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“तुम मेरे साक्षी हो”!

“तुम मेरे साक्षी हो”!

चौथा अध्याय

“तुम मेरे साक्षी हो”!

यशायाह 43:1-28

1. यहोवा अपनी भविष्यवाणियों से क्या साबित करता है, और उनको पूरा होते देख उसके लोगों का क्या फर्ज़ बनता है?

सच्चे परमेश्‍वर की एक पहचान यह है कि वह भविष्य के बारे में बता सकता है जबकि झूठे देवी-देवता ऐसा नहीं कर सकते। जब यहोवा भविष्यवाणी करता है, तो उसका मकसद सिर्फ यह साबित करना नहीं होता कि वही सच्चा परमेश्‍वर है। यशायाह का 43वाँ अध्याय दिखाता है कि यहोवा की भविष्यवाणियाँ न सिर्फ उसके सच्चा परमेश्‍वर होने का सबूत होती हैं बल्कि इस बात का भी सबूत होती हैं कि वह अपने चुने हुए लोगों से बेहद प्यार करता है। इसलिए उसके लोगों का फर्ज़ बनता है कि वे पूरी हुई भविष्यवाणियों के बारे में जानकर चुप न रहें बल्कि उनके बारे में साक्षी दें। जी हाँ, उन्हें यहोवा के साक्षी होना है!

2. (क) यशायाह के दिनों में इस्राएल की आध्यात्मिक दशा कैसी थी? (ख) यहोवा अपने लोगों की आँखें कैसे खोलता है?

2 लेकिन दुःख की बात है कि यशायाह के दिनों तक इस्राएल की दशा इतनी बदतर हो चुकी है कि यहोवा की नज़रों में वे आध्यात्मिक रूप से अपाहिज हैं। यहोवा कहता है: “आंख रखते हुए अन्धों को और कान रखते हुए बहिरों को निकाल ले आओ!” (यशायाह 43:8) भला आध्यात्मिक रूप से अन्धे और बहिरे लोग यहोवा के जीते-जागते साक्षी बनकर कैसे उसकी सेवा कर सकते हैं? उनका सिर्फ एक ही इलाज है। उनकी आँखें और कान किसी चमत्कार से खोले जाएँ। और यहोवा यही करता है! कैसे? पहले यहोवा उनको कड़ा अनुशासन देता है। वह सा.यु.पू. 740 में, उत्तर के इस्राएल राज्य के लोगों को और सा.यु.पू. 607 में यहूदा के निवासियों को बंधुआई में जाने देता है। फिर, यहोवा अपने लोगों की खातिर सामर्थ दिखाते हुए सा.यु.पू. 537 में उन्हें बंधुआई से छुड़ाकर वापस उनके देश पहुँचा देता है। पश्‍चाताप दिखानेवाले इन शेष लोगों में आध्यात्मिक बातों के लिए नया जोश है। उनके लिए यहोवा ने जो मकसद ठहराया है उसे पूरा होने से कोई नहीं रोक सकता। इस बात का यहोवा को इतना यकीन है कि वह करीब 200 साल पहले इस्राएल के आज़ाद होने की भविष्यवाणी ऐसे करता है मानो यह पूरी हो चुकी।

3. भविष्य में बंधुआई में जानेवालों की यहोवा कैसे हिम्मत बँधाता है?

3 “ओ याकूब, तेरा रचनेवाला; ओ इस्राएल तेरा गढ़नेवाला, प्रभु [यहोवा] अब यों कहता है: ‘मत डर, क्योंकि मैंने तुझे छुड़ा लिया है। मैंने तेरा नाम लेकर तुझे छुड़ाया है, तू मेरा है। जब तू समुद्र पर यात्रा करेगा, मैं तेरे साथ रहूंगा। जब तू नदियों पर . . . जाएगा तब नदियां तुझे डुबो ना सकेंगी। यदि तू आग पर चलेगा, तो भी तू नहीं जलेगा; लपटें तुझे भस्म न कर सकेंगी। क्योंकि मैं तेरा प्रभु परमेश्‍वर हूं; मैं तुझे बचानेवाला, इस्राएली राष्ट्र का पवित्र परमेश्‍वर हूं।’”—यशायाह 43:1-3क, नयी हिन्दी बाइबिल।

4. इसका मतलब क्या है कि यहोवा, इस्राएल का सिरजनहार है और वह अपने लोगों को वापस उनके देश पहुँचाने का कैसे यकीन दिलाता है?

4 यहोवा को इस्राएल जाति से खास लगाव है क्योंकि वे उसके निज लोग हैं। यहोवा ने इब्राहीम से अपनी वाचा को निभाते हुए खुद इस जाति को पैदा किया था। (उत्पत्ति 12:1-3) इसलिए, भजन 100:3 कहता है: “निश्‍चय जानो, कि यहोवा ही परमेश्‍वर है! उसी ने हम को बनाया, और हम उसी के हैं; हम उसकी प्रजा, और उसकी चराई की भेड़ें हैं।” यहोवा, इस्राएल का सिरजनहार और छुड़ानेवाला है, इसलिए वह अपने लोगों को सुरक्षित उनके देश वापस ले जाएगा। उन्हें समुद्र, उमड़ती नदियाँ और तपते रेगिस्तान भी ना रोक पाएँगे, ना ही उनका कुछ नुकसान कर सकेंगे, ठीक वैसे ही जैसे ये चीज़ें करीब एक हज़ार साल पहले उनके बाप-दादाओं की राह में रुकावट पैदा नहीं कर पायी थीं जब वे वादा किए हुए देश की तरफ जा रहे थे।

5. (क) यहोवा के शब्दों से आत्मिक इस्राएल की हिम्मत कैसे बँधी है? (ख) आत्मिक इस्राएल के साथी कौन हैं, और इनकी तुलना किन लोगों से की जा सकती है?

5 यहोवा के ये शब्द आज आत्मिक इस्राएल के शेष जनों की भी हिम्मत बँधाते हैं। इसके सदस्य आत्मा से जन्मी “नई सृष्टि” हैं। (2 कुरिन्थियों 5:17) उन्होंने मानवजाति के “समुद्र” के सामने बड़ी निडरता से कदम रखा या खुद को पेश किया और मुसीबतों की बाढ़ के दौरान उन्होंने परमेश्‍वर के प्यार और उसकी हिफाज़त को महसूस किया है। दुश्‍मनों की ओर से आनेवाली आग की लपटें यानी परीक्षाएँ उनको भस्म नहीं कर सकीं। इसके बजाय इन परीक्षाओं ने उन्हें शुद्ध किया है। (जकर्याह 13:9; प्रकाशितवाक्य 12:15-17) इसी तरह यहोवा ने ‘अन्य भेड़ों’ की “बड़ी भीड़” की भी प्यार से देखभाल की है, जो परमेश्‍वर की आत्मिक जाति के साथ आ मिली है। (यूहन्‍ना 10:16NW; प्रकाशितवाक्य 7:9) बड़ी भीड़ के लोग उस ‘मिली जुली हुई भीड़’ की तरह हैं जो इस्राएलियों के साथ मिस्र से निकल आयी थी। और वे उन गैर-यहूदियों की तरह भी हैं जो बाबुल की बंधुआई से छूटकर आए यहूदियों के साथ-साथ वहाँ से निकल पड़े थे।—निर्गमन 12:38; एज्रा 2:1,43,55,58.

6. (क) पैदाइशी इस्राएल और (ख) आत्मिक इस्राएल को छुड़ाने के संबंध में यहोवा किस तरह दिखाता है कि वह एक न्यायी परमेश्‍वर है?

6 यहोवा अपने लोगों से वादा करता है कि वह मादी-फारस की सेना के ज़रिए उन्हें बाबुल से छुड़ाएगा। (यशायाह 13:17-19; 21:2,9; 44:28; दानिय्येल 5:28) एक न्यायी परमेश्‍वर होने के नाते, यहोवा अपने मादी-फारसी “सेवकों” को इस्राएल की फिरौती की सही कीमत देगा। “तेरी छुड़ौती में मैं मिस्र को और तेरी सन्ती कूश और सबा को देता हूं। मेरी दृष्टि में तू अनमोल और प्रतिष्ठित ठहरा है और मैं तुझ से प्रेम रखता हूं, इस कारण मैं तेरी सन्ती मनुष्यों को और तेरे प्राण के बदले में राज्य राज्य के लोगों को दे दूंगा।” (यशायाह 43:3ख,4) इतिहास दिखाता है कि परमेश्‍वर के वचन के मुताबिक, फारसी साम्राज्य ने मिस्र, कूश और पास के सबा देश को सचमुच अपने अधिकार में ले लिया था। (नीतिवचन 21:18) उसी तरह, 1919 में यहोवा ने यीशु मसीह के ज़रिए, आत्मिक इस्राएल को बंधुआई से रिहा करवाया। लेकिन, यीशु को इस सेवा के लिए इनाम की ज़रूरत नहीं थी। वह कुस्रू की तरह कोई विधर्मी राजा नहीं था। और फिर, उसने तो अपने ही आत्मिक भाइयों को छुड़ाया था। इसके अलावा, यहोवा ने इससे पहले ही यानी 1914 में ‘जाति जाति के लोगों को उसकी सम्पत्ति होने के लिये, और दूर दूर के देशों को उसकी निज भूमि बनने के लिये दे दिया था।’—भजन 2:8.

7. यहोवा प्राचीन समय के और आज के समय के अपने लोगों के बारे में कैसा महसूस करता है?

7 ध्यान दीजिए कि इस आयत में यहोवा अपने छुड़ाए हुए लोगों के लिए अपनी कोमल भावनाएँ कैसे खुलकर ज़ाहिर करता है। वह उन्हें बताता है कि उसकी नज़रों में वे “अनमोल” और “प्रतिष्ठित” हैं और वह उनसे “प्रेम” करता है। (यिर्मयाह 31:3) आज अपने वफादार सेवकों के लिए वह ऐसा ही, बल्कि इससे भी गहरा प्यार महसूस करता है। अभिषिक्‍त मसीहियों का परमेश्‍वर के साथ रिश्‍ता जोड़ा गया है, लेकिन ऐसा जन्म से ही नहीं हुआ, बल्कि जब उन्होंने खुद अपनी मरज़ी से अपनी ज़िंदगी सिरजनहार को समर्पित की तब पवित्र आत्मा ने उन पर काम करना शुरू किया और परमेश्‍वर के साथ उनका नया रिश्‍ता कायम हुआ। यहोवा ने उन्हें अपने और अपने बेटे की तरफ खींच लिया है और अपने नियमों और सिद्धांतों को उनके आज्ञाकारी हृदय पर लिख दिया है।—यिर्मयाह 31:31-34; यूहन्‍ना 6:44.

8. यहोवा, बंधुओं को क्या तसल्ली देता है और वे अपने छुटकारे के बारे में कैसा महसूस करेंगे?

8 बंधुआई में पड़े लोगों को और भी तसल्ली देते हुए, यहोवा आगे कहता है: “मत डर, क्योंकि मैं तेरे साथ हूं: मैं तेरे वंश को पूर्व से ले आऊंगा और पश्‍चिम से भी इकट्ठा करूंगा। मैं उत्तर से कहूंगा, ‘उन्हें छोड़ दे।’ तथा दक्षिण से, ‘उनको रोके मत रख!’ मेरे पुत्रों को दूर से तथा मेरी पुत्रियों को पृथ्वी के छोर से ले आओ, अर्थात्‌ हर एक को जो मेरे नाम का कहलाता है, जिसको मैंने अपनी महिमा के लिए सृजा है, तथा जिसको मैंने रचा और बनाया है।” (यशायाह 43:5-7, NHT) जब यहोवा के पुत्र-पुत्रियों को छुड़ाने और उन्हें अपने प्यारे वतन में वापस ले आने का वक्‍त आएगा तो पृथ्वी के दूर-से-दूर इलाके भी यहोवा की पहुँच से दूर ना होंगे। (यिर्मयाह 30:10,11) बेशक, उनकी नज़र में, इस छुटकारे के सामने प्राचीनकाल में मिस्र से इस जाति का छुटकारा भी फीका पड़ जाएगा।—यिर्मयाह 16:14,15.

9. किन दो तरीकों से यहोवा छुटकारे के अपने वादों के साथ अपना नाम जोड़ता है?

9 एक तो यहोवा अपनी प्रजा, इस्राएल को यह याद दिलाकर कि वे उसके नाम के लोग कहलाते हैं, एक बार फिर यकीन दिलाता है कि वह इस्राएल को छुड़ाने का अपना वादा ज़रूर पूरा करेगा। (यशायाह 54:5,6) दूसरे, वह छुटकारे के अपने वादों के साथ भी अपना नाम जोड़ता है। इन दो तरीकों से वह शक की कोई गुंजाइश नहीं छोड़ता ताकि जब उसकी भविष्यवाणी पूरी होगी तो वही इसके लिए महिमा पाए। यहाँ तक कि बाबुल के जीतनेवाले को भी वह गौरव नहीं मिलेगा जिसे पाने का असली हकदार सिर्फ एकमात्र जीवित परमेश्‍वर है।

देवी-देवताओं पर मुकद्दमा

10. देशों और उनके देवताओं के सामने यहोवा क्या चुनौती पेश करता है?

10 अब यहोवा, इस्राएल को छुड़ाने के अपने वादे के आधार पर सारे विश्‍वमंडल के सामने देश-देश के देवी-देवताओं पर मुकद्दमा करता है। हम पढ़ते हैं: “जाति जाति के लोग इकट्ठे किए जाएं और राज्य राज्य के लोग एकत्रित हों। उन [देवताओं] में से कौन यह बात बता सकता वा बीती हुई बातें हमें सुना सकता है? वे [उनके देवता] अपने साक्षी ले आएं जिस से वे सच्चे ठहरें, वे सुन लें और कहें, यह सत्य है।” (यशायाह 43:9) यहोवा दुनिया के देशों के सामने एक ज़बरदस्त चुनौती पेश करता है। दूसरे शब्दों में कहें तो यहोवा उनसे कहता है: ‘अपने देवताओं से कहो कि भविष्य के बारे में सही-सही बताकर साबित कर दिखाएँ कि वे सचमुच देवता हैं।’ सिर्फ सच्चा परमेश्‍वर ही भविष्य के बारे में बिलकुल ठीक-ठीक बता सकता है, इसलिए इस परीक्षा में सभी ढोंगियों का परदाफाश हो जाएगा। (यशायाह 48:5) लेकिन सर्वशक्‍तिमान उनके सामने एक और कानूनी शर्त रखता है: जो भी सच्चे देवता होने का दावा करते हैं, उन्हें अपने साक्षी पेश करने होंगे, जो अपने देवताओं की भविष्यवाणियों के बारे में और उनके पूरा होने के बारे में भी गवाही दें। बेशक, यह शर्त यहोवा अपने लिए भी रखता है।

11. यहोवा अपने दास को क्या ज़िम्मेदारी सौंपता है, और यहोवा अपने ईश्‍वरत्व का क्या सबूत पेश करता है?

11 बेजान, झूठे देवी-देवता कोई भी साक्षी पेश नहीं कर पाते। उनके लिए बड़े शर्म की बात है कि गवाहों का कठघरा खाली रहता है। लेकिन अब यहोवा की बारी आती है कि वह अपने ईश्‍वरत्व का सबूत पेश करे। वह अपने लोगों की तरफ देखकर कहता है: “तुम मेरे साक्षी हो और मेरे दास हो, जिन्हें मैं ने इसलिये चुना है कि समझकर मेरी प्रतीति करो और यह जान लो कि मैं वही हूं। मुझ से पहिले कोई ईश्‍वर न हुआ और न मेरे बाद भी कोई होगा। मैं ही यहोवा हूं और मुझे छोड़ कोई उद्धारकर्त्ता नहीं। मैं ही ने समाचार दिया और उद्धार किया और वर्णन भी किया, जब तुम्हारे बीच में कोई पराया देवता न था; इसलिये तुम ही मेरे साक्षी हो, . . . मैं ही ईश्‍वर हूं और भविष्य में भी मैं ही हूं; मेरे हाथ से कोई छुड़ा न सकेगा; जब मैं काम करना चाहूं तब कौन मुझे रोक सकेगा।”—यशायाह 43:10-13.

12, 13. (क) यहोवा के लोगों के पास पेश करने के लिए कौन-से ढेरों सबूत हैं? (ख) आज के समय में किस तरह यहोवा के नाम को ख्याति मिली है?

12 यहोवा के ये शब्द सुनते ही गवाहों का कठघरा, साक्षियों की भीड़ से खचाखच भर जाता है, और ये साक्षी बहुत खुश हैं। वे साफ शब्दों में ऐसी गवाही देते हैं जिसका कोई तोड़ नहीं। यहोशू की तरह वे गवाही देते हैं, ‘यहोवा ने जो कुछ भी कहा है वह सब कुछ पूरा हुआ है। उसकी एक बात भी बिना पूरी हुए नहीं रही।’ (यहोशू 23:14) यहोवा के सेवकों के कानों में वे शब्द गूँज रहे हैं जो यशायाह, यिर्मयाह, यहेजकेल और दूसरे भविष्यवक्‍ताओं ने मानो एक ही आवाज़ में कहे थे कि यहूदा बंदी बनाया जाएगा और फिर चमत्कारिक तरीके से छुड़ाया जाएगा। (यिर्मयाह 25:11,12) यहोवा ने यहूदा के छुड़ानेवाले कुस्रू का नाम भी उसके पैदा होने से बरसों पहले बता दिया था!—यशायाह 44:26–45:1.

13 इन ढेरों सबूतों को देखकर कौन इनकार कर सकता है कि सिर्फ यहोवा ही सच्चा परमेश्‍वर है? यहोवा, झूठे धर्म के देवताओं की तरह नहीं है, केवल वही एक परमेश्‍वर है जिसे किसी ने नहीं सृजा; उसे छोड़ कोई और सच्चा परमेश्‍वर नहीं है। * इसलिए यहोवा का नाम धारण करनेवालों के पास अनोखा और शानदार मौका है कि वे आनेवाली पीढ़ियों को और यहोवा के बारे में जानने की इच्छा रखनेवालों को भी उसके आश्‍चर्यकर्मों के बारे में बताएँ। (भजन 78:5-7) उसी तरह, आज यहोवा के साक्षियों को सारी धरती पर यहोवा के नाम का ऐलान करने का सुअवसर मिला है। उन्‍नीस सौ बीस के दशक में बाइबल विद्यार्थियों ने और भी अच्छी तरह समझा कि परमेश्‍वर के नाम, यहोवा में कितना गहरा अर्थ छिपा है। फिर जुलाई 26,1931 को कोलम्बस, ओहायो में हुए अधिवेशन में संस्था के अध्यक्ष, जोसेफ एफ. रदरफर्ड ने एक प्रस्ताव पेश किया जिसका शीर्षक था, “एक नया नाम।” प्रस्ताव में यह कहा गया: “हम चाहते हैं कि अब से हम इस नए नाम, यानी यहोवा के साक्षी के तौर पर जाने जाएँ और इसी नाम से पुकारे जाएँ।” यह सुनकर अधिवेशन में आए श्रोताओं में सनसनी दौड़ गयी। उन सभी ने मिलकर ज़ोरदार “हाँ!” में जवाब देकर प्रस्ताव को मंज़ूरी दी। तब से यहोवा का नाम दुनिया-भर में ख्याति पा रहा है।—भजन 83:18.

14. यहोवा इस्राएलियों को क्या बात याद दिलाता है, और ऐसा याद दिलाना वक्‍त के मुताबिक ज़रूरी क्यों है?

14 जो लोग आदर के साथ यहोवा का नाम धारण करते हैं, वह उनकी बहुत परवाह करता है। उसके लिए वे उसकी “आंख की पुतली” हैं। वह इस्राएलियों को यही बात याद दिलाता है कि किस तरह उसने उनको मिस्र से छुड़ाया था और वीराने में उन्हें सही-सलामत ले गया था। (व्यवस्थाविवरण 32:10,12) उस समय इस्राएलियों के बीच कोई पराया देवता नहीं था, और उन्होंने खुद अपनी आँखों से देखा था कि मिस्र के सभी देवताओं को किस कदर बुरी तरह शर्मिंदा किया गया। जी हाँ, मिस्र के सभी देवी-देवता मिलकर भी न तो मिस्र की हिफाज़त कर सके, न ही इस्राएल को उस देश से निकलने से रोक सके। (निर्गमन 12:12) उसी तरह शक्‍तिशाली बाबुल नगर में झूठे देवी-देवताओं के कम-से-कम 50 मंदिर हैं, मगर जब सर्वशक्‍तिमान अपने लोगों को छुड़ाने आता है, तब बाबुल उसे रोक नहीं पाएगा। इसमें कोई शक नहीं है कि यहोवा को छोड़ और “कोई उद्धारकर्त्ता नहीं”।

युद्ध के घोड़े गिर जाते हैं, कैदखाने खुल जाते हैं

15. यहोवा, बाबुल के बारे में क्या भविष्यवाणी करता है?

15 “इस्राएल का पवित्र यहोवा तुझे छुड़ाता है। यहोवा कहता है, ‘मैं तेरे लिये बाबुल में सेनाएँ भेजूँगा। सभी ताले लगे दरवाजों को मैं तोड़ दूँगा। कसदियों के विजय के नारे दुःखभरी चीखों में बदल जाएँगे। मैं तेरा पवित्र यहोवा हूँ। इस्राएल को मैंने रचा है। मैं तेरा राजा हूँ।’ यहोवा सागर में राहें बनायेगा। यहाँ तक कि पछाड़ें खाते हुए पानी के बीच भी वह अपने लोगों के लिए राह बनायेगा। यहोवा कहता है, ‘वे लोग जो अपने रथों, घोड़ों और सेनाओं को लेकर मुझसे युद्ध करेंगे, पराजित हो जायेंगे। वे फिर कभी नहीं उठ पायेंगे। वे नष्ट हो जायेंगे। वे दीये की लौ की तरह बुझ जायेंगे।’”—यशायाह 43:14-17, ईज़ी-टू-रीड वर्शन।

16. बाबुल शहर पर, कसदी व्यापारियों पर और बाबुल की रक्षा के लिए तैनात किए जानेवालों पर क्या बीतेगी?

16 बाबुल, बंधुओं के लिए एक किलेबन्द जेल जैसा है, क्योंकि वह उन्हें वापस यरूशलेम जाने की इजाज़त नहीं देता। लेकिन बाबुल की किलेबन्दी सर्वशक्‍तिमान के लिए कोई बाधा नहीं है, क्योंकि उसने इससे पहले ‘[लाल] सागर में राहें और [ज़ाहिर है यरदन नदी के] पछाड़ें खाते पानी के बीच भी राह बनायी’ थी। (निर्गमन 14:16; यहोशू 3:13) उसी तरह यहोवा की ओर से कार्यवाही करनेवाला कुस्रू भी, फरात की महा-जलधारा को घटा देगा ताकि उसके योद्धा शहर में प्रवेश कर सकें। बाबुल की नहरें जलमार्ग हैं जिन पर व्यापार के लिए हज़ारों जहाज़ चलते थे और ऐसी नावें भी चलती थीं जिनके ज़रिए बाबुल के देवी-देवताओं को एक जगह से दूसरी जगह ले जाया जाता था। इसलिए जब कसदी व्यापारी देखेंगे कि उनकी शक्‍तिशाली राजधानी का किस तरह पतन होता है, तो वे दुःख के मारे हाय-हाय करेंगे। जैसे लाल सागर में फिरौन के रथों के साथ हुआ, वेग से दौड़नेवाले बाबुल के रथ भी किसी काम न आ सकेंगे। ये बाबुल को बचा न सकेंगे। जिस तरह दीए की बत्ती को आसानी से बुझाया जाता है, उसी तरह हमलावर आकर बाबुल की रक्षा के लिए तैनात लोगों की ज़िंदगी की लौ बुझा देगा।

यहोवा अपने लोगों को सही-सलामत घर पहुँचाता है

17, 18. (क) यहोवा किस “नई बात” की भविष्यवाणी करता है? (ख) किस अर्थ में लोगों को बीती हुई घटनाओं का स्मरण नहीं करना था, और क्यों?

17 यहोवा अब जो करने जा रहा है, उसकी तुलना वह बीते समय के अपने छुटकारे के कामों से करते हुए कहता है: “अब बीती हुई घटनाओं का समरण मत करो, न प्राचीनकाल की बातों पर मन लगाओ। देखो, मैं एक नई बात करता हूं; वह अभी प्रगट होगी, क्या तुम उस से अनजान रहोगे? मैं जंगल में एक मार्ग बनाऊंगा और निर्जल देश में नदियां बहाऊंगा। गीदड़ और शुतर्मुर्ग आदि जंगली जन्तु मेरी महिमा करेंगे; क्योंकि मैं अपनी चुनी हुई प्रजा के पीने के लिये जंगल में जल और निर्जल देश में नदियां बहाऊंगा। इस प्रजा को मैं ने अपने लिये बनाया है कि वे मेरा गुणानुवाद करें।”—यशायाह 43:18-21.

18 जब यहोवा कहता है कि “बीती हुई घटनाओं का समरण मत करो” तो उसका मतलब यह नहीं है कि उसके सेवक बीते वक्‍तों के उसके छुटकारे के कामों को अपने दिमाग से निकाल दें। दरअसल, उसके ऐसे ज़्यादातर काम इस्राएल के इतिहास में दर्ज़ हैं, जिसे यहोवा ने अपनी आत्मा की प्रेरणा से लिखवाया था। और-तो-और, यहोवा ने आज्ञा दी थी कि मिस्र से उनके छुटकारे को वे हर साल फसह के पर्व में याद किया करें। (लैव्यव्यवस्था 23:5; व्यवस्थाविवरण 16:1-4) लेकिन अब यहोवा चाहता है कि उसके लोग “एक नई बात” को लेकर उसकी महिमा करें, जिसका वे खुद अनुभव करेंगे। वे ना सिर्फ बाबुल से आज़ाद होंगे बल्कि वे रेगिस्तान से होकर जानेवाले ज़्यादा सीधे रास्ते से एक करिश्‍माई सफर करते हुए अपने वतन वापस लौटेंगे। उस बंजर ज़मीन पर, यहोवा उनके लिए “एक मार्ग” तैयार करेगा और उनके लिए ऐसे चमत्कार करेगा, जैसे उसने मूसा के दिनों में इस्राएलियों के लिए किए थे। जी हाँ, लौटनेवाले इन लोगों को वह रेगिस्तान में खिलाएगा और मानो नदियाँ बहाकर उनकी प्यास बुझाएगा। यहोवा इतनी भरपूर मात्रा में सारा इंतज़ाम करेगा कि उसकी उदारता से जंगली जानवर तक परमेश्‍वर की महिमा करेंगे और लोगों पर हमला नहीं करेंगे।

19. किस तरह आत्मिक इस्राएल के शेष जन और उनके साथी “पवित्र मार्ग” पर चल रहे हैं?

19 उसी तरह, 1919 में आत्मिक इस्राएल के शेष जनों को बड़े बाबुल की बंधुआई से आज़ाद करवाया गया और उसके बाद वे उस “पवित्र मार्ग” पर सफर करने निकल पड़े जो यहोवा ने उनके लिए तैयार किया था। (यशायाह 35:8) इस्राएलियों की तरह उन्हें सचमुच के किसी तपते रेगिस्तान से होते हुए एक जगह से दूसरी जगह नहीं जाना पड़ा, ना ही उनकी यात्रा चंद महीनों बाद यरूशलेम पहुँचकर खत्म हुई। मगर हाँ, इस “पवित्र मार्ग” पर चलते हुए अभिषिक्‍त मसीही आध्यात्मिक फिरदौस में ज़रूर पहुँचे। लेकिन वे इस “पवित्र मार्ग” पर चलना जारी रखते हैं, क्योंकि उन्हें अभी भी इस संसार से गुज़रते हुए अपनी यात्रा पूरी करनी है। जब तक वे इस राजमार्ग पर बने रहेंगे, यानी जब तक वे स्वच्छता और पवित्रता के बारे में यहोवा के स्तरों पर चलेंगे, तब तक वे आध्यात्मिक फिरदौस में बने रहेंगे। और यह देखकर उन्हें कितनी खुशी होती है कि उनके साथी यानी “गैर-इस्राएलियों” की एक बड़ी भीड़ भी उनके साथ मिल गयी है! शैतान की दुनिया से उम्मीद रखनेवाले लोगों से हटकर, अभिषिक्‍त शेष जन और उनके साथी यहोवा के हाथों से चिकने आध्यात्मिक भोजन का लगातार आनंद ले रहे हैं। (यशायाह 25:6; 65:13,14) यह देखकर कि यहोवा अपने लोगों पर आशीष दे रहा है, जानवरों जैसा स्वभाव रखनेवाले बहुत सारे लोगों ने अपने तौर-तरीके बदल दिए हैं और सच्चे परमेश्‍वर की महिमा की है।—यशायाह 11:6-9.

यहोवा अपना दर्द सुनाता है

20. यशायाह के समय के इस्राएल ने किस तरह यहोवा को निराश किया है?

20 अपने देश में दोबारा बसनेवाले शेष इस्राएली बहुत बदल चुके हैं। वे यशायाह के ज़माने के यहूदियों की तरह नहीं हैं, जिनके बारे में यहोवा कहता है: “फिर भी हे याकूब, तू ने मुझे नहीं पुकारा, वरन्‌ हे इस्राएल, तू मुझ से ऊब गया है। तू मेरे लिए होमबलि की भेड़ें नहीं लाया, न ही बलिदान चढ़ाकर तू ने मेरी महिमा की। मैंने तुझ पर बलिदान चढ़ाने का बोझ नहीं लादा, न ही धूप जलाने के लिए तुझे थकाया है। तू ने मेरे लिए रुपए से अगरबत्ती [“नरकट जिस से सुगन्धित द्रव्य बनता है,” फुटनोट] मोल नहीं ली, न ही मुझे बलिदानों की चर्बी से तृप्त किया है, परन्तु तू ने अपने पापों का बोझ मुझ पर लाद दिया है और मुझे अपने अधर्म के कामों से थका दिया है।”—यशायाह 43:22-24NHT. 

21, 22. (क) यह क्यों कहा जा सकता है कि यहोवा के नियम भारी बोझ नहीं हैं? (ख) किस तरह लोग यहोवा से अपनी सेवा करवा रहे हैं?

21 “मैंने तुझ पर बलिदान चढ़ाने का बोझ नहीं लादा, न ही धूप जलाने के लिए तुझे थकाया है।” ऐसा कहने में यहोवा का यह मतलब नहीं था कि बलिदान और धूप या खुशबूदार लोबान (पवित्र धूप में मिलाया जानेवाला एक पदार्थ) चढ़ाना ज़रूरी नहीं है। क्योंकि बलिदान और सुगंधित धूप तो व्यवस्था वाचा के तहत सच्ची उपासना का एक ज़रूरी हिस्सा हैं। और ‘सुगन्धित नरकट’ या खुशबूदार अगर को भी अभिषेक का पवित्र तेल बनाने में इस्तेमाल किया जाता था। यशायाह के समय के इस्राएली, मंदिर में किए जानेवाले बलिदानों में इन चीज़ों का इस्तेमाल करने में लापरवाह हो गए थे। लेकिन क्या ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि ये नियम भारी बोझ थे? बिलकुल नहीं! दरअसल, झूठे देवताओं के नियमों की तुलना में तो परमेश्‍वर के नियम मानना बहुत आसान है। उदाहरण के लिए, झूठे देवता, मोलेक की यह माँग थी कि उसकी उपासना में बच्चों की बलि चढ़ायी जाए—ऐसा तो यहोवा ने कभी-भी नहीं चाहा!—व्यवस्थाविवरण 30:11; मीका 6:3,4,8.

22 काश! उन इस्राएलियों के पास आध्यात्मिक नज़रिए से देखने की काबिलीयत होती, तो वे हरगिज़ ‘यहोवा से ऊब नहीं जाते।’ यहोवा की व्यवस्था पढ़कर, वे यह देख पाते कि यहोवा को उनसे गहरा प्रेम है और फिर वे खुशी-खुशी अपने बलिदानों का सबसे उत्तम भाग यानी “चर्बी” चढ़ाते। लेकिन ऐसा करने के बजाय वे लालच में आकर चर्बी अपने लिए रख लेते हैं। (लैव्यव्यवस्था 3:9-11,16) यह दुष्ट जाति अपने पापों से यहोवा को कितना थका रही है, उसे निराश कर रही है। दूसरे शब्दों में कहें तो यहोवा की सेवा करने के बदले वे उस पर बोझ लादकर उलटा यहोवा से अपनी सेवा करवा रहे हैं!—नहेमायाह 9:28-30.

ताड़ना देने का अच्छा नतीजा

23. (क) यहोवा जो ताड़ना देता है, वह सही क्यों है? (ख) परमेश्‍वर, इस्राएल को किन-किन तरीकों से ताड़ना देता है?

23 हालाँकि यहोवा सख्ती से ताड़ना देता है, मगर इस तरह से ताड़ना देना सही है क्योंकि इससे अच्छा नतीजा निकलता है और दया दिखाने की गुंजाइश भी होती है। “मैं वही हूं जो अपने नाम के निमित्त तेरे अपराधों को मिटा देता हूं और तेरे पापों को स्मरण न करूंगा। मुझे स्मरण करो, हम आपस में विवाद करें; तू अपनी बात का वर्णन कर जिस से तू निर्दोष ठहरे। तेरा मूलपुरुष पापी हुआ और जो जो मेरे और तुम्हारे बीच बिचवई [“समझानेवाले,” NW, फुटनोट] हुए, वे मुझ से बलवा करते चले आए हैं। इस कारण मैं ने पवित्रस्थान के हाकिमों को अपवित्र ठहराया, मैं ने याकूब को सत्यानाश और इस्राएल को निन्दित होने दिया है।” (यशायाह 43:25-28) दुनिया के बाकी सभी देशों की तरह इस्राएल जाति भी “मूलपुरुष,” आदम से ही निकली है। इसलिए कोई भी इस्राएली खुद को “निर्दोष” साबित नहीं कर सकता। यहाँ तक कि इस्राएल के “बिचवई” यानी व्यवस्था के सिखानेवालों या समझानेवालों ने भी यहोवा के खिलाफ पाप किया और लोगों को झूठी बातें सिखायी हैं। इसलिए यहोवा अब अपनी पूरी जाति को “सत्यानाश” होने और “निन्दित होने” के लिए सौंप देगा। वह अपने “पवित्रस्थान” के सभी अधिकारियों को भी अपवित्र ठहराएगा।

24. प्राचीनकाल में और आज भी यहोवा किस वजह से अपने लोगों को माफ करता है, और उनके बारे में वह कैसा महसूस करता है?

24 मगर, गौर कीजिए कि ताड़ना देने के बाद परमेश्‍वर जो दया दिखाएगा, वह इसलिए नहीं होगी कि इस्राएल ने पश्‍चाताप किया। इसके बजाय, यहोवा खुद अपनी खातिर उन पर दया दिखाएगा। जी हाँ, यह उसके नाम का सवाल है। अगर वह इस्राएल को हमेशा-हमेशा के लिए बंधुआई में रहने देगा, तो देखनेवाले उसी के नाम की निंदा करेंगे। (भजन 79:9; यहेजकेल 20:8-10) उसी तरह आज, यहोवा के दया दिखाने की सबसे बड़ी वजह है: अपने नाम को पवित्र करना और अपनी हुकूमत के अधिकार पर लगे कलंक को मिटाना। इंसानों का उद्धार इसके बाद आता है। मगर फिर भी, यहोवा ऐसे इंसानों से प्यार करता है जो बिना आनाकानी किए उसकी ताड़ना स्वीकार करते हैं और आत्मा और सच्चाई से उसकी उपासना करते हैं। वे चाहे अभिषिक्‍त जन हों या अन्य भेड़ के लोग यहोवा, ऐसों के लिए अपना प्यार ज़ाहिर करता है और यीशु मसीह के बलिदान के आधार पर इन लोगों के पापों को मिटा डालता है।—यूहन्‍ना 3:16; 4:23,24.

25. बहुत जल्द यहोवा कैसे दिल-दहलानेवाले और हैरतअंगेज़ काम करेगा और उन घटनाओं के लिए आज हम अपनी कदरदानी कैसे ज़ाहिर कर सकते हैं?

25 इतना ही नहीं, बहुत जल्द यहोवा अपने वफादार उपासकों की बड़ी भीड़ की खातिर एक नया काम करके उनके लिए अपना प्यार ज़ाहिर करेगा। वह उन्हें “बड़े क्लेश” से बचाकर साफ की गयी एक “नई पृथ्वी” में ले जाएगा। (प्रकाशितवाक्य 7:14; 2 पतरस 3:13) उस वक्‍त वे यहोवा की शक्‍ति का ऐसा दिल-दहलानेवाला और हैरतअंगेज़ नज़ारा देखेंगे जैसा इंसानों ने कभी नहीं देखा। और उस घटना का होना इतना पक्का है कि उसकी आशा में अभिषिक्‍त मसीही और बड़ी भीड़ के सभी जन आनंदित रहते हैं और अपनी ज़िंदगी का हर दिन इस महान ज़िम्मेदारी को निभाते हुए जीते हैं: “तुम मेरे साक्षी हो।”—यशायाह 43:10.

[फुटनोट]

^ पैरा. 13 अलग-अलग देशों की देव-कथाओं में बताया जाता है कि कई देवताओं का “जन्म” हुआ और उनके “बच्चे” भी हुए।

[अध्ययन के लिए सवाल]

[पेज 48, 49 पर तसवीर]

यहूदियों को वापस अपने घर यरूशलेम पहुँचने में यहोवा उनकी मदद करेगा

[पेज 52 पर तसवीरें]

यहोवा देशों को चुनौती देता है कि वे अपने देवी-देवताओं के पक्ष में साक्षी पेश करें

1. बाल देवता की कांसे की मूरत 2. अश्‍तोरेत की मिट्टी की मूर्तियाँ 3. मिस्र के देवताओं, होरस, ओसिरिस और आइसिस का त्रिएक 4. यूनानी देवियाँ अथेना (बाएँ) और अफ्रोडाइट

[पेज 58 पर तसवीरें]

“तुम मेरे साक्षी हो।”—यशायाह 43:10