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मैं समकक्ष दबाव का सामना कैसे करूँ?

मैं समकक्ष दबाव का सामना कैसे करूँ?

अध्याय ९

मैं समकक्ष दबाव का सामना कैसे करूँ?

चौदह साल की उम्र में, कविता नशीले पदार्थों का अतिसेवन करती थी और रति क्रिड़ा की अभ्यस्त थी। सत्रह की उम्र तक, जिम एक पक्का शराबी था और अनैतिक जीवन जी रहा था। दोनों स्वीकार करते हैं कि असल में उन्हें न तो वह जीवन पसन्द था जो वे जी रहे थे न ही वे काम जो वे कर रहे थे। तो फिर, उन्होंने वे काम क्यों किए? समकक्ष दबाव!

“मेरे साथ का हर कोई ये काम करता था, और इसका मेरे ऊपर बड़ा प्रभाव हुआ,” कविता बताती है। इससे सहमत होकर जिम ने कहा, “मैं फ़र्क होकर अपने मित्र नहीं खोना चाहता था।”

युवा अपने समकक्षों के पीछे क्यों जाते हैं

जैसे-जैसे कुछ युवा बड़े होते हैं, माता-पिता का प्रभाव कम हो जाता है, और लोकप्रिय होने तथा समकक्षों द्वारा स्वीकार किए जाने की इच्छा बहुत बढ़ जाती है। दूसरे उस व्यक्‍ति से बात करने की ज़रूरत महसूस करते हैं जो “समझता” है या जो उन्हें प्रिय या आवश्‍यक होने का भाव देगा। जब घर पर ऐसे संचार की कमी होती है—जो कि अकसर होता है—तब वे इसे अपने समकक्षों के बीच तलाशते हैं। साथ ही, अकसर आत्म-विश्‍वास की कमी और असुरक्षा की भावनाएँ कुछ युवाओं को समकक्ष प्रभाव का शिकार बना देती हैं।

समकक्ष प्रभाव ज़रूरी नहीं कि बुरा हो। एक नीतिवचन कहता है: “जैसे लोहा लोहे को चमका देता है, वैसे ही मनुष्य का मुख अपने मित्र की संगति से चमकदार हो जाता है।” (नीतिवचन २७:१७) जैसे लोहे की छुरी दूसरी छुरी की धार तेज़ कर सकती है, वैसे ही दूसरे युवाओं के साथ संगति आपके व्यक्‍तित्व को “चमका” सकती है और आपको एक बेहतर व्यक्‍ति बना सकती है—यदि उन समकक्षों की मनोवृत्ति प्रौढ़ और स्वस्थ है।

लेकिन, अधिकांशतः, युवाओं में प्रौढ़ता की कमी होती है—दोनों मानसिक और आध्यात्मिक। अनेक युवाओं के दृष्टिकोण और विचार डाँवाँडोल, अविश्‍वसनीय, यहाँ तक कि उद्दंड होते हैं। सो जब एक युवा आँख मूँदकर समकक्षों के वश में आ जाता है, तब यह अन्धे का अन्धे को मार्ग दिखाने के जैसा हो सकता है। (मत्ती १५:१४ से तुलना कीजिए।) परिणाम भयंकर हो सकते हैं।

जब समकक्ष आपको निर्लज्ज व्यवहार की ओर नहीं धकेल रहे होते, तब भी उनका प्रभाव दमनकारी लग सकता है। “आपको इतनी चिन्ता होती है कि दूसरे बच्चे आपको स्वीकार करें,” डॆबी ने कहा। “जब मैं अठारह की थी मुझे अलोकप्रिय होने के विचार से दहशत थी क्योंकि मेरे पास कोई नहीं होता जो मुझे मज़ा करने के लिए बाहर चलने का न्योता देता। मुझे अकेली पड़ने का डर था।” अतः डॆबी ने अपने समकक्षों की स्वीकृति पाने के लिए बड़ी मेहनत की।

क्या मैं प्रभावित हो रहा हूँ?

क्या मेल खाने के लिए आपने भी एक ख़ास ढंग से पहनना, बोलना, या व्यवहार करना शुरू कर दिया है? सत्रह-वर्षीय सूज़ी दावा करती है, “दूसरा बच्चा असल में आपसे ऐसा कुछ नहीं करा सकता जो आप नहीं करना चाहते।” सच है, लेकिन समकक्ष दबाव इतना दुर्बोध हो सकता है कि आपको शायद पता न चले कि वह आपको कितना प्रभावित कर रहा है। उदाहरण के लिए, प्रेरित पतरस पर विचार कीजिए। दृढ़ विश्‍वास रखनेवाला साहसी पुरुष, पतरस मसीहियत का एक खंभा था। परमेश्‍वर ने पतरस पर प्रकट किया कि हर जाति और कुल के लोग उसका अनुग्रह पा सकते हैं। अतः पतरस ने मसीही बनने में पहले अन्यजातीय विश्‍वासियों की मदद की।—प्रेरितों १०:२८.

लेकिन, समय बीता, और पतरस अन्ताकिया में स्थित था, वह शहर जहाँ अनेक ग़ैर-यहूदी लोग मसीही बन गए थे। पतरस ने इन अन्यजातीय विश्‍वासियों के साथ खुलकर संगति की। एक दिन यरूशलेम से कुछ यहूदी मसीही अन्ताकिया आए। वे अब भी ग़ैर-यहूदियों के विरुद्ध भेदभाव रखे हुए थे। अब पतरस अपने यहूदी समकक्षों के सामने कैसा व्यवहार करता?

पतरस ने अपने आपको अन्यजातीय मसीहियों से अलग कर लिया, और उनके साथ खाने से इनकार कर दिया! क्यों? लगता है कि उसको अपने समकक्षों को नाराज़ करने का डर था। शायद उसने सोचा हो, ‘मैं अभी थोड़ा-सा झुक जाता हूँ जब तक कि वे यहाँ हैं और उनके जाने के बाद अन्यजातियों के साथ फिर से खाने लगूँगा। इतनी छोटी-सी बात के लिए उनके साथ अपना सम्बन्ध क्यों ख़राब करूँ?’ अतः पतरस ढोंग कर रहा था—ऐसा काम करने के द्वारा जिसे वह असल में नहीं मानता था अपने ही सिद्धान्तों को अस्वीकार कर रहा था। (गलतियों २:११-१४) तो प्रत्यक्ष है, कोई व्यक्‍ति समकक्षों के दबाव से सुरक्षित नहीं।

मेरी प्रतिक्रिया क्या होगी?

सो जबकि यह कहना आसान है, ‘मुझे इसका डर नहीं कि दूसरे क्या सोचते हैं!’ समकक्ष दबाव का सामना करते समय यह संकल्प बनाए रखना और ही बात है। उदाहरण के लिए, निम्नलिखित परिस्थितियों में आप क्या करेंगे?

आपका एक स्कूल-साथी दूसरे युवाओं के सामने आपको एक सिगरेट पेश करता है। आप जानते हैं धूम्रपान करना ग़लत है। लेकिन वे सब यह देखने के लिए रुके हुए हैं कि आप क्या करेंगे . . .

स्कूल में लड़कियाँ अपने बॉयफ्रॆन्डों के साथ संभोग करने के बारे में बात कर रही हैं। एक लड़की आपसे कहती है: “तुम अभी तक कुँवारी तो नहीं, हो क्या?”

आप सभी दूसरी लड़कियों जैसी ड्रॆस पहनना चाहती थीं, लेकिन मम्मी कहती हैं वह बहुत छोटी है। जो कपड़े वह आपको पहनाने का हठ करती हैं उन्हें पहनने से आपको लगता है मानो आप छः साल की हैं। आपके सहपाठी आपको चिढ़ाते हैं। एक लड़की पूछती है, “तुम क्यों नहीं अपने टिफ़िन का पैसा बचाकर कुछ ढंग का ख़रीद लेतीं? तुम्हें अपनी मम्मी को बताने की ज़रूरत नहीं। अपने स्कूल के कपड़े अपने लॉकर में रखो।”

क्या ये आसान स्थितियाँ हैं? जी नहीं, लेकिन यदि आप अपने समकक्षों को न कहने से डरते हैं, तो अंततः आप ख़ुद को, अपने स्तरों को, और अपने माता-पिता को न कहते हैं। आप समकक्ष दबाव का सामना करने की शक्‍ति कैसे जुटा सकते हैं?

“सोचने की क्षमता”

पंद्रह-वर्षीय रॉबिन ने धूम्रपान करना शुरू कर दिया, इसलिए नहीं कि वह ऐसा करना चाहती थी, परन्तु इसलिए कि बाक़ी सब कर रहे थे। वह याद करती है: “बाद में मैं सोचने लगी, ‘मुझे यह पसन्द नहीं। मैं यह कर क्यों रही हूँ?’ सो अब मैं नहीं करती।” अपने लिए सोचने के द्वारा, वह अपने समकक्षों का सामना करने में समर्थ हुई!

तो फिर, उपयुक्‍त रीति से बाइबल युवाओं से आग्रह करती है कि “ज्ञान और सोचने की क्षमता” विकसित करें। (नीतिवचन १:१-५, NW) जिसके पास सोचने की क्षमता है उसे मार्गदर्शन के लिए अनुभवहीन समकक्षों का सहारा लेने की ज़रूरत नहीं। साथ ही, वह आत्म-विश्‍वासी नहीं बन जाता और दूसरों के विचारों की उपेक्षा नहीं करता। (नीतिवचन १४:१६) वह ‘सम्मति को सुनने और शिक्षा को ग्रहण करने’ के लिए तैयार रहता है ताकि “बुद्धिमान ठहरे।”—नीतिवचन १९:२०.

लेकिन, चकित मत होइए यदि अपनी सोचने की इंद्रियों को प्रयोग करने के कारण आपको नापसन्द किया जाता है या आपकी खिल्ली तक उड़ायी जाती है। “सोचने की क्षमता रखनेवाले पुरुष [या स्त्री] से घृणा की जाती है,” नीतिवचन १४:१७ (NW) कहता है। लेकिन वास्तव में, किनके पास अधिक शक्‍ति है, उनके पास जो अपनी कामनाओं और भावनाओं के वश में हो जाते हैं या उनके पास जो अनुचित इच्छाओं को न कह सकते हैं? (नीतिवचन १६:३२ से तुलना कीजिए।) जो आपकी खिल्ली उड़ाते हैं वे जीवन में किस ओर बढ़ रहे हैं? क्या आप चाहते हैं कि आपके जीवन का भी वही हश्र हो? क्या यह हो सकता है कि ऐसे व्यक्‍ति आपसे जलते हैं और खिल्ली उड़ाने के द्वारा अपनी ख़ुद की असुरक्षा को ढाँक रहे हैं?

फन्दे से बचना

“मनुष्य का भय खाना फन्दा हो जाता है,” नीतिवचन २९:२५ कहता है। बाइबल समय में, एक फन्दा जल्दी से किसी बेख़बर जानवर को फँसा सकता था जो उसमें लगे चारे को खाने जाता। उसी तरह आज, अपने समकक्षों की स्वीकृति पाने की इच्छा चारे का काम कर सकती है। यह आपको ईश्‍वरीय स्तरों का उल्लंघन करने के फन्दे में लुभा सकती है। तो फिर, आप मनुष्य के भय के फन्दे से कैसे बच सकते या दूर रह सकते हैं?

पहला, ध्यान से अपने मित्र चुनिए! (नीतिवचन १३:२०) उनके साथ संगति कीजिए जिनके मसीही मूल्य और स्तर हैं। सच है, यह आपकी मित्रता को सीमित करता है। जैसा एक किशोर कहता है: “जब मैंने स्कूल में दूसरों के जैसा नहीं किया, नशीले पदार्थों और लैंगिकता के बारे में उनके विचारों को नहीं माना, तब जल्द ही उन्होंने मुझे अकेला छोड़ दिया। हालाँकि इसने उनके अनुसार चलने का मुझ पर से काफ़ी दबाव हटा दिया, फिर भी मैं थोड़ा-सा अकेला तो हो ही गया।” लेकिन समकक्ष प्रभाव के कारण आध्यात्मिक और नैतिक रूप से नीचे घसीटे जाने से तो कुछ अकेलापन सहना ही बेहतर है। अपने परिवार और मसीही कलीसिया के अन्दर संगति करना अकेलेपन को दूर करने में मदद दे सकता है।

अपने माता-पिता की सुनना भी आपको समकक्ष दबाव का विरोध करने में मदद देता है। (नीतिवचन २३:२२) वे संभवतः आपको उचित मूल्य सिखाने के लिए मेहनत कर रहे हैं। एक युवा लड़की ने कहा: “मेरे माता-पिता मेरे साथ सख़्त थे। मुझे कभी-कभी यह अच्छा नहीं लगता था, लेकिन मैं ख़ुश हूँ कि वे अपनी बात पर अडिग रहे और मेरी संगति को सीमित रखा।” माता-पिता से मिली उस मदद के कारण, वह नशीले पदार्थों का सेवन करने और रति क्रिड़ा करने के दबाव में नहीं आयी।

किशोर सलाहकार बॆथ विनशिप आगे कहती है: “जो युवा किसी काम में अच्छे होते हैं वे अपने ही दम पर महत्त्वपूर्ण महसूस करते हैं। उन्हें अच्छी आत्म-छवि के लिए समकक्ष स्वीकृति पर निर्भर होने की ज़रूरत नहीं।” तो फिर, क्यों न उसमें कुशल और योग्य होने का प्रयास करें जो आप स्कूल में और घर में करते हैं? युवा यहोवा के साक्षी ख़ासकर ‘अपने आप को ऐसा काम करनेवाला ठहराने का प्रयत्न करते हैं, जो लज्जित होने न पाए, और जो’ अपनी मसीही सेवकाई में “सत्य के वचन को ठीक रीति से काम में लाता हो।”—२ तीमुथियुस २:१५.

मनुष्यों से डरने के ‘फन्दे’ के बारे में चेतावनी देने के बाद, नीतिवचन २९:२५ आगे कहता है: “जो यहोवा पर भरोसा रखता है वह ऊंचे स्थान पर चढ़ाया जाता है।” संभवतः सबसे बढ़कर, परमेश्‍वर के साथ सम्बन्ध रखना आपको अपने समकक्षों का सामना करने की शक्‍ति दे सकता है। उदाहरण के लिए, डॆबी (पहले उल्लिखित) कुछ समय से भेड़चाल चल रही थी, बहुत पीती थी और नशीले पदार्थों का दुरुपयोग करती थी। लेकिन फिर उसने बाइबल का एक गंभीर अध्ययन करना और यहोवा पर भरोसा रखना शुरू किया। प्रभाव? “मैंने ठान लिया कि मैं वे काम नहीं करूँगी जो उस छोटे गुट के बच्चे करते हैं,” डॆबी ने कहा। उसने अपने पिछले मित्रों से कहा: “आप अपने रास्ते जाइए और मैं अपने रास्ते जाऊँगी। यदि आपको मेरी मित्रता चाहिए तो आपको उन स्तरों का आदर करना होगा जिनका मैं करती हूँ। मुझे क्षमा करना लेकिन मैं परवाह नहीं करती कि आप क्या सोचते हैं। मैं ऐसा करने जा रही हूँ।” डॆबी के सभी मित्रों ने उसके नव-प्राप्त धर्म का आदर नहीं किया। लेकिन डॆबी कहती है, “मैंने अपना फ़ैसला करने के बाद निश्‍चित ही अपने आपको ज़्यादा पसन्द किया।”

आप भी “अपने आपको ज़्यादा पसन्द” करेंगे और काफ़ी दुःख से बचाएँगे यदि आप समकक्ष दबाव के फन्दे से बच निकलते हैं!

चर्चा के लिए प्रश्‍न

◻ युवा अकसर अपने समकक्षों से प्रभावित क्यों होते हैं? क्या ज़रूरी है कि यह बुरा हो?

◻ प्रेरित पतरस का अनुभव समकक्ष दबाव के बारे में क्या सिखाता है?

◻ कौन-सी कुछ स्थितियाँ (संभवतः कुछ व्यक्‍तिगत अनुभव से भी सम्मिलित) न कहने की आपकी क्षमता को परख सकती हैं?

◻ यदि दिलेरी दिखाने के लिए ललकारा जाए तो आप किन बातों पर विचार कर सकते हैं?

◻ कौन-सी कुछ बातें आपको मनुष्य के भय के फन्दे से बचने में मदद दे सकती हैं?

[पेज 74 पर बड़े अक्षरों में लेख की खास बात]

“आपको इतनी चिन्ता होती है कि दूसरे बच्चे आपको स्वीकार करें,” डॆबी ने कहा। “मुझे अलोकप्रिय होने के विचार से दहशत थी . . . मुझे अकेली पड़ने का डर था”

[पेज 75 पर बक्स]

‘मैं तुम्हें ललकारती हूँ!’

“जाओ,” लीसा के सहपाठियों ने हठ किया। “टीचर को बताओ कि उसकी साँस से बदबू आती है!” जी नहीं, वाद-विषय मौखिक स्वच्छता का नहीं था। लीसा को दिलेरी दिखाने के लिए ललकारा जा रहा था—और काम भी काफ़ी जोख़िम-भरा! जी हाँ, लगता है दूसरों को ऐसे काम करने के लिए ललकारने में, जो हलकी शरारत से लेकर प्राणघातक तक होते हैं, कुछ युवाओं को भद्दा मज़ा आता है।

लेकिन जब आपको कोई बेतुका, निर्दयी, या एकदम ख़तरनाक काम करने के लिए ललकारा जाता है, तब आपको सोच-समझकर क़दम उठाना चाहिए। एक बुद्धिमान पुरुष ने कहा: “मरी हुई मक्खियों के कारण गन्धी का तेल सड़ने और बसाने लगता है; और थोड़ी सी मूर्खता बुद्धि और प्रतिष्ठा को घटा देती है।” (सभोपदेशक १०:१) प्राचीन समय में, कोई मूल्यवान तेल या इत्र मरी हुई मक्खी जैसी छोटी-सी चीज़ से ख़राब हो सकता था। उसी तरह, एक व्यक्‍ति की मेहनत से कमायी प्रतिष्ठा “थोड़ी सी मूर्खता” से ख़राब हो सकती थी।

बचकाना करतूतों का परिणाम अकसर यह होता है, नम्बर कम आना, स्कूल से निकाल दिया जाना, और यहाँ तक कि गिरफ़्तार होना! लेकिन, तब क्या, यदि आप सोचते हैं कि आप पकड़े नहीं जाएँगे? अपने आपसे पूछिए, मुझसे जो करने को कहा जा रहा है क्या वह उचित है? क्या वह प्रेमपूर्ण है? क्या उससे बाइबल के स्तरों का या जो मेरे माता-पिता ने सिखाए हैं उनका उल्लंघन होगा? यदि हाँ, तो क्या मैं सचमुच चाहता हूँ कि मौज-मस्ती चाहनेवाले युवा मेरे जीवन को वश में रखें? क्या वे युवा जो मुझसे अपने जीवन और प्रतिष्ठा को दाँव पर लगाने के लिए कहते हैं, वास्तव में मित्र हैं भी?—नीतिवचन १८:२४, NW.

तो फिर, ललकारने वाले युवा से तर्क करने की कोशिश कीजिए। अठारह वर्षीय टॆरी को यह पूछने के द्वारा, ‘मैं यह क्यों करूँ? यदि मैं यह करूँ तो क्या साबित होगा?,’ “उसका मज़ा किरकिरा करना” पसन्द है। यह भी बता दीजिए कि आपके निश्‍चित स्तर हैं जिनका आप पालन करना चाहते हैं। एक युवा लड़की ने एक लड़के को अनैतिकता के लिए ललकारने की कोशिश की, उसने कहा, “तुम्हें नहीं मालूम तुम क्या खो रहे हो।” “जी हाँ, मुझे मालूम है,” लड़के ने उत्तर दिया। “हर्पीज़, गनोरिया, सिफ़िलिस . . . ”

जी हाँ, अपने समकक्षों को न कहने की हिम्मत रखने के द्वारा, आप कुछ ऐसा करने से बच सकते हैं जिसके बारे में आपको बाद में पछताना पड़े!

[पेज 76 पर तसवीर]

समर्थन के लिए युवा अकसर एक दूसरे को थामे रहते हैं

[पेज 77 पर तसवीर]

जिसे आप सही मानते हैं उसके विरुद्ध जाने के लिए क्या आपके ऊपर कभी समकक्ष दबाव आया है?

[पेज 78 पर तसवीर]

समकक्ष दबाव का सामना करने की शक्‍ति रखिए!