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अध्याय 40

माफी के बारे में सीख

माफी के बारे में सीख

लूका 7:36-50

  • एक पापी औरत यीशु के पैरों पर तेल डालती है

  • एक कर्ज़दार के बारे में मिसाल

जब नेकदिल लोग यीशु की शिक्षाएँ सुनते हैं और देखते हैं कि वह कैसे चमत्कार करता है और लोगों के साथ पेश आता है, तो वे उस पर विश्‍वास करते हैं। वे पश्‍चाताप करके उसकी तरफ खिंचे चल आते हैं। लेकिन जिनका दिल सही नहीं है उन पर यीशु की शिक्षाओं और उसके चमत्कारों का कोई असर नहीं पड़ता। यह बात तब साफ नज़र आती है जब वह गलील में एक आदमी के घर दावत पर जाता है। यह आदमी एक फरीसी है और इसका नाम शमौन है। वह यीशु को अच्छे से जानना चाहता है, क्योंकि उसने सुना है कि यीशु ने बड़े-बड़े चमत्कार किए है। यीशु ने उसका न्यौता शायद इसलिए स्वीकार किया ताकि वह दावत में आनेवालों को कुछ अच्छी बातें सिखा सके। यीशु ने पहले कर-वसूलनेवालों और पापियों के साथ भी खाया, इसलिए उसने इस फरीसी का भी न्यौता स्वीकार किया।

शमौन यीशु का ऐसे स्वागत नहीं करता जैसे एक मेहमान का किया जाता है। इसराएल में रिवाज़ था कि जब कोई मेहमान आता, तो ठंडे पानी से उसके पैर धुलवाए जाते थे, क्योंकि वह धूल भरी सड़कों पर पैदल चलकर आता था और गरमी भी बहुत होती थी। मेहमान को प्यार से चूमा जाता था और उसके सिर पर तेल डाला जाता था। लेकिन यीशु के साथ ऐसा कुछ भी नहीं किया गया।

दावत शुरू हो गयी है। मेहमान मेज़ के पास अपनी-अपनी जगह बैठ गए हैं। तभी एक औरत चुपचाप वहाँ आ जाती है। इसे दावत में नहीं बुलाया गया है। शहर के ‘सब लोग जानते हैं कि यह एक पापी औरत है।’ (लूका 7:37) वैसे तो हम सब पापी हैं, लेकिन यह शायद एक बदचलन औरत है। लगता है यह एक वेश्‍या है। उसने यीशु की शिक्षाओं और उसके न्यौते के बारे में सुना होगा, “बोझ से दबे लोगो, तुम सब मेरे पास आओ, मैं तुम्हें तरो-ताज़ा करूँगा।” (मत्ती 11:28, 29) शायद इसी वजह से वह यीशु को ढूँढ़ती हुई उसके पास आयी है।

वह औरत यीशु के पास आती है और घुटनों के बल उसके पैरों के पास बैठ जाती है। वह रोने लगती है। उसके आँसू यीशु के पैरों पर पड़ते हैं और वह अपने बालों से आँसू पोंछने लगती है। वह यीशु के पैर चूमती है और उन पर खुशबूदार तेल डालती है जो वह लेकर आयी है। मगर शमौन को यह सब ठीक नहीं लगता। वह मन-ही-मन कहता है, “अगर यह आदमी सचमुच एक भविष्यवक्‍ता होता, तो जान लेता कि यह औरत जो उसे छू रही है, कौन है और कैसी है, यह एक पापिन है।”​—लूका 7:39.

यीशु जान जाता है कि शमौन क्या सोच रहा है। वह कहता है, “शमौन, मैं तुझसे कुछ कहना चाहता हूँ।” शमौन कहता है, “गुरु, बोल!” फिर यीशु कहता है, “दो आदमी किसी साहूकार के कर्ज़दार थे। एक पर 500 दीनार का कर्ज़ था और दूसरे पर 50 का। लेकिन जब अपना कर्ज़ चुकाने के लिए उनके पास कुछ भी नहीं था, तब साहूकार ने बड़ी उदारता से उन दोनों का कर्ज़ माफ कर दिया। इसलिए बता, उन दोनों में से कौन साहूकार से ज़्यादा प्यार करेगा?” शमौन आधे-अधूरे मन से कहता है, “मेरे खयाल से वही आदमी जिसका उसने ज़्यादा कर्ज़ माफ किया।”​—लूका 7:40-43.

यीशु कहता है कि शमौन ने सही जवाब दिया। फिर वह मुड़कर औरत को देखता है और शमौन से कहता है, “क्या तू इस औरत को देख रहा है? मैं तेरे घर आया और तूने मुझे पैर धोने के लिए पानी नहीं दिया। मगर इस औरत ने अपने आँसुओं से मेरे पैर धोए और अपने बालों से उन्हें पोंछा। तूने मुझे नहीं चूमा। मगर जब से मैं आया हूँ तब से यह औरत मेरे पैरों को चूम रही है। तूने मेरे सिर पर तेल नहीं उँडेला। मगर इस औरत ने मेरे पैरों पर खुशबूदार तेल डाला है।” यीशु देख सकता है कि इस औरत को कितना पछतावा हो रहा है कि उसने ज़िंदगी में गलत काम किए। इसलिए यीशु कहता है, “भले ही इसके पाप बहुत हैं मगर वे माफ किए गए, इसलिए यह ज़्यादा प्यार कर रही है। मगर जिसके कम पाप माफ किए गए, वह कम प्यार करता है।”​—लूका 7:44-47.

क्या यीशु यह कह रहा है कि अगर कोई अनैतिक काम करे, तो भी कोई बात नहीं? जी नहीं। वह बस यह समझा रहा है कि चाहे एक इंसान ने कितने ही बड़े पाप किए हों, अगर वह सच्चे दिल से पश्‍चाताप करे, तो यीशु उस पर दया करेगा। उस औरत पर भी यीशु ने दया की, इसलिए वह उससे कहता है, ‘तेरे पाप माफ किए गए। तेरे विश्‍वास ने तुझे बचा लिया है। जा, अब और चिंता मत करना।’​—लूका 7:48, 50.