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मैं अपनी माता या पिता के पुनःविवाह से कैसे समझौता करूँ?

मैं अपनी माता या पिता के पुनःविवाह से कैसे समझौता करूँ?

अध्याय ५

मैं अपनी माता या पिता के पुनःविवाह से कैसे समझौता करूँ?

“जिस दिन पापा ने रीटा से विवाह किया वह मेरे जीवन का सबसे बुरा दिन था,” शेन ने याद किया। “मैं गुस्सा था। पापा से गुस्सा था कि उन्होंने मेरी मम्मी के साथ धोखा किया। मम्मी से गुस्सा था कि वह हमें अकेला छोड़कर कानून पढ़ने चली गयीं। उन दो बदमाशों, रीटा के बच्चों से गुस्सा था, जो आकर हमारे घर में रहनेवाले थे . . . लेकिन सबसे अधिक, मैं रीटा से गुस्सा था . . . मैं उससे नफ़रत करता था। और क्योंकि मैं मानता था कि नफ़रत करना सही नहीं है, मैं अपने आप से भी गुस्सा था।”—सौतेले-परिवार—सामंजस्य में नए नमूने, (अंग्रेज़ी) लिन्डा क्रेवॆन द्वारा।

माता या पिता का पुनःविवाह इस आशा को नष्ट कर देता है कि आपके माता-पिता कभी फिर से एक हो जाएँगे। यह आपको असुरक्षा, धोखे, और ईर्ष्या का भाव दे सकता है।

पुनःविवाह ख़ासकर पीड़ादायी हो सकता है यदि वह एक प्रिय जनक की मृत्यु के कुछ ही समय बाद होता है। “मेरी माँ की मृत्यु ने मुझे बहुत कटु बना दिया,” १६-वर्षीय मिस्सी ने स्वीकार किया। “मैंने सोचा मेरे पिता की मँगेतर मेरी माँ की जगह ले रही है सो मैंने उसके साथ बड़ा बुरा व्यवहार किया।” अपने सगे जनक के प्रति निष्ठावान, आप शायद अपने आपको दोषी भी समझें यदि आपको सौतेले-जनक से प्रेम का आभास होने लगता है।

तो इसमें कोई आश्‍चर्य नहीं कि अनेक युवा अपनी भावात्मक पीड़ा को विनाशक तरीक़ों से दूर करते हैं। कुछ तो अपने जनक के नए विवाह को तोड़ने का भी षड्यंत्र बनाते हैं। लेकिन याद रखिए, आपके सगे जनक और सौतेले-जनक ने परमेश्‍वर के सामने एक दूसरे को वचन दिए हैं। “इसलिये जिसे परमेश्‍वर ने जोड़ा है, उसे मनुष्य [या बच्चा] अलग न करे।” (मत्ती १९:६) और यदि आप उन्हें अलग कर भी सकें, तो यह आपके सगे माता-पिता को फिर से एक नहीं कर पाएगा।

न ही सौतेले-जनक के साथ हर समय झगड़ा करने का कोई लाभ है। नीतिवचन ११:२९ चिताता है: “जो अपने घराने को दुःख देता, उसका भाग वायु ही होगा,” अर्थात्‌ उसको कुछ हासिल नहीं होगा। पंद्रह-वर्षीय ज्योति की अपनी सौतेली-माँ से नाराज़गी अंततः एक कटु लड़ाई में समाप्त हुई। परिणाम? उसकी सौतेली-माँ ने माँग की कि ज्योति का पिता उसके और अपनी पुत्री के बीच में से एक को चुन ले। ज्योति को फिर से अपनी सगी माँ के पास जाना पड़ा—वह भी पुनःविवाह कर चुकी थी।

प्रेम आपको निपटने में मदद देता है

माता या पिता के पुनःविवाह से सफलतापूर्वक निपटने का रहस्य क्या है? जैसा १ कुरिन्थियों १३:४-८ में वर्णित है, सिद्धान्तों पर आधारित प्रेम से व्यवहार करना:

प्रेम “अपनी भलाई नहीं चाहता।” इसका अर्थ है ‘अपने ही हित की चिन्ता न करना परन्तु दूसरे के हित की भी चिन्ता करना।’ (१ कुरिन्थियों १०:२४, NHT) यदि माता या पिता ने फ़ैसला किया है कि उसे फिर से एक विवाह-साथी की संगति की ज़रूरत है, तो क्या आपको इसका बुरा मानना चाहिए?

प्रेम “डाह नहीं करता।” अकसर युवा अपने सगे जनक का प्रेम किसी और के साथ नहीं बाँटना चाहते। लेकिन आपको डरने की ज़रूरत नहीं कि आपके जनक का प्रेम कम पड़ जाएगा, क्योंकि प्रेम बढ़ सकता है। (२ कुरिन्थियों ६:११-१३ से तुलना कीजिए।) आपका सगा जनक आपके लिए कोई स्नेह खोए बिना एक नए साथी को सम्मिलित करने के लिए अपने प्रेम को बढ़ा सकता है! क्या आप एक सौतेले-जनक को सम्मिलित करने के लिए अपना हृदय खोलेंगे? ऐसा करने का किसी हालत यह अर्थ नहीं कि आप अपने विगत जनक के प्रति निष्ठाहीन हैं।

प्रेम “अनरीति नहीं चलता।” विपरीत लिंग के नए भाइयों या बहनों के साथ रहना नैतिक दबाव उत्पन्‍न कर सकता है। कहा जाता है कि २५ प्रतिशत सौतेले-परिवारों में परिवार के सदस्यों के बीच अनैतिक लैंगिक सम्बन्ध होते हैं।

डेविड, जिसकी माँ के पुनःविवाह से घर में चार जवान सौतेली-बहनें आयीं, कहता है कि “लैंगिक भावनाओं के बारे में एक मानसिक रोक लगाना आवश्‍यक था।” आप इसका भी ध्यान रखना चाहेंगे कि अनुचित परिचय से दूर रहें और यह निश्‍चित करें कि न तो आपका पहनावा न ही आपका बर्ताव लैंगिक रूप से उत्तेजक है।—कुलुस्सियों ३:५.

प्रेम “सब बातों में सह लेता है . . . यह हमें सब बातों में सहने की शक्‍ति देता है।” (चार्ल्स बी. विलियम्स का अनुवाद) कभी-कभी ऐसा लगता है कि कोई बात आपकी पीड़ादायी भावनाओं को दूर नहीं करती! मार्ला ने स्वीकार किया: “मुझे लगा कि घर में मेरे लिए कोई जगह नहीं है। मैंने अपनी मम्मी से यह कह भी दिया कि काश मैं पैदा ही न हुई होती।” मार्ला ने विद्रोह किया और यहाँ तक कि भाग गयी! लेकिन, वह अब कहती है: “सबसे अच्छी बात है सह लेना।” इसी तरह, यदि आप सह लेते हैं तो कुछ समय बाद वह कटुता, उलझन, और पीड़ा जो आपको शुरू-शुरू में महसूस हुई थी दब जाएगी।

‘आप मेरी असली माता/पिता नहीं हैं!’

नए जनक के अनुशासन के अधीन आना आसान नहीं है, और जब सौतेला-जनक कुछ करने के लिए कहता है, तब यह कहने का मन कर सकता है, ‘आप मेरी/मेरे असली माता/पिता नहीं हैं!’ लेकिन १ कुरिन्थियों १४:२० में दिया गया सिद्धान्त याद कीजिए: “समझ में सियाने बनो।”

आपको अनुशासित करने के आपके सौतेले-जनक के अधिकार को स्वीकार करना यह दिखाने का एक तरीक़ा है कि आप अपनी ‘समझ में सियाने बन गए हैं।’ वह एक सगे जनक के कर्तव्यों को पूरा करता/ती है और आपके आदर के योग्य है। (नीतिवचन १:८; इफिसियों ६:१-४) बाइबल समय में जब एस्तेर के माता-पिता मर गए, तब उसका पालन-पोषण एक दत्तक पिता, या ‘रखवाले’ (NW) ने किया। जबकि वह उसका सगा पिता नहीं था, मोर्दकै ने ‘उसको आज्ञाएँ दीं,’ जो उसने बड़े होने पर भी मानीं! (एस्तेर २:७, १५, १७, २०) असल में, सौतेले-जनक का अनुशासन अकसर आपके लिए उसके प्रेम और चिन्ता की एक अभिव्यक्‍ति होता है।—नीतिवचन १३:२४.

फिर भी, उचित शिक़ायतें होती ही हैं। यदि ऐसा है, तो जैसा कुलुस्सियों ३:१३ आग्रह करता है वैसा करने के द्वारा अपने आपको ‘सियाना’ साबित कीजिए: “यदि किसी को किसी पर दोष देने का कोई कारण हो, तो एक दूसरे की सह लो, और एक दूसरे के अपराध क्षमा करो।”

बाँटना सीखिए, समझौता करना सीखिए

जब १५-वर्षीय जेमी अपनी माँ के साथ अकेली रहती थी, तब उसका अपना कमरा था और वह महँगे कपड़े पहनती थी। जब उसकी माँ ने पुनःविवाह किया और जेमी ने अपने आपको चार बच्चों के परिवार में पाया, तब स्थिति बदल गयी। “अब तो मेरे पास अपना ख़ुद का कमरा भी नहीं रहा,” उसने शोक मनाया। “मुझे हर चीज़ बाँटनी पड़ती है।”

आपको शायद सबसे बड़ा या एकलौता बच्चा होने का अपना पद भी खोना पड़े। यदि आप एक पुत्र हैं, तो शायद लम्बे अरसे से आपने घर के मुखिया के रूप में कार्य किया हो—वह पद जो अब आपके सौतेले-पिता ने ले लिया है। या यदि आप एक पुत्री हैं, तो हो सकता है कि आप और आपकी माँ बहनों की तरह थे, एक ही कमरे में सोते भी थे, लेकिन अब आपके सौतेले-पापा ने आपको निकाल दिया है।

“तुम्हारी कोमलता सब मनुष्यों पर प्रगट हो,” बाइबल सलाह देती है। (फिलिप्पियों ४:५) प्रयुक्‍त मौलिक शब्द का अर्थ था “सुनम्य” और यह उस व्यक्‍ति की मनोवृत्ति को दर्शाता था जो अपने सभी न्यायपूर्ण अधिकारों का हठ नहीं करता था। सो, सुनम्य, समझौता करनेवाला बनने की कोशिश कीजिए। अपनी नयी परिस्थिति का भरसक लाभ उठाइए, और अतीत के बारे में मत सोचते रहिए। (सभोपदेशक ७:१०) सौतेले-भाइयों और सौतेली-बहनों के साथ बाँटने के लिए तैयार रहिए, उनके साथ बाहरवालों की तरह व्यवहार मत कीजिए। (१ तीमुथियुस ६:१८) जितनी जल्दी आप एक दूसरे के साथ सगे भाई-बहनों की तरह व्यवहार करने लगते हैं, उतनी ही जल्दी एक दूसरे के लिए आपकी भावनाएँ भी बढ़ने लगेंगी। और जहाँ तक घर के नए मुखिया की बात है, उससे मत खिजिए। ख़ुश होइए कि वह गृहस्थी की ज़िम्मेदारियों का बोझ उठाने में मदद के लिए है।

असमान व्यवहार से निपटना

यह स्वीकार करने के बाद कि उसका सौतेला-पिता उसे प्रेम दिखाता है, एक युवा लड़की ने आगे कहा: “लेकिन फ़र्क है। वह उसी उम्र के अपने बच्चों की तुलना में हमसे ज़्यादा की अपेक्षा करते हैं, हमें ज़्यादा अनुशासन देते हैं, हमारे प्रति कम समझदारी दिखाते हैं . . . यह हमारे बीच मनमुटाव का कारण है।”

इस बात को समझिए कि सौतेला-जनक सामान्य रूप से एक सौतेले-बच्चे के प्रति वैसा ही महसूस नहीं करेगा जैसा वह अपने सगे बच्चे के प्रति करता है। यह मुख्यतः अपने सगे बच्चे के साथ खून के रिश्‍ते के कारण नहीं, परन्तु एकसाथ रहने के उनके आपसी अनुभव के कारण है। आख़िरकार, सगा जनक भी एक बच्चे को दूसरे बच्चे से अधिक प्रेम कर सकता है। (उत्पत्ति ३७:३) लेकिन, समान और उचित के बीच एक महत्त्वपूर्ण भेद है। लोगों के अपने-अपने व्यक्‍तित्व होते हैं और अलग-अलग ज़रूरतें होती हैं। सो इस बारे में अत्यधिक चिन्तित होने के बजाय कि आपके साथ समान रीति से व्यवहार किया जाता है या नहीं, यह देखने की कोशिश कीजिए कि आपका सौतेला-जनक आपकी ज़रूरतों को पूरा करने की कोशिश कर रहा है या नहीं। यदि आपको लगता है कि उन्हें पूरा नहीं किया जा रहा है, तो आपके पास अपने सौतेले-जनक के साथ इस विषय पर बात करने का कारण है।

आपके सौतेले-भाई या सौतेली-बहनें भी कलह की जड़ हो सकती हैं। यह कभी मत भूलिए कि उन्हें भी सौतेले-परिवार की स्थिति के अनुरूप ढलने में शायद कठिनाई हो रही हो। संभवतः वे अपने परिवार में आपको एक घुसपैठ समझकर आपसे चिढ़ते भी हों। सो कृपालु होने की पूरी कोशिश कीजिए। यदि वे आपको दुतकारते हैं, तो ‘भलाई से बुराई को जीतने’ की कोशिश कीजिए। (रोमियों १२:२१) इसके अलावा, सगे भाई-बहनों का भी समय-समय पर भिड़ना कोई अजीब बात नहीं है।—अध्याय ६ देखिए।

धीरज का फल मीठा होता है!

“किसी काम के आरम्भ से उसका अन्त उत्तम है; और धीरजवन्त पुरुष गर्वी से उत्तम है।” (सभोपदेशक ७:८) सामान्यतः, उस हद तक भरोसा बढ़ने के लिए कई साल की ज़रूरत होती है जब सौतेले-परिवार के सदस्य एक दूसरे के साथ कोई बेचैनी न महसूस करें। तब जाकर कहीं अलग-अलग आदतों और मान्यताओं को मिलाकर एक कार्यकर नित्यक्रम बनाया जा सकता है। सो धीरज धरिए! “झटपट प्रेम” अनुभव करने या “झटपट परिवार” बनने की अपेक्षा मत कीजिए।

जब थॉमस की माँ ने पुनःविवाह किया, तब यदि कम से कम कहा जाए तो वह बेचैन था। उसकी माँ के चार बच्चे थे, और जिस पुरुष से उसने विवाह किया उसके तीन। “हमारे बीच लड़ाई, बहस, गड़बड़ी, अत्यधिक भावात्मक तनाव होता था,” थॉमस ने लिखा। अंततः किस बात से सफलता मिली? “बाइबल सिद्धान्त लागू करने से बातें सुलझ गयीं; हमेशा तुरन्त तो नहीं, लेकिन समय के साथ और परमेश्‍वर की आत्मा के फलों को लागू करने के द्वारा, स्थिति से अंततः निपट लिया जाता था।”—गलतियों ५:२२, २३.

बाइबल सिद्धान्तों के प्रति वचनबद्धता सचमुच एक सौतेले-परिवार में सफलता लाती है यह निम्नलिखित युवाओं के अनुभवों से सचित्रित होता है जिनसे हमने इंटरव्यू लिया:

सफल सौतेले-परिवारों के युवा

इंटरव्यूकर्ता: आपने अपने सौतेले-जनक के अनुशासन से न खिजने के लिए क्या किया?

लिंच: मेरी माँ और सौतेले-पिता अनुशासन के बारे में हमेशा एकमत होते थे। जब कुछ होता था, तब वे दोनों उसे करने के फ़ैसले पर पहुँचते थे, सो जब मेरी पिटाई होती थी, तब मुझे पता होता था कि वह दोनों की तरफ़ से है।

लिंडा: शुरू-शुरू में बहुत मुश्‍किल था क्योंकि मैं कहती, “आपके पास मुझे यह कहने का क्या अधिकार है?” लेकिन तब मैंने सोचा कि बाइबल ‘अपनी माता और पिता का आदर’ करने के लिए कहती है। हालाँकि वह मेरे सगे पिता नहीं थे, परमेश्‍वर की दृष्टि में वह फिर भी मेरे पिता थे।

रॉबिन: मैं जानता था कि मेरी माँ को गहरी चोट लगेगी यदि मैं उस व्यक्‍ति से चिढ़ूँ जिससे वह प्रेम करती हैं।

इंटरव्यूकर्ता: किस बात ने अच्छे संचार को बढ़ावा दिया?

लिंच: आपका सौतेला-जनक जो करता है उसमें आपको दिलचस्पी लेने की ज़रूरत है। मैंने उनके व्यवसायिक कार्य में उनकी मदद की। और जब हम काम करते हम ढेरों बातें करते। इसने मुझे यह समझने में मदद दी कि वह कैसे सोचते हैं। दूसरे समय मैं बस उनके पास बैठता, और हम ‘यूँ ही’ बातें करते।

वैलॆरी: मेरी सौतेली माँ और मैं काफ़ी समय एकसाथ बिताते, और मैं सचमुच उन्हें समझ पायी। हम बहुत पक्की सहेलियाँ बन गए।

रॉबिन: मेरी मम्मी के पुनःविवाह से मात्र एक साल पहले मेरे पिता की मृत्यु हुई थी। मैंने अपने सौतेले-पिता के निकट आने से इनकार कर दिया क्योंकि मैं नहीं चाहता था वह मेरे पिता की जगह लें। मैंने प्रार्थना की कि परमेश्‍वर मुझे अपने पिता की मृत्यु से उबरने में और अपने सौतेले-पापा के निकट आने में मदद दे। मैंने बहुत, बहुत, बहुत प्रार्थना की। यहोवा ने सचमुच इन प्रार्थनाओं का उत्तर दिया।

इंटरव्यूकर्ता: और निकट आने के लिए आपने क्या किया?

वैलॆरी: कभी-कभी मैं अपनी सौतेली-मम्मी से कहती कि मेरे साथ एक फ़िल्म देखने चलें—सिर्फ़ हम दोनों। या जब मैं बाहर होती, मैं उनके लिए कुछ फूल या एक फूलदान ख़रीदती, कोई-भी चीज़ यह दिखाने के लिए कि मैं उनके बारे में सोच रही थी। वह सचमुच इसे पसन्द करती थीं।

एरिक: आपको कोई ऐसी बात ढूँढने की ज़रूरत है जिसका आनन्द आप दोनों को आता है। वह एकमात्र बात जो मुझ में और मेरे सौतेले-पिता में समान थी वह यह थी कि उनका विवाह मेरी माँ से हुआ था और हम एक घर में रहते थे। सबसे बड़ी मदद तब आयी जब मैंने बाइबल में वही दिलचस्पी लेनी शुरू की जो उनको थी। जैसे-जैसे मैं यहोवा परमेश्‍वर के निकट आता गया, मैं अपने सौतेले-पिता के भी काफ़ी निकट आ गया। अब हमारे बीच सचमुच कोई समान बात थी!

इंटरव्यूकर्ता: आपने व्यक्‍तिगत रूप से कैसे लाभ पाया है?

रॉबिन: जब मैं सिर्फ़ अपनी माँ के साथ रहता था, तब मैं विद्रोही और बिगड़ा हुआ था। मैं हमेशा अपनी मर्ज़ी करना चाहता था। अब मैंने दूसरों के बारे में विचार करना और अधिक निःस्वार्थी होना सीख लिया है।

लिंच: मेरे सौतेले-पिता ने मुझे पुरुष की तरह सोचने में मदद दी। उन्होंने मुझे हुनर सीखने में और कारीगर बनने में मदद दी है। जब समय कठिन होते और मुझे किसी की ज़रूरत होती, तब वह मेरे पास थे। जी हाँ, उनसे अच्छा पिता कभी किसी को नहीं मिला होगा।

चर्चा के लिए प्रश्‍न

◻ अनेक युवाओं को कैसा लगता है जब उनके माता-पिता पुनःविवाह करते हैं? क्यों?

◻ मसीही प्रेम दिखाना एक युवा को स्थिति से निपटने में कैसे मदद देता है?

◻ क्या आपको एक सौतेले-जनक के अनुशासन के अधीन होने की ज़रूरत है?

◻ यह जानना क्यों महत्त्वपूर्ण है कि कैसे समझौता करें और बाँटें?

◻ क्या आपको यह अपेक्षा करनी चाहिए कि आपके साथ सौतेले-भाइयों और सौतेली-बहनों के जैसा ही व्यवहार किया जाए? यदि आपको लगता है कि आपके साथ अनुचित रीति से व्यवहार किया जा रहा है तब क्या?

◻ आप कौन-से कुछ काम कर सकते हैं जो एक सौतेले-जनक के साथ और अच्छी तरह निभाने में आपकी मदद करेंगे?

[पेज 45 पर बड़े अक्षरों में लेख की खास बात]

“मैंने सोचा मेरे पिता की मँगेतर मेरी माँ की जगह ले रही है सो मैंने उसके साथ बड़ा बुरा व्यवहार किया”

[पेज 43 पर तसवीर]

माता या पिता का पुनःविवाह प्रायः क्रोध, असुरक्षा, और ईर्ष्या की भावनाएँ भड़काता है

[पेज 46 पर तसवीर]

सौतेले-जनक से मिले अनुशासन का प्रायः बुरा माना जाता है