी चैन से कटेगी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। परमेश्‍वर ने उससे कहा: “हे मूर्ख, इसी रात तेरा प्राण तुझ से ले लिया जाएगा: तब जो कुछ तू ने इकट्ठा किया है, वह किस का होगा?” जी हाँ, वह आदमी मर गया और उसकी धन-दौलत उसके किसी काम न आयी।—लूका 12:16-20.

28 यीशु ने इस कहानी का निचोड़ बताते हुए कहा: “ऐसा ही वह मनुष्य भी है जो अपने लिये धन बटोरता है, परन्तु परमेश्‍वर की दृष्टि में धनी नहीं।” (लूका 12:21) दौलतमंद होना अपने आप में गलत नहीं था, न ही अच्छी पैदावार पाना कोई गुनाह था। उस आदमी का कसूर यह था कि यही सारी चीज़ें उसकी ज़िंदगी बन चुकी थीं। उसे अपनी दौलत के सिवा किसी और पर भरोसा नहीं था। जब वह भविष्य के बारे में सोच रहा था तब उसने इस बात पर ज़रा भी ध्यान नहीं दिया कि यहोवा परमेश्‍वर उससे क्या चाहता है।

29, 30. अपने ऊपर भरोसा रखनेवालों को याकूब ने क्या चेतावनी दी?

29 याकूब ने भी यही बात बड़े ज़बरदस्त शब्दों में बतायी। उसने कहा: “सुनो, तुम जो यह कहते हो, ‘आओ, हम आज या कल अमुक नगर में जाकर वहां एक वर्ष बिताएंगे, और व्यापार करके लाभ उठाएंगे,’ फिर भी यह नहीं जानते कि कल तुम्हारे जीवन का क्या होगा। तुम तो भाप के समान हो, जो थोड़ी देर दिखाई देती और फिर अदृश्‍य हो जाती है। पर इसके विपरीत तुम्हें यह कहना चाहिए, ‘यदि प्रभु की इच्छा हो तो हम जीवित रहेंगे और यह अथवा वह काम भी करेंगे।’” (याकूब 4:13-15, NHT) इसके बाद, यह बताते हुए कि दौलत और घमंड के बीच क्या नाता है, याकूब ने आगे कहा: “अब तुम अपनी डींग पर घमण्ड करते हो; ऐसा सब घमण्ड बुरा होता है।”—याकूब 4:16.

30 एक बार फिर हम कहेंगे कि व्यापार करना पाप नहीं है। लेकिन दौलत से पैदा होनेवाला घमंड, हठीलापन और अपने आप पर ज़रूरत से ज़्यादा भरोसा रखना पाप है। पुराने ज़माने के एक नीतिवचन में बुद्धिमानी की यह बात कही गयी है: “मुझे न तो निर्धन कर और न धनी बना।” गरीबी की वजह से ज़िंदगी मुश्‍किलों से भरी होती है। मगर बहुत ज़्यादा दौलत की वजह से शायद एक व्यक्‍ति परमेश्‍वर का “इन्कार करके क[हे] कि यहोवा कौन है?”—नीतिवचन 30:8,9.

31. एक मसीही को अपने आप से कौन-से सवाल पूछने चाहिए?

31 हम ऐसी दुनिया में जी रहे हैं जहाँ बहुत-से लोग लालच और स्वार्थ के फंदे में फँसकर गिर चुके हैं। व्यापार की इस दुनिया में आज पैसे पर सबसे ज़्यादा ज़ोर दिया जाता है। इसलिए एक मसीही को अपनी जाँच करते रहना चाहिए कि कहीं वह भी उसी फंदे में तो नहीं फँस रहा जिसमें व्यापार करनेवाला नगर सोर फँसा था? क्या वह पैसा कमाने के पीछे इतना वक्‍त और ताकत लगा रहा है कि असल में वह उसका गुलाम बन चुका है? (मत्ती 6:24) क्या ऐसे लोगों को देखकर उसे जलन होती है जिनके पास उससे ज़्यादा संपत्ति है? (गलतियों 5:26) अगर वह दौलतमंद है भी, तो क्या वह ऐसा सोचता है कि कलीसिया में उसे दूसरों से बढ़कर इज़्ज़त और ज़िम्मेदारियाँ मिलनी चाहिए इसलिए कि वह पैसेवाला है? (याकूब 2:1-9 से तुलना कीजिए।) अगर वह धनवान नहीं है, तो क्या वह किसी भी कीमत पर ‘धनी होना ही चाहता’ है? (तिरछे टाइप हमारे।) (1 तीमुथियुस 6:9) क्या वह अपने बिज़नस में इतना उलझा हुआ है कि परमेश्‍वर की सेवा के लिए उसकी ज़िंदगी में बस मामूली-सी जगह रह गयी है? (2 तीमुथियुस 2:4) क्या दौलत कमाने की धुन में वह बिज़नस करते वक्‍त मसीही उसूलों को ताक पर रखने लगा है?—1 तीमुथियुस 6:10.

32. यूहन्‍ना ने क्या चेतावनी दी और हम इस चेतावनी को कैसे लागू कर सकते हैं?

32 हमारी माली हालत चाहे जैसी भी हो, परमेश्‍वर के राज्य को हमारी ज़िंदगी में हमेशा पहला स्थान मिलना चाहिए। यह बेहद ज़रूरी है कि हम कभी-भी प्रेरित यूहन्‍ना के इन शब्दों को न भूलें: “तुम न तो संसार से और न संसार में की वस्तुओं से प्रेम रखो: यदि कोई संसार से प्रेम रखता है, तो उस में पिता का प्रेम नहीं है।” (1 यूहन्‍ना 2:15) यह सच है कि हमें ज़िंदा रहने के लिए इस दुनिया में पैसा कमाना तो पड़ेगा ही। (2 थिस्सलुनीकियों 3:10) फिर भी हम “दुनियावी कारोबार” करते हुए ऐसे न हों कि “दुनिया ही के . . . हो जाएँ।” (1 कुरिन्थियों 7:31, हिन्दुस्तानी बाइबल) अगर हम इस संसार की वस्तुओं यानी दुनिया की धन-दौलत और साज़ो-सामान से हद-से-ज़्यादा प्रेम करते हैं तो हममें यहोवा के लिए प्रेम नहीं रहेगा। “शरीर की अभिलाषा, और आंखों की अभिलाषा” के पीछे भागने और “जीविका का घमण्ड” करने के साथ-साथ परमेश्‍वर की इच्छा पूरी करना नामुमकिन है। * मगर ध्यान रहे कि सिर्फ परमेश्‍वर की इच्छा पूरी करने से ही हमें अनंत जीवन मिल सकता है।—1 यूहन्‍ना 2:16,17.

33. मसीही उस फंदे से कैसे बच सकते हैं जिसमें सोर फँस गया था?

33 धन-दौलत और साज़ो-सामान को सबसे ज़्यादा अहमियत देने के फंदे में सोर फँस गया था। दौलत कमाने में तो वह कामयाब रहा, मगर वह बहुत घमंडी हो गया और उसे उसके घमंड की सज़ा भी दी गयी। उसकी मिसाल, आज सब देशों और लोगों के लिए एक चेतावनी है। कितना अच्छा होगा कि हम प्रेरित पौलुस की सलाह को मानें! उसने मसीहियों से आग्रह किया कि “अभिमानी न हों और चंचल धन पर आशा न रखें, परन्तु परमेश्‍वर पर जो हमारे सुख के लिये सब कुछ बहुतायत से देता है।”—1 तीमुथियुस 6:17.

[फुटनोट]

^ पैरा. 3 कुछ विद्वानों ने कहा है कि तर्शीश वहाँ था जहाँ आज का सारडिन्या द्वीप है, जो पश्‍चिमी भूमध्य सागर में है। अगर इन विद्वानों की बात सच है, तब भी सारडिन्या, सोर से बहुत दूर था।

^ पैरा. 9 इस किताब का अध्याय 15, पेज 200-207 देखिए।

^ पैरा. 17 या फिर, शायद तर्शीश नगर के निवासियों को “तर्शीश की पुत्री” कहा गया है। एक किताब कहती है: “वैसे ही जैसे नील नदी सब दिशाओं में फैलकर बहती है, तर्शीश के निवासी भी अब यात्रा करने और व्यापार करने के लिए आज़ाद हैं।” चाहे जो भी हो, ज़ोर इस बात पर दिया गया है कि सोर के बरबाद होने से इसका दूर-दूर तक ज़बरदस्त असर होगा।

^ पैरा. 32 यहाँ “घमण्ड” शब्द को यूनानी शब्द आलाज़ोनिया के लिए इस्तेमाल किया गया है, जिसका मतलब है, “एक ऐसा अपवित्र और खोखला विश्‍वास कि सांसारिक चीज़ें कभी मिट नहीं सकतीं।”—द न्यू थेअर्स्‌ ग्रीक-इंग्लिश लेक्सीकन।

[अध्ययन के लिए सवाल]

[पेज 256 पर नक्शा]

(भाग को असल रूप में देखने के लिए प्रकाशन देखिए)

यूरोप

स्पेन (शायद तर्शीश यहाँ था)

भूमध्य सागर

सारडिन्या

साइप्रस

एशिया

सीदोन

सोर

अफ्रीका

मिस्र

[पेज 250 पर तसवीर]

सोर, अश्‍शूर के हाथों नहीं बल्कि कसदियों के हाथों गिरेगा

[पेज 256 पर तसवीर]

इस सिक्के पर मेलकार्त का चित्र बना है जो सोर का सबसे खास देवता था

[पेज 256 पर तसवीर]

फीनीके के जहाज़ का एक मॉडल