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इस ब्रोशर का उद्देश्‍य

इस ब्रोशर का उद्देश्‍य

डच तत्त्वज्ञानी स्पिनोज़ा ने लिखा: “मैंने इनसान की हरकतों को समझने की कोशिश की है, उन पर हँसने, रोने, या उनसे नफरत करने की नहीं।” अध्यापक होने के नाते, आप इस चुनौती का सामना करते हैं कि अपने विद्यार्थियों के विचारों, पृष्ठभूमियों, और मतों को समझने की कोशिश करें। यहोवा के साक्षियों के बच्चे भी आपके छात्र होते हैं। कभी-कभी ये छात्र अमुक मुद्दों पर ऐसा रुख अपना सकते हैं जो लगता है कि परंपरा से हटकर है। लेकिन जब विद्यार्थी स्पष्ट रूप से अपने धार्मिक और नैतिक मतों के कारण ऐसा रुख अपनाता है, तब उस पर ध्यान दिया जाना चाहिए। इस ब्रोशर को वॉच टावर बाइबल एण्ड ट्रैक्ट सोसाइटी (यहोवा के साक्षियों की प्रकाशन एजॆंसी) ने बनाया है। यह साक्षी विद्यार्थियों को ज़्यादा अच्छी तरह समझने में आपकी मदद करने के उद्देश्‍य से बनाया गया है। हम आशा करते हैं कि आप समय निकालकर इसे ध्यान से पढ़ेंगे।

दूसरे के धार्मिक विश्‍वासों को समझना आपसे यह माँग नहीं करता कि आप उन्हें स्वीकार करें या उनका पालन करें, और न ही जानकारी देने का अर्थ है किसी का धर्म बदलना। यह ब्रोशर साक्षियों के धार्मिक विचारों को आप पर या आपके विद्यार्थियों पर थोपने का प्रयास नहीं करता। हमारी इच्छा तो सिर्फ यह है कि आपको उन सिद्धांतों और विश्‍वासों के बारे में जानकारी दें जो आपके कुछ विद्यार्थियों को उनके माता-पिता सिखा रहे हैं। इससे आपके लिए साक्षी बच्चों को समझना और उनके साथ काम करना आसान हो जाएगा। यह सही है कि बच्चों को जो सिखाया जाता है और जो वे करते हैं वह हमेशा मेल नहीं खाता, क्योंकि हर बच्चा अपना खुद का अंतःकरण विकसित करना सीख रहा होता है।

अधिकतर माता-पिताओं की तरह यहोवा के साक्षी भी चाहते हैं कि उनके बच्चे अपनी स्कूली शिक्षा का अधिकतम लाभ उठाएँ। इसलिए वे अपने बच्चों को सिखाते हैं कि अपने शिक्षकों को सहयोग दें। बदले में, साक्षी माता-पिता और उनके बच्चे आभार मानते हैं जब अध्यापक समझदारी और आदर से उनके साथ व्यवहार करते हैं।

यहोवा के साक्षी मसीही लोग हैं और संसार भर में विख्यात हैं। लेकिन कभी-कभी उनके बारे में लोगों को गलतफहमी हो जाती है। इसलिए हमारी आशा है कि यह ब्रोशर साक्षी विद्यार्थियों को ज़्यादा अच्छी तरह समझने में आपकी मदद करेगा। खासकर, हम आशा करते हैं कि आप देख सकेंगे कि क्यों कुछ खास स्थितियों में ये बच्चे दूसरों से भिन्‍न होने का अधिकार माँगते हैं।