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क्या मैं डेटिंग करने के लिए तैयार हूँ?

क्या मैं डेटिंग करने के लिए तैयार हूँ?

अध्याय २९

क्या मैं डेटिंग करने के लिए तैयार हूँ?

अनेक देशों में डेटिंग को रोमांटिक मनोरंजन, मज़ा करने का एक साधन समझा जाता है। अतः डेटिंग कई रूप अपनाती है। कुछ के लिए, डेटिंग एक औपचारिक, विचारित अवसर होता है—फूल, स्वादिष्ट भोजन, और अलविदा चुम्बन, ये सभी इस कार्य-सूची के भाग होते हैं। दूसरों के लिए, डेटिंग का अर्थ मात्र यह होता है विपरीत लिंग के किसी व्यक्‍ति के साथ जिसे आप पसन्द करते हैं, कुछ समय बिताना। ऐसे भी जोड़े होते हैं जो हमेशा एकसाथ दिखते हैं लेकिन यह दावा करते हैं कि वे ‘बस मित्र’ हैं। चाहे आप इसे डेटिंग कहें, एकसाथ जाना, या बस एक दूसरे से मिलना, सामान्य रूप से यह कुल मिलाकर एक ही बात है: एक लड़के और लड़की का संगति के लिए एकसाथ काफ़ी समय बिताना, अकसर बिना किसी निगरानी के।

डेटिंग बाइबल समय का रिवाज़ नहीं था। फिर भी, जब अक्लमंदी, सावधानी, और आदर के साथ की जाए, तब डेटिंग दो लोगों का एक दूसरे को जानने का एक उचित तरीक़ा है। और, जी हाँ, यह आनन्ददायी हो सकता है। लेकिन क्या इसका यह अर्थ है कि आपको डेटिंग करनी चाहिए?

डेटिंग करने का दबाव

आप शायद डेटिंग करने का दबाव महसूस करें। संभवतः आपके अधिकतर समकक्ष डेटिंग करते हैं, और स्वाभाविक है कि आप अजीब या अलग नहीं दिखना चाहते। डेटिंग करने का दबाव शुभचिंतक मित्रों और रिश्‍तेदारों की ओर से भी आ सकता है। जब १५-वर्षीय मेरी ऐन से डेटिंग पर जाने के लिए पूछा गया, तब उसकी बूआ ने सलाह दी: “आप उस लड़के से विवाह करना चाहती हो या नहीं उसका इससे कोई सम्बन्ध नहीं। डेटिंग एक व्यक्‍ति के रूप में आपके स्वाभाविक विकास का एक भाग है। . . . यदि आप हमेशा लड़कों को मना करती रहें तो आपको कोई पसन्द नहीं करेगा और कोई आपसे बाहर चलने को नहीं कहेगा।” मेरी ऐन याद करती है: “बूआ के शब्द मेरे अन्दर तक बैठ गए। क्या मैं एक अच्छा अवसर खो रही हूँ? उस लड़के के पास अपनी कार थी, ढेर सारा पैसा था; और मैं जानती थी कि उसके साथ मेरा अच्छा समय गुज़रेगा। मुझे उसके साथ डेटिंग करनी चाहिए या नहीं?”

कुछ युवाओं के लिए दबाव स्नेह और प्रीति पाने की उनकी ख़ुद की भावनाओं से आता है। “मुझे प्रेम और क़दर पाने की चाह थी,” ऐन नाम की एक १८-वर्षीया ने बताया। “क्योंकि मैं अपने माता-पिता के क़रीब नहीं थी, सो मैं अपने प्रेमी की ओर मुड़ी, घनिष्ठता पाने के लिए और एक ऐसे व्यक्‍ति के लिए जिसको मैं अपनी भावनाएँ बता सकूँ और जो सचमुच मुझे समझे।”

लेकिन, एक किशोर को डेटिंग मात्र इसलिए नहीं शुरू करनी चाहिए क्योंकि वह ऐसा करने का दबाव महसूस करता है! एक बात यह है, डेटिंग गंभीर मामला है—एक विवाह साथी चुनने की प्रक्रिया का एक भाग। विवाह? माना, यह डेटिंग करनेवाले अधिकतर युवाओं के मन में शायद बिलकुल भी न हो। लेकिन असल में, विपरीत लिंग के दो लोगों का एकसाथ बहुत समय बिताना शुरू करने का इसके अलावा और क्या उचित कारण हो सकता है कि वे एक दूसरे से विवाह करने की संभावना का पता लगा रहे हैं? आगे चलकर, इसके अलावा और किसी कारण से की गयी डेटिंग का परिणाम संभवतः “मज़ा” तो हो नहीं सकता। ऐसा क्यों?

डेटिंग का अन्धकारमय पहलू

एक बात यह है, युवा जीवन के उस नाज़ुक समय में हैं जिसे बाइबल “नवयौवन” कहती है। (१ कुरिन्थियों ७:३६, NW) इस समय के दौरान, आपके अन्दर कामोन्माद की प्रबल लहरें दौड़ सकती हैं। इसमें कोई ख़राबी नहीं; यह बड़े होने का एक हिस्सा है।

लेकिन यहाँ किशोर डेटिंग में एक बड़ी समस्या है: किशोर यह सीखना शुरू ही कर रहे हैं कि इन लैंगिक भावनाओं को कैसे नियंत्रण में रखें। सच है, आप सॆक्स के बारे में परमेश्‍वर के नियमों को शायद अच्छी तरह से जानते हैं और सचमुच निष्कलंक रहना चाहते हैं। (अध्याय २३ देखिए।) फिर भी, जीवन का एक जैविक तथ्य सामने आता है: जितना अधिक आप विपरीत लिंग के किसी व्यक्‍ति के साथ संगति करते हैं, उतना ही अधिक कामोन्माद बढ़ सकता है—चाहे आप ऐसा चाहते हैं या नहीं। (पृष्ठ २३२-३ देखिए।) हम सब की बनावट ही ऐसी है! जब तक कि आप और बड़े नहीं हो जाते और अपनी भावनाओं पर अधिक नियंत्रण नहीं कर लेते, डेटिंग को संभालना शायद आपके लिए बहुत मुश्‍किल हो। दुःख की बात है, अनेक युवा इसे दुःखद अनुभव से सीखते हैं।

“जब हम ने डेटिंग करनी शुरू की, . . . हम हाथ भी नहीं थामते या चूमते भी नहीं थे। मैं बस उसकी संगति का आनन्द लेना और बात करना चाहता था,” एक युवक ने कहा। “लेकिन, वह बहुत स्नेही थी और मेरे बहुत पास बैठती थी। कुछ समय बाद हम ने हाथ थामे और चूमा। इसने मेरे अन्दर और भी तीव्र कामाग्नि भड़कायी। इससे मेरे सोच-विचार पर इस हद तक प्रभाव हुआ कि मैं उसके साथ रहना चाहता था, सिर्फ़ बात करने के लिए नहीं, बल्कि उसे थामने के लिए, उसे छूने और चूमने के लिए। मैं संतुष्ट नहीं होता था! मैं सचमुच वासना से पागल हो रहा था। कभी-कभी मैं तुच्छ और लज्जित महसूस करता।”

तो फिर, इसमें कोई आश्‍चर्य नहीं कि अकसर डेटिंग का अंतफल अनैतिक यौन सम्बन्ध होता है। कई सौ किशोरों के एक सर्वेक्षण ने पाया कि ८७ प्रतिशत लड़कियों और ९५ प्रतिशत लड़कों का विचार था कि सॆक्स डेटिंग में या तो “थोड़ा-बहुत महत्त्वपूर्ण या बहुत महत्त्वपूर्ण” है। लेकिन, ६५ प्रतिशत लड़कियों और ४३ प्रतिशत लड़कों ने स्वीकार किया कि डेटिंग के समय कभी-कभी ऐसा भी हुआ था जब उन्होंने यौन संपर्क किया था जबकि उनका ऐसा करने का मन नहीं था!

बीस-वर्षीय लॉरॆटा याद करती है: “जितना अधिक हम एक दूसरे से मिलते थे उतना अधिक हम फँसते गए। चूमना जल्द ही नीरस हो गया और हम शरीर के गुप्तांग छूने लगे। मैं पागल-सी हो गयी क्योंकि मैंने इतना गंदा महसूस किया। कुछ समय बाद मेरे डेटिंगवाले ने भी मुझसे अपेक्षा की कि ‘कोई दूरी न रखूँ’ . . . मैं परेशान और उलझन में थी। लेकिन मैं बस इतना सोच सकती थी, ‘मैं उसे खोना नहीं चाहती।’ मैं दुःखी थी!”

सच है, सभी युगल अंततः कामक्रिया नहीं करते; कुछ इससे थोड़ा पहले ही अपने स्नेह के प्रदर्शन को रोक लेते हैं। लेकिन जब व्यक्‍ति भावात्मक रूप से उत्तेजित होता है और उसके पास ऐसी भावनाओं को व्यक्‍त करने का कोई आदरणीय मार्ग नहीं होता तब क्या परिणाम होता है? निश्‍चित कुंठा। और यह कुंठा लैंगिक भावनाओं तक ही सीमित नहीं होती।

बिखरी भावनाएँ

एक युवक की दुविधा पर विचार कीजिए: ‘शुरू में मैं कैथी को बहुत पसन्द करता था। मैं स्वीकार करता हूँ कि मैंने उसे कुछ ऐसे काम करने के लिए पटाया जो उसके विचार से सही नहीं थे। अब मैं गंदा महसूस करता हूँ क्योंकि मेरी दिलचस्पी चली गयी है। मैं कैथी की भावनाओं को चोट पहुँचाए बिना उसे कैसे छोड़ सकता हूँ?’ कितनी असमंजस-भरी स्थिति! और यदि आप कैथी होतीं तो आपको कैसा लगता?

किशोरों का दिल टूटना एक सामान्य रोग है। सच है कि हाथ में हाथ डालकर चलते हुए युगल आकर्षक दिख सकते हैं। लेकिन इसकी संभावना कितनी है कि यही युगल अब से एक साल बाद भी एकसाथ होंगे? सचमुच बहुत कम। एक दूसरे से विवाहित होंगे या नहीं वह तो दूर की बात रही। अतः किशोर रोमांस लगभग हमेशा ही व्यर्थ सम्बन्ध होते हैं, शायद ही कभी विवाह में परिणित होते हैं, दिल टूटना अकसर इनका नतीजा होता है।

आख़िरकार, किशोरावस्था में आपका व्यक्‍तित्व अभी भी परिवर्तन की अवस्था में है। आप पता लगा रहे हैं कि आप कौन हैं, आपको असल में क्या पसन्द है, आप अपने जीवन के साथ क्या करना चाहते हैं। कोई व्यक्‍ति जो आज आपको दिलचस्प लगता है कल उबाऊ लग सकता है। लेकिन जब रोमांटिक भावनाओं को पनपने दिया जाता है, तब यह निश्‍चित है कि किसी को चोट पहुँचेगी। इसमें आश्‍चर्य की बात नहीं कि कई शोध अध्ययनों ने “प्रेमिका के साथ झगड़ा” या “प्रेम में निराशा” को उन स्थितियों में जोड़ा है जो अनेक युवाओं की आत्महत्याओं के लिए ज़िम्मेदार हैं।

क्या मैं तैयार हूँ?

परमेश्‍वर युवाओं से कहता है: “हे जवान, अपनी जवानी में आनन्द कर, और अपनी जवानी के दिनों में मगन रह; अपनी मनमानी कर और अपनी आंखों की दृष्टि के अनुसार चल।” अकसर युवा “अपनी मनमानी” करते हैं। फिर भी कितनी ही बार “मनमानी,” जो इतनी मज़े की लगती है, अंततः खेद और दुःख लाती है। अतः बाइबल अगली आयत में आग्रह करती है: “अपने मन से खेद और अपनी देह से दुःख दूर कर, क्योंकि लड़कपन और जवानी दोनों व्यर्थ है।” (सभोपदेशक ११:९, १०) “खेद” बहुत परेशान या अत्यधिक व्यथित होने को सूचित करता है। “दुःख” व्यक्‍तिगत विपत्ति को सूचित करता है। दोनों ही जीवन को दयनीय बना सकते हैं।

तो फिर, क्या इसका यह अर्थ है कि स्वयं डेटिंग ही खेद और दुःख का स्रोत है? ज़रूरी नहीं। लेकिन ऐसा हो सकता है यदि आप ग़लत कारण से (‘मज़े के लिए’) या इससे पहले कि आप इसके लिए तैयार हैं, डेटिंग करते हैं! इसलिए, निम्नलिखित प्रश्‍न स्वयं अपनी स्थिति जाँचने में सहायक साबित हो सकते हैं।

क्या डेटिंग मेरी भावात्मक वृद्धि में योग देगी या बाधा डालेगी? डेटिंग आपको एक लड़का-लड़की सम्बन्ध तक सीमित कर सकती है। इसके बजाय, क्या दूसरों के साथ अपनी संगति बढ़ाने से आपको लाभ नहीं हो सकता? (२ कुरिन्थियों ६:१२, १३ से तुलना कीजिए।) सूज़न नाम की एक युवती कहती है: “मैंने कलीसिया में उम्रदार मसीही स्त्रियों के साथ घनिष्ठ मित्रता बढ़ाना सीखा। उन्हें संगति की ज़रूरत थी, और मुझे उनके संतुलनकारी प्रभाव की। सो मैं कॉफ़ी पीने के लिए आ जाती। हम बातें करते और हँसते। मैंने उनके साथ सच्ची, आजीवन मित्रता की।”

कई तरह के मित्र बनाने के द्वारा—बूढ़े और जवान, अविवाहित और विवाहित, नर और नारी—आप लोगों के सामने संतुलित रहना सीखते हैं, विपरीत लिंग के लोगों के सामने भी, और यह आप उससे कहीं कम दबाव में सीखते हैं जो डेटिंग के समय होता है। इसके अलावा, विवाहित दम्पतियों के साथ संगति करने के द्वारा, आपको विवाह के बारे में अधिक व्यावहारिक दृष्टिकोण मिलता है। बाद में आप एक अच्छा साथी चुनने और विवाह में अपनी भूमिका पूरी करने के लिए ज़्यादा अच्छी तरह तैयार होंगे। (नीतिवचन ३१:१०) अतः स्नेहल नाम की एक युवा यह निष्कर्ष निकालती है: “मैं विवाह करके घर बसाने के लिए तैयार नहीं हूँ। मैं अभी भी अपने आपसे परिचित हो रही हूँ, और मुझे अभी भी कई आध्यात्मिक लक्ष्य पूरे करने हैं। सो मुझे विपरीत लिंग के किसी व्यक्‍ति के बहुत क़रीब आने की असल में कोई ज़रूरत नहीं।”

क्या मैं भावनाओं को चोट पहुँचाना चाहता हूँ? आपकी और दूसरे व्यक्‍ति की भावनाएँ चूर हो सकती हैं यदि विवाह की कोई संभावना देखे बिना रोमांटिक बन्धन बान्धे जाते हैं। सचमुच, क्या विपरीत लिंग के साथ अनुभव प्राप्त करने के लिए किसी पर रोमांटिक स्नेह न्योछावर करना उचित है?—मत्ती ७:१२ देखिए।

मेरे माता-पिता क्या कहते हैं? माता-पिता अकसर उन ख़तरों को देख लेते हैं जिनके प्रति आप अन्धे हैं। आख़िरकार, वे भी तो कभी युवा थे। वे जानते हैं कि कौन-सी असल समस्याएँ विकसित हो सकती हैं जब विपरीत लिंग के दो युवा एकसाथ बहुत समय बिताने लगते हैं! सो यदि आपके माता-पिता डेटिंग करने के लिए मना करते हैं, तो विद्रोह मत कीजिए। (इफिसियों ६:१-३) संभवतः, वे ऐसा महसूस करते हैं कि आपको और बड़े होने तक रुकना चाहिए।

क्या मैं बाइबल की नैतिकता पर चल पाऊँगा? ‘नवयौवन ढलने’ पर व्यक्‍ति अपने लैंगिक आवेगों को ज़्यादा अच्छी तरह संभाल सकता है—और तब भी यह आसान नहीं होता। क्या आप जीवन के इस बिन्दु पर विपरीत लिंग के किसी व्यक्‍ति के साथ एक घनिष्ठ सम्बन्ध को संभालने और उसे निष्कलंक रखने के लिए तैयार हैं?

दिलचस्पी की बात है, अनेक युवा अपने आपसे ये प्रश्‍न पूछ रहे हैं और उसी निष्कर्ष पर पहुँच रहे हैं जिस पर मेरी ऐन (पहले उल्लिखित) पहुँची। उसने कहा: “मैंने संकल्प किया कि मैं डेटिंग के बारे में दूसरों की मनोवृत्ति द्वारा प्रभावित नहीं होऊँगी। मैं तब तक डेटिंग नहीं करूँगी जब तक कि मैं थोड़ी और बड़ी और विवाह करने के लिए तैयार न हो जाऊँ और कोई ऐसा व्यक्‍ति न देख लूँ जिसमें ऐसे गुण हों जो मैं एक पति में चाहती हूँ।”

इस प्रकार मेरी ऐन वह महत्त्वपूर्ण प्रश्‍न उठाती है जो आपको डेटिंग करने से पहले अपने आपसे पूछना चाहिए।

चर्चा के लिए प्रश्‍न

◻ शब्द “डेटिंग” का आपके लिए क्या अर्थ है?

◻ कुछ युवा डेटिंग करने का दबाव क्यों महसूस करते हैं?

◻ डेटिंग उसके लिए क्यों बुद्धिमानी की बात नहीं जो “नवयौवन” में है?

◻ जब डेटिंग की बात आती है तब एक युवा कैसे “दुःख दूर कर” सकता है?

◻ जब एक लड़का और लड़की ‘बस मित्र’ होते हैं तब कौन-सी कुछ समस्याएँ विकसित हो सकती हैं?

◻ आप कैसे जान सकते हैं कि आप डेटिंग करने के लिए तैयार हैं या नहीं?

[पेज 231 पर बड़े अक्षरों में लेख की खास बात]

“चूमना जल्द ही नीरस हो गया और हम शरीर के गुप्तांग छूने लगे। मैं पागल-सी हो गयी क्योंकि मैंने इतना गंदा महसूस किया। कुछ समय बाद मेरे डेटिंगवाले ने भी मुझसे अपेक्षा की कि ‘कोई दूरी न रखूँ’”

[पेज 234 पर बड़े अक्षरों में लेख की खास बात]

‘मैं कैथी की भावनाओं को चोट पहुँचाए बिना उसे कैसे छोड़ सकता हूँ?’

[पेज 232, 233 पर बक्स/तसवीर]

क्या एक लड़का और लड़की ‘बस मित्र’ हो सकते हैं?

तथाकथित निष्काम सम्बन्ध (पुरुषों और स्त्रियों के बीच स्नेही सम्बन्ध जिसमें लैंगिक तत्व नहीं प्रवेश करता) युवाओं के बीच काफ़ी प्रचलित हैं। सत्रह-वर्षीय ग्रॆगरी दावा करता है: “मेरे लिए लड़कियों से बात करना ज़्यादा आसान है क्योंकि वे सामान्यतः ज़्यादा सहानुभूतिशील और संवेदनशील होती हैं।” दूसरे युवा तर्क करते हैं कि ऐसी मित्रता उन्हें एक ज़्यादा संपूर्ण व्यक्‍तित्व विकसित करने में मदद देती है।

बाइबल युवकों से आग्रह करती है कि “जवान स्त्रियों को पूरी पवित्रता से बहिन जानकर” उनके साथ व्यवहार करें। (१ तीमुथियुस ५:२) यह सिद्धान्त लागू करने के द्वारा, विपरीत लिंग के व्यक्‍तियों के साथ शुद्ध, हितकर मित्रता का आनन्द लेना सचमुच संभव है। उदाहरण के लिए, प्रेरित पौलुस एक अविवाहित पुरुष था जिसने कई मसीही स्त्रियों के साथ मित्रता का आनन्द लिया। (रोमियों १६:१, ३, ६, १२ देखिए।) उसने दो “महिलाओं” के बारे में लिखा “जिन्होंने मेरे साथ . . . सुसमाचार के लिए संघर्ष किया है।” (फिलिप्पियों ४:३, NHT) यीशु मसीह ने भी स्त्रियों के साथ संतुलित, हितकर संगति का आनन्द लिया। कई अवसरों पर, उसने मार्था और मरियम की पहुनाई और बातचीत का आनन्द लिया।—लूका १०:३८, ३९; यूहन्‍ना ११:५.

फिर भी, एक “निष्काम” मित्रता अकसर हलका परदा ओढ़े रोमांस या वचनबद्धता के बिना विपरीत लिंग के किसी व्यक्‍ति से ध्यान पाने का एक तरीक़ा-भर होती है। और क्योंकि भावनाएँ आसानी से बदल सकती हैं, सतर्कता की ज़रूरत है। डॉ. मैरिअन हिलिअर्ड ने चिताया: “एक सहज संगति जो लगभग दस मील प्रति घंटा की रफ़्तार से चल रही है बिना चेतावनी दिए सौ मील प्रति घंटा की रफ़्तार से चल रहे कामान्ध में बदल सकती है।”

सोलह-वर्षीय माइक ने यह तब सीखा जब उसने एक १४ वर्षीय लड़की से “मित्रता” की: “मुझे जल्द ही पता चल गया [कि] दो लोग बस मित्र नहीं रह सकते जब वे अनन्य रूप से एक दूसरे से मिलते रहते हैं। हमारा सम्बन्ध बढ़ता चला गया। जल्द ही हम में एक दूसरे के लिए ख़ास भावनाएँ हो गयीं, और अभी भी हैं।” क्योंकि दोनों ही विवाह करने के लिए छोटे हैं, ये भावनाएँ कुंठा का स्रोत हैं।

बहुत अधिक घनिष्ठ संगति के और भी दुःखद परिणाम हो सकते हैं। एक युवक ने एक सहेली को सांत्वना देने की कोशिश की जिसने अपनी कुछ समस्याओं के बारे में उसे बताया। कुछ ही समय में, वे प्रेमस्पर्श कर रहे थे। परिणाम? दोषी अंतःकरण और उनके बीच बुरी भावनाएँ। दूसरों के साथ, इसका परिणाम रहा है यौन सम्बन्ध। साइकॉलोजी टुडे द्वारा लिए गए एक सर्वेक्षण ने प्रकट किया: “लगभग आधे मतदाता (४९ प्रतिशत) एक ऐसी मित्रता रख चुके हैं जो यौन सम्बन्ध में बदल गयी।” असल में, “लगभग एक तिहाई (३१ प्रतिशत) ने बताया कि पिछले महीने में उन्होंने एक मित्र के साथ कामक्रिया की थी।”

‘लेकिन मैं अपने मित्र की ओर आकर्षित नहीं हूँ और उसके साथ रोमांस में कभी नहीं फँसूँगा [या फँसूँगी]।’ शायद। लेकिन क्या पता आपको भविष्य में कैसा महसूस हो? इसके अलावा, “जो अपने ऊपर भरोसा रखता है, वह मूर्ख है।” (नीतिवचन २८:२६) हमारा हृदय चंचल, धोखा देनेवाला हो सकता है, हमें अपने असली अभिप्रायों के प्रति अन्धा कर सकता है। और क्या आपको सचमुच पता है कि आपका मित्र आपके बारे में कैसा महसूस करता है?

अपनी पुस्तक मित्रता तत्व (अंग्रेज़ी) में ऐलॆन लॉय मॆकगिनिस सलाह देता है: “अपने ऊपर बहुत भरोसा मत रखिए।” सावधानी बरतिए, संभवतः अपनी संगति को ऐसी सामूहिक गतिविधियों तक सीमित रखिए जिन पर ठीक तरह से निगरानी रखी गयी हो। स्नेह के अनुचित प्रदर्शन से या रोमांटिक परिस्थितियों में अकेले होने से बचिए। जब आप परेशान होते हैं, तब विपरीत लिंग के किसी युवा के बजाय, मन की बात माता-पिता और उम्रदार व्यक्‍तियों को बताइए।

और तब क्या, यदि सावधानी बरतने के बावजूद एकतरफ़ी रोमांटिक भावनाएँ विकसित हो जाती हैं? ‘सच बोलिए,’ और दूसरे व्यक्‍ति को बताइए कि आपकी स्थिति क्या है। (इफिसियों ४:२५) यदि इससे मामला नहीं सुलझता, तो अपनी दूरी रखना शायद सबसे अच्छा हो। “चतुर मनुष्य विपत्ति को आते देखकर छिप जाता है।” (नीतिवचन २२:३) या जैसे पुस्तक मित्रता तत्व कहती है: “ज़रूरी हो तो अपना रास्ता अलग कीजिए। कभी-कभार, चाहे हम कितनी भी कोशिश क्यों न करें, विपरीत लिंग के साथ मित्रता हाथ से बाहर हो जाती है और हम जानते हैं कि यह कहाँ ले जाएगी।” तब, यह “पीछे हटने” का समय होता है।

[पेज 227 पर तसवीर]

युवा अकसर डेटिंग करने या जोड़ी बनाने का दबाव महसूस करते हैं

[पेज 228 पर तसवीर]

डेटिंग अकसर युवाओं को इस दबाव में डालती है कि स्नेह के अनुचित प्रदर्शन की अनुमति दें

[पेज 229 पर तसवीर]

एक व्यक्‍ति डेटिंग के दबावों से मुक्‍त परिस्थितियों में विपरीत लिंग की संगति का आनन्द ले सकता है

[पेज 230 पर तसवीर]

तथाकथित निष्काम सम्बन्धों के अन्त में अकसर दिल टूटता है