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पापा-मम्मी अलग क्यों हो गए?

पापा-मम्मी अलग क्यों हो गए?

अध्याय ४

पापा-मम्मी अलग क्यों हो गए?

“मुझे याद है जब पापा हमें छोड़ गए थे। हमें असल में पता ही नहीं था कि हो क्या रहा है। मम्मी को काम करने जाना पड़ता था और वह हमें हर समय अकेला छोड़ जातीं। कभी-कभी हम बस खिड़की के पास बैठे चिन्ता करते थे कि क्या वह भी हमें छोड़ गयी हैं। . . . ”—तलाक़शुदा परिवार से एक लड़की।

अपने माता-पिता का तलाक़ ऐसा लग सकता है मानो प्रलय आ गया हो, एक ऐसी विपत्ति जो सदा-सदा की पीड़ा उत्पन्‍न कर सकती है। यह प्रायः लज्जा, क्रोध, चिन्ता, त्याग के भय, दोष, हताशा, और गहरे अभाव की भावनाओं का हमला शुरू कर देता है—यहाँ तक कि बदला लेने की इच्छा आ जाती है।

यदि आपके माता-पिता हाल ही में अलग हुए हैं, तो आप भी शायद ऐसी भावनाओं का अनुभव कर रहे हों। आख़िरकार, हमारे सृष्टिकर्ता का उद्देश्‍य था कि माता और पिता, दोनों आपका पालन-पोषण करें। (इफिसियों ६:१-३) लेकिन, अब आपको एक जनक की, जिससे आप प्रेम करते हैं, दैनिक उपस्थिति से वंचित किया गया है। “मैं सचमुच अपने पिता का आदर करता था और उनके साथ रहना चाहता था,” पॉल शोक मनाता है, जिसके माता-पिता अलग हो गए जब वह सात साल का था। “लेकिन मम्मी को हमारी कानूनी-अभिरक्षा मिली।”

माता-पिता अलग क्यों हो जाते हैं

अकसर माता-पिताओं ने अपनी समस्याएँ काफ़ी छिपाकर रखी होती हैं। “मुझे अपने माता-पिता को लड़ते देखना याद नहीं,” लिन कहती है, जिसके माता-पिता ने तलाक़ ले लिया जब वह एक बच्ची थी। “मैंने सोचा उनकी पटती है।” और जब माता-पिता किचकिच करते हैं, तब भी एक धक्का-सा लग सकता है जब वे असल में अलग हो जाते हैं!

अनेक किस्सों में, अलगाव इसलिए होता है क्योंकि एक जनक लैंगिक दुर्व्यवहार का दोषी होता है। परमेश्‍वर निर्दोष साथी को तलाक़ लेने की अनुमति देता है। (मत्ती १९:९) दूसरे किस्सों में, “क्रोध, और कलह, और निन्दा” ने हिंसा का रूप ले लिया है, जिससे एक जनक को अपने और बच्चों के शारीरिक हित की चिन्ता हो गयी है।—इफिसियों ४:३१.

माना जाता है कि कुछ तलाक़ झीने आधार पर लिए जाते हैं। अपनी समस्याओं को सुलझाने के बजाय, कुछ लोग स्वार्थपूर्वक तलाक़ ले लेते हैं क्योंकि वे दावा करते हैं कि वे ‘दुःखी’ हैं या उन्हें ‘अब प्रेम नहीं रहा।’ यह परमेश्‍वर को अप्रसन्‍न करता है, जो “तलाक से घृणा करता” है। (मलाकी २:१६, NHT) यीशु ने भी सूचित किया कि कुछ अपने विवाह इसलिए तोड़ देंगे क्योंकि उनके साथी मसीही बन गए।—मत्ती १०:३४-३६.

बात जो भी हो, आपके माता-पिता ने तलाक़ के बारे में चुप रहने या इस बारे में आपके प्रश्‍नों के आपको केवल अस्पष्ट उत्तर देने का चुनाव किया है इसका यह अर्थ नहीं कि वे आपसे प्रेम नहीं करते। * अपनी ही चोट में उलझे हुए, आपके माता-पिता को शायद तलाक़ के बारे में बात करना कठिन लगे। (नीतिवचन २४:१०) उन्हें शायद अपनी परस्पर कमियों को स्वीकार करना भी अजीब और लज्जापूर्ण लगे।

आप क्या कर सकते हैं

अपने माता-पिता के साथ अपनी चिन्ताओं के बारे में शान्ति से बात करने के लिए सही समय देखने की कोशिश कीजिए। (नीतिवचन २५:११) उन्हें बताइए कि तलाक़ को लेकर आप कितने दुःखी और परेशान हैं। शायद वे आपको एक संतोषजनक स्पष्टीकरण दें। यदि नहीं, तो हताश मत होइए। क्या यीशु ने वह जानकारी रोककर नहीं रखी जो उसे लगा कि उसके शिष्य संभालने के लिए तैयार नहीं थे? (यूहन्‍ना १६:१२) और क्या आपके माता-पिता को गोपनीयता का अधिकार नहीं है?

अंततः, यह समझिए कि तलाक़, उसका कारण चाहे जो हो, उनके बीच का झगड़ा है—आपके साथ नहीं! ६० तलाक़शुदा परिवारों के अपने अध्ययन में, वॉलरस्टाइन और कॆली ने पाया कि दम्पतियों ने तलाक़ के लिए एक दूसरे को, अपने मालिकों, परिवार के सदस्यों, और मित्रों को दोष दिया। लेकिन, अनुसंधायक कहते हैं: “काफ़ी रोचक बात है कि किसी ने भी बच्चों को दोष नहीं दिया।” आपके प्रति आपके माता-पिता की भावनाएँ नहीं बदली हैं।

समय के घाव-भरनेवाले प्रभाव

‘चंगा करने का समय’ होता है। (सभोपदेशक ३:३) और जिस प्रकार शाब्दिक घाव, जैसे एक टूटी हड्डी को पूरी तरह ठीक होने में सप्ताह या महीने भी लग सकते हैं, ठीक उसी प्रकार भावात्मक घावों को भरने में समय लगता है।

तलाक़ अनुसंधायक वॉलरस्टाइन और कॆली ने पाया कि तलाक़ के बस कुछ ही साल बाद “व्यापक भय, शोक, स्तब्ध करनेवाला अविश्‍वास . . . घट गया या पूरी तरह से मिट गया।” कुछ विशेषज्ञों को लगता है कि तलाक़ का सबसे बुरा दौर मात्र तीन साल के अन्दर चला जाता है। यह एक लम्बा समय प्रतीत हो सकता है, लेकिन इससे पहले कि आपका जीवन स्थिर हो सके काफ़ी कुछ होना है।

एक बात यह है कि घर का नित्यक्रम जो तलाक़ के कारण अस्त-व्यस्त हो गया है, फिर से बनाया जाना है। समय के बीतने पर ही आपके माता-पिता भावात्मक रूप से फिर से अपने पैरों पर खड़े हो पाएँगे। तब जाकर कहीं वे आपको ज़रूरी सहारा देने में शायद समर्थ हों। जैसे-जैसे आपके जीवन में फिर से कुछ नियमितता आती है, आप फिर से सामान्य महसूस करने लगेंगे।

लेकिन, सुलैमान ने यह चेतावनी दी: “यह न कहना, बीते दिन इन से क्यों उत्तम थे? क्योंकि यह तू बुद्धिमानी से नहीं पूछता।” (सभोपदेशक ७:१०) अतीत के बारे में सोचते रहना आपको वर्तमान के प्रति अन्धा बना सकता है। तलाक़ से पहले आपकी पारिवारिक स्थिति कैसी थी? “हमेशा झगड़ा होता रहता था—चीखना और गालियाँ देना,” ऐनॆट स्वीकार करती है। क्या ऐसा हो सकता है कि अब आप घरेलू शान्ति का आनन्द लेते हैं?

‘मैं उन्हें फिर से मिला सकता हूँ’

कुछ युवा अपने माता-पिता को फिर से एक करने के सपने संजोते हैं, वे संभवतः तब भी ऐसी कल्पनाओं को थामे रहते हैं जब उनके माता-पिता पुनःविवाह कर चुके होते हैं!

लेकिन, तलाक़ को अस्वीकार करने से कुछ नहीं बदलता। और दुनिया-भर का रोना, गिड़गिड़ाना, और योजनाएँ बनाना संभवतः आपके माता-पिता को फिर से नहीं मिला पाएगा। तो जो संभव नहीं उस के बारे में सोच-सोचकर अपने आपको क्यों पीड़ित करें? (नीतिवचन १३:१२) सुलैमान ने कहा कि “खोया हुआ मान कर छोड़ देने का समय” होता है। (सभोपदेशक ३:६, NHT) सो तलाक़ की वास्तविकता और स्थायित्व दोनों को स्वीकार कीजिए। आपका उससे उबरने की ओर यह एक बड़ा क़दम है।

अपने माता-पिता के साथ समझौता करना

आपके जीवन को अस्त-व्यस्त कर देने के लिए आप शायद अपने माता-पिता से उचित ही क्रोधित हों। जैसा एक युवक ने कटुतापूर्वक कहा: “मेरे माता-पिता स्वार्थी थे। उन्होंने हमारे बारे में नहीं सोचा, यह नहीं सोचा कि उनके किए का हम पर कैसा असर होगा। उन्होंने तो बस आगे बढ़कर अपनी योजनाएँ बना लीं।” यह सच हो सकता है। लेकिन क्या आप ख़ुद को हानि पहुँचाए बिना क्रोध और कटुता का बोझ उठाए हुए जीवन चला सकते हैं?

बाइबल सलाह देती है: “सब प्रकार की कड़वाहट और प्रकोप और क्रोध . . . तुम से दूर की जाए। और एक दूसरे पर कृपाल, और करुणामय हो; . . . एक दूसरे के अपराध क्षमा करो।” (इफिसियों ४:३१, ३२) आप उस व्यक्‍ति को कैसे क्षमा कर सकते हैं जिसने आपको इतनी गहरी चोट पहुँचायी है? अपने माता-पिता को व्यावहारिक रीति से देखने की कोशिश कीजिए—भूल करनेवाले, अपरिपूर्ण मनुष्यों के रूप में। जी हाँ, माता-पिता भी ‘पाप करते हैं और परमेश्‍वर की महिमा से रहित हैं।’ (रोमियों ३:२३) यह समझना आपको अपने माता-पिता के साथ समझौता करने में मदद दे सकता है।

अपनी भावनाओं के बारे में बात कीजिए

“मुझे अपने माता-पिता के तलाक़ के बारे में कैसा लगता था, इस विषय में मैंने असल में कभी बात नहीं की,” हमें इंटरव्यू देते समय एक युवक ने कहा। जबकि शुरू-शुरू में वह युवक भावशून्य था, धीरे-धीरे वह भावात्मक होता गया—यहाँ तक कि उसके आँसू निकलने लगे—जब वह अपने माता-पिता के तलाक़ के बारे में बोल रहा था। वे भावनाएँ जो लम्बे अरसे से दबी हुई थीं बाहर निकलीं। इससे चकित होकर, उसने स्वीकार किया: “इस विषय में बात करने से मुझे सचमुच मदद मिली है।”

इसी प्रकार आप भी ख़ुद को अकेला करने के बजाय, किसी से अपने मन की बात कहना शायद सहायक पाएँ। अपने माता-पिता को बताइए कि आपको कैसा लगता है, आपकी आशंकाएँ और चिन्ताएँ क्या हैं। (नीतिवचन २३:२६ से तुलना कीजिए।) प्रौढ़ मसीही भी मदद कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, कपिल को अपने परिवार से, जो तलाक़ के कारण टूट गया था, बहुत कम या कह सकते हैं कि कोई सहारा नहीं मिला। फिर भी उसे कहीं और सहारा मिल गया। कपिल कहता है: “मसीही कलीसिया मेरा परिवार बन गयी।”

सबसे बढ़कर, आपका स्वर्गीय पिता ‘प्रार्थना का सुननेवाला,’ आपकी सुनेगा। (भजन ६५:२) पॉल नामक एक युवक याद करता है कि किस बात ने उसे अपने माता-पिता के तलाक़ से उबरने में मदद दी: “मैं सारे समय प्रार्थना करता था और हमेशा महसूस करता था कि यहोवा एक वास्तविक व्यक्‍ति है।”

अपना जीवन आगे बढ़ाना

तलाक़ के बाद, स्थिति शायद फिर कभी वैसी न हो। लेकिन, इसका यह अर्थ नहीं कि आपका जीवन फलदायी और सुखी नहीं हो सकता। बाइबल सलाह देती है, “प्रयत्न करने में आलसी न हो।” (रोमियों १२:११) जी हाँ, अपने आपको शोक, चोट, या क्रोध से निश्‍चल मत होने दीजिए, इसके बजाय अपने जीवन को आगे बढ़ाइए! अपने स्कूल के काम में जुट जाइए। कोई शौक़ अपनाइए। ‘प्रभु के काम में सर्वदा बढ़ते जाइए।’—१ कुरिन्थियों १५:५८.

इसमें प्रयास, संकल्प, और समय लगेगा। लेकिन अंततः आपके माता-पिता के विवाह का विच्छेद आपके जीवन में प्रमुख नहीं रहेगा।

[फुटनोट]

^ पैरा. 10 अनुसंधायक वॉलरस्टाइन और कॆली ने पाया कि तलाक़शुदा माता-पिताओं के “अध्ययन किए गए अस्सी प्रतिशत सबसे छोटे बच्चों को न तो पर्याप्त स्पष्टीकरण दिया गया न ही जारी देखभाल का आश्‍वासन दिया गया। असल में, वे एक सुबह उठे और पाया कि एक जनक जा चुका है।”

चर्चा के लिए प्रश्‍न

◻ माता-पिता के अलग होने के कुछ कारण क्या हैं?

◻ आपके माता-पिता के लिए इस विषय में बात करना शायद क्यों कठिन हो? यदि वे बात करने में ऐसी झिझक दिखाते हैं तो आप क्या कर सकते हैं?

◻ अतीत के बारे में सोचते रहना या अपने माता-पिता को फिर से मिलाने की कल्पना करना निरर्थक क्यों है?

◻ तलाक़ से उबरने में आपकी मदद करने के लिए आप कौन-से कुछ सकारात्मक काम कर सकते हैं?

◻ आपको अपने माता-पिता के प्रति शायद जो क्रोध भाव है उससे आप कैसे निपट सकते हैं?

[पेज 36, 37 पर बक्स]

‘क्या तलाक़ मेरा जीवन बरबाद कर देगा?’

अपने माता-पिता के तलाक़ के फलस्वरूप, कुछ युवा अपना जीवन लगभग बरबाद कर देते हैं। कुछ युवा अंधाधुंध फ़ैसले करते हैं, जैसे स्कूल छोड़ देना। दूसरे दुर्व्यवहार करने के द्वारा अपनी कुंठा और क्रोध निकालते हैं—मानो तलाक़ लेने के लिए अपने माता-पिता को सज़ा दे रहे हों। डॆनी याद करता है: “अपने माता-पिता के तलाक़ के बाद मैं दुःखी और हताश था। मुझे स्कूल में समस्याएँ होने लगीं और एक साल फ़ेल हो गया। उसके बाद . . . मैं क्लास का जोकर बन गया और ढेर सारे झगड़ों में फँस गया।”

दहलानेवाले व्यवहार से आपके माता-पिता का ध्यान ज़रूर मिल सकता है। लेकिन पहले ही तनावपूर्ण स्थिति में और तनाव लाने के अलावा, यह करता भी क्या है? सचमुच, कुकर्म का फल केवल कुकर्मी को मिलता है। (गलतियों ६:७) यह समझने की कोशिश कीजिए कि आपके माता-पिता भी दुःख भोग रहे हैं और वे दुर्भाव से आपकी लापरवाही नहीं कर रहे हैं। डॆनी की माँ ने स्वीकार किया: “मैंने निश्‍चित ही अपने बच्चों की लापरवाही की। तलाक़ के बाद, मैं ख़ुद ही इतनी मुश्‍किल में थी कि मैं उनकी मदद नहीं कर सकी।”

इब्रानियों १२:१३ (NHT) में बाइबल सलाह देती है: “अपने पैरों के लिए सीधे मार्ग बनाओ, जिससे कि वह अंग जो लंगड़ा है जोड़ से न उखड़े।” यदि माता-पिता का अनुशासन नहीं है, तो भी दुर्व्यवहार के लिए कोई बहाना नहीं है। (याकूब ४:१७) अपने कार्यों के लिए ज़िम्मेदारी स्वीकार कीजिए और आत्म-अनुशासन प्रयोग कीजिए।—१ कुरिन्थियों ९:२७.

अंधाधुंध फ़ैसले भी नहीं कीजिए, उदाहरण के लिए, घर छोड़ने का फ़ैसला। “चतुर मनुष्य समझ बूझकर चलता है।” (नीतिवचन १४:१५) यदि इस समय आपके माता-पिता बहुत उलझे हुए हैं और आपकी नहीं सुन सकते, तो क्यों न अपने फ़ैसलों के बारे में एक उम्रदार मित्र से बात करें?

फिर भी, आपको शायद अपने भविष्य के बारे में कई चिन्ताएँ हों। क्योंकि आपके माता-पिता का विवाह असफल हुआ है, तो स्वाभाविक है कि आप शायद एक सफल विवाह का आनन्द लेने की अपनी संभावना के बारे में चिन्ता करें। ख़ुशी की बात है कि वैवाहिक दुःख कोई ऐसी चीज़ नहीं जो आप अपने माता-पिता से विरासत में पाते हैं—जैसे चित्तियाँ। आप एक अनोखे व्यक्‍ति हैं, और आपका कोई भावी विवाह कैसा निकलता है वह आपके माता-पिता की कमज़ोरियों पर नहीं, बल्कि इस बात पर निर्भर करेगा कि आप और आपका साथी परमेश्‍वर के वचन पर किस हद तक अमल करते हैं।

आप शायद पाएँ कि आप उन बातों के बारे में भी चिन्ता कर रहे हैं जिन पर पहले आपने ध्यान नहीं दिया—खाना, कपड़ा, घर और पैसा। लेकिन, माता-पिता तलाक़ के बाद अपने बच्चों को संभालने के लिए कोई तरीक़ा निकाल ही लेते हैं, चाहे मम्मी को नौकरी ही क्यों न करनी पड़े। फिर भी, पुस्तक विच्छेद को पार करना (अंग्रेज़ी) व्यावहारिक रूप से चिताती है: “जिससे कभी एक पारिवारिक इकाई का प्रबन्ध होता था उससे अब दो परिवारों का प्रबन्ध होना है, जो परिवार के हर सदस्य के रहन-सहन के स्तर को गिरा देता है।”

इसलिए, अति संभव है कि आपको उन चीज़ों के बिना काम चलाने की आदत डालनी होगी जिनका आप आनन्द लिया करते थे, जैसे नए कपड़े। लेकिन बाइबल हमें याद दिलाती है: “न हम जगत में कुछ लाए हैं और न कुछ ले जा सकते हैं। और यदि हमारे पास खाने और पहिनने को हो, तो इन्हीं पर सन्तोष करना चाहिए।” (१ तीमुथियुस ६:७, ८) हो सकता है कि आप परिवार का नया बजट बनाने में भी मदद दे सकें। यह भी याद रखिए कि यहोवा “अनाथों का पिता” है। (भजन ६८:५) आप निश्‍चित हो सकते हैं कि उसे आपकी ज़रूरतों की गहरी चिन्ता है।

यिर्मयाह ने कहा: “पुरुष के लिये जवानी में जूआ उठाना भला है।” (विलापगीत ३:२७) सच है, अपने माता-पिता को अलग होते देखने में कोई “भला” नहीं। लेकिन इस नकारात्मक अनुभव को भी अपने लाभ में बदलना संभव है।

अनुसंधायक जूडिथ वॉलरस्टाइन ने कहा: “[तलाक़शुदा माता-पिताओं के बच्चों के बीच] भावात्मक और बौद्धिक वृद्धि जो पारिवारिक संकट के द्वारा प्रेरित हुई थी, प्रभावशाली थी और कभी-कभी तो हृदयस्पर्शी थी। युवाओं ने . . . अपने माता-पिताओं के अनुभवों पर गंभीरता से विचार किया और स्वयं अपने भविष्य के लिए विचारशील निष्कर्ष निकाले। वे उन तरीक़ों को ढूँढने के बारे में चिन्तित थे जिससे वे उन ग़लतियों से बचें जो उनके माता-पिताओं ने की थीं।”

इसमें कोई संदेह नहीं, आपके माता-पिता का विच्छेद निश्‍चित ही आपके जीवन पर अपना निशान छोड़ेगा। लेकिन क्या वह निशान एक मिटता दाग़ है या एक पकता घाव, यह काफ़ी हद तक आप पर निर्भर है।

[पेज 35 पर तसवीर]

अपने माता-पिता के विवाह का विच्छेद देखना एक ऐसा अति पीड़ादायी अनुभव हो सकता है जो कल्पना से परे है

[पेज 38 पर तसवीर]

बीते दिनों की यादों में खोए रहना शायद आपको और हताश कर दे