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वे कौन हैं?

वे कौन हैं?

वे कौन हैं?

यहोवा के साक्षी चाहते हैं कि आप उन्हें अच्छी तरह जानें। आपकी शायद उनसे मुलाकात भी हुई होगी। हो सकता है, आपके पड़ोस में कोई साक्षी रहता हो, आपके साथ काम करता हो या किसी और काम के सिलसिले में आप साक्षियों से मिले हों। आपने उनको सड़क पर आने-जानेवालों को अपनी पत्रिकाएँ बाँटते देखा होगा। या जब वे आपके घर आए तो आपने कुछ देर उनसे बात की होगी।

दरअसल, यहोवा के साक्षी आपमें दिलचस्पी रखते हैं और उन्हें आपकी परवाह है। वे आपके दोस्त बनना चाहते हैं और इस बारे में आपको ज़्यादा जानकारी देना चाहते हैं कि वे कौन हैं, क्या विश्‍वास करते हैं, उनका संगठन कैसे काम करता है और लोगों और इस दुनिया के बारे में उनका नज़रिया क्या है। आपको ये सारी जानकारी देने के लिए उन्होंने यह ब्रोशर तैयार किया है।

कई मामलों में यहोवा के साक्षी, और लोगों की तरह ही हैं। दूसरों की तरह साक्षियों को भी आर्थिक समस्याओं, बीमारियों, परेशानियों और तनाव का सामना करना पड़ता है। कभी-कभी उनसे भी गलतियाँ होती हैं, क्योंकि वे सिद्ध इंसान नहीं हैं, ना ही उन्हें कोई अलौकिक शक्‍ति प्राप्त है। मगर वे अपनी गलतियों से सीखने और बाइबल का गहराई से अध्ययन करके अपने अंदर सुधार लाने की कोशिश करते हैं। उन्होंने परमेश्‍वर की मरज़ी पूरी करने के लिए अपना जीवन उसे समर्पित कर दिया है और वे जी-जान लगाकर समर्पण के अपने वादे को पूरा करने की कोशिश करते हैं। वे अपने सभी काम परमेश्‍वर के वचन और उसकी पवित्र आत्मा के निर्देशन के मुताबिक करने की कोशिश करते हैं।

वे इस बात का खास ध्यान रखते हैं कि उनकी शिक्षाएँ बाइबल पर आधारित हों, न कि इंसान के मनगढ़ंत विचारों या धर्म-सिद्धांतों पर। वे प्रेरित पौलुस की तरह महसूस करते हैं जिसने ईश्‍वर-प्रेरणा से कहा था: “परमेश्‍वर ही सच्चा ठहरे, चाहे प्रत्येक व्यक्‍ति झूठा पाया जाए।” (रोमियों 3:4, NHT *) साक्षी मानते हैं कि बाइबल में दी गयी सच्चाइयों के बारे में सभी को ठीक वैसा ही करना चाहिए जैसा बिरीया के लोगों ने प्रेरित पौलुस का संदेश सुनने पर किया था: “उन्हों ने बड़ी लालसा से वचन ग्रहण किया, और प्रति दिन पवित्र शास्त्रों में ढूंढ़ते रहे कि ये बातें योंहीं हैं, कि नहीं।” (प्रेरितों 17:11) यहोवा के साक्षी मानते हैं कि सभी धार्मिक शिक्षाएँ ईश्‍वर-प्रेरणा से लिखे वचन की कसौटी पर कसकर देखी जानी चाहिए कि वे सही हैं या नहीं, फिर चाहे ये शिक्षाएँ साक्षियों की हों या किसी और की। वे आपको न्यौता देते हैं, और आपसे आग्रह भी करते हैं कि आप उनके साथ चर्चा करें और धार्मिक शिक्षाओं को इसी तरह परखकर देखें।

इन बातों से साफ ज़ाहिर होता है कि यहोवा के साक्षी, बाइबल को परमेश्‍वर का वचन मानते हैं। वे समझते हैं कि बाइबल की 66 किताबें ईश्‍वर-प्रेरणा से लिखी गयी थीं और इनमें दिया गया इतिहास सौ फीसदी सच्चा है। बाइबल के जिस हिस्से को आम तौर पर नया नियम कहा जाता है, उसे वे मसीही यूनानी शास्त्र कहते हैं और पुराना नियम कहलानेवाले भाग को इब्रानी शास्त्र कहते हैं। वे यूनानी और इब्रानी शास्त्र, दोनों का अध्ययन करते हैं। और उनमें लिखे वचनों का ठीक वैसा ही मतलब समझते हैं जैसा ज़ाहिर तौर पर समझ में आता है। लेकिन, जिन आयतों के शब्दों से या उनमें वर्णन किए गए हालात से ज़ाहिर होता है कि उनका लाक्षणिक अर्थ है, सिर्फ उन्हीं आयतों का वे लाक्षणिक अर्थ निकालते हैं। वे समझते हैं कि बाइबल की ज़्यादातर भविष्यवाणियाँ पूरी हो गयी हैं, कुछ पूरी हो रही हैं और बाकी भविष्य में पूरी होंगी।

उनका नाम

यहोवा के साक्षी? जी हाँ, वे इसी नाम से अपनी पहचान कराते हैं। यह नाम ही बताता है कि वे क्या करते हैं यानी वे यहोवा, उसके ईश्‍वरत्व और उसके उद्देश्‍यों के बारे में साक्षी देते हैं। “परमेश्‍वर,” “प्रभु,” और “सिरजनहार” दरअसल उपाधियाँ हैं, वैसे ही जैसे “राष्ट्रपति,” “राजा,” और “सेनापति” भी उपाधियाँ हैं जिनका इस्तेमाल दूसरे व्यक्‍तियों के लिए भी किया जा सकता है। लेकिन “यहोवा,” परमेश्‍वर का अपना एक नाम है जो सर्वशक्‍तिमान परमेश्‍वर और सारे विश्‍व के सिरजनहार के लिए इस्तेमाल होता है। यही बात भजन 83:18 में देखी जा सकती है, जहाँ लिखा है: “जिस से यह जानें कि केवल तू जिसका नाम यहोवा  है, सारी पृथ्वी के ऊपर परमप्रधान है।”—तिरछे टाइप हमारे।

यह नाम, यहोवा (या ‘याहवे’ जैसा कि रोमन कैथोलिक जॆरूसलेम बाइबल  में लिखा है और इस उच्चारण को कुछ विद्वान भी पसंद करते हैं) मूल इब्रानी शास्त्र में तकरीबन 7,000 बार आता है। अधिकतर बाइबलों में इस नाम के बजाय, “परमेश्‍वर” या “प्रभु” दिया गया है। बहुत-सी नयी बाइबलों में परमेश्‍वर का नाम यहोवा या याहवे दिया गया है। हमारी हिन्दी बाइबल  में यशायाह 42:8 में लिखा है, “मैं यहोवा हूं, मेरा नाम यही है।”

यहोवा के साक्षी अपने नाम के लिए, बाइबल के जिस वृत्तांत का हवाला देते हैं, वह यशायाह के 43वें अध्याय में दर्ज़ है। उस अध्याय में पूरी दुनिया को एक अदालत की तरह दिखाया गया है: दुनिया के सभी देशों के देवी-देवताओं को कहा जाता है कि वे धर्मी होने का अपना दावा साबित करने के लिए कठघरे में अपने साक्षी पेश करें। और अगर वे साक्षी नहीं पेश कर पाते तो वे यहोवा के पक्ष में गवाही देनेवाले साक्षियों की बात सुनकर, सच्चाई को कबूल कर लें। उस अदालत में यहोवा अपने लोगों से यह ऐलान करता है: “यहोवा की वाणी है कि तुम मेरे साक्षी हो और मेरे दास हो, जिन्हें मैं ने इसलिये चुना है कि समझकर मेरी प्रतीति करो और यह जान लो कि मैं वही हूं। मुझ से पहिले कोई ईश्‍वर न हुआ और न मेरे बाद भी कोई होगा। मैं ही यहोवा हूं और मुझे छोड़ कोई उद्धारकर्त्ता नहीं।”—यशायाह 43:10,11.

यीशु के जन्म से पहले धरती पर, हज़ारों सालों के दौरान, यहोवा परमेश्‍वर के साक्षी या गवाह रहे थे। इब्रानियों का 11वाँ अध्याय उन विश्‍वासी स्त्री-पुरुषों की एक सूची पेश करता है। इसके बाद, इब्रानियों 12:1 कहता है: “इस कारण जब कि गवाहों का ऐसा बड़ा बादल हम को घेरे हुए है, तो आओ, हर एक रोकनेवाली वस्तु, और उलझानेवाले पाप को दूर करके, वह दौड़ जिस में हमें दौड़ना है, धीरज से दौड़ें।” यीशु ने पुन्तियुस पीलातुस से कहा था: “मैं ने इसलिये जन्म लिया, और इसलिये जगत में आया हूं कि सत्य पर गवाही दूं।” यीशु को “विश्‍वासयोग्य, और सच्चा गवाह” भी कहा गया है। (यूहन्‍ना 18:37; प्रकाशितवाक्य 3:14) यीशु ने अपने शिष्यों से कहा: “जब पवित्र आत्मा तुम पर आएगा तब तुम सामर्थ पाओगे; और यरूशलेम और सारे यहूदिया और सामरिया में, और पृथ्वी की छोर तक मेरे गवाह होगे।”—प्रेरितों 1:8.

इसलिए आज 235 देशों में, करीब 61,00,000 लोग, यहोवा के उस राज्य की खुशखबरी सुनाते हैं जिसका राजा यीशु मसीह है और वे मानते हैं कि ‘यहोवा के साक्षी,’ यह नाम उनके लिए बिलकुल सही नाम है।

[फुटनोट]

^ पैरा. 5 इस ब्रोशर में द होली बाइबल हिन्दी—ओ.वी.  का इस्तेमाल किया गया है। मगर जिस आयत के बाद NW लिखा हो, वह आयत न्यू वर्ल्ड ट्रांस्लेशन ऑफ द होली स्क्रिप्चर्स्‌—विद रॆफ्रॆंसॆज़  से है और जिस आयत के बाद NHT लिखा हो, वह द होली बाइबल—ए न्यू हिन्दी ट्रांस्लेशन  से है।

[पेज 4 पर बड़े अक्षरों में लेख की खास बात]

वे परमेश्‍वर की मरज़ी पूरी करने के लिए उसे समर्पित हैं

[पेज 4 पर बड़े अक्षरों में लेख की खास बात]

वे बाइबल को परमेश्‍वर का वचन मानते हैं

[पेज 5 पर बड़े अक्षरों में लेख की खास बात]

एक अदालत के मुकद्दमे से ताल्लुक रखनेवाला नाम

[पेज 5 पर बड़े अक्षरों में लेख की खास बात]

235 देशों में करीब 61,00,000 साक्षी

[पेज 3 पर तसवीर]

उन्हें आपकी परवाह हैं

[पेज 4 पर तसवीर]

प्राचीन इब्रानी भाषा में परमेश्‍वर का नाम