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अध्याय 104

क्या परमेश्‍वर की आवाज़ सुननेवाले विश्‍वास करेंगे?

क्या परमेश्‍वर की आवाज़ सुननेवाले विश्‍वास करेंगे?

यूहन्‍ना 12:28-50

  • बहुत लोगों ने परमेश्‍वर की आवाज़ सुनी

  • लोग क्यों दोषी ठहरेंगे?

सोमवार नीसान 10 का ही दिन है और मंदिर में यीशु बता रहा है कि बहुत जल्द उसकी मौत होगी। उसे चिंता हो रही है कि उसकी मौत से परमेश्‍वर के नाम की बदनामी होगी। इसलिए वह परमेश्‍वर से कहता है, “पिता अपने नाम की महिमा कर।” तब आकाश से एक बुलंद आवाज़ आती है, “मैंने इसकी महिमा की है और फिर से करूँगा।”​—यूहन्‍ना 12:27, 28.

वहाँ आस-पास जो लोग हैं, वे उलझन में पड़ जाते हैं। कुछ कहते हैं कि बादल गरजा है। दूसरे कहते हैं, “किसी स्वर्गदूत ने उससे बात की है।” (यूहन्‍ना 12:29) मगर वह आवाज़ असल में यहोवा की है। इससे पहले भी इंसानों ने परमेश्‍वर की आवाज़ सुनी थी।

जब यीशु का बपतिस्मा हुआ था, तब यूहन्‍ना बपतिस्मा देनेवाले ने परमेश्‍वर को यह कहते सुना था, “यह मेरा प्यारा बेटा है। मैंने इसे मंज़ूर किया है।” फिर ईसवी सन्‌ 32 की फसह के बाद जब याकूब, यूहन्‍ना और पतरस के सामने यीशु का रूप बदला, तो उन तीनों ने परमेश्‍वर को यह कहते सुना, “यह मेरा प्यारा बेटा है जिसे मैंने मंज़ूर किया है। इसकी सुनो।” (मत्ती 3:17; 17:5) मगर अब तीसरी बार जब यहोवा बात कर रहा है, तो बहुत सारे लोग सुनते हैं।

यीशु कहता है, “यह आवाज़ मेरी खातिर नहीं बल्कि तुम्हारी खातिर सुनायी दी है।” (यूहन्‍ना 12:30) यह इस बात का सबूत है कि यीशु सच में परमेश्‍वर का बेटा है। वह मसीहा है जिसके बारे में पहले से भविष्यवाणी की गयी थी।

यीशु ने सारी ज़िंदगी परमेश्‍वर की बात मानकर दिखाया है कि इंसानों को कैसे जीना चाहिए। उसने यह भी साबित किया है कि दुनिया का राजा शैतान नाश के लायक है। यीशु कहता है, “अब इस दुनिया का न्याय किया जा रहा है और इस दुनिया का राजा बाहर कर दिया जाएगा।” यीशु की मौत एक हार नहीं बल्कि जीत होगी। वह कहता है, “जब मुझे धरती से ऊपर उठाया जाएगा, तो मैं सब किस्म के लोगों को अपनी ओर खींचूँगा।” (यूहन्‍ना 12:31, 32) यीशु यातना काठ पर जान देकर बहुत-से लोगों को अपनी तरफ खींचेगा और उन्हें हमेशा की ज़िंदगी मिलेगी।

कुछ लोग कहते हैं, “हमने तो कानून में सुना है कि मसीह हमेशा तक रहेगा, फिर तू कैसे कह सकता है कि इंसान के बेटे को ऊपर उठाया जाना है? यह इंसान का बेटा कौन है?” (यूहन्‍ना 12:34) लोगों ने इतने सारे सबूत देखे हैं और परमेश्‍वर की आवाज़ भी सुनी है, फिर भी वे नहीं मानते कि यीशु सच में इंसान का बेटा है, मसीहा है।

फिर यीशु कहता है कि वह “रौशनी” है जैसे उसने पहले भी कहा था। (यूहन्‍ना 8:12; 9:5) वह लोगों से कहता है, ‘रौशनी बस थोड़ी देर और तुम्हारे बीच रहेगी। जब तक यह तुम्हारे साथ है, तब तक रौशनी में चलते रहो ताकि अँधेरा तुम पर हावी न हो। जब तक रौशनी तुम्हारे साथ है, तब तक उस पर विश्‍वास करो और तुम रौशनी के बेटे कहलाओगे।’ (यूहन्‍ना 12:35, 36) इसके बाद यीशु वहाँ से चला जाता है, क्योंकि उसकी मौत नीसान 10 को नहीं होनी है। उसे नीसान 14 को फसह के दिन ‘ऊपर उठाया जाएगा’ यानी काठ पर ठोंक दिया जाएगा।​—गलातियों 3:13.

बहुत-से यहूदी यीशु पर विश्‍वास नहीं करते। जब यीशु ने सेवा शुरू की, तब से यशायाह की यह भविष्यवाणी पूरी हो रही है कि लोगों की आँखें बंद कर दी जाएँगी और उनका मन सुन्‍न कर दिया जाएगा। इसलिए वे पलटकर लौट नहीं आएँगे और चंगे नहीं होंगे। बिलकुल ऐसा ही हुआ है। (यशायाह 6:10; यूहन्‍ना 12:40) बहुत-से यहूदी अपनी आँखों से सबूत देखने के बाद भी नहीं मानते कि यीशु उनका उद्धारकर्ता है और उससे उन्हें ज़िंदगी मिलेगी।

नीकुदेमुस, अरिमतियाह के यूसुफ और बहुत-से अधिकारियों ने यीशु पर विश्‍वास किया है। मगर अब क्या वे अपने विश्‍वास के हिसाब से काम करेंगे? क्या वे खुलकर यह बताने से पीछे हटेंगे कि वे यीशु पर विश्‍वास करते हैं? क्या वे डर जाएँगे कि उन्हें सभा-घर से निकाल दिया जाएगा? क्या उन्हें इंसानों से मिलनेवाली महिमा ज़्यादा प्यारी होगी?​—यूहन्‍ना 12:42, 43.

यीशु बताता है कि उस पर विश्‍वास करनेवालों को क्या करना होगा, “जो मुझ पर विश्‍वास करता है वह मुझ पर ही नहीं बल्कि उस पर भी विश्‍वास करता है जिसने मुझे भेजा है। और जो मुझे देखता है वह उसे भी देखता है जिसने मुझे भेजा है।” परमेश्‍वर ने यीशु को कुछ सच्चाइयाँ सिखाने के लिए कहा है और यीशु अब तक वही सिखा रहा है। वह कहता है, “जो कोई मुझे ठुकरा देता है और मेरे वचन स्वीकार नहीं करता, उसे दोषी ठहरानेवाला कोई और है। जो वचन मैंने कहा है वही उसे आखिरी दिन में दोषी ठहराएगा।”​—यूहन्‍ना 12:44, 45, 48.

यीशु आखिर में कहता है, “मैंने अपनी तरफ से कुछ नहीं कहा। मगर खुद पिता ने, जिसने मुझे भेजा है, मुझे आज्ञा दी है कि मैं क्या-क्या बताऊँ और क्या-क्या बोलूँ। और मैं जानता हूँ कि उसकी आज्ञा मानने का मतलब हमेशा की ज़िंदगी है। इसलिए मैं सिर्फ वही बातें बताता हूँ जो पिता ने मुझे बतायी हैं।” (यूहन्‍ना 12:49, 50) बहुत जल्द यीशु उन लोगों की खातिर अपना खून बहाएगा जो उस पर विश्‍वास करते हैं।​—रोमियों 5:8, 9.