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रूप कितना महत्त्वपूर्ण है?

रूप कितना महत्त्वपूर्ण है?

अध्याय १०

रूप कितना महत्त्वपूर्ण है?

आप कहते हैं आपको अपना रूप नहीं पसन्द? हम में से बहुत थोड़े—यदि कोई है भी तो—पूरी तरह से अपने स्वरूप से संतुष्ट हैं। नार्सिसस से भिन्‍न, जो जल के कुंड में अपनी छाया से प्रेम करने लगा, हम में से कुछ का तो चेहरा ही उतर जाता है जब हम आईना देखते हैं।

‘मुझे अपनी काया पसन्द नहीं,’ १६-वर्षीय रानी शोक मनाती है। ‘मुझे लगता है मैं उतनी अच्छी नहीं दिखती।’ तेरह-वर्षीय बॉब को भी इसी तरह की शिक़ायत है: ‘मुझे अपने बाल नहीं पसन्द, जिस तरह ये यहाँ पीछे खड़े हो जाते हैं।’ और तो और, एक किशोर का स्वरूप इतनी जल्दी बदल सकता है कि, एक मनोवैज्ञानिक के अनुसार, युवा अकसर “अपने ही शरीर में अजनबी महसूस करते हैं।” अतः अनेक अपने चेहरे, बाल, आकार, और डील-डौल के बारे में कुढ़ते हैं।

निःसंदेह, स्वयं परमेश्‍वर सुन्दरता को सराहता है। सभोपदेशक ३:११ कहता है: “[परमेश्‍वर] ने सब कुछ ऐसा बनाया कि अपने अपने समय पर वे सुन्दर होते हैं।” और जिस तरह दूसरे आपको देखते और आपके साथ व्यवहार करते हैं उस पर आपके रूप का सचमुच एक गहरा प्रभाव हो सकता है। डॉ. जेम्स पी. कोमर आगे कहता है: “अंग छवि आत्म-छवि का हिस्सा है। यह व्यक्‍ति के आत्म-विश्‍वास पर साथ ही जीवन में जो वह करता है और जो नहीं करता उस पर प्रभाव डाल सकता है।” अतः अपने स्वरूप के बारे में हितकर चिन्ता उचित है। लेकिन, जब आप इतने आत्म-संकोची हो जाते हैं कि दूसरों से दूर रहने लगते हैं या अपने बारे में बुरा महसूस करते हैं, तब ऐसी चिन्ता हितकर नहीं रहती।

कौन कहता है आप आकर्षक नहीं?

दिलचस्पी की बात है, व्यक्‍तिगत स्वरूप को लेकर व्यथा हमेशा असली शारीरिक कमियों के कारण नहीं होती। कक्षा में बैठी एक दुबली लड़की सोचती है काश मैं थोड़ी भारी होती, और दूसरी पंक्‍ति में, एक तगड़ी लड़की शोक मनाती है कि मैं कितनी “मोटी” हूँ। ऐसी असंतुष्टि कहाँ से आती है? कौन-सी बात सुडौल युवाओं को यह विचार देती है कि वे आकर्षक नहीं?

मनश्‍चिकित्सा का प्रोफ़ॆसर रिचर्ड एम. सार्ल्स कहता है: “किशोरावस्था परिवर्तन की अवधि है जिसमें शरीर का एक बड़ा पुनःसंगठन होता है। . . . एक नए और बदलते शरीर की उलझन का सामना करने के लिए, अधिकतर किशोर अपने समकक्ष समूह की सुरक्षा पर भरोसा करते हैं।” लेकिन अपने समकक्षों की जाँच के अधीन, आप कितने लम्बे, नाटे, मोटे, या पतले हैं—आपकी नाक या कानों के आकार की तो बात ही छोड़िए—बड़ी चिन्ता का कारण बन सकता है। और जब दूसरों को आपसे अधिक ध्यान मिलता है या जब आपके रूप के बारे में आपकी हँसी उड़ायी जाती है, तब आपको आसानी से अपने बारे में बुरा महसूस होने लग सकता है।

फिर टीवी, पुस्तकों, और फ़िल्मों का व्यापक प्रभाव होता है। इत्र से लेकर आरी तक सभी कुछ बेचते हुए, आकर्षक पुरुष और स्त्रियाँ टीवी के परदे और पत्रिकाओं के पन्‍नों पर से हमें ताकते हैं। अतः संचार-माध्यम तो आपको विश्‍वास दिला दे कि यदि आप कोमल-त्वचामय सुन्दरी नहीं हैं या हट्टे-कट्टे “मुस्टंडे” नहीं हैं, तो आप कहीं कोने में दुबक जाइए—या कम-से-कम यह भूल जाइए कि आप कभी लोकप्रिय या सुखी हो सकते हैं।

‘उनके ढाँचे में ढलिए’ नहीं!

लेकिन यह निष्कर्ष निकालने से पहले कि आप भद्दी मेंढ़की हैं, अपने आपसे पूछिए कि किस हद तक आपकी शारीरिक कमियाँ वास्तविक हैं—या काल्पनिक। अपने चेहरे के जिस नक़्श के बारे में आप कुढ़ते हैं (या आपको चिढ़ाया जाता है) क्या वह सचमुच उतना अनाकर्षक है? या क्या दूसरों ने आपके ऊपर ऐसा सोचने का दबाव डाला है? बाइबल सलाह देती है: “अपने आपको अपने चारों ओर के संसार के ढाँचे में न ढलने दो।”—रोमियों १२:२, फिलिप्स।

सोचिए: कौन हैं वे जो यह विचार फैलाते हैं कि लोकप्रिय, सफल, या सुखी होने के लिए आपको एक ख़ास रूप की ज़रूरत है? क्या वे निर्माता और विज्ञापनदाता नहीं जिनको लाभ होता है जब आप अजीब-अजीब आहार पालन करते हैं या महँगे सौंदर्य प्रसाधन ख़रीदते हैं? उन्हें आपका सोच-विचार क्यों ढालने दें? और यदि समकक्ष आपके रूप में नुक़्स निकालते हैं, तो क्या वे मदद देने के लिए ऐसा कर रहे हैं—या क्या सिर्फ़ आपको नीचा दिखाने के लिए? यदि आपको नीचा दिखाने के लिए कर रहे हैं, तो वैसे भी किसे चाहिए इस तरह के “मित्र”?

बाइबल आपको यह सलाह भी देती है कि ‘समझ की बात मन लगाकर सोचें।’ (नीतिवचन २:२) समझ आपको अपने शारीरिक गुणों को यथार्थता से देखने में और संचार-माध्यम के प्रचार से सतर्क रहने में मदद देगी। शायद ही कोई कभी सुपरमॉडलों की तरह दिखे। और “सुन्दरता एक बुलबुला है।” (नीतिवचन ३१:३०, बाइंगटन) जिन लोगों को उनके रूप की क़ीमत दी जाती है वे अपने शिखर पर हैं क्योंकि कुछ ही समय बाद किसी ताज़ा, नए चेहरे को लेने के लिए उन्हें हटा दिया जाता है। साथ ही, श्रंगार, प्रकाश, और फ़ोटोग्राफ़िक कला से अकसर उनके रूप में चार चाँद लगाए जाते हैं। (कुछ लोग यह देखकर दंग रह जाते हैं कि अपने सौंदर्य-निखार तामझाम के बिना मशहूर चेहरे कैसे दिखते हैं!)

अतः इसमें हताश होने का कोई कारण नहीं कि आप एक टीवी या पत्रिका मॉडल की तरह नहीं दिखते। न ही आपके समकक्ष इसके अन्तिम निर्णायक हैं कि आकर्षक दिखने के लिए आपको कितना लम्बा, नाटा, या दुबला होना चाहिए। यदि आपको अपने रूप से परेशानी नहीं, तो अपने समकक्षों को कान मत दीजिए। विडंबना तो यह है कि अपने रूप के बारे में जो बात आपको पसन्द नहीं वही बात किसी दूसरे की ईर्ष्या का कारण हो सकती है।

अपनी ओर से अच्छे से अच्छा दिखिए!

कभी-कभी युवाओं की वास्तविक स्वरूप समस्याएँ होती हैं: ख़राब रंग-रूप, शरीर का ज़्यादा वज़न, टेढ़ी नाक, बाहर निकले हुए कान, अत्यधिक छोटा डील-डौल। निःसंदेह, बढ़ते हुए युवा होने के नाते, आपका स्वरूप अब भी बदल रहा है। मुँहासे, वज़न में उतार-चढ़ाव, बिजली जैसा तेज़ (या टीसता हुआ धीमा) विकास किशोरावस्था के श्राप हैं। समय ऐसी अनेक समस्याओं को सुलझा देता है।

दूसरी समस्याओं को वह नहीं सुलझाता। और अनेक युवाओं को इस सच्चाई के साथ जीना पड़ता है कि उनका रूप साधारण है। लेखक जॉन किलिंजर ने कहा: “अधिकतर लोगों के लिए, अच्छे रूप की कमी जीवन की अति पीड़ादायी सच्चाइयों में से एक है, जिसे वे जल्दी जान जाते हैं और शायद ही अपने बाक़ी के जीवन में कभी भूलते हैं।” लेकिन, आप अपने रूप का भरसक लाभ उठा सकते हैं!

शारीरिक कमियों को सुधारने के लिए शल्यचिकित्सा एक महँगा और संभवतः जोख़िम-भरा तरीक़ा है। * लेकिन, साधारण स्वच्छता सस्ती है और आपके आकर्षण को निखारने में काफ़ी कुछ कर सकती है। आपके बालों में शायद किसी फ़िल्म अभिनेता या अभिनेत्री जैसी चमक न हो, लेकिन वे साफ़ रह सकते हैं; और आपका मुँह, हाथ, और नाखून भी। सफ़ेद दाँत, और साफ़, गुलाबी मसूड़े किसी भी मुस्कान को और मोहक बना देंगे। क्या आपको ज़्यादा वज़न की समस्या है? आहार और व्यायाम का नित्यक्रम (संभवतः एक डॉक्टर की देखरेख में) आपके वज़न को नियंत्रण में लाने में काफ़ी योग दे सकता है।

माता-पिता की स्वीकृति के साथ, आप ऐसे कपड़े और बालों के स्टाइल भी आज़माकर देख सकते हैं जो आपके शारीरिक गुणों को निखारते हैं और कमियों को छिपाते हैं। उदाहरण के लिए, लेखिका शैरन फ़ेल्टन के अनुसार, एक लम्बी नाक पर से ध्यान हटाया जा सकता है यदि एक लड़की ‘ढीले या सामने उठे हुए स्टाइल के बाल’ बनाती है। उसी तरह तीखे, पैने नक़्श भी “छल्लेदार या घुँघराले बालों का स्टाइल” बनाने से हलके किए जा सकते हैं, और सूझ-बूझ से किया गया श्रंगार एक लड़की के चेहरे की कमियों को धूमिल कर सकता है। नर हों या नारी, आप अपने कपड़ों की पसन्द से भी काफ़ी कुछ हासिल कर सकते हैं। ऐसे रंग चुनिए जो आपके रंग-रूप को निखारते हैं और ऐसे स्टाइल जो जँचते हैं। वस्त्र की धारियों पर ध्यान दीजिए: खड़ी धारियों से पतले दिखते हैं; आड़ी धारियों से उसके विपरीत!

जी हाँ, कोशिश और कल्पना से, आप एक सुखद स्वरूप प्रस्तुत कर सकते हैं—चाहे स्वभावतः आप अच्छे रूप से सम्पन्‍न न भी हों।

संतुलन की ज़रूरत

जबकि अपने रूप पर ध्यान देना महत्त्वपूर्ण है, ध्यान रखिए कि अपने स्वरूप को अपने जीवन में बड़ी बात न बना दें। क्या आपने कभी नोट किया है कि बाइबल लोगों के रूप के बारे में कितना कम बोलती है? हमें क्यों नहीं बताया गया है कि इब्राहीम, मरियम, या यहाँ तक कि यीशु कैसे दिखते थे? स्पष्ट है, परमेश्‍वर ने इसे महत्त्वपूर्ण नहीं समझा।

दिलचस्पी की बात है कि परमेश्‍वर ने एक बार राजा के पद के लिए एलीआब नाम के एक युवक को अस्वीकार कर दिया, जिसका डील-डौल अति प्रभावशाली था! यहोवा परमेश्‍वर ने भविष्यवक्‍ता शमूएल को समझाया: “न तो उसके रूप पर दृष्टि कर, और न उसके डील की ऊंचाई पर . . . क्योंकि यहोवा का देखना मनुष्य का सा नहीं है; मनुष्य तो बाहर का रूप देखता है, परन्तु यहोवा की दृष्टि मन पर रहती है।” (१ शमूएल १६:६, ७) यह जानना कितना सांत्वनादायी है कि परमेश्‍वर, वह व्यक्‍ति जो असल में महत्त्व रखता है, हमारे रूप को महत्त्वपूर्ण नहीं समझता! “यहोवा की दृष्टि मन पर रहती है।”

सोचने के लिए एक और बात: क्या आपके अधिकतर मित्र देखने में साधारण-से नहीं? और क्या आपकी माता या पिता किसी फ़ैशन पत्रिका के कवर पर आने लायक़ होंगे? शायद नहीं। असल में, उनके उत्तम गुणों को जानते हुए, आप शायद ही कभी उनके रूप के बारे में सोचते हों! एक व्यक्‍ति के रूप में आपके पास भी गुण हैं जो किसी शारीरिक कमी—वास्तविक या काल्पनिक—से कहीं बढ़कर हैं।

फिर भी, रूप आपके समकक्षों के लिए महत्त्व रखता है, और आप शायद ख़ुद को पहनावे और बनाव-श्रंगार के बारे में उनके स्टाइल अपनाने के दबाव में पाते हैं। उस दबाव के बारे में आपको कैसी प्रतिक्रिया दिखानी चाहिए?

[फुटनोट]

^ पैरा. 18 कुछ चिकित्सा प्रक्रियाओं के स्वास्थ्य लाभ और सौंदर्य लाभ भी हो सकते हैं, जैसे टेढ़े-मेढ़े दाँतों को सीधा करने के लिए तार लगाना।

चर्चा के लिए प्रश्‍न

◻ युवा अपने रूप के बारे में इतने चिन्तित क्यों होते हैं? स्वयं अपने रूप के बारे में आपको कैसा लगता है?

◻ संचार-माध्यम और आपके समकक्ष रूप के महत्त्व के बारे में कैसे दृष्टिकोण को बढ़ावा देते हैं? ऐसे प्रभाव के बारे में आपको कैसी प्रतिक्रिया दिखानी चाहिए?

◻ मुँहासों की समस्या से निपटने के कुछ तरीक़े कौन-से हैं?

◻ आप अपने रूप का भरसक लाभ कैसे उठा सकते हैं? इस सम्बन्ध में संतुलन की ज़रूरत क्यों है?

[पेज 82 पर बड़े अक्षरों में लेख की खास बात]

‘मुझे अपनी काया पसन्द नहीं . . . मुझे लगता है मैं उतनी अच्छी नहीं दिखती’

[पेज 88 पर बड़े अक्षरों में लेख की खास बात]

आपके पास गुण हैं जो किसी शारीरिक कमी से कहीं बढ़कर हैं

[पेज 84, 85 पर बक्स/तसवीर]

‘क्या मैं अपने मुँहासों के बारे में कुछ नहीं कर सकती?’

मुँहासे त्वचा का विकार हैं जो इसे फुंसियों, कीलों, लाल सूजन, या रसौलियों से चित्तीदार या विरूपित भी कर देते हैं। अनेक युवाओं के लिए, यह एक गंभीर त्वचा विकार होता है, न कि बस एक गुज़रती परेशानी जो कुछ ही महीनों की होती है। ये हर उम्र के लोगों को हो सकते हैं, लेकिन किशोर सबसे अधिक पीड़ित होते हैं। कुछ विशेषज्ञों के अनुसार, लगभग ८० प्रतिशत को अलग-अलग हद तक मुँहासे होते हैं।

आश्‍चर्य की बात नहीं, जब २,००० किशोरों से पूछा गया कि उन्हें अपने बारे में सबसे बुरा क्या लगता है, तब त्वचा की समस्याएँ किसी दूसरी शिक़ायत से बहुत अधिक थीं। सैन्ड्रा नाम की एक युवा, जिसे हाई स्कूल के समय में ही बहुत मुँहासे थे, याद करती है: “मेरे इतने मुँहासे थे कि मैं हमेशा दूसरों से अपना चेहरा छिपाती रहती थी। मैं शर्मीली थी क्योंकि मैं अपने रूप को लेकर लज्जित थी। . . . मैं इतनी बुरी दिखती थी।”—को-एड (अंग्रेज़ी) पत्रिका।

यह विपदा आपकी किशोरावस्था के दौरान क्यों आती है—उस समय जब आप अपनी ओर से अच्छे से अच्छा दिखना चाहते हैं? क्योंकि आप बढ़ रहे हैं। यौवनारंभ के साथ, त्वचा ग्रंथियाँ अपनी क्रिया बढ़ा देती हैं।

क्या होता है? द वर्ल्ड बुक एनसाइक्लोपीडिया सरल शब्दों में समझाती है: हर ग्रंथि एक रोमकूप—अर्थात्‌, हर रोम के आस-पास के छोटे-से पुट—में खाली हो जाती है। सामान्यतः, तेल त्वचा के एक छिद्र से बाहर बह जाता है, लेकिन कभी-कभी एक छिद्र बंद हो जाता है और तेल जल्दी से निकल नहीं पाता। बंद छिद्र अब एक दाग़ बना देता है जिसे कील कहते हैं क्योंकि फँसा हुआ तेल उपचयित और सूखकर काला हो जाता है। जब मवाद पड़ जाता है तब एक फुंसी हो जाती है। जब रुके हुए तेल में कीटाणु बढ़ने लगते हैं तब रसौलियाँ हो जाती हैं। रसौलियाँ ही पक्के निशान छोड़ती हैं। फुंसियाँ निशान नहीं बनातीं जब तक कि वे संक्रमित न हों, जो कि अकसर पिचकाने या नोचने से होता है—सो पिचकाइए या नोचिए नहीं!

दिलचस्पी की बात है, तनाव और भावात्मक उलझनें त्वचा ग्रंथियों को सक्रिय कर सकती हैं। कुछ लोग किसी महत्त्वपूर्ण घटना या परीक्षाओं से पहले और उनके दौरान एक बड़ी-सी फुंसी निकलते देखते हैं। अतः यीशु के शब्द व्यावहारिक हैं: “कल के लिये चिन्ता न करो, क्योंकि कल का दिन अपनी चिन्ता आप कर लेगा।”—मत्ती ६:३४.

दुःख की बात है, कोई चमत्कारी इलाज नहीं है। लेकिन, सामान्य औषधियाँ उपलब्ध हैं, जैसे जॆल, क्रीम, लोशन, वॉश, साबुन, और फ़ेशल मास्क, जिनमें बॆनज़ॉइल पॆरॉक्साइड (एक प्रतिजीवाणु तत्व) होता है जो मुँहासों को नियंत्रण में लाने में मदद कर सकता है। (यदि और कड़े उपाय की ज़रूरत है तो अपने परिवार के डॉक्टर से सलाह ली जा सकती है।) अनेक लोग बॆनज़ॉइल पॆरॉक्साइड-युक्‍त साबुन या वॉश से अपनी त्वचा को अच्छी तरह साफ़ करना सहायक पाते हैं। लेकिन, तैलीय साबुन या तैलाक्‍त प्रसाधनों से बचिए।

कुछ युवाओं ने यह भी पाया है कि अपने सामान्य स्वास्थ्य का ध्यान रखने—काफ़ी व्यायाम करने, जितना हो सके ताज़ी हवा में रहने, और पर्याप्त नींद लेने—से उनकी मुँहासों की स्थिति में सुधार होता है। और जबकि कुछ लोग नियमित रूप से वसा-रहित आहार लेने के लाभों पर विवाद करते हैं, उल्टी-सीधी चीज़ें खाने से दूर रहना, साथ ही एक संतुलित आहार लेना स्पष्टतया उचित है।

स्थिति जो भी हो, धीरज ज़रूरी है। याद रखिए: समस्या काफ़ी अरसे से बढ़ी है, सो वह रातोंरात नहीं ठीक होगी। आरंभ में उल्लिखित, सैन्ड्रा कहती है: “मेरे ख़याल से मेरी त्वचा को पूरी तरह ठीक होने में लगभग एक साल लगा, लेकिन मैं छः सप्ताह के अन्दर अपनी त्वचा में बदलाव देख सकी।” कुछ समय तक अपने उपचार को करते रहने के द्वारा शायद आपको कुछ राहत मिले।

इस दौरान, कुछ दाग़ों के कारण अपने आत्म-सम्मान को चूर मत होने दीजिए अथवा दूसरों के साथ बात करने से झिझकिए नहीं। जबकि आप शायद अपनी त्वचा के बारे में काफ़ी आत्म-संकोची महसूस करें, दूसरे संभवतः जितना आप सोचते हैं उससे कहीं कम ध्यान देते हैं। सो एक सकारात्मक, आनन्दमय मनोवृत्ति रखने की कोशिश कीजिए। और अपने मुँहासों के लिए आप जो कर सकते हैं उसे अभी कीजिए!

[पेज 83 पर तसवीर]

अपने बारे में जो बात आपको पसन्द नहीं दूसरे शायद उसी से ईर्ष्या करते हों

[पेज 86 पर तसवीर]

युवा अकसर यह समझने से चूक जाते हैं कि पत्रिका मॉडलों के पास सौंदर्य-निखार टीम की सेवाएँ होती हैं