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मेरे भाई-बहन के साथ पटरी बैठाना इतना कठिन क्यों है?

मेरे भाई-बहन के साथ पटरी बैठाना इतना कठिन क्यों है?

अध्याय ६

मेरे भाई-बहन के साथ पटरी बैठाना इतना कठिन क्यों है?

सहोदर होड़ाहोड़ी—यह कैन और हाबिल के जितनी पुरानी है। ऐसा नहीं कि आप अपने सहोदर (भाई या बहन) से घृणा करते हैं। एक युवा ने स्वीकार किया: “अपने हृदय की गहराई में, जहाँ मैं अभी महसूस नहीं कर सकता, मेरे ख़याल से मैं अपने भाई से प्रेम करता हूँ। एक तरह से, करता हूँ।”

सहोदर सम्बन्धों की सतह के नीचे अकसर दुश्‍मनी क्यों छिपी होती है? लेखक हैरियट वॆबस्टर परिवार चिकित्सक क्लॉडिया श्‍वाइट्‌ज़र को यह कहते हुए उद्धृत करता है: “हर परिवार में कुछ मात्रा में साधन होते हैं, कुछ भावात्मक और कुछ भौतिक।” वॆबस्टर आगे कहता है: “जब सहोदर लड़ते हैं, वे सामान्यतः इन साधनों के लिए होड़ कर रहे होते हैं, जिसमें माता-पिता के प्रेम से लेकर पैसा और कपड़े, सभी कुछ सम्मिलित होता है।” उदाहरण के लिए, कॆमील और उसके पाँच भाई-बहनों के बीच तीन सोने के कमरे हैं। “कभी-कभी मैं अकेली रहना चाहती हूँ,” कॆमील कहती है, “और उन्हें बाहर रखना चाहती हूँ, लेकिन वे हमेशा वहाँ होते हैं।”

विशेषाधिकारों और घरेलू ज़िम्मेदारियों को बाँटने के बारे में भी युद्ध छिड़ सकता है। बड़े युवा शायद इस बात से चिढ़ें कि उनसे अधिकतर काम करने की अपेक्षा की जाती है। छोटे बच्चे शायद इस बात से खिजें कि बड़ा सहोदर उन पर रोब जमाता है या शायद उन्हें जलन हो जब बड़े सहोदरों को ललचाऊ विशेषाधिकार मिलते हैं। ‘मेरी बहन गाड़ी चलाना सीख रही है और मैं नहीं सीख सकती,’ इंग्लैंड की एक किशोरी शोक मनाती है। ‘मैं खिजती हूँ और उसके लिए मुश्‍किलें खड़ी करने की कोशिश करती हूँ।’

कभी-कभी सहोदर कलह मात्र व्यक्‍तित्व टकराव के कारण होता है। सत्रह-वर्षीय नयन अपने सहोदरों के बारे में कहती है: “यदि आप एक दूसरे को हर दिन, दिन-प्रति-दिन देखते हैं . . . और यदि आप उसी व्यक्‍ति को हर दिन वही काम करते देखते हैं जिससे आपको चिढ़ मचती है—तो आपका पारा चढ़ सकता है।” युवा आन्ड्रे आगे कहता है: “जब आप घर पर होते हैं . . . , आप अपनी असलियत दिखाते हैं।” दुःख की बात है कि ‘अपनी असलियत दिखाने का’ प्रायः अर्थ होता है शिष्टता, कृपालुता, और व्यवहार-कुशलता को त्यागना।

माता-पिता की पसन्द (‘मम्मी आपको सबसे ज़्यादा पसन्द करती हैं!’) सहोदरों के बीच एक और सामान्य कलह का बीज है। मनोविज्ञान का प्रोफ़ॆसर ली साक स्वीकार करता है: “किसी हालत एक [माँ] अपने सभी बच्चों को बिलकुल एक जैसा प्रेम नहीं कर सकती क्योंकि वे अलग-अलग मनुष्य हैं और निश्‍चित ही हम [माता-पिताओं] से अलग-अलग प्रतिक्रियाएँ जगाते हैं।” यह बाइबल समय में सच था। कुलपिता याकूब (इस्राएल) “अपने सब पुत्रों से बढ़के यूसुफ से प्रीति रखता था।” (उत्पत्ति ३७:३) यूसुफ के भाइयों को उससे कटुता-भरी जलन हो गयी।

आग बुझाना

“लकड़ी न होने से आग बुझती है।” नीतिवचन २६:२० यह कहता है। जंगल की आग को फैलने से अकसर अग्निरोध, भूमि के पट्टे जहाँ सभी पेड़ काट दिए गए होते हैं, बनाने के द्वारा रोका जाता है। यदि आग लग जाती है, तो सामान्यतः वह केवल उस हद तक बढ़ती है और फिर बुझ जाती है। उसी प्रकार, मतभेदों को रोकने—या कम-से-कम सीमित करने—के कुछ तरीक़े हैं। एक तरीक़ा है बात करना और समझौता कर लेना इससे पहले कि एक बहस छिड़ जाए।

उदाहरण के लिए, क्या समस्या एकान्तता की कमी है? यदि हाँ, तो एक ऐसे समय जब मामला गरम नहीं है, एकसाथ बैठकर एक सचमुच की सारणी बनाने की कोशिश कीजिए। (‘इन-इन दिनों/घंटों को कमरा मेरा रहेगा, और इस-इस समय आपको मिलेगा।’) तब समझौते का पालन करने के द्वारा आपकी “बात हां की हां, या नहीं की नहीं हो।” (तिरछे टाइप हमारे।) (मत्ती ५:३७) यदि कोई ऐसी स्थिति आ जाती है जिससे बदलाव की ज़रूरत पड़ती है, तो दूसरे व्यक्‍ति को पहले से बताइए, बजाय इसके कि बिना बताए उस पर बदलाव लाद दें।

क्या आप वस्तु अधिकार पर लड़ रहे हैं? एक किशोरी ने शिक़ायत की: “मेरी सौतेली-बहन मुझसे पूछे बिना हमेशा मेरी चीज़ें इस्तेमाल करती है। उसने मेरा श्रंगार-सामान भी इस्तेमाल किया, और फिर उसे मुझसे यह कहने की हिम्मत हुई कि मैंने सही क़िस्म का नहीं ख़रीदा है!” आप अंतिम निर्णायक के रूप में अपने माता-पिता को बुला सकते हैं। लेकिन उससे भी बेहतर, अपने भाई या बहन के साथ एक शान्त समय बैठिए। व्यक्‍तिगत “अधिकारों” पर झगड़ने के बजाय, “सहायता देने में तत्पर” होइए। (१ तीमुथियुस ६:१८) माँगने के बारे में कुछ नियमों पर सहमत होने की कोशिश कीजिए, जिसमें एक यह हो सकता है लेने से पहले हमेशा पूछें। यदि आवश्‍यकता हो तो समझौते कीजिए। इस तरह आप ‘आग बुझते’ देख सकते हैं इससे पहले कि वह लगे!

लेकिन यदि एक सहोदर के व्यक्‍तित्व से आपको चिढ़ मचती है तब क्या? सच तो यह है कि आप उसे बदलने के लिए शायद ही कुछ कर सकते हैं। सो ‘प्रेम से एक दूसरे की सहना’ सीखिए। (इफिसियों ४:२) एक सहोदर की ग़लतियों और कमियों को बढ़ाने-चढ़ाने के बजाय, मसीही प्रेम से काम लीजिए, जो “अनेक पापों को ढांप देता है।” (१ पतरस ४:८) कर्कश या निष्ठुर होने के बजाय, “क्रोध, रोष, बैरभाव, निन्दा” छोड़ दीजिए, और ‘आपका वचन सदा अनुग्रह सहित और सलोना हो।’—कुलुस्सियों ३:८; ४:६.

‘यह उचित नहीं है!’

“मेरी बहन को उसकी पसन्द की हर चीज़ मिलती है,” एक युवा शोक मनाता है। “लेकिन जब मेरी बात आती है, मुझे पूरी तरह भुला दिया जाता है।” जाना-पहचाना लगता है? लेकिन ये दो नितान्त नोट कीजिए, “हर चीज़” और “पूरी तरह।” क्या स्थिति वास्तव में इतनी ख़राब है? शायद नहीं। और यदि है भी, तो क्या दो भिन्‍न व्यक्‍तियों के लिए बिलकुल समान व्यवहार की अपेक्षा करना सही है? निश्‍चित ही नहीं! आपके माता-पिता शायद आपकी व्यक्‍तिगत ज़रूरतों और मनोभाव के अनुसार आपका ध्यान रख रहे हों बस।

लेकिन क्या यह अनुचित नहीं कि माता-पिता एक ख़ास बच्चे को ज़्यादा पसन्द करें? यह ज़रूरी नहीं। याद कीजिए कि कैसे याकूब ने अपने पुत्र यूसुफ को ज़्यादा पसन्द किया। कारण? यूसुफ याकूब की प्रिय पत्नी राहेल का पुत्र था, जो मर गयी थी। क्या यह पूरी तरह स्वाभाविक नहीं कि याकूब ने अपने आपको ख़ासकर इस पुत्र के क़रीब महसूस किया? लेकिन, यूसुफ के लिए अपने प्रेम के कारण याकूब अपने दूसरे पुत्रों को नहीं भूला, क्योंकि उसने उनके हित के लिए सच्ची चिन्ता व्यक्‍त की। (उत्पत्ति ३७:१३, १४) अतः यूसुफ के प्रति उनकी जलन निराधार थी!

उसी प्रकार आपके माता-पिता शायद आपके भाई या आपकी बहन की ओर खिंचें, संभवतः एकसमान रुचियों, मिलते-जुलते व्यक्‍तित्व, या अन्य तत्वों के कारण। इसका यह अर्थ नहीं कि वे आपसे प्रेम नहीं करते। यदि आपको चिढ़ या जलन होती है, तो समझिए कि आपका अपरिपूर्ण हृदय आप पर हावी हो गया है। ऐसी भावनाओं को दूर करने का यत्न कीजिए। जब तक आपकी ज़रूरतें पूरी की जा रही हैं, तब तक इस बात से क्यों परेशान हों कि शायद एक सहोदर को ज़्यादा ध्यान मिलता है?

भाई-बहन—एक आशिष

कभी-कभी यह मानना कठिन लग सकता है—ख़ासकर तब जब वे आपको तंग कर रहे हों। लेकिन युवा नयन हमें याद दिलाती है: “भाई-बहन होने से मज़ा आता है।” उसके पास सात हैं। “आपके पास बात करने और अपने शौक़ बाँटने के लिए कोई होता है।”

ऐन मरी और उसका भाई आन्ड्रे आगे कहते हैं: “जबकि आप अपने मित्रों के साथ घूमने जा तो सकते हैं, लेकिन आपके भाई-बहन हमेशा आपके पास हैं। जब आप कोई खेल खेलना चाहते हैं या बाग़ीचे में जाना चाहते हैं तब वे हमेशा पास होते हैं।” डॉना एक और व्यावहारिक लाभ देखती है: “आपके पास बाँटकर काम करने के लिए कोई होता है।” दूसरों ने अपने भाई या बहन का वर्णन “एक ख़ास सलाहकार और सुननेवाले” के रूप में किया है और उन्हें एक ऐसा व्यक्‍ति कहा है जो “समझता है।”

आगे चलकर जीवन में, आप इन्हीं में से कुछ समस्याओं का अनुभव दूसरों के साथ करेंगे जो अभी आप अपने भाई या बहन के साथ करते हैं। जलन, वस्तु अधिकार, असमान व्यवहार, एकान्तता की कमी, स्वार्थ, व्यक्‍तित्व भेद—ऐसी समस्याएँ जीवन का एक भाग हैं। अपने भाई-बहनों के साथ पटरी बैठाना सीखना मानव सम्बन्धों के क्षेत्र में अच्छा प्रशिक्षण है।

सत्रह-वर्षीय आन्ड्रे १ यूहन्‍ना ४:२० में दिए गए बाइबल के शब्दों को प्रतिध्वनित करता है जब वह कहता है: “यदि आपकी उन लोगों के साथ पटरी नहीं बैठती जिन्हें आप देख सकते हैं, तो यहोवा के साथ कैसे बैठेगी, जिसे आप देख नहीं सकते?” समय-समय पर आपके भाई-बहनों के साथ मतभेद होंगे। लेकिन आप बाँटना, संचार करना, और समझौता करना सीख सकते हैं। ऐसे प्रयास का परिणाम? आप शायद ठीक ही यह फ़ैसला करें कि एक भाई या बहन का होना आख़िर इतना बुरा तो नहीं।

चर्चा के लिए प्रश्‍न

◻ भाई-बहन प्रायः क्यों भिड़ते हैं?

◻ आप एकान्तता और वस्तु अधिकार पर लड़ाइयों को कैसे रोक सकते हैं?

◻ कभी-कभी माता-पिता एक ख़ास बच्चे को क्यों ज़्यादा पसन्द करते हैं? क्या आपको लगता है कि यह अवश्‍य ही अनुचित है?

◻ क्या एकलौते बच्चे को कोई हानि है?

◻ भाई-बहन होने के कुछ लाभ क्या हैं?

[पेज 52 पर बड़े अक्षरों में लेख की खास बात]

“किसी हालत एक [माँ] अपने सभी बच्चों को बिलकुल एक जैसा प्रेम नहीं कर सकती क्योंकि वे अलग-अलग मनुष्य हैं।”—मनोविज्ञान का प्रोफ़ॆसर ली साक

[पेज 54 पर बक्स]

‘मैं एकलौता बच्चा हूँ’

यदि आपकी स्थिति यह है, तो ज़रूरी नहीं कि आपको कोई हानि है। एक बात तो यह है, जबकि दूसरे युवाओं को अपने सहोदरों के साथ पटरी बैठाने में शायद कठिनाई हो, आप अपने घनिष्ठ साथी चुन सकते हैं (निःसंदेह, अपने माता-पिता की स्वीकृति के साथ)। शायद आपके पास अध्ययन, मनन, या कुछ कौशल या हुनर विकसित करने के लिए अधिक समय भी हो।—अकेलेपन पर अध्याय १४ देखिए।

युवा थॉमस एक और लाभ की ओर संकेत करता है जब वह कहता है: “एकलौता बच्चा होने के कारण मुझे अपने माता-पिता का पूरा ध्यान मिला।” सच है, माता-पिता की ओर से अत्यधिक ध्यान मिलना एक युवा को आत्म-केंद्रित बना सकता है। लेकिन यदि माता-पिता इसे देने में संतुलन दिखाते हैं, तो माता-पिता का ध्यान आपको ज़्यादा जल्दी प्रौढ़ बनने और वयस्कों की संगति में बेचैनी न महसूस करने में मदद दे सकता है।

लेकिन, स्वार्थी होने का ख़तरा है क्योंकि आपके पास चीज़ें बाँटने के लिए भाई या बहनें नहीं हैं। यीशु ने सलाह दी: “दिया करो।” (लूका ६:३८) मित्रों और रिश्‍तेदारों के साथ चीज़ें बाँटने की कोशिश कीजिए। ऐसी दृष्टि विकसित कीजिए जो दूसरों की ज़रूरतों को देख सके, जहाँ संभव है मदद करने का प्रस्ताव रखिए। लोग ऐसी उदारता से ख़ुश होकर प्रतिक्रिया दिखाएँगे। और आप शायद पाएँ कि जबकि आप एकलौते बच्चे हैं, आप अकेले बिलकुल भी नहीं।

[पेज 53 पर तसवीर]

मैं अकसर एक बहन की कमी महसूस करती हूँ; लेकिन मुझे कुछ लाभ अवश्‍य ही हैं