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परमेश्‍वर की प्रजा के लिए शांति

परमेश्‍वर की प्रजा के लिए शांति

बारहवाँ अध्याय

परमेश्‍वर की प्रजा के लिए शांति

यशायाह 51:1-23

1. यरूशलेम और उसके निवासियों के आगे कैसा भयानक समय आनेवाला है, मगर फिर भी उनके लिए क्या उम्मीद है?

सत्तर साल यानी आम इंसान का जितना जीवन होता है, उतने समय तक यहूदा के लोग बाबुल की बंधुआई में रहेंगे। (भजन 90:10; यिर्मयाह 25:11; 29:10) और जिन इस्राएलियों को बंदी बनाकर ले जाया जाएगा, उनमें से ज़्यादातर वहीं बूढ़े होकर मर-खप जाएँगे। ज़रा सोचिए कि जब दुश्‍मन उन पर ताने कसेंगे, और उनकी खिल्ली उड़ाएँगे, तो उन्हें कितना ज़लील होना पड़ेगा। और जब यरूशलेम नगर जिसे यहोवा ने अपने नाम के निवास के लिए चुना था, इतने लंबे अरसे तक उजाड़ पड़ा रहेगा, तो यहोवा के नाम की कितनी बदनामी होगी। (नहेमायाह 1:9; भजन 132:13; 137:1-3) उनका प्यारा मंदिर, जो सुलैमान के हाथों समर्पण के वक्‍त परमेश्‍वर की महिमा से भर गया था, उसका अता-पता तक नहीं रहेगा। (2 इतिहास 7:1-3) क्या ही भयानक समय आनेवाला है! इसके बावजूद, यशायाह के ज़रिए यहोवा बताता है कि भविष्य में उनका देश फिर से बसाया जाएगा। (यशायाह 43:14; 44:26-28) यहोवा ने अपने लोगों से बहाली का वादा करके उन्हें जो शांति और आश्‍वासन दिया, उसी के बारे में यशायाह के 51वें अध्याय में हम और भी भविष्यवाणियाँ पाते हैं।

2. (क) यशायाह के ज़रिए यहोवा किन लोगों को शांति का संदेश देता है? (ख) वफादार यहूदी, किस मायने में ‘धार्मिकता पर चलते हैं’?

2 यहूदा के जो लोग यहोवा की तरफ मन लगाते हैं, उनसे वह कहता है: “हे धार्मिकता पर चलनेवालो, तुम जो यहोवा के खोजी हो, मेरी सुनो।” (यशायाह 51:1क, NHT) ‘धार्मिकता पर चलने’ का मतलब है, कुछ काम करना। ‘धार्मिकता पर चलनेवाले’ सिर्फ परमेश्‍वर के लोग होने का दावा नहीं करेंगे बल्कि वे जी-जान से धर्मी बने रहने और परमेश्‍वर की मरज़ी के मुताबिक जीने की कोशिश भी करेंगे। (भजन 34:15; नीतिवचन 21:21) वे सिर्फ यहोवा को ही धार्मिकता का एकमात्र स्रोत मानेंगे और ‘यहोवा की खोज’ करेंगे। (भजन 11:7; 145:17) इसका मतलब यह नहीं कि वे यहोवा को नहीं जानते या उन्हें मालूम नहीं कि उससे कैसे प्रार्थना करनी चाहिए। बल्कि इसका मतलब यह है कि वे यहोवा की उपासना करने, उससे प्रार्थना करने और ज़िंदगी के हर मामले में हिदायतों के लिए उससे मदद माँगने के ज़रिए उसके और भी करीब आने की कोशिश करेंगे।

3, 4. (क) वह “चट्टान” कौन है जिससे यहूदी निकाले गए थे, और वह “खदान” कौन है जिससे वे खोदे गए थे? (ख) यहूदियों को अपने पुरखों को याद करने से क्यों शांति मिलती?

3 लेकिन यहूदा देश में ऐसे लोग मुट्ठी-भर ही हैं जो सच्चे दिल से धार्मिकता की राह पर चलते हैं, और इसलिए शायद उनकी हिम्मत टूट सकती है, वे निराश हो सकते हैं। उनके इरादे मज़बूत करने के लिए यहोवा, एक खदान का दृष्टांत देता है: “जिस चट्टान से तुम निकाले गए और जिस खदान से खोदे गए, उस पर दृष्टि करो। अपने पूर्वज इब्राहीम पर दृष्टि करो और सारा पर भी जिसने पीड़ा में तुम्हें जन्म दिया। जब वह अकेला ही था मैंने उसे बुलाया, तब मैंने उसको आशिष दी और अत्यधिक बढ़ाया।” (यशायाह 51:1ख,2, NHT) “जिस चट्टान” में से यहूदी खोदे गए थे, वह इब्राहीम है। इब्राहीम, उनका पूर्वज है जिस पर इस्राएल जाति को बहुत नाज़ है। (मत्ती 3:9; यूहन्‍ना 8:33,39) वही उनका जनक या कुलपिता है। और “खदान” सारा है, जिसकी कोख से इस्राएल के पुरखे, इसहाक का जन्म हुआ था।

4 इब्राहीम और सारा की संतान पैदा करने की उम्र पार हो चुकी थी और अभी तक उनका कोई बच्चा नहीं था। फिर भी, यहोवा ने इब्राहीम से वादा किया कि वह उसे आशीष देगा और उसे ‘अत्यधिक बढ़ाएगा।’ (उत्पत्ति 17:1-6,15-17) जब यहोवा ने बुज़ुर्ग इब्राहीम और सारा को संतान पैदा करने की शक्‍ति दी, तो उनका एक बच्चा हुआ और उसी से परमेश्‍वर की चुनी हुई जाति निकली। इस तरह यहोवा ने उस पुरुष को एक बड़ी जाति का पिता बनाया जिसकी गिनती आगे चलकर आकाश के तारों की तरह अनगिनत हो गयी। (उत्पत्ति 15:5; प्रेरितों 7:5) अगर यहोवा, इब्राहीम को दूर देश से निकालकर उससे एक बड़ी जाति पैदा कर सकता है, तो बेशक वह अपना यह वादा भी पूरा कर सकता है कि वह बचे हुए वफादार बंधुओं को बाबुल से छुड़ाएगा, उन्हें अपने देश में बहाल करेगा और फिर से उनसे एक बड़ी जाति पैदा करेगा। जैसे यहोवा ने इब्राहीम से अपना वादा पूरा किया था, वैसे ही वह यहूदी बंधुओं से अपना वादा ज़रूर पूरा करेगा।

5. (क) इब्राहीम और सारा किन्हें दर्शाते हैं? समझाइए। (ख) भविष्यवाणी की आखिरी पूर्ति में “चट्टान” से निकलनेवाले कौन हैं?

5 यशायाह 51:1,2 के खुदाई के दृष्टांत की शायद एक और पूर्ति भी है। व्यवस्थाविवरण 32:18 कहता है कि यहोवा वह “चट्टान” है, “जिस से [इस्राएल] की उत्पत्ति हुई” थी। इस आयत में “उत्पत्ति” के लिए जिस इब्रानी क्रिया का इस्तेमाल किया गया है वही क्रिया यशायाह 51:2 में सारा के गर्भ से इस्राएल के जन्म का ज़िक्र करने के लिए इस्तेमाल की गयी है। इससे पता चलता है कि भविष्यवाणी में बताया गया इब्राहीम, महान इब्राहीम यहोवा है। और इब्राहीम की पत्नी सारा, आत्मिक प्राणियों से बना यहोवा का स्वर्गीय संगठन है, जिसे बाइबल में परमेश्‍वर की स्त्री या पत्नी कहा गया है। (उत्पत्ति 3:15; प्रकाशितवाक्य 12:1,5) यशायाह की इस भविष्यवाणी की आखिरी पूर्ति में, उस “चट्टान” से निकलनेवाली जाति ‘परमेश्‍वर का इस्राएल’ यानी आत्मा से अभिषिक्‍त मसीहियों की कलीसिया है, और इसका जन्म सा.यु. 33 में पिन्तेकुस्त के दिन हुआ था। जैसा कि हमने इस किताब के पिछले अध्यायों में देखा, यह जाति 1918 में बड़े बाबुल की कैद में थी, मगर 1919 में उसे बहाल किया गया और वह आध्यात्मिक मायनों में फिर से फलने-फूलने लगी।—गलतियों 3:26-29; 4:28; 6:16.

6. (क) यहूदा देश का आगे चलकर क्या होगा, और उसके फिर से बसाए जाने का मतलब क्या है? (ख) यशायाह 51:3 हमें आज के ज़माने में हुई किस बहाली की याद दिलाता है?

6 सिय्योन या यरूशलेम को शांति देते वक्‍त, यहोवा सिर्फ यह वादा नहीं करता कि वह उसे एक बड़ी जाति बना देगा। हम पढ़ते हैं: “यहोवा ने सिय्योन को शान्ति दी है, उस ने उसके सब खण्डहरों को शान्ति दी है; वह उसके जंगल को अदन के समान और उसके निर्जल देश को यहोवा की बाटिका के समान बनाएगा; उस में हर्ष और आनन्द और धन्यवाद और भजन गाने का शब्द सुनाई पड़ेगा।” (यशायाह 51:3) सत्तर सालों की उजाड़ हालत के दौरान, यहूदा देश वीरान हो जाएगा जिसमें हर तरफ कंटीली झाड़ियाँ, झड़बेड़ियाँ और दूसरे जंगली पेड़-पौधे उग आएँगे। (यशायाह 64:10; यिर्मयाह 4:26; 9:10-12) इसलिए यहूदा के फिर से बसाए जाने का मतलब यह भी होगा कि इस देश की सुंदरता लौट आएगी। उसमें हरे-भरे खेत और फलों के बाग उग आएँगे जिससे इस देश की रौनक अदन की वाटिका जैसी हो जाएगी। ऐसा लगेगा जैसे धरती खुशी से झूम रही है। यहूदियों की बंधुआई के दौरान यह देश जो उजाड़ हो गया, वही अब फिरदौस जैसा हो जाएगा। ठीक उसी तरह, सन्‌ 1919 में परमेश्‍वर के इस्राएल के शेष अभिषिक्‍त जन आध्यात्मिक मायने में ऐसे ही फिरदौस में लौटे थे।—यशायाह 11:6-9; 35:1-7.

यहोवा पर भरोसा रखने के कारण

7, 8. (क) जब यहोवा अपने लोगों को कान लगाकर सुनने के लिए कहता है, तो वह क्या चाहता है? (ख) यह क्यों ज़रूरी है कि यहूदा के लोग, यहोवा की बात पर ध्यान दें?

7 यहोवा, यहूदियों से एक बार फिर उसकी बात पर ध्यान देने के लिए कहता है: “हे मेरी प्रजा के लोगो, मेरी ओर ध्यान धरो; हे मेरे लोगो, कान लगाकर मेरी सुनो; क्योंकि मेरी ओर से व्यवस्था दी जाएगी, और मैं अपना नियम देश देश के लोगों की ज्योति होने के लिये स्थिर करूंगा। मेरा छुटकारा निकट है; मेरा उद्धार प्रगट हुआ है; मैं अपने भुजबल से देश देश के लोगों का न्याय करूंगा। द्वीप मेरी बाट जोहेंगे और मेरे भुजबल पर आशा रखेंगे।”—यशायाह 51:4,5.

8 जब यहोवा अपने लोगों को कान लगाकर सुनने के लिए कहता है तो वह यह नहीं चाहता कि उसके लोग सिर्फ उसकी बातों को सुनें बल्कि वह चाहता है कि उसकी बातों पर ध्यान देकर उसके मुताबिक कदम भी उठाएँ। (भजन 49:1; 78:1) यहूदा के लोगों को यह बात समझनी चाहिए थी कि यहोवा से बढ़िया हिदायतें और कोई नहीं दे सकता, वही सब का न्यायी और उद्धारकर्त्ता है। सिर्फ वही हमें आध्यात्मिक रोशनी दे सकता है। (2 कुरिन्थियों 4:6) वही सारे जगत का न्यायाधीश है। यहोवा की तरफ से आनेवाले नियम और उसके कानूनी फैसले, ऐसे लोगों को राह दिखाते हैं जो उनके मुताबिक चलना चाहते हैं।—भजन 43:3; 119:105; नीतिवचन 6:23.

9. परमेश्‍वर के चुने हुए लोगों के अलावा, और कौन यहोवा के उद्धार के कामों से फायदा पाएँगे?

9 ये सारी बातें, परमेश्‍वर के चुने हुए लोगों पर ही नहीं बल्कि दुनिया के सभी नेकदिल इंसानों पर लागू होती हैं, फिर चाहे वे दूर-दराज़ द्वीपों में क्यों न रहते हों। परमेश्‍वर के इन वफादार सेवकों को भरोसा है कि वह अपने सच्चे सेवकों के लिए कार्यवाही करने और उनको बचाने की ताकत रखता है। परमेश्‍वर ऐसों को कभी निराश नहीं करेगा। उसके भुजबल यानी उसकी शक्‍ति और सामर्थ पर पूरा भरोसा किया जा सकता है, उसे रोकने का दम किसी में नहीं। (यशायाह 40:10; लूका 1:51,52) हमारे दिनों में भी, परमेश्‍वर के इस्राएल के शेष जनों ने पूरे जोश के साथ प्रचार किया है, जिसकी वजह से लाखों लोग, दूर-दराज़ द्वीपों से भी यहोवा की ओर फिरे हैं और उस पर विश्‍वास किया है।

10. (क) राजा नबूकदनेस्सर को क्या जानना होगा? (ख) वह “आकाश” और “पृथ्वी” क्या है जो मिट जाएँगे?

10 इसके बाद यहोवा एक ऐसी सच्चाई बताता है जो बाबुल के राजा नबूकदनेस्सर को जाननी होगी। वह यह कि न तो आकाश में न ही इस ज़मीन पर ऐसी कोई ताकत है जो यहोवा को अपनी मरज़ी पूरी करने से रोक सके। (दानिय्येल 4:34,35) इस बारे में हम पढ़ते हैं: “आकाश की ओर अपनी आंखें उठाओ, और पृथ्वी को निहारो; क्योंकि आकाश धूंएं की नाईं लोप हो जाएगा, पृथ्वी कपड़े के समान पुरानी हो जाएगी, और उसके रहनेवाले यों ही जाते रहेंगे [“कीड़े-मकोड़ों के समान नष्ट हो जाएंगे,” नयी हिन्दी बाइबिल]; परन्तु जो उद्धार मैं करूंगा वह सर्वदा ठहरेगा, और मेरे धर्म का अन्त न होगा।” (यशायाह 51:6) बाबुल के सम्राटों की यह नीति रही है कि वे अपने बंधुओं को कभी वापस अपने वतन लौटने नहीं देते थे। लेकिन उनकी कोई भी नीति, यहोवा को अपने लोगों का उद्धार करने से रोक नहीं सकेगी। (यशायाह 14:16,17) इसके बजाय बाबुल के “आकाश” या शासन करनेवालों को हार का मुँह देखना पड़ेगा। बाबुल की “पृथ्वी” यानी इन शासकों की प्रजा भी धीरे-धीरे मिट जाएगी। जी हाँ, उस ज़माने की विश्‍वशक्‍ति भी यहोवा की ताकत के आगे टिक नहीं सकेगी, न ही उसे अपने उद्धार के काम करने से रोक सकेगी।

11. यह जानकर आज मसीहियों का विश्‍वास क्यों मज़बूत होता है कि बाबुल के “आकाश” और “पृथ्वी” के मिटने की भविष्यवाणी पूरी तरह सच निकली?

11 इस भविष्यवाणी का एक-एक शब्द पूरा हुआ। यह जानकर आज मसीहियों का विश्‍वास कितना मज़बूत होता है! क्यों? क्योंकि प्रेरित पतरस ने भविष्य में होनेवाली एक घटना का ज़िक्र करते वक्‍त इसी भविष्यवाणी से मिलते-जुलते शब्दों का इस्तेमाल किया। उसने वेग से पास आ रहे यहोवा के दिन के बारे में बताया “जिस के कारण आकाश आग से पिघल जाएंगे, और आकाश के गण बहुत ही तप्त होकर गल जाएंगे”! फिर उसने कहा: “उस की प्रतिज्ञा के अनुसार हम एक नए आकाश और नई पृथ्वी की आस देखते हैं जिन में धार्मिकता बास करेगी।” (2 पतरस 3:12,13; यशायाह 34:4; प्रकाशितवाक्य 6:12-14) दुनिया के शक्‍तिशाली राष्ट्रों और सितारों की तरह चमकनेवाले उनके बड़े-बड़े नेता भले ही यहोवा के विरोध में खड़े हों, मगर यहोवा के ठहराए हुए वक्‍त पर उनका नामो-निशान मिटा दिया जाएगा। उन्हें कीड़े-मकोड़ों की तरह मसल दिया जाएगा। (भजन 2:1-9) इसके बाद, सिर्फ परमेश्‍वर की धर्मी सरकार सर्वदा तक धर्मी इंसानों पर हुकूमत करेगी।—दानिय्येल 2:44; प्रकाशितवाक्य 21:1-4.

12. जब इंसान परमेश्‍वर के सेवकों की निंदा करते हैं तो उन्हें डरने की ज़रूरत क्यों नहीं है?

12 ‘धार्मिकता पर चलनेवालों’ से अब यहोवा कहता है: “हे धार्मिकता के जाननेवालो, हे मेरे लोगो, जिनके हृदय में मेरी व्यवस्था है, मेरी सुनो: मनुष्य की निन्दा से भयभीत न होओ, न ही उनके ठट्ठों से विस्मित होओ, क्योंकि कीड़ा उन्हें वस्त्र के समान और कृमि उन्हें ऊन के सदृश चट कर जाएगा, परन्तु मेरी धार्मिकता सर्वदा बनी रहेगी और मेरा उद्धार पीढ़ी से पीढ़ी तक बना रहेगा।” (यशायाह 51:7,8, NHT) यहोवा पर भरोसा रखनेवाले बड़ी हिम्मत से उसका पक्ष लेते हैं और इस वजह से उन्हें बदनाम किया जाता है और उनका ठट्ठा उड़ाया जाता है। लेकिन जो उनकी निंदा करते हैं वे नाशमान मनुष्य हैं। वे वैसे ही ‘चट हो जाएंगे’ जैसे ऊनी कपड़े को कृमि खा जाता है। * प्राचीन समय के उन वफादार यहूदियों की तरह, आज सच्चे मसीहियों को भी अपने विरोधियों से डरने की कोई ज़रूरत नहीं। क्योंकि सनातन परमेश्‍वर यहोवा उनका उद्धार करनेवाला है। (भजन 37:1,2) दरअसल जब परमेश्‍वर के दुश्‍मन उसके लोगों की निंदा करते हैं, तो यह इस बात का सबूत है कि यहोवा की आत्मा उसके लोगों पर है।—मत्ती 5:11,12; 10:24-31.

13, 14. “रहब” और “मगरमच्छ” शब्दों का मतलब क्या है, और इसे कैसे “टुकड़े टुकड़े” किया गया और “छेदा” गया?

13 यशायाह अब मानो यहोवा को पुकारता है कि वह बंधुआई में पड़े अपने लोगों की खातिर कुछ करे। वह कहता है: “हे यहोवा की भुजा, जाग! जाग और बल धारण कर; जैसे प्राचीनकाल में और बीते हुए पीढ़ियों में, वैसे ही अब भी जाग। क्या तू वही नहीं है जिस ने रहब को टुकड़े टुकड़े किया और मगरमच्छ को छेदा? क्या तू वही नहीं जिस ने समुद्र को अर्थात्‌ गहिरे सागर के जल को सुखा डाला और उसकी गहराई में अपने छुड़ाए हुओं के पार जाने के लिये मार्ग निकाला था?”—यशायाह 51:9,10.

14 यशायाह ने इतिहास में से बिलकुल सही उदाहरण चुने। हर इस्राएली अच्छी तरह जानता है कि उसकी जाति को मिस्र से छुड़ाया गया था और वह लाल समुद्र के बीच में से होकर निकली थी। (निर्गमन 12:24-27; 14:26-31) एक फिरौन ने इस्राएलियों को मिस्र छोड़ने की इजाज़त नहीं दी थी, उसी के अधीन मिस्र को इन आयतों में “रहब” और “मगरमच्छ” कहा गया है। (भजन 74:13; 87:4; यशायाह 30:7) प्राचीन मिस्र का भूखंड देखने में एक मगरमच्छ या बड़े सर्प के आकार का लगता था। नील नदी का डेल्टा मानो उसका सिर था और सैकड़ों किलोमीटर लंबाई में फैली नील की उपजाऊ घाटी, सर्प के लंबे शरीर जैसी दिखती थी। (यहेजकेल 29:3) लेकिन यहोवा ने इस मगरमच्छ पर दस विपत्तियाँ लाकर उसके टुकड़े-टुकड़े कर दिए। और मिस्र की फौज को लाल सागर में नाश करके यहोवा ने उसे छेदा और बुरी तरह घायल किया जिससे वह शक्‍तिहीन हो गया। जी हाँ, यहोवा ने मिस्र पर अपना भुजबल प्रकट किया था। तो क्या वह बाबुल में बंदी बनाए गए अपने लोगों की खातिर लड़ने में कोई कसर छोड़ेगा?

15. (क) कब और कैसे सिय्योन के शोक और उसकी सिसकियों का अंत होगा? (ख) हमारे समय में परमेश्‍वर के इस्राएल के शोक और उसकी सिसकियों का अंत कब हुआ?

15 अब भविष्यवाणी के अगले शब्द उस समय के बारे में बताते हैं जब इस्राएल को बाबुल से छुड़ाया जाएगा: “सो यहोवा के छुड़ाए हुए लोग लौटकर जयजयकार करते हुए सिय्योन में आएंगे, और उनके सिरों पर अनन्त आनन्द गूंजता रहेगा; वे हर्ष और आनन्द प्राप्त करेंगे, और शोक और सिसकियों का अन्त हो जाएगा।” (यशायाह 51:11) बाबुल में इस्राएलियों की हालत चाहे कितनी ही बदतर क्यों न हो, मगर जो यहोवा की धार्मिकता की खोज करेंगे, वे एक उज्ज्वल भविष्य पाने की उम्मीद कर सकते हैं। वह समय ज़रूर आएगा, जब शोक मनाना और सिसकियाँ भरना बंद हो जाएगा। इसके बजाय छुड़ाए हुए लोगों के मुँह से जयजयकार सुनायी पड़ेगी, वे हर्ष और आनंद मनाएँगे। हमारे समय में यह भविष्यवाणी 1919 में पूरी हुई जब परमेश्‍वर के इस्राएल को बाबुल की कैद से रिहा किया गया। तब वे खुशियाँ मनाते हुए अपने आध्यात्मिक देश लौट आए और उनकी यह खुशी आज तक बरकरार है।

16. यहूदियों को छुड़ाने के लिए क्या कीमत अदा की जाएगी?

16 यहूदियों को छुड़ाने के लिए क्या कीमत अदा की जाएगी? यशायाह की भविष्यवाणी में पहले ही बता दिया गया था कि यहोवा ‘तेरी छुड़ौती में मिस्र को और तेरी सन्ती कूश और सबा’ को देगा। (यशायाह 43:1-4) यह भविष्यवाणी बाद में पूरी होगी। फारसी साम्राज्य, बाबुल को जीतने और यहूदी बंधुओं को आज़ाद करने के बाद मिस्र, कूश और सबा पर जीत हासिल करेगा। ये देश इस्राएलियों के प्राणों की कीमत के तौर पर फारसी साम्राज्य को दिए जाएँगे। यह नीतिवचन 21:18 के इस सिद्धांत से मेल खाता है: “दुष्ट जन धर्मी की छुड़ौती ठहरता है, और विश्‍वासघाती सीधे लोगों की सन्ती दण्ड भोगते हैं।”

और भी ढाढ़स बँधाना

17. यहूदियों को बाबुल की जलजलाहट से खौफ खाने की ज़रूरत क्यों नहीं है?

17 यहोवा अपने लोगों का और भी ढाढ़स बँधाते हुए कहता है: “मैं, मैं ही तेरा शान्तिदाता हूं; तू कौन है जो मरनेवाले मनुष्य से, और घास के समान मुर्झानेवाले आदमी से डरता है, और आकाश के ताननेवाले और पृथ्वी की नेव डालनेवाले अपने कर्त्ता यहोवा को भूल गया है, और जब द्रोही [“रोक लगानेवाला,” NW] नाश करने को तैयार होता है तब उसकी जलजलाहट से दिन भर लगातार थरथराता है? परन्तु द्रोही की जलजलाहट कहां रही?” (यशायाह 51:12,13) यह सच है कि यहूदियों को सालों तक बंधुआई में रहना होगा। मगर फिर भी उन्हें बाबुल की जलजलाहट से खौफ खाने की ज़रूरत नहीं। यह बाबुल देश जो बाइबल के इतिहास के मुताबिक तीसरी विश्‍वशक्‍ति है, परमेश्‍वर के लोगों पर फतह हासिल करेगा और उन्हें ‘रोकने’ यानी उनके बचाव के रास्ते में आड़े आने की कोशिश करेगा, मगर वफादार यहूदी जानते हैं कि यहोवा की भविष्यवाणी के मुताबिक कुस्रू के हाथों इसका पतन होगा। (यशायाह 44:8,24-28) सिरजनहार और अनंतकाल तक कायम रहनेवाले परमेश्‍वर के सामने बाबुल के निवासियों की क्या बिसात! वे तो उस घास की तरह हैं जो गर्मियों में सूरज की तेज़ धूप से कुम्हला जाती है। तब उनकी धमकियाँ और उनकी जलजलाहट कहाँ होगी? तो फिर, आकाश और पृथ्वी के बनानेवाले, यहोवा को भूलकर इंसान से खौफ खाना कितनी बड़ी बेवकूफी है!

18. हालाँकि यहोवा के लोग कुछ समय के लिए कैदी रहेंगे, मगर यहोवा उनको क्या वचन देता है?

18 यहोवा के लोग कुछ समय के लिए कैदी रहेंगे, मानो ‘जंजीर के भार से दब’ जाएँगे, मगर अचानक उन्हें छुटकारा मिलेगा। वे बाबुल में मिट नहीं जाएँगे, ना ही ऐसी नौबत आएगी कि उन्हें कैदियों की तरह भूखों मरना पड़े और उन्हें कब्र यानी गड्ढे में फेंका जाए। (भजन 30:3; 88:3-5) यहोवा उनको वचन देता है: “बन्दी, जो जंजीर के भार से दबा है, अविलम्ब मुक्‍त होगा! वह मरेगा नहीं, और न ‘मृत्यु के गड्ढे’ में फेंका जाएगा। उसे भोजन का अभाव भी न होगा।”—यशायाह 51:14, नयी हिन्दी बाइबिल।

19. वफादार यहूदी, यहोवा के वचनों पर क्यों पूरा-पूरा भरोसा रख सकते हैं?

19 यहोवा, सिय्योन को शांति देते हुए आगे कहता है: “जो समुद्र को उथल-पुथल करता जिस से उसकी लहरों में गरजन होती है, वह मैं ही तेरा परमेश्‍वर यहोवा हूं मेरा नाम सेनाओं का यहोवा है। और मैं ने तेरे मुंह में अपने वचन डाले, और तुझे अपने हाथ की आड़ में छिपा रखा है; कि मैं आकाश को तानूं और पृथ्वी की नेव डालूं, और सिय्योन से कहूं, तुम मेरी प्रजा हो।” (यशायाह 51:15,16) बाइबल में बार-बार बताया गया है कि परमेश्‍वर, समुद्र पर अपनी शक्‍ति दिखा सकता है और उस पर अधिकार रखता है। (अय्यूब 26:12; भजन 89:9; यिर्मयाह 31:35) प्राकृतिक शक्‍तियाँ पूरी तरह उसके काबू में हैं। मिस्र से अपने लोगों को छुड़ाते वक्‍त उसने यह साबित कर दिखाया था। क्या कोई है जिसकी रत्ती-भर तुलना ‘सेनाओं के यहोवा’ के साथ की जा सके?—भजन 24:10.

20. जब यहोवा, सिय्योन को दोबारा बसाएगा तब कौन-सा “आकाश” और कौन-सी “पृथ्वी” वजूद में आएँगे, और यहोवा शांति देने के लिए क्या कहेगा?

20 बंधुआई में भी यहूदी, यहोवा की नज़र में उसके चुने हुए लोग हैं। और यहोवा उन्हें यकीन दिलाता है कि वे अपने देश लौट जाएँगे और फिर से उसकी व्यवस्था का पालन करेंगे। वहाँ वे यरूशलेम नगर और मंदिर का फिर से निर्माण करेंगे और एक बार फिर उस वाचा की ज़िम्मेदारियाँ पूरी करने लगेंगे जो यहोवा ने मूसा के ज़रिए उनसे बाँधी थी। जब यहूदा देश, बाबुल से लौटे इस्राएलियों और उनके पालतू जानवरों से दोबारा आबाद हो जाएगा तब एक “नई पृथ्वी” स्थापित होगी। और उस पर एक “नया आकाश” यानी नयी सरकार शासन करेगी। (यशायाह 65:17-19; हाग्गै 1:1,14) तब यहोवा एक बार फिर सिय्योन से कहेगा: “तुम मेरी प्रजा हो।”

कुछ करने की पुकार

21. यहोवा क्या करने की पुकार लगाता है?

21 सिय्योन की हिम्मत बँधाने के बाद, यहोवा अब उसे कुछ करने के लिए पुकार लगाता है। वह सिय्योन से ऐसे बात करता है मानो उसकी तकलीफों का दौर खत्म हो चुका है। वह कहता है: “हे यरूशलेम जाग! जाग उठ! खड़ी हो जा, तू ने यहोवा के हाथ से उसकी जलजलाहट के कटोरे में से पिया है, तू ने कटोरे का लड़खड़ा देनेवाला मद पूरा पूरा ही पी लिया है।” (यशायाह 51:17) जी हाँ, यरूशलेम को अपनी बदहाली से उबरना है और दोबारा अपना पिछला स्थान और वैभव हासिल करना है। वह समय आएगा जब यरूशलेम नगरी, परमेश्‍वर के प्रतिशोध का कटोरा पूरा-पूरा पी चुकी होगी। इसके बाद उस पर परमेश्‍वर का क्रोध लेशमात्र भी बाकी न रहेगा।

22, 23. यहोवा के क्रोध का कटोरा पीते वक्‍त यरूशलेम की क्या गति होगी?

22 लेकिन जिस वक्‍त यरूशलेम सज़ा भुगत रही होगी, तब उसके “लड़कों” यानी उसके निवासियों में से कोई भी उसे बरबाद होने से रोक नहीं पाएगा। (यशायाह 43:5-7; यिर्मयाह 3:14) भविष्यवाणी कहती है: “जितने लड़को ने उस से जन्म लिया उन में से कोई न रहा जो उसकी अगुवाई करके ले चले; और जितने लड़के उस ने पाले-पोसे उन में से कोई न रहा जो उसके हाथ को थाम ले।” (यशायाह 51:18) बाबुलियों के हाथों उसका कितना बुरा हश्र होगा! “ये दो विपत्तियां तुझ पर आ पड़ी हैं, कौन तेरे संग विलाप करेगा? उजाड़ और विनाश और महंगी और तलवार आ पड़ी हैं; कौन तुझे शान्ति देगा? तेरे लड़के मूर्च्छित होकर हर एक सड़क के सिरे पर, महाजाल में फंसे हुए हरिण की नाईं पड़े हैं; यहोवा की जलजलाहट और तेरे परमेश्‍वर की धमकी के कारण वे अचेत पड़े हैं।”—यशायाह 51:19,20.

23 बेचारी यरूशलेम नगरी! उसे “उजाड़ और विनाश” साथ ही, अकाल या “महंगी और तलवार” की मार भी सहनी पड़ेगी। उसके “लड़के” उसकी अगुवाई करने में नाकाम रहेंगे और उसे खड़ी नहीं रख पाएँगे। वे भूखे-प्यासे और लाचार होकर पथरायी आँखों से देखते रह जाएँगे और उनके पास बाबुल के हमलावरों का मुकाबला करने की ताकत नहीं रहेगी। वे सड़क के सिरों या मोड़ पर, यानी ऐसी जगहों पर कमज़ोरी से बेहोश होकर गिर पड़ेंगे जहाँ वे सबको नज़र आएँगे। (विलापगीत 2:19; 4:1,2) वे परमेश्‍वर के क्रोध का कटोरा पी चुके होंगे और ऐसे लाचार पड़े रहेंगे जैसे जाल में फँसा जानवर लाचार पड़ा रहता है।

24, 25. (क) यरूशलेम पर दोबारा कैसी नौबत नहीं आएगी? (ख) यरूशलेम के बाद, यहोवा के क्रोध का कटोरा पीने की बारी किसकी होगी?

24 लेकिन उसकी दुःखदायी हालत का अंत भी होगा। यशायाह यह कहकर उन्हें शांति देता है: “इस कारण हे दुखियारी सुन, तू मतवाली तो है, परन्तु दाखमधु पीकर नहीं; तेरा प्रभु यहोवा जो अपनी प्रजा का मुक़द्दमा लड़नेवाला तेरा परमेश्‍वर है, वह यों कहता है, सुन, मैं लड़खड़ा देनेवाले मद के कटोरे को अर्थात्‌ अपनी जलजलाहट के कटोरे को तेरे हाथ से ले लेता हूं; तुझे उस में से फिर कभी पीना न पड़ेगा। और मैं उसे तेरे उन दु:ख देनेवालों के हाथ में दूंगा, जिन्हों ने तुझ से कहा, लेट जा, कि हम तुझ पर पांव धरकर आगे चलें; और तू ने औंधे मुंह गिरकर अपनी पीठ को भूमि और आगे चलनेवालों के लिये सड़क बना दिया।” (यशायाह 51:21-23) यरूशलेम को ताड़ना देने के बाद, यहोवा उस पर तरस खाने और उसे माफ करने के लिए तैयार है।

25 अब यहोवा का क्रोध यरूशलेम से हटकर बाबुल पर भड़केगा। बाबुल ने यरूशलेम को मिट्टी में मिला दिया था और उसका अपमान किया था। (भजन 137:7-9) मगर यरूशलेम को दोबारा बाबुल या उसके मित्र-राष्ट्रों के हाथों यहोवा के क्रोध के कटोरे से पीना नहीं पड़ेगा। इसके बजाय वह कटोरा, यरूशलेम के हाथ से लेकर उन्हें दिया जाएगा जिन्होंने उसका अपमान होते देखकर जश्‍न मनाया था। (विलापगीत 4:21,22) और बाबुल पी-पीकर ऐसा मतवाला होगा कि गिर पड़ेगा। (यिर्मयाह 51:6-8) जबकि सिय्योन उठ खड़ी होगी! यह कैसी कायापलट होगी! अपने इस भविष्य के बारे में जानकर सिय्योन का ढाढ़स बँधेगा। और यहोवा का हर सेवक पूरा यकीन रख सकता है कि यहोवा के उद्धार के कामों से उसका नाम पवित्र होगा।

[फुटनोट]

^ पैरा. 12 यहाँ जिस कृमि की बात की गयी है वह जाला बुननेवाला, कपड़ों में लगनेवाला कीड़ा है। और यहाँ उसके लार्वा चरण की बात की गयी है, जिसमें वह कपड़ों के लिए बहुत खतरनाक होता है।

[अध्ययन के लिए सवाल]

[पेज 167 पर तसवीर]

महान इब्राहीम यानी यहोवा, वह “चट्टान” है जिससे उसके लोग “निकाले गए” थे

[पेज 170 पर तसवीर]

परमेश्‍वर के लोगों के विरोधी ऐसे चट हो जाएँगे, जैसे कीड़ा कपड़ों को चट कर जाता है

[पेज 176, 177 पर तसवीर]

यहोवा ने दिखाया है कि प्राकृतिक शक्‍तियाँ, पूरी तरह उसके काबू में हैं

[पेज 178 पर तसवीर]

यरूशलेम नगरी जिस कटोरे से पी चुकी होगी, उसी में से बाबुल और उसके मित्र राष्ट्रों को भी पीना होगा