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यहोवा—“धर्मी और उद्धारकर्त्ता ईश्‍वर”

यहोवा—“धर्मी और उद्धारकर्त्ता ईश्‍वर”

छठा अध्याय

यहोवा—“धर्मी और उद्धारकर्त्ता ईश्‍वर”

यशायाह 45:1-25

1, 2. यशायाह के 45वें अध्याय में क्या तसल्ली दी गयी है, और अब हम किन सवालों पर गौर करेंगे?

यहोवा का हर वादा भरोसे के लायक है। वह भेदों का प्रकट करनेवाला परमेश्‍वर और सिरजनहार है। बार-बार उसने साबित किया है कि वह एक धर्मी परमेश्‍वर है और सब जातियों के लोगों का उद्धारकर्त्ता है। यशायाह के 45वें अध्याय में ऐसी ही कुछ बातें दी गयी हैं जिनसे दिल को तसल्ली मिलती है।

2 इसके अलावा, यशायाह के 45वें अध्याय में हम यहोवा की भविष्यवाणी करने की काबिलीयत का एक अनोखा उदाहरण भी पाते हैं। परमेश्‍वर की आत्मा की मदद से यशायाह देख पाता है कि आनेवाली सदियों के दौरान दूर-दूर के देशों में क्या-क्या घटनाएँ होनेवाली थीं। यह आत्मा उसे भविष्य की एक ऐसी घटना का ब्यौरा लिखने के लिए प्रेरित करती है जिसका इतनी बारीकी से वर्णन, सिर्फ सच्ची भविष्यवाणियों का परमेश्‍वर, यहोवा ही कर सकता है। वह क्या घटना थी? उस घटना का यशायाह के दिनों में परमेश्‍वर के लोगों पर कैसा असर पड़ा? और यह आज हमारे लिए क्या मायने रखती है? यह सब जानने के लिए आइए हम भविष्यवक्‍ता के शब्दों की जाँच करें।

बाबुल के खिलाफ यहोवा न्यायदंड सुनाता है

3. यशायाह 45:1-3क किन साफ शब्दों में कुस्रू की जीत का वर्णन करता है?

3 “यहोवा अपने अभिषिक्‍त कुस्रू के विषय यों कहता है, मैं ने उस के दहिने हाथ को इसलिये थाम लिया है कि उसके साम्हने जातियों को दबा दूं और राजाओं की कमर ढीली करूं, उसके साम्हने फाटकों को ऐसा खोल दूं कि वे फाटक बन्द न किए जाएं। मैं तेरे आगे आगे चलूंगा और ऊंची ऊंची भूमि को चौरस करूंगा, मैं पीतल के किवाड़ों को तोड़ डालूंगा और लोहे के बेड़ों को टुकड़े टुकड़े कर दूंगा। मैं तुझ को अन्धकार में छिपा हुआ और गुप्त स्थानों में गड़ा हुआ धन दूंगा।”—यशायाह 45:1-3क.

4. (क) यहोवा, कुस्रू को अपना “अभिषिक्‍त” क्यों कहता है? (ख) कुस्रू को हर हाल में जीत दिलाने के लिए यहोवा क्या करेगा?

4 यहोवा, यशायाह के ज़रिए कुस्रू से ऐसे बात करता है मानो कुस्रू उस वक्‍त ज़िंदा हो, जबकि यशायाह के समय तक वह पैदा भी नहीं हुआ था। (रोमियों 4:17) कुस्रू को परमेश्‍वर का “अभिषिक्‍त” कहा जा सकता है क्योंकि उसके पैदा होने से पहले ही यहोवा ने उसे एक खास ज़िम्मेदारी सौंपी थी। परमेश्‍वर, कुस्रू को मार्गदर्शन देगा इसलिए वह जातियों को परास्त करके उनके राजाओं को इतना कमज़ोर कर देगा कि वे उसका सामना नहीं कर पाएँगे। फिर जब कुस्रू, बाबुल पर हमला करने आएगा, तो यहोवा इस बात का ध्यान रखेगा कि उस नगर के फाटक खुले रहें। इस तरह, फाटकों का होना बेकार साबित होगा मानो उनके टुकड़े-टुकड़े कर दिए गए हों। यहोवा, कुस्रू के आगे-आगे चलेगा और उसके सामने आनेवाली हर बाधा को दूर कर देगा। अंत में, कुस्रू की सेनाएँ शहर पर कब्ज़ा कर लेंगी और कोठरियों में “गड़ा हुआ धन” ले जाएँगी। इन्हीं घटनाओं के बारे में यशायाह भविष्यवाणी करता है। क्या उसके कहे वचन सच निकलते हैं?

5, 6. बाबुल के गिरने की भविष्यवाणी कब और कैसे पूरी हुई?

5 यशायाह के यह भविष्यवाणी दर्ज़ करने के कुछ 200 साल बाद, सा.यु.पू. 539 में कुस्रू, बाबुल पर धावा बोलने के लिए सचमुच उसकी शहरपनाह तक पहुँच जाता है। (यिर्मयाह 51:11,12) मगर बाबुलियों को इसकी कोई फिक्र नहीं है। वे सोचते हैं कि उनके शहर पर कोई कब्ज़ा कर ही नहीं सकता। आखिर उनके शहर की हिफाज़त के लिए चारों तरफ ऊँची-ऊँची दीवारें और दीवार के बाहर गहरी खाइयों में फरात नदी का पानी जो है। और फिर सौ से भी ज़्यादा साल गुज़र चुके हैं, लेकिन बाबुल का एक भी दुश्‍मन उस पर हमला करने में कामयाब नहीं हुआ है! इसलिए बाबुल शहर में मौजूद उसका शासक, बेलशस्सर खुद को इतना सुरक्षित महसूस करता है कि वह अपने दरबारियों के साथ जश्‍न मना रहा है। (दानिय्येल 5:1) मगर जश्‍न की उसी रात यानी अक्टूबर 5/6 को, कुस्रू की लाजवाब रणनीति रंग लाती है।

6 कुस्रू के इंजीनियर, बाबुल की तरफ बहकर आनेवाली फरात नदी के पानी का रुख मोड़ देते हैं। वे बाबुल से बहुत पहले दूर एक जगह पर नदी के किनारे एक नहर खोद देते हैं जिससे उसका पानी दक्षिण में बाबुल शहर की तरफ जाने के बजाय उस नहर में जाने लगता है। देखते ही देखते, बाबुल के अंदर और उसके चारों ओर बहनेवाली फरात का पानी इतना कम हो जाता है कि कुस्रू के सैनिक नदी में से पैदल चलते हुए शहर के अंदर तक पहुँच जाते हैं। (यशायाह 44:27; यिर्मयाह 50:38) ठीक जैसे यशायाह ने बताया, नदी के पास के फाटक खुले हुए हैं! कुस्रू की फौज बाबुल पर टूट पड़ती है, महल पर कब्ज़ा कर लेती है और राजा बेलशस्सर को मौत के घाट उतार देती है। (दानिय्येल 5:30) एक ही रात में बाबुल पर जीत हासिल कर ली जाती है। बाबुल गिर जाता है और भविष्यवाणी का एक-एक शब्द पूरा होता है!

7. कुस्रू के संबंध में यशायाह की भविष्यवाणी जिस अनोखे ढंग से पूरी हुई, उससे मसीहियों का विश्‍वास कैसे मज़बूत होता है?

7 आज जब मसीही इस बात पर मनन करते हैं कि इस भविष्यवाणी का एक-एक शब्द कैसे पूरा हुआ, तो उनका विश्‍वास मज़बूत होता है। इससे उन्हें यकीन करने के लिए ठोस सबूत मिलता है कि बाइबल की जो भविष्यवाणियाँ अब तक पूरी नहीं हुई हैं, वे भी हर हाल में पूरी होंगी। (2 पतरस 1:20,21) यहोवा के उपासक जानते हैं कि सा.यु.पू. 539 में बाबुल का पतन, ‘बड़े बाबुल’ के पतन की एक झलक थी, जो 1919 में हो चुका है। आज, वे इस धर्म-संगठन या बड़े बाबुल के नाश होने का, साथ ही कुछ और घटनाओं के होने का इंतज़ार कर रहे हैं जैसे, शैतान के वश में पड़ी राजनीतिक व्यवस्था का मिटाया जाना, शैतान को अथाह कुंड में फेंक दिया जाना और नए आकाश और नयी पृथ्वी का आना। (प्रकाशितवाक्य 18:2,21; 19:19-21; 20:1-3,12,13; 21:1-4) वे जानते हैं कि यहोवा की भविष्यवाणियाँ, खोखले वादे नहीं हैं बल्कि भविष्य में होनेवाली सच्ची घटनाओं का वर्णन हैं। यह देखकर सच्चे मसीहियों का विश्‍वास मज़बूत होता है कि बाबुल के पतन के बारे में यशायाह की भविष्यवाणी की एक-एक बात पूरी हुई। वे जानते हैं कि यहोवा अपने वादों से कभी नहीं मुकरता।

यहोवा, कुस्रू की मदद क्यों करेगा

8. यहोवा ने कुस्रू को बाबुल पर जीत क्यों दिलायी, इसका एक कारण बताइए।

8 बाबुल पर कब्ज़ा कौन करेगा और कैसे करेगा यह बताने के बाद, यहोवा अब एक कारण समझाता है कि वह कुस्रू को क्यों जीत दिलाएगा। यहोवा, भविष्यवाणी में कुस्रू से कहता है: “जिस से तू जाने कि मैं इस्राएल का परमेश्‍वर यहोवा हूं जो तुझे नाम लेकर बुलाता है।” (यशायाह 45:3ख) कुस्रू, बाइबल के इतिहास में चौथी विश्‍वशक्‍ति का सम्राट है। और उसका यह कबूल करना वाजिब होगा कि उसकी सबसे शानदार जीत के पीछे, उससे भी महान हस्ती, यहोवा का हाथ है जो सारे विश्‍व का सम्राट है। कुस्रू को मानना चाहिए कि उसे बुलानेवाला, या इस काम के लिए ठहरानेवाला इस्राएल का परमेश्‍वर, यहोवा है। जैसा बाइबल में दिया गया रिकॉर्ड दिखाता है, कुस्रू ने सचमुच कबूल किया कि उसने यहोवा की बदौलत ही यह शानदार जीत हासिल की है।—एज्रा 1:2,3.

9. किस दूसरे कारण से यहोवा, बाबुल को कुस्रू के हाथ में कर देता है?

9 बाबुल को कुस्रू के हाथ कर देने का यहोवा अब दूसरा कारण बताता है: “अपने दास याकूब और अपने चुने हुए इस्राएल के निमित्त मैं ने नाम लेकर तुझे बुलाया है; यद्यपि तू मुझे नहीं जानता, तौभी मैं ने तुझे पदवी दी है।” (यशायाह 45:4) बाबुल पर कुस्रू की जीत सचमुच दुनिया को हिला देनेवाली घटना है। यह जीत इतिहास के पन्‍नों पर एक गहरी छाप छोड़ जाती है। इससे एक विश्‍वशक्‍ति का नामो-निशान मिट गया और उसकी जगह एक नयी विश्‍वशक्‍ति उभरकर सामने आयी। लेकिन आस-पास की सभी जातियाँ, जिनकी नज़रें इन घटनाओं पर टिकी हैं, शायद यह जानकर दंग रह जाएँगी कि ये सारी घटनाएँ बाबुल में कैद पड़े चंद हज़ार यहूदियों या याकूब के वंशजों की खातिर हो रही हैं। हालाँकि ये बचे हुए यहूदी उनकी नज़रों में “मामूली” हैं, मगर यहोवा उन्हें हरगिज़ मामूली नहीं समझता। वे तो उसके “दास” हैं। पृथ्वी की सारी जातियों में से ये ही उसके “चुने हुए” लोग हैं। हालाँकि कुस्रू पहले यहोवा को नहीं जानता था, मगर फिर भी यहोवा उसे अपने अभिषिक्‍त के तौर पर इस्तेमाल करता है ताकि वह उस नगर को उलट दे जो कभी अपने बंधुओं को रिहा नहीं करता था। यहोवा नहीं चाहता कि उसके चुने हुए लोग हमेशा के लिए पराए देश में आहें भरते रहें।

10. कुस्रू के ज़रिए विश्‍वशक्‍ति बाबुल का अंत करने का सबसे ज़बरदस्त कारण क्या है?

10 यहोवा अब, कुस्रू के ज़रिए बाबुल का तख्ता पलटने का तीसरा और सबसे ज़बरदस्त कारण बताता है। वह कहता है: “मैं यहोवा हूं और दूसरा कोई नहीं, मुझे छोड़ कोई परमेश्‍वर नहीं; यद्यपि तू मुझे नहीं जानता, तौभी मैं तेरी कमर कसूंगा, जिस से उदयाचल से लेकर अस्ताचल तक लोग जान लें कि मुझ बिना कोई है ही नहीं; मैं यहोवा हूं और दूसरा कोई नहीं है।” (यशायाह 45:5,6) जी हाँ, विश्‍वशक्‍ति बाबुल का गिरना यहोवा के ईश्‍वरत्व का सबूत है, यह इस बात को जग ज़ाहिर कर देगा कि सिर्फ वही उपासना पाने का असली हकदार है। जब यहोवा ने अपने लोगों को छुड़ाया, तो पूरब और पश्‍चिम की कई जातियों के लोगों को मानना पड़ा कि केवल यहोवा ही सच्चा परमेश्‍वर है।—मलाकी 1:11.

11. यहोवा कौन-सी मिसाल देकर समझाता है कि वह बाबुल से जुड़ा अपना मकसद पूरा करने की ताकत रखता है?

11 ध्यान दीजिए कि यशायाह ने इस घटना के करीब 200 साल पहले इस भविष्यवाणी को दर्ज़ किया था। इस भविष्यवाणी को सुनकर उस वक्‍त शायद कुछ लोगों के मन में यह सवाल उठा होगा, ‘क्या यहोवा के पास सचमुच इसे पूरा करने की ताकत है?’ बेशक। इतिहास इस बात का गवाह है। यहोवा समझाता है कि उसके वादे क्यों भरोसे के लायक हैं: “मैं उजियाले का बनानेवाला और अन्धियारे का सृजनहार हूं, मैं शान्ति का दाता और विपत्ति को रचता हूं, मैं यहोवा ही इन सभों का कर्त्ता हूं।” (यशायाह 45:7) यहोवा की हर सृष्टि पर—उजियाले से लेकर अन्धियारे तक—इतिहास की हर घटना पर—शांति से लेकर विपत्ति तक यानी हर चीज़ पर उसका अधिकार है। जैसे यहोवा दिन के लिए उजियाले और रात के लिए अन्धियारे की सृष्टि करता है, वैसे ही वह इस्राएल को शांति देगा और बाबुल के लिए विपत्ति रचेगा। यहोवा के पास जिस तरह विश्‍वमंडल की सृष्टि करने की शक्‍ति है, उसी तरह अपनी भविष्यवाणियों को पूरा करने की भी शक्‍ति है। यह बात आज उन मसीहियों का हौसला मज़बूत करती है जो उसकी भविष्यवाणी के वचन का गहरा अध्ययन करते हैं।

12. (क) यहोवा लाक्षणिक आकाश और पृथ्वी से क्या उत्पन्‍न कराता है? (ख) यशायाह 45:8 में दिया गया कौन-सा वादा आज मसीहियों की हिम्मत बँधाता है?

12 यहूदी बंधुओं का भविष्य कैसा होगा, यह समझाने के लिए यहोवा, सृष्टि में आम तौर पर होनेवाली घटनाओं का बिलकुल सही उदाहरण देता है: “‘हे आकाश, ऊपर से बरस, हां, बादल भी धार्मिकता उण्डेलें। पृथ्वी खुले कि उद्धार उत्पन्‍न हो, और धार्मिकता भी उसके साथ उग आए। मैं यहोवा ही ने इसे सृजा है।’” (यशायाह 45:8, NHT) जिस तरह आकाश से जीवन देनेवाली वर्षा गिरती है, उसी तरह यहोवा लाक्षणिक आकाश से अपने लोगों पर धार्मिकता यानी आशीषों और उपदेशों की बौछार करेगा। और जैसे पृथ्वी भरपूर फसलें देती है, वैसे ही यहोवा लाक्षणिक पृथ्वी से ऐसी घटनाओं का होना मुमकिन कराएगा जो उसके धर्मी उद्देश्‍य के मुताबिक होंगी। खासकर वह बाबुल की बंधुआई में पड़े अपने लोगों के छुटकारे के लिए ऐसा करेगा। सन्‌ 1919 में भी, यहोवा ने अपने लोगों को छुड़ाने के लिए “आकाश” और “पृथ्वी” के ज़रिए कुछ ऐसी ही घटनाएँ मुमकिन करवायीं। इस तरह की घटनाएँ देखने पर, आज मसीहियों का मन खुशी से झूम उठता है। क्यों? क्योंकि इनसे उनका विश्‍वास पक्का होता है कि आनेवाले समय में लाक्षणिक आकाश यानी परमेश्‍वर का राज्य एक धर्मी पृथ्वी पर आशीषें लाएगा। उस समय इस आकाश और पृथ्वी के ज़रिए इतने बड़े पैमाने पर धार्मिकता और उद्धार उत्पन्‍न होगा, जो प्राचीन बाबुल के गिरने के समय से कहीं बढ़कर होगा। तब यशायाह के शब्द आखिरी बार बड़े ही शानदार तरीके से पूरे होंगे!—2 पतरस 3:13; प्रकाशितवाक्य 21:1.

यहोवा की हुकूमत को कबूल करने से मिलनेवाली आशीषें

13. इंसान के लिए यहोवा के मकसद के खिलाफ बात करना क्यों बेतुका है?

13 भविष्य में मिलनेवाली खुशियों और आशीषों का वर्णन करने के बाद, भविष्यवाणी के लहज़े में अचानक एक बदलाव आता है। अब यशायाह दो बार शाप सुनाता है: “हाय उस पर जो अपने रचनेवाले से झगड़ता है! वह तो मिट्टी के ठीकरों में से एक ठीकरा ही है! क्या मिट्टी कुम्हार से कहेगी, तू यह क्या करता है? क्या कारीगर का बनाया हुआ कार्य उसके विषय कहेगा कि उसके हाथ नहीं है? हाय उस पर जो अपने पिता से कहे, तू क्या जन्माता है? और माँ से कहे, तू किस की माता है?” (यशायाह 45:9,10) ऐसा लगता है कि इस्राएली, यहोवा की भविष्यवाणी को मानने से इनकार करते हैं। वे शायद यकीन नहीं करते कि यहोवा अपने लोगों को बंधुआई में जाने देगा। या शायद वे कहते हों कि इस्राएल का छुटकारा, दाऊद के घराने के किसी राजा के बजाय एक गैर-यहूदी राजा के हाथों कैसे हो सकता है। लेकिन यशायाह कहता है कि उनका ऐसा एतराज़ करना बिलकुल बेतुका है। इसे समझाने के लिए वह उन लोगों की तुलना मिट्टी के ऐसे लोंदों और ठीकरों से करता है जो अपने बनानेवाले की बुद्धि के खिलाफ बोलने की जुर्रत करते हैं। जिस चीज़ को कुम्हार ने खुद अपने हाथों से रचा है, वही अब कहती है कि कुम्हार के पास किसी चीज़ को रचने के लिए न तो हाथ हैं और न ही कोई शक्‍ति। क्या ही मूर्खता! एतराज़ करनेवाले ये लोग ऐसे छोटे बच्चों की तरह हैं जो अपने माता-पिता के अधिकार के खिलाफ बोलने की जुर्रत करते हैं।

14, 15. “पवित्र” और “बनानेवाला,” ये दोनों शब्द यहोवा के बारे में क्या बताते हैं?

14 यशायाह उन विरोधियों को यहोवा का यह जवाब सुनाता है: “यहोवा जो इस्राएल का पवित्र और उसका बनानेवाला है, वह यों कहता है, क्या तुम आनेवाली घटनाएं मुझ से पूछोगे? क्या मेरे पुत्रों और मेरे कामों के विषय मुझे आज्ञा दोगे? मैं ही ने पृथ्वी को बनाया और उसके ऊपर मनुष्यों को सृजा है; मैं ने अपने ही हाथों से आकाश को ताना और उसके सारे गणों को आज्ञा दी है। मैं ही ने उस पुरुष को धार्मिकता में उभारा है और मैं उसके सब मार्गों को सीधा करूंगा; वह मेरे नगर को फिर बसाएगा और मेरे बंधुओं को बिना दाम या बदला लिए छुड़ा देगा, सेनाओं के यहोवा का यही वचन है।”—यशायाह 45:11-13.

15 यहोवा को “पवित्र” कहकर, इस बात पर ज़ोर दिया जा रहा है कि वह कितना पावन है। और उसको “बनानेवाला” कहकर दिखाया गया है कि सिरजनहार होने के नाते उसे यह फैसला करने का हक है कि कब, क्या, कैसे होना चाहिए। यहोवा, अपने हाथों की कारीगरी यानी अपनी प्रजा इस्राएल को बता सकता है कि भविष्य में क्या होगा और वह उनकी रक्षा भी कर सकता है। इस तरह, एक बार फिर यह दिखाया गया है कि सृष्टि करने और भेदों को प्रकट करने का आपस में नाता है। और सारे विश्‍व का सिरजनहार होने के नाते यहोवा अपनी मरज़ी के मुताबिक घटनाओं में फेर-बदल करने का हक रखता है। (1 इतिहास 29:11,12) फिलहाल इस्राएल के छुटकारे के बारे में जो चर्चा हो रही है, उसमें विश्‍व के सम्राट ने यह तय किया है कि वह इस्राएल को छुड़ाने के लिए एक गैर-यहूदी राजा, कुस्रू को उभारेगा। हालाँकि कुस्रू का जन्म अभी तक नहीं हुआ है, लेकिन उसका आना उतना ही अटल है जितना कि आकाश और पृथ्वी का वजूद। तो फिर इस्राएल में से कौन-सा पुत्र अपने पिता, “सेनाओं के यहोवा” के खिलाफ बोलने की जुर्रत कर सकता है?

16. यहोवा के दासों को क्यों उसके अधीन रहना चाहिए?

16 यशायाह की इन्हीं आयतों में एक और कारण बताया गया है कि परमेश्‍वर के दासों को क्यों उसके अधीन रहना चाहिए। कारण यह है कि वह हमेशा अपने दासों की भलाई को ध्यान में रखते हुए फैसला करता है। (अय्यूब 36:3) उसने अपने लोगों को ऐसे नियम दिए हैं जिनसे उन्हीं का फायदा हो। (यशायाह 48:17) कुस्रू के दिनों में जिन यहूदियों ने यहोवा की हुकूमत को कबूल किया, उन्होंने पाया कि यहोवा के नियम वाकई उनकी भलाई के लिए हैं। कुस्रू, यहोवा की धार्मिकता के मुताबिक काम करते हुए, बाबुल से इस्राएलियों को वापस उनके देश भेज देता है ताकि वे दोबारा मंदिर का निर्माण कर सकें। (एज्रा 6:3-5) उसी तरह आज, जो लोग अपनी रोज़मर्रा ज़िंदगी में यहोवा के नियमों को मानते हैं और उसकी हुकूमत के अधीन होते हैं, उन्हें आशीषें मिलती हैं।—भजन 1:1-3; 19:7; 119:105; यूहन्‍ना 8:31,32.

दूसरी जातियों के लिए आशीषें

17. जब यहोवा छुटकारा दिलाएगा तो इस्राएलियों के साथ-साथ किन्हें फायदा होगा, और कैसे?

17 बाबुल के गिरने से सिर्फ इस्राएल जाति को ही फायदा नहीं होगा। यशायाह बताता है: “यहोवा यों कहता है: ‘मिस्र के बेगार मज़दूर और कूश के व्यापारी और सबाई लोग जो ऊँचे कदवाले हैं, तेरे पास अपने आप चले आएँगे, और तेरे ही हो जाएँगे। वे तेरे पीछे पीछे चलेंगे; वे बेड़ियों में बन्धे हुए चले आएँगे और तेरे सामने दण्डवत्‌ कर तुझ से बिनती करके कहेंगे, “निश्‍चय परमेश्‍वर तेरे ही साथ है और दूसरा कोई नहीं; उसके सिवाय कोई और परमेश्‍वर नहीं।”’” (यशायाह 45:14, NW) मूसा के दिनों में जब इस्राएली मिस्र से निकले, तो गैर-इस्राएलियों की “मिली जुली हुई एक भीड़” भी उनके साथ हो ली थी। (निर्गमन 12:37,38) उसी तरह, जब यहूदी बंधुए बाबुल से छूटकर अपने घर वापस लौटेंगे तो कई परदेशी भी उनके साथ हो लेंगे। इन गैर-यहूदियों को ज़बरदस्ती नहीं ले जाया जाएगा बल्कि वे “अपने आप चले आएँगे।” जब यहोवा कहता है कि वे “तेरे साम्हने दण्डवत्‌ कर तुझ से बिनती करके कहेंगे,” तो वह बता रहा था कि ये परदेशी अपनी मरज़ी से इस्राएल के अधीन हो जाएँगे और उनके लिए अपनी निष्ठा दिखाएँगे। अगर वे बेड़ियाँ पहनते हैं, तो वे अपनी मरज़ी से ऐसा करते हैं। और यह दिखाता है कि वे अपनी खुशी से परमेश्‍वर के चुने हुए लोगों की सेवा करना चाहते हैं, जिनसे वे कहते हैं: “निश्‍चय परमेश्‍वर तेरे ही साथ है।” और इस्राएल के साथ यहोवा की वाचा के तहत, ये लोग यहूदी मतधारक बनकर यहोवा की उपासना करेंगे।—यशायाह 56:6.

18. “परमेश्‍वर के इस्राएल” के छुटकारे से आज किन लोगों को फायदा हुआ है, और कैसे?

18 कुस्रू के समय पर यशायाह के शब्दों की पूर्ति हुई, लेकिन 1919 में “परमेश्‍वर के इस्राएल” को आध्यात्मिक बंधुआई से छुड़ाए जाने के बाद से इन शब्दों की और भी बड़े पैमाने पर पूर्ति हो रही है। संसार-भर में लाखों लोग यहोवा की सेवा करने की इच्छा ज़ाहिर कर रहे हैं। (गलतियों 6:16; जकर्याह 8:23) शुद्ध उपासना को बढ़ावा देने के लिए वे, यशायाह की भविष्यवाणी के ‘मज़दूरों’ की तरह जी-जान से मेहनत करते हैं और ‘व्यापारियों’ की तरह अपनी धन-संपत्ति लगाते हैं। (मत्ती 25:34-40; मरकुस 12:30) वे अपनी ज़िंदगी परमेश्‍वर को समर्पित करके उसके मार्गों पर चलते हैं और अपनी मरज़ी से उसके दास बन जाते हैं। (लूका 9:23) वे सिर्फ यहोवा की उपासना करते हैं, और उसके “विश्‍वासयोग्य और बुद्धिमान दास” की संगति से फायदा उठाते हैं, जिनके साथ परमेश्‍वर ने खास वाचा बाँधी है। (मत्ती 24:45-47; 26:28; इब्रानियों 8:8-13) हालाँकि “मज़दूर” और “व्यापारी” इस वाचा में शामिल नहीं हैं, मगर फिर भी वे इससे लाभ पाते हैं और इसमें दिए गए नियमों का पालन करते हुए हिम्मत से यह ऐलान करते हैं: “कोई और परमेश्‍वर नहीं।” आज सच्ची उपासना का दिलो-जान से समर्थन करनेवालों की गिनती में हो रही बेमिसाल बढ़ोतरी को अपनी आँखों से देखकर हमारे अंदर सनसनी दौड़ जाती है!—यशायाह 60:22.

19. जो लोग मूर्तियों को पूजना नहीं छोड़ते उनका क्या होगा?

19 यह बताने के बाद कि दूसरी जातियों के लोग भी यहोवा की उपासना करने में शामिल हो जाएँगे, भविष्यवक्‍ता ऐलान करता है: “हे इस्राएल के परमेश्‍वर, हे उद्धारकर्त्ता! निश्‍चय तू ऐसा ईश्‍वर है जो अपने को गुप्त रखता है।” (यशायाह 45:15) हालाँकि यहोवा अभी अपनी शक्‍ति दिखाने से खुद को रोके हुए है, मगर वह भविष्य में खुद को गुप्त नहीं रखेगा। वह सबके सामने यह ज़ाहिर करेगा कि वह इस्राएल का परमेश्‍वर और अपने लोगों का उद्धारकर्त्ता है। लेकिन यहोवा उन लोगों का उद्धार नहीं करेगा जो मूर्तियों पर भरोसा रखते हैं। उनके बारे में यशायाह कहता है: “मूर्तियों के गढ़नेवाले सब के सब अपमानित होंगे, वे सब लज्जित होंगे और उनकी मर्यादा मिट्टी में मिल जाएगी।” (यशायाह 45:16, NHT) उनके लज्जित होने का मतलब यह नहीं कि वे सिर्फ कुछ समय के लिए बदनाम या अपमानित होंगे। बल्कि इसका मतलब होगा कि वे मारे जाएँगे जबकि इस्राएलियों के साथ ऐसा नहीं होगा, जैसा कि अगली आयत में यहोवा वादा करता है।

20. इस्राएल “अनिश्‍चित काल तक उद्धार” कैसे पाएगा?

20 “जहाँ तक इस्राएल की बात है, वह यहोवा के साथ मिले रहकर ज़रूर अनिश्‍चित काल तक उद्धार पाएगा। तुम्हें अनन्तकाल तक न लज्जित किया जाएगा, ना ही तुम शर्मिंदा किए जाओगे।” (यशायाह 45:17, NW) यहोवा वादा करता है कि अनंतकाल के लिए वह इस्राएल का उद्धार करेगा। लेकिन इसकी एक शर्त भी है। इस्राएल को “यहोवा के साथ मिले” रहना होगा। जब इस्राएल ने यीशु को मसीहा मानने से इनकार कर दिया तो यह मेल टूट गया और इस्राएल ने “अनिश्‍चित काल तक उद्धार” पाने की आशा खो दी। लेकिन, इस्राएल जाति के कुछ लोगों ने यीशु पर विश्‍वास किया, और वे परमेश्‍वर के इस्राएल की बुनियाद बने। अब पैदाइशी इस्राएल की जगह पर यही आत्मिक इस्राएल है। (मत्ती 21:43; गलतियों 3:28,29; 1 पतरस 2:9) आत्मिक इस्राएल को कभी-भी शर्मिंदा नहीं होना पड़ेगा। उसके साथ एक “सनातन वाचा” बाँधी जाएगी।—इब्रानियों 13:20.

सृष्टि और भविष्यवाणी में यहोवा भरोसेमंद है

21. यहोवा कैसे दिखाता है कि उसकी सृष्टि के काम और भविष्यवाणियाँ पूरी तरह भरोसेमंद हैं?

21 क्या यहूदी, यहोवा के इस वादे पर भरोसा रख सकते हैं कि उनका अनंतकाल के लिए उद्धार किया जाएगा? यशायाह इसका जवाब देता है: “यहोवा जो आकाश का सृजनहार है, वही परमेश्‍वर है; उसी ने पृथ्वी को रचा और बनाया, उसी ने उसको स्थिर भी किया; उस ने उसे सुनसान रहने के लिये [“व्यर्थ में,NW] नहीं परन्तु बसने के लिये उसे रचा है। वही यों कहता है, मैं यहोवा हूं, मेरे सिवा दूसरा और कोई नहीं है। मैं ने न किसी गुप्त स्थान में, न अन्धकार देश के किसी स्थान में बातें कीं; मैं ने याकूब के वंश से नहीं कहा, मुझे व्यर्थ में ढूंढ़ो। मैं यहोवा सत्य ही कहता हूं, मैं उचित बातें ही बताता आया हूं।” (यशायाह 45:18,19) यशायाह अपनी भविष्यवाणी में ज़रूरी संदेश देते वक्‍त, इस 45वें अध्याय में अब चौथी और आखिरी बार, ये शब्द इस्तेमाल करता है: ‘यहोवा यों कहता है।’ (यशायाह 45:1,11,14) इस संदेश में यहोवा क्या कहता है? यही कि न सिर्फ उसकी सृष्टि के काम बल्कि उसकी भविष्यवाणियाँ भी भरोसे के लायक हैं। उसने पृथ्वी को “व्यर्थ में” नहीं सृजा। उसी तरह, वह अपनी प्रजा, इस्राएल को “व्यर्थ में” उसकी खोज करने के लिए नहीं कहता। जिस तरह पृथ्वी के संबंध में परमेश्‍वर का मकसद ज़रूर पूरा होगा, उसी तरह उसके चुने हुए लोगों के संबंध में भी उसका मकसद पूरा होकर ही रहेगा। यहोवा की भविष्यवाणियाँ, झूठे देवताओं के भक्‍तों की रहस्यमयी भविष्यवाणियों से बिलकुल अलग हैं। यहोवा खुलेआम अपना वचन सुनाता है। उसका वचन पक्का है और वह ज़रूर सच साबित होगा। उसके लोगों की सेवा व्यर्थ नहीं जाएगी।

22. (क) बाबुल में बंदी पड़े यहूदी किस बात का यकीन रख सकते थे? (ख) आज मसीहियों को क्या भरोसा दिलाया गया है?

22 इन शब्दों से बाबुल में बंदी पड़े परमेश्‍वर के लोगों को यकीन दिलाया गया कि वादा किया गया देश हमेशा के लिए उजाड़ पड़ा नहीं रहेगा। उसे दोबारा बसाया जाएगा। और यहोवा ने जैसा वादा किया वैसा ही हुआ। आज भी, यशायाह के ये शब्द परमेश्‍वर के लोगों को यह भरोसा दिलाते हैं कि पृथ्वी कभी नाश नहीं होगी। कुछ लोगों का मानना है कि पृथ्वी आग से भस्म कर दी जाएगी, तो कुछ लोगों को डर है कि यह परमाणु बम से तबाह हो जाएगी। लेकिन, परमेश्‍वर का मकसद है कि पृथ्वी हमेशा बनी रहे, इसके चप्पे-चप्पे पर फिरदौस की खूबसूरती छा जाए और इसमें धर्मी लोग वास करें। (भजन 37:11,29; 115:16; मत्ती 6:9,10; प्रकाशितवाक्य 21:3,4) जी हाँ, जैसे इस्राएल के मामले में यहोवा का मकसद पूरा हुआ था वैसे ही उसका यह मकसद भी ज़रूर पूरा होगा।

यहोवा दया दिखाता है

23. मूर्तिपूजकों को क्या फल मिलता है, लेकिन जो यहोवा की उपासना करते हैं, उनका भविष्य कैसा होगा?

23 इस्राएल के उद्धार के बारे में यहोवा अब और भी ज़ोर देकर बताता है: “हे अन्यजातियों में से बचे हुए लोगो, इकट्ठे होकर आओ, एक संग मिलकर निकट आओ! वह जो अपनी लकड़ी की खोदी हुई मूरतें लिए फिरते हैं और ऐसे देवता से जिस से उद्धार नहीं हो सकता, प्रार्थना करते हैं, वे अज्ञान हैं। तुम प्रचार करो और उनको लाओ; हां, वे आपस में सम्मति करें, किस ने प्राचीनकाल से यह प्रगट किया? किस ने प्राचीनकाल में इसकी सूचना पहिले ही से दी? क्या मैं यहोवा ही ने यह नहीं किया? इसलिये मुझे छोड़ कोई और दूसरा परमेश्‍वर नहीं है, धर्मी और उद्धारकर्त्ता ईश्‍वर मुझे छोड़ और कोई नहीं है।” (यशायाह 45:20,21) यहोवा ‘बचे हुए लोगों’ से कहता है कि वे अपने उद्धार की तुलना मूर्तिपूजकों की हालत से करें। (व्यवस्थाविवरण 30:3; यिर्मयाह 29:14; 50:28) मूर्तियों की पूजा करनेवाले अपने देवताओं से प्रार्थना करते और उनकी सेवा करते हैं, जबकि ये लाचार देवता उनकी रक्षा नहीं कर सकते। इसलिए मूर्तिपूजक “अज्ञान हैं।” वे व्यर्थ में उपासना करते हैं, उन्हें कोई फल नहीं मिलता। लेकिन जो लोग यहोवा की उपासना करते हैं, वे पाते हैं कि यहोवा “प्राचीनकाल” से बतायी गयी घटनाओं को अंजाम देने की ताकत रखता है। वह बाबुल की बंधुआई में पड़े अपने लोगों को भी छुड़ा सकता है। यहोवा का उद्धार करने की यह ताकत और भविष्य के बारे में जानने की काबिलीयत उसे बाकी देवताओं से बेजोड़ साबित करती है। सचमुच, वह “धर्मी और उद्धारकर्त्ता ईश्‍वर” है।

‘हमारे परमेश्‍वर से ही उद्धार है’

24, 25. (क) यहोवा क्या बुलावा देता है, और यह क्यों कहा जा सकता है कि उसका वादा ज़रूर पूरा होगा? (ख) यहोवा का क्या माँग करना उचित है?

24 यहोवा, दयालु होने की वजह से एक बुलावा देता है: “हे पृथ्वी के छोर छोर के सब लोगो, मेरी ओर फिरो और उद्धार पाओ, क्योंकि मैं ही परमेश्‍वर हूं, अन्य कोई नहीं। मैंने अपनी ही शपथ खाई, मेरे मुख से धार्मिकता में ही यह वचन निकला है जो नहीं टलने का: प्रत्येक घुटना मेरे आगे टिकेगा और प्रत्येक जीभ मेरी ही निष्ठा की शपथ खाएगी। वे मेरे विषय में कहेंगे, ‘केवल यहोवा ही में धार्मिकता और सामर्थ्य है।’ लोग उसके पास आएंगे, और जो उस से क्रोधित थे, उन सब को लज्जित होना पड़ेगा। इस्राएल के सारे वंशज यहोवा में ही धर्मी ठहरेंगे और उस पर गर्व करेंगे।”—यशायाह 45:22-25, NHT.

25 यहोवा वादा करता है कि बाबुल में रहनेवाले जो इस्राएली उसकी ओर फिरेंगे, उनका वह उद्धार करेगा। यहोवा की यह भविष्यवाणी कभी नाकाम नहीं हो सकती, क्योंकि वह न सिर्फ अपने लोगों को छुड़ाना चाहता है बल्कि ऐसा करने की ताकत भी रखता है। (यशायाह 55:11) परमेश्‍वर के कहे वचन वैसे भी भरोसे के लायक हैं लेकिन जब यहोवा उनकी सच्चाई का यकीन दिलाने के लिए अपनी शपथ खाता है तो उसकी बात और पक्की हो जाती है। (इब्रानियों 6:13) जो यहोवा का अनुग्रह पाना चाहते हैं, उनसे यहोवा पूरे अधिकार के साथ यह माँग करता है कि वे उसके अधीन हों (“प्रत्येक घुटना मेरे आगे टिकेगा”) और उसके वफादार (“प्रत्येक जीभ मेरी ही निष्ठा की शपथ खाएगी”) हों। जो इस्राएली यहोवा की उपासना में लगे रहते हैं, उनका उद्धार किया जाएगा। उनकी खातिर यहोवा जो करेगा, उस पर वे गर्व महसूस करेंगे।—2 कुरिन्थियों 10:17.

26. किस तरह हरेक जाति से निकली “बड़ी भीड़” यहोवा की ओर फिरने का उसका बुलावा स्वीकार कर रही है?

26 लेकिन, परमेश्‍वर की ओर फिरने का यह बुलावा सिर्फ उन लोगों को नहीं दिया गया जो प्राचीन बाबुल में कैद थे। (प्रेरितों 14:14,15; 15:19; 1 तीमुथियुस 2:3,4) बल्कि आज भी यह बुलावा दिया जा रहा है और ‘हर एक जाति में से एक बड़ी भीड़’ इस बुलावे को स्वीकार करके कहती है: “हमारे परमेश्‍वर और मेमने [यीशु] से ही उद्धार है!” (NHT) (प्रकाशितवाक्य 7:9,10, 15:4) इस बड़ी भीड़ की गिनती लगातार बढ़ती जा रही है, क्योंकि हर साल हज़ारों नए लोग परमेश्‍वर की ओर फिरकर उसकी हुकूमत को दिल से कबूल करते हैं और खुलेआम यह ऐलान करते हैं कि वे यहोवा के पक्ष में हैं। इसके अलावा, वे “इब्राहीम के वंश” यानी आत्मिक इस्राएल का भी वफादारी से समर्थन करते हैं। (गलतियों 3:29) वे यहोवा के धर्मी शासन के लिए अपना प्यार दिखाते हुए संसार-भर में यह ऐलान करते हैं: “केवल यहोवा ही में धार्मिकता और सामर्थ्य है।” * रोमियों को लिखी अपनी पत्री में, प्रेरित पौलुस ने यशायाह 45:23 का हवाला सेप्टुअजेंट बाइबल से दिया, और दिखाया कि आखिर में वह समय आएगा जब दुनिया का हर जीवता प्राणी परमेश्‍वर की हुकूमत को स्वीकार करेगा और सदा-सर्वदा उसके नाम की स्तुति करेगा।—रोमियों 14:11; फिलिप्पियों 2:9-11; प्रकाशितवाक्य 21:22-27.

27. आज मसीही, यहोवा के वादों पर पूरा-पूरा भरोसा क्यों रख सकते हैं?

27 क्यों बड़ी भीड़ के सदस्य भरोसा रख सकते हैं कि परमेश्‍वर की ओर फिरने से उन्हें उद्धार मिलेगा? क्योंकि जैसा यशायाह के अध्याय 45 की भविष्यवाणियाँ साफ दिखाती हैं, यहोवा के वादे भरोसे के लायक हैं। जिस तरह यहोवा के पास आकाश और पृथ्वी की सृष्टि करने की शक्‍ति और बुद्धि थी, उसी तरह उसके पास अपनी भविष्यवाणियों को भी पूरा करने की शक्‍ति और बुद्धि है। और जिस तरह उसने इस बात का ध्यान रखा कि कुस्रू के बारे में भविष्यवाणी सच निकले, उसी तरह बाइबल की जो भविष्यवाणियाँ अब तक पूरी नहीं हुई हैं, उन्हें भी वह हर हाल में पूरा करेगा। इसलिए, यहोवा के उपासक पूरा भरोसा रख सकते हैं कि जल्द ही यहोवा एक बार फिर साबित कर दिखाएगा कि वही “धर्मी और उद्धारकर्त्ता ईश्‍वर” है।

[फुटनोट]

^ पैरा. 26 इब्रानी पाठ में शब्द “धार्मिकता” बहुवचन में दिया गया है। बहुवचन, यह दिखाने के लिए इस्तेमाल किया गया है कि यहोवा धार्मिकता से भरपूर है।

[अध्ययन के लिए सवाल]

[पेज 80, 81 पर तसवीर]

जिस तरह यहोवा उजियाला बनाता और अन्धियारे की सृष्टि करता है, उसी तरह वह शांति देनेवाला और विपत्ति का रचयिता है

[पेज 83 पर तसवीर]

यहोवा “आकाश” से आशीषें बरसाएगा और “पृथ्वी” से उद्धार उत्पन्‍न कराएगा

[पेज 84 पर तसवीर]

क्या फेंके गए ठीकरों को अपने बनानेवाले की बुद्धि के बारे में सवाल खड़ा करना चाहिए?

[पेज 89 पर तसवीर]

यहोवा ने पृथ्वी की सृष्टि व्यर्थ में नहीं की