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विश्‍वासघात करनेवाली दाख की बारी पर हाय!

विश्‍वासघात करनेवाली दाख की बारी पर हाय!

सातवाँ अध्याय

विश्‍वासघात करनेवाली दाख की बारी पर हाय!

यशायाह 5:1-30

1, 2. यशायाह के “प्रिय” ने क्या लगाया, मगर उससे निराशा क्यों हुई?

“अगर भाषा की सुंदरता और खूबसूरत अंदाज़ में अपनी बात कहने के हुनर की बात आए, तो इस छोटे-से दृष्टांत को वाकई लाजवाब कहा जाना चाहिए।” बाइबल के एक टीकाकार ने ये शब्द, यशायाह की किताब के पाँचवें अध्याय की पहली कुछ आयतों के बारे में कहे। मगर यशायाह ने जो लिखा वह सिर्फ अच्छी भाषा में लिखा साहित्य नहीं है। इसके बजाय ये शब्द हमारे दिल को छू जाते हैं, क्योंकि इनमें हमें अपने लोगों के लिए यहोवा का प्यार और परवाह नज़र आती है। साथ ही, इन शब्दों से हमें एक चेतावनी भी मिलती है कि कौन-सी बातें यहोवा को पसंद नहीं आतीं।

2 यशायाह यह दृष्टांत बताना शुरू करता है: “अब मैं अपने प्रिय के लिये और उसकी दाख की बारी के विषय में गीत गाऊंगा: एक अति उपजाऊ टीले पर मेरे प्रिय की एक दाख की बारी थी। उस ने उसकी मिट्टी खोदी और उसके पत्थर बीनकर उस में उत्तम जाति की एक दाखलता लगाई; उसके बीच में उस ने एक गुम्मट बनाया, और दाखरस के लिये एक कुण्ड भी खोदा; तब उस ने दाख की आशा की, परन्तु उस में निकम्मी दाखें ही लगीं।”—यशायाह 5:1,2; मरकुस 12:1 से तुलना कीजिए।

दाख की बारी की देखभाल

3, 4. दाख की बारी की प्यार से देखभाल करने के लिए कितनी मेहनत की गयी?

3 हम नहीं जानते कि यशायाह सचमुच गाकर यह कहानी सुनाता है या नहीं, मगर एक बात तो सच है कि इससे सुननेवालों का ध्यान ज़रूर खिंचता है। इन सुननेवालों में ज़्यादातर लोग दाख की बारी लगाने का काम अच्छी तरह जानते हैं, साथ ही यशायाह का यह दृष्टांत सरल है और हकीकत से मेल भी खाता है। आज, दाख उगानेवालों की तरह इस दृष्टांत में बारी का मालिक अंगूर के बीज नहीं बोता बल्कि अंगूर की “उत्तम जाति की” अच्छी “दाखलता” की कलम या बेल लेकर लगाता है। इतना ही नहीं, वह अपनी दाख की बारी “एक अति उपजाऊ टीले पर” लगाता है, ताकि दाख की बारी बहुत फल-फूल सके।

4 दाख की बारी से फल पाने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती है। यशायाह बताता है कि बारी के मालिक ने ‘मिट्टी खोदी और उसके पत्थर बीने।’ ऐसे काम में ना सिर्फ घंटों सख्त मेहनत करनी पड़ती है बल्कि इसमें हालत भी पस्त हो जाती है! फिर इस मालिक ने इनमें से बड़े-बड़े पत्थर लेकर “एक गुम्मट बनाया।” पुराने ज़माने में ऐसे गुम्मट पहरेदारों के लिए चौकी का काम करते थे, जहाँ खड़े होकर वे बारी पर नज़र रखते थे और चोरों और जानवरों से फसल की रक्षा करते थे। * उसने सीढ़ीदार बारी के किनारे-किनारे पत्थर की दीवारें भी बनायीं। (यशायाह 5:5) यह अकसर इसलिए किया जाता था ताकि मिट्टी की ऊपरी उपजाऊ परत जो पौधों के लिए बहुत ज़रूरी थी, पानी में बह न जाए।

5. दाख की बारी का मालिक क्या उम्मीद करता है, मगर उसे क्या हासिल होता है?

5 अपनी दाख की बारी की देखभाल करने में खून-पसीना एक करने के बाद, मालिक का यह उम्मीद करना वाजिब है कि उसकी बारी अच्छा फल लाए। इसी उम्मीद के सहारे वह दाखरस निकालने के लिये एक कुण्ड भी खोदता है। लेकिन क्या उसकी उम्मीदें पूरी होती हैं? जी नहीं, अच्छे फल के बजाय दाख की बारी में जंगली अंगूर पैदा होते हैं।

दाख की बारी और उसका मालिक

6, 7. (क) दाख की बारी का मालिक कौन है और दाख की बारी क्या है? (ख) बारी का मालिक किस बात के लिए इंसाफ माँगता है?

6 आखिर, इस दाख की बारी का यह मालिक कौन है और दाख की बारी क्या है? बारी का मालिक खुद ही इन सवालों के जवाब देता है: “अब हे यरूशलेम के निवासियो और हे यहूदा के मनुष्यो, मेरे और मेरी दाख की बारी के बीच न्याय करो। मेरी दाख की बारी के लिये और क्या करना रह गया जो मैं ने उसके लिये न किया हो? फिर क्या कारण है कि जब मैं ने दाख की आशा की तब उस में निकम्मी दाखें लगीं? अब मैं तुम को जताता हूं कि अपनी दाख की बारी से क्या करूंगा। मैं उसके कांटेवाले बाड़े को उखाड़ दूंगा कि वह चट की जाए, और उसकी भीत को ढा दूंगा कि वह रौंदी जाए।”—यशायाह 5:3-5.

7 जी हाँ, यहोवा ही इस दाख की बारी का मालिक है। उसने मानो खुद को अदालत में पेश किया है और वह अपने और अपनी उस दाख की बारी के बीच इंसाफ करने की माँग करता है जिससे उसे सिर्फ निराशा ही हाथ लगी है। तो फिर, यह दाख की बारी क्या है? मालिक खुद जवाब देता है: “सेनाओं के यहोवा की दाख की बारी इस्राएल का घराना, और उसका मनभाऊ पौधा यहूदा के लोग हैं।”—यशायाह 5:7क.

8. यशायाह ने यहोवा को ‘मेरा प्रिय’ कहा, इससे क्या पता चलता है?

8 यशायाह, दाख की बारी के मालिक, यानी यहोवा को ‘मेरा प्रिय’ कहता है। (यशायाह 5:1) यशायाह परमेश्‍वर के बारे में इतने अपनेपन से सिर्फ इसलिए बोल सका क्योंकि यहोवा के साथ उसका बहुत ही गहरा और करीबी रिश्‍ता था। (अय्यूब 29:4; भजन 25:14 से तुलना कीजिए।) लेकिन इस भविष्यवक्‍ता का प्यार, परमेश्‍वर के उस प्यार के सामने कुछ भी नहीं जो उसने अपनी “दाख की बारी,” यानी उस जाति के लिए दिखाया जिसे उसने अपने हाथों से ‘लगाया’ था।—निर्गमन 15:17; भजन 80:8,9 से तुलना कीजिए।

9. यहोवा ने अपनी चुनी हुई जाति की देखभाल दाख की एक अनमोल बारी की तरह कैसे की?

9 यहोवा ने अपनी इस जाति को कनान देश में ‘लगाया’ था और उन्हें अपने नियम और कानून दिए थे। ये नियम एक ऐसी दीवार या बाड़े की तरह थे जो उन्हें दूसरी जातियों से अलग रखकर भ्रष्ट होने से बचाए रखते। (निर्गमन 19:5,6; भजन 147:19,20; इफिसियों 2:14) इसके अलावा, यहोवा ने उनके लिए न्यायी, याजक और भविष्यवक्‍ता भी ठहराए थे जो लोगों को समझाया और सिखाया करते थे। (2 राजा 17:13; मलाकी 2:7; प्रेरितों 13:20) और जब-जब इस्राएल पर दूसरे देश हमला करते थे तो यहोवा उन्हें छुटकारा देने के लिए छुड़ानेवालों को भेजता था। (इब्रानियों 11:32,33) इसलिए, यहोवा का यह पूछना मुनासिब है: “मेरी दाख की बारी के लिये और क्या करना रह गया जो मैं ने उसके लिये न किया हो?”

आज परमेश्‍वर की बारी को पहचानना

10. यीशु ने दाख की बारी के बारे में कौन-सा दृष्टांत दिया?

10 यीशु जब खून के प्यासे किसानों का दृष्टांत सुना रहा था तो शायद उसके मन में यशायाह के यही शब्द रहे होंगे: “एक गृहस्थ था, जिस ने दाख की बारी लगाई; और उसके चारों ओर बाड़ा बान्धा; और उस में रस का कुंड खोदा; और गुम्मट बनाया; और किसानों को उसका ठीका देकर परदेश चला गया।” मगर, अफसोस कि इन किसानों ने बारी के मालिक को धोखा दिया, यहाँ तक कि उसके बेटे को भी जान से मार डाला। यीशु ने आगे जो कहा उससे पता लगता है कि यह दृष्टांत सिर्फ इस्राएल जाति पर लागू नहीं होता बल्कि इसमें कोई और भी शामिल है। उसने कहा: “परमेश्‍वर का राज्य तुम [पैदाइशी इस्राएलियों] से ले लिया जाएगा; और ऐसी जाति को जो उसका फल लाए, दिया जाएगा।”—मत्ती 21:33-41,43.

11. पहली सदी में कौन आत्मिक दाख की बारी साबित हुए, मगर प्रेरितों की मौत के बाद क्या हुआ?

11 यह नयी “जाति” थी ‘परमेश्‍वर का इस्राएल।’ यह अभिषिक्‍त मसीहियों से बनी एक आत्मिक जाति थी जिसमें कुल-मिलाकर 1,44,000 सदस्य होते। (गलतियों 6:16; 1 पतरस 2:9,10; प्रकाशितवाक्य 7:3,4) यीशु ने अपने इन चेलों की तुलना ‘डालियों’ से की जो “सच्ची दाखलता” यानी खुद उससे जुड़ी हुई हैं। तो ज़ाहिर है कि वह इन डालियों से फल की उम्मीद करता। (यूहन्‍ना 15:1-5) इन लोगों को अपनी ज़िंदगी में फल लाना था यानी मसीह जैसे गुण पैदा करने थे और “राज्य का यह सुसमाचार” सुनाना था। (मत्ती 24:14; गलतियों 5:22,23) मगर बारह प्रेरितों की मौत के बाद से, “सच्ची दाखलता” की डालियाँ होने का दावा करनेवालों में से ज़्यादातर लोग जंगली डालियाँ साबित हुए। उन्होंने अच्छा फल लाने के बजाय जंगली अंगूर पैदा किए।—मत्ती 13:24-30,38,39.

12. यशायाह के शब्द कैसे ईसाईजगत की निंदा करते हैं, और इनमें सच्चे मसीहियों के लिए क्या सबक छिपा है?

12 इसलिए, यशायाह ने यहूदा की जो निंदा की वह आज ईसाईजगत पर पूरी तरह लागू होती है। जब हम इसके इतिहास पर नज़र डालते हैं तो पाते हैं कि उसने कितने युद्ध लड़े, धर्म के नाम पर जंगें लड़ीं और कत्लेआम किया है। वाकई इसने कैसे-कैसे कड़वे फल पैदा किए हैं! मगर, सच्ची दाख की बारी यानी अभिषिक्‍त मसीहियों को और “बड़ी भीड़” के उनके साथियों को यशायाह की कही बात माननी चाहिए। (प्रकाशितवाक्य 7:9) अगर वे चाहते हैं कि उनका मालिक उनसे खुश हो तो उनमें से हरेक को और उनके पूरे संगठन को ऐसे फल पैदा करने होंगे, जिन्हें देखकर वह बेहद खुश हो।

“निकम्मी दाखें”

13. यहोवा, बुरा फल लानेवाली अपनी दाख की बारी के साथ क्या करेगा?

13 अपनी दाख की बारी पर हद-से-ज़्यादा मेहनत करने और उसकी इतनी बेहतरीन देखभाल करने के बाद, यह जायज़ ही है कि यहोवा उसे “सुन्दर दाख की बारी” के रूप में देखना चाहता है। (यशायाह 27:2) मगर अच्छा फल लाने के बजाय, यह “निकम्मी दाखें” यानी शाब्दिक अर्थ में “बदबूदार चीज़ें” या “सड़े हुए फल” पैदा करती है। (यशायाह 5:2; NW, फुटनोट; यिर्मयाह 2:21) इसलिए यहोवा ऐलान करता है कि जो ‘बाड़ा’ उसने इस जाति की हिफाज़त करने के लिए चारों तरफ लगाया है वह उसे उखाड़ देगा। वह जाति ‘उजाड़ दी जाएगी’ और उसे त्याग दिया जाएगा और उसमें सूखा पड़ेगा। (यशायाह 5:6 पढ़िए।) मूसा ने उन्हें पहले से ही यह चेतावनी दे दी थी कि अगर वे परमेश्‍वर की कानून-व्यवस्था को तोड़ेंगे तो ये सारी आफतें उन पर आ पड़ेंगी।—व्यवस्थाविवरण 11:17; 28:63,64; 29:22,23.

14. यहोवा अपनी चुनी हुई जाति से कैसे फल की उम्मीद करता है, मगर वह कैसा फल लायी है?

14 परमेश्‍वर उम्मीद करता है कि उसकी चुनी हुई जाति अच्छे फल लाए। यशायाह के दिनों में रहनेवाला मीका कहता है: “यहोवा तुझ से इसे छोड़ और क्या चाहता है, कि तू न्याय से काम करे, और कृपा से प्रीति रखे, और अपने परमेश्‍वर के साथ नम्रता से चले?” (मीका 6:8; जकर्याह 7:9) मगर फिर भी यह जाति यहोवा की सलाह को नहीं मानती। [परमेश्‍वर] ने उन में न्याय की आशा की परन्तु अन्याय देख पड़ा; उस ने धर्म की आशा की, परन्तु उसे चिल्लाहट ही सुन पड़ी!” (यशायाह 5:7ख) मूसा ने भविष्यवाणी की थी कि इस्राएल यहोवा को छोड़ देगा और वह “सदोम की दाखलता” से ज़हरीले अंगूर पैदा करेगा। (व्यवस्थाविवरण 32:32) इसका मतलब है कि सदोम की तरह इस्राएल जाति बदचलन हो गई, वह पुरुषगमन जैसे अनैतिक काम करके सीधे-सीधे परमेश्‍वर के कानून तोड़ रही है। (लैव्यव्यवस्था 18:22) इस आयत में “अन्याय” शब्द को एक और तरीके से कहा जा सकता है, “खून बहाना।” ऐसे ज़ुल्म सहनेवालों की “चिल्लाहट” इस बारी के लगानेवाले परमेश्‍वर के कानों तक पहुँच गयी है।—अय्यूब 34:28 से तुलना कीजिए।

15, 16. सच्चे मसीही, उन बुरे फलों को पैदा करने से कैसे बचे रह सकते हैं जो इस्राएलियों ने पैदा किए थे?

15 यहोवा, “धर्म और न्याय से प्रीति” रखनेवाला परमेश्‍वर है। (भजन 33:5) उसने यहूदियों को आज्ञा दी थी: “न्याय में कुटिलता न करना; और न तो कंगाल का पक्ष करना और न बड़े मनुष्यों का मुंह देखा विचार करना; एक दूसरे का न्याय धर्म से करना।” (लैव्यव्यवस्था 19:15) इसलिए हमें बहुत सावधान रहना चाहिए कि हम एक-दूसरे से व्यवहार करते वक्‍त पक्षपात ना करें, कभी-भी जाति, उम्र, अमीरी-गरीबी को देखकर लोगों का न्याय ना करें। (याकूब 2:1-4) यह उन भाइयों के लिए खास तौर पर ध्यान में रखनेवाली बात है जो ज़िम्मेदारी के पद पर हैं कि न्याय करते वक्‍त दोनों पक्षों की बात सुने बिना, किसी एक की तरफदारी न करें, न ही ‘कोई भी काम पक्षपात से करें।’—1 तीमुथियुस 5:21; नीतिवचन 18:13.

16 इसके अलावा, हो सकता है कि आज के अधर्मी संसार में जीने की वजह से सच्चे मसीहियों का रवैया बदलने लगे। शायद वे परमेश्‍वर के आदर्शों से चिढ़ने लगें या उनका विरोध करने लगें। मगर ऐसा करने के बजाय सच्चे मसीहियों को हमेशा परमेश्‍वर के कानूनों को “मानने के लिए तैयार” रहना चाहिए। (याकूब 3:17, NW) “इस वर्तमान बुरे संसार” की बदचलनी और हिंसा के बावजूद, उन्हें ‘ध्यान से देखना चाहिए कि वे कैसी चाल चलते हैं; और निर्बुद्धियों की नाईं नहीं पर बुद्धिमानों की नाईं चलें।’ (गलतियों 1:4; इफिसियों 5:15) उन्हें सॆक्स के मामले में दुनिया का ‘सबकुछ-चलता-है’ रवैया नहीं अपनाना चाहिए। इसके अलावा, अगर उनमें आपस में कोई मनमुटाव हो तो उसे “प्रकोप और क्रोध, और कलह, और निन्दा” किए बिना दूर करना चाहिए। (इफिसियों 4:31) अगर सच्चे मसीही धार्मिकता का गुण पैदा करते हैं तो इससे परमेश्‍वर की महिमा होती है और उसकी आशीष भी मिलती है।

लालच की कीमत

17. यशायाह बुरे व्यवहार के लिए किसे पहला शाप सुनाता है?

17 आयत 8 में यहोवा नहीं, बल्कि यशायाह खुद बात करता है। वह यहूदा में पैदा होनेवाली ‘निकम्मी दाखों’ की निंदा करते हुए, खुद छः शाप देता है: “हाय उन पर जो घर से घर, और खेत से खेत यहां तक मिलाते जाते हैं कि कुछ स्थान नहीं बचता, कि तुम देश के बीच अकेले रह जाओ। सेनाओं के यहोवा ने मेरे सुनते कहा है: निश्‍चय बहुत से घर सुनसान हो जाएंगे, और बड़े बड़े और सुन्दर घर निर्जन हो जाएंगे। क्योंकि दस बीघे की दाख की बारी से एक ही बत दाखमधु मिलेगा, और होमेर भर के बीज से एक ही एपा अन्‍न उत्पन्‍न होगा।”—यशायाह 5:8-10.

18, 19. यशायाह के ज़माने के लोग, ज़मीन-जायदाद के बारे में यहोवा के नियमों को कैसे तोड़ रहे थे और उनका क्या अंजाम होना था?

18 प्राचीन इस्राएल में सारी ज़मीन का मालिक आखिरकार यहोवा ही था। परमेश्‍वर ने हर इस्राएली परिवार को विरासत में ज़मीन दी थी, जिसे वे किराये पर या ठेके पर किसी और को दे सकते थे। मगर वे ज़मीन को ‘सदा के लिये नहीं बेच’ सकते थे। (लैव्यव्यवस्था 25:23) इस कानून की वजह से, उनके बीच ज़मींदारी जैसे अपराध नहीं होते थे और कोई एक व्यक्‍ति सारी ज़मीन का मालिक नहीं बन पाता था। इस कानून की वजह से इस्राएली परिवार गरीबी के दलदल में नहीं गिरते थे। मगर, यहूदा में कुछ लोग लालच की वजह से ज़मीन-जायदाद के बारे में परमेश्‍वर के नियमों को तोड़ रहे थे। मीका ने लिखा: “वे खेतों का लालच करके उन्हें छीन लेते हैं, और घरों का लालच करके उन्हें भी ले लेते हैं; और उसके घराने समेत पुरुष पर, और उसके निज भाग समेत किसी पुरुष पर अन्धेर और अत्याचार करते हैं।” (मीका 2:2) मगर नीतिवचन 20:21 हमें चेतावनी देता है: “जो भाग पहिले उतावली [“लोभ,” NW] से मिलता है, अन्त में उस पर आशीष नहीं होती।”

19 यहोवा वादा करता है कि इन लोभियों ने नाजायज़ तरीकों से जितनी भी ज़मीन-जायदाद हड़प ली है वह सब उनसे छीन लेगा। जो घर उन्होंने दूसरों से छीने हैं, वे “निर्जन हो जाएंगे।” जिस ज़मीन का उन्होंने लालच किया था, उसकी पैदावार घटकर न के बराबर रह जाएगी। यह शाप कैसे और कब पूरा होगा यह नहीं बताया गया। शायद यह कुछ हद तक उस वक्‍त की तरफ इशारा करता है जब यहूदियों को बंधुआ बनाकर बाबुल ले जाया जाता।—यशायाह 27:10.

20. आज मसीही कुछ इस्राएलियों की तरह लालची होने से कैसे बचे रह सकते हैं?

20 धन-दौलत हासिल करने के लिए इस्राएलियों के लालच की कोई इंतहा नहीं थी। मगर, आज मसीहियों को ऐसी लालच से घृणा होनी चाहिए। (नीतिवचन 27:20) जब धन-दौलत और ऐशो-आराम हासिल करना ही ज़िंदगी का मकसद बन जाता है, तब इंसान पैसा कमाने के लिए किसी भी हद तक गिर सकता है। हम शायद गलत किस्म के और बेईमानी के धंधे करने लगें या फिर रातों-रात अमीर बनने के ख्वाब दिखानेवाली स्कीमों के जाल में फँस जाएँ। मगर, “जो धनी होने में उतावली करता है, वह निर्दोष नहीं ठहरता।” (नीतिवचन 28:20) तो फिर, कितना ज़रूरी है कि हमारे पास जितना है हम उसी में संतोष करना सीखें!—1 तीमुथियुस 6:8.

गलत किस्म के मनोरंजन का फँदा

21. यशायाह के दूसरे शाप में किन पापों की निंदा की गयी है?

21 इसके बाद यशायाह दूसरा शाप सुनाता है: “हाय उन पर जो बड़े तड़के उठकर मदिरा पीने लगते हैं और बड़ी रात तक दाखमधु पीते रहते हैं जब तक उनको गर्मी न चढ़ जाए! उनकी जेवनारों में वीणा, सारंगी, डफ, बांसली और दाखमधु, ये सब पाये जाते हैं; परन्तु वे यहोवा के कार्य की ओर दृष्टि नहीं करते, और उसके हाथों के काम को नहीं देखते।”—यशायाह 5:11,12.

22. इस्राएल में लोग कैसे मर्यादा से बाहर जा रहे हैं, और इस जाति के लिए इसका नतीजा क्या होगा?

22 यहोवा परमेश्‍वर “आनन्दित परमेश्‍वर” है, इसलिए अगर उसके सेवक कुछ हद तक मनोरंजन करते हैं तो वह बुरा नहीं मानता। (1 तीमुथियुस 1:11NW) मगर, यशायाह के ज़माने में सुख-विलास में डूबे ये लोग, मर्यादा की सारी हदें पार कर चुके हैं! बाइबल बताती है कि “जो मतवाले होते हैं, वे रात ही को मतवाले होते हैं।” (1 थिस्सलुनीकियों 5:7) मगर इस भविष्यवाणी में बताए गए ये पियक्कड़ तड़के उठकर ही पीने लगते हैं और देर रात तक पीते रहते हैं! वे ऐसे पेश आते हैं मानो परमेश्‍वर है ही नहीं, और न ही वह उनसे उनके कामों का लेखा लेगा। यशायाह भविष्यवाणी करता है कि ऐसे लोगों का भविष्य अंधियारा होगा। “अज्ञानता के कारण मेरी प्रजा बंधुआई में जाती है, उसके प्रतिष्ठित पुरुष भूखों मरते और साधारण लोग प्यास से व्याकुल होते हैं।” (यशायाह 5:13) परमेश्‍वर के साथ वाचा में बँधी हुई जाति सच्चे ज्ञान के मुताबिक व्यवहार करना नहीं चाहती, इसलिए उसके प्रतिष्ठित जन और आम जनता, सभी लोग अधोलोक में जा पड़ेंगे।यशायाह 5:14-17 पढ़िए।

23, 24. मसीहियों को किस तरह संयम बरतने और खुद पर काबू रखने की आज्ञा दी गयी है?

23 पहली सदी के कुछ मसीहियों में भी “लीलाक्रीड़ा” या “रंगरेलियाँ” मनाने की समस्या थी। (गलतियों 5:21, NHT; 2 पतरस 2:13) इसलिए यह कोई ताज्जुब की बात नहीं कि आज भी कुछ ऐसे समर्पित मसीही हैं जिन्होंने पार्टियों में जाने के मामले में समझ से काम नहीं लिया है। कुछ ने तो हद-से-ज़्यादा शराब पीकर बहुत हंगामा भी किया है। (नीतिवचन 20:1) इनमें से कुछ ने शराब के नशे में अनैतिक काम किए हैं और कुछ पार्टियाँ तो लगभग सारी रात चलती रहीं और इस वजह से भाई-बहन अगले दिन प्रचार के काम में या मसीही सभाओं में नहीं जा सके।

24 लेकिन, सोच-समझ से काम लेनेवाले मसीही, परमेश्‍वर को भानेवाले फल पैदा करते हैं और वे कैसा मनोरंजन करेंगे यह फैसला करते वक्‍त संयम से काम लेते हैं और अपनी भावनाओं पर काबू रखते हैं। वे रोमियों 13:13 में पायी जानेवाली पौलुस की सलाह को मानते हैं: “जैसा दिन को सोहता है, वैसा ही हम सीधी चाल चलें; न कि लीला क्रीड़ा, और पियक्कड़पन . . . में।”

पाप से घृणा और सच्चाई से प्रेम

25, 26. यशायाह अपने तीसरे और चौथे शाप में इस्राएलियों के किन दुष्ट विचारों का परदाफाश करता है?

25 अब यशायाह तीसरा और चौथा शाप सुनाता है: “हाय उन पर जो अधर्म को अनर्थ की रस्सियों से और पाप को मानो गाड़ी के रस्से से खींच ले आते हैं, जो कहते हैं, वह फुर्ती करे और अपने काम को शीघ्र करे कि हम उसको देखें; और इस्राएल के पवित्र की युक्‍ति प्रगट हो, वह निकट आए कि हम उसको समझें! हाय उन पर जो बुरे को भला और भले को बुरा कहते, जो अंधियारे को उजियाला और उजियाले को अंधियारा ठहराते, और कड़ुवे को मीठा और मीठे को कड़वा करके मानते हैं!”—यशायाह 5:18-20.

26 पाप में फँसे लोगों की क्या ही मिसाल दी गई है! वे पाप से इस कदर बँधे हुए हैं जैसे बोझा ढोनेवाले जानवर गाड़ियों से बँधे होते हैं। इन पापियों को आनेवाले न्याय के दिन का कोई डर नहीं है। इसके बजाय वे ठट्ठा उड़ाते हुए कहते हैं: “[परमेश्‍वर] अपने काम को शीघ्र करे।” परमेश्‍वर ने सही और गलत के जो कानून बनाए हैं, उन्हें मानने के बजाय वे उनका गलत मतलब निकालकर “बुरे को भला और भले को बुरा कहते” हैं।—यिर्मयाह 6:15; 2 पतरस 3:3-7 से तुलना कीजिए।

27. आज मसीही कैसे इस्राएलियों जैसे रवैए से बच सकते हैं?

27 आज मसीहियों को हर हाल में ऐसे सोच-विचार से दूर रहना चाहिए। मिसाल के तौर पर, आज दुनिया व्यभिचार और पुरुषगमन जैसे कामों को गंदा नहीं समझती, मगर मसीही इस नज़रिए को अपनाने से इंकार कर देते हैं। (इफिसियों 4:18,19) हाँ, हो सकता है कि कुछ मसीही कोई ऐसा ‘गलत कदम उठाएं’ जिससे वे गंभीर पाप कर बैठें। (गलतियों 6:1, NW) ऐसा होने पर, कलीसिया के प्राचीन उन लोगों की मदद करने के लिए तैयार हैं जो पाप में पड़ गए हैं और मदद चाहते हैं। (याकूब 5:14,15) उनके लिए प्रार्थना करने और बाइबल से सलाह देकर उनकी मदद करने पर, वे आध्यात्मिक तरीके से फिर भले-चंगे हो सकते हैं। अगर ऐसा नहीं किया गया, तो खतरा रहता है कि कहीं वे ‘पाप के दास’ न बन जाएँ। (यूहन्‍ना 8:34) परमेश्‍वर का ठट्ठा उड़ाने और आनेवाले न्याय के दिन को भूल जाने के बजाय, मसीहियों की हमेशा यही कोशिश रहती है कि वे यहोवा के सामने “निष्कलंक और निर्दोष” बने रहें।—2 पतरस 3:14; गलतियों 6:7,8.

28. यशायाह के आखिरी शापों में किन पापों की निंदा की गयी है और आज मसीही ऐसे पापों से कैसे दूर रह सकते हैं?

28 इसीलिए यशायाह अब ये आखिरी शाप सुनाता है: “हाय उन पर जो अपनी दृष्टि में ज्ञानी और अपने लेखे बुद्धिमान हैं! हाय उन पर जो दाखमधु पीने में वीर और मदिरा को तेज़ बनाने में बहादुर हैं, जो घूस लेकर दुष्टों को निर्दोष, और निर्दोषों को दोषी ठहराते हैं!” (यशायाह 5:21-23) ज़ाहिर है कि ये शब्द उन लोगों से कहे गए थे जो इस्राएल देश में न्यायियों का काम करते थे। उसी तरह आज कलीसिया के प्राचीन यह एहसास नहीं देते कि वे “अपनी दृष्टि में ज्ञानी” हैं। बल्कि वे नम्रता से दूसरे प्राचीनों की सलाह को मानते हैं और संगठन के ज़रिए मिलनेवाली हिदायतों का पूरी सख्ती से पालन करते हैं। (नीतिवचन 1:5; 1 कुरिन्थियों 14:33) वे मदिरा या शराब पीने के मामले में संयम बरतते हैं और कलीसिया की सभाओं में अपने भाग पेश करने या दूसरी ज़िम्मेदारियाँ निभाने से पहले कभी शराब का सेवन नहीं करते। (होशे 4:11) इसके अलावा प्राचीन इसका भी ध्यान रखते हैं कि वे गलती से भी किसी को यह एहसास ना दिलाएँ कि वे पक्षपात कर रहे हैं और कलीसिया में कुछ खास भाई-बहनों को ही पसंद करते हैं। (याकूब 2:9) उनमें और ईसाईजगत के पादरियों में ज़मीन-आसमान का फर्क है! क्योंकि कई पादरी ऐसे हैं जो चर्च में आनेवाले दुष्ट पापियों के पाप सिर्फ इसलिए छिपा देते हैं, क्योंकि उनका बहुत दबदबा है या वे बहुत दौलतमंद हैं। यह रोमियों 1:18,26,27; 1 कुरिन्थियों 6:9,10 और इफिसियों 5:3-5 में प्रेरित पौलुस की लिखी चेतावनियों का कैसा घोर उल्लंघन है!

29. यहोवा की इस्राएली दाख की बारी का कैसा बुरा अंत होनेवाला है?

29 यशायाह इस भविष्यवाणी के आखिर में उन लोगों के बुरे अंत के बारे में बताता है जिन्होंने “यहोवा की व्यवस्था को निकम्मी जाना” है और जो धार्मिकता का फल नहीं लाते। (यशायाह 5:24,25; होशे 9:16; मलाकी 4:1) वह ऐलान करता है: [यहोवा] दूर दूर की जातियों के लिये झण्डा खड़ा करेगा, और सींटी बजाकर उनको पृथ्वी की छोर से बुलाएगा; देखो, वे फुर्ती करके वेग से आएंगे!”—यशायाह 5:26; व्यवस्थाविवरण 28:49; यिर्मयाह 5:15.

30. यहोवा के लोगों के खिलाफ बड़ी ‘जाति’ को कौन इकट्ठा करेगा और इसका नतीजा क्या होगा?

30 प्राचीन काल में किसी ऊँचे स्थान पर कोई खंभा या “झण्डा” एक निशानी का काम करता था जहाँ लोग या सेनाएँ इकट्ठी होती थीं। (यशायाह 18:3; यिर्मयाह 51:27 से तुलना कीजिए।) अब यहोवा दंड देने के लिए, खुद एक अनाम और बड़ी ‘जाति’ को इकट्ठा करेगा। * अपने दुष्ट लोगों की तरफ उनका ध्यान खींचने के लिए, वह मानो ‘सीटी बजाकर’ उनको बुलाएगा ताकि वे आकर उन्हें अपने शिकंजे में ले लें। इसके बाद, यशायाह बताता है कि खूँखार शेर की तरह ये विजेता किस तेज़ी से और निर्दयता से हमला करेंगे। वे “अहेर को” या अपने शिकार, यानी परमेश्‍वर की जाति को “पकड़ लेते” हैं और उन्हें बंधुआ बनाकर “ले भागते हैं।” (यशायाह 5:27-30क पढ़िए।) यहोवा के लोगों के देश के लिए क्या ही दुःखद अंजाम! “यदि कोई देश की ओर देखे, तो उसे अन्धकार और संकट देख पड़ेगा और ज्योति मेघों से छिप जाएगी।”—यशायाह 5:30ख.

31. सच्चे मसीही उस सज़ा से कैसे बच सकते हैं जो यहोवा की इस्राएली दाख की बारी को मिली थी?

31 जी हाँ, जिस दाख की बारी को परमेश्‍वर ने इतने प्यार और जतन से लगाया, वह बारी कोई फल नहीं लायी और सिर्फ विनाश के लायक साबित हुई। आज, यहोवा के सभी सेवकों के लिए यशायाह की भविष्यवाणी क्या ही ज़बरदस्त सबक है! इसलिए हमारी कामना है कि यहोवा के सभी सेवक सिर्फ धार्मिकता का फल ही लाएँ, जिससे यहोवा की महिमा हो और खुद उनका उद्धार भी हो!

[फुटनोट]

^ पैरा. 4 कुछ विद्वानों का कहना है कि पत्थरों से बनाए गए गुम्मट के बजाय आम तौर पर कच्चा-सा छप्पर या झोंपड़ा बनाया जाता था और इसमें खर्च भी कम होता था। (यशायाह 1:8) तो फिर, बारी में एक गुम्मट का होना यह दिखाता है कि इसके मालिक ने अपनी “दाख की बारी” की देखभाल करने के लिए कोई कमी नहीं छोड़ी थी।

^ पैरा. 30 दूसरी भविष्यवाणियों में, यशायाह इस जाति का नाम बाबुल बताता है, जो यहूदा पर यहोवा का न्यायदंड लाकर उसे तबाह कर देती है।

[अध्ययन के लिए सवाल]

[पेज 83 पर तसवीर]

एक पापी पाप से इस कदर बँध जाता है, जैसे बोझा ढोनेवाला जानवर गाड़ी से

[पेज 85 पर बड़ी तसवीर दी गयी है]