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मैं दीवानापन कैसे छोड़ूँ?

मैं दीवानापन कैसे छोड़ूँ?

अध्याय २८

मैं दीवानापन कैसे छोड़ूँ?

“अधिकतर किशोरों के लिए,” युवाओं की एक पत्रिका ने लिखा, “दीवानापन ज़ुकाम के जितना सामान्य है।” लगभग सभी युवाओं को इसका अनुभव होता है, और अपने गौरव और हास्यभाव को खोए बिना, लगभग सभी वयस्कता तक पहुँचने में सफल होते हैं। लेकिन, जब आपके सिर पर दीवानापन सवार होता है, तब इसमें हँसने की कोई बात नहीं होती। “मैं कुंठित था,” एक युवा याद करता है, “क्योंकि मैं उस विषय में कुछ नहीं कर सकता था। मैं जानता था कि वह मेरे लिए बहुत बड़ी हैं, लेकिन मैं उन्हें चाहता था। मैं इस बात को लेकर पागल-सा हो गया था।”

दीवानेपन की रचना

किसी के लिए तीव्र भावनाएँ होना कोई पाप नहीं—बशर्ते ये अनैतिक या अनुचित न हों (जैसे किसी विवाहित व्यक्‍ति के लिए)। (नीतिवचन ५:१५-१८) लेकिन, जब आप जवान होते हैं, तब ‘युवावस्था की स्वाभाविक कामनाएँ’ अकसर आपके विचारों और कार्यों पर राज करती हैं। (२ तीमुथियुस २:२२, NW) एक युवा जो यौवनारंभ द्वारा आयी नयी और प्रबल कामनाओं को नियंत्रण में रखना सीख ही रहा है, वह उफनती रोमांटिक भावनाओं से ओत-प्रोत हो सकता है—और उसके पास कोई नहीं होता जिस पर वह इन्हें न्योछावर करे।

इसके अलावा, “लड़कियाँ लड़कों से कम उम्र में ही संतुलित और सामाजिक रूप से सहज हो जाती हैं।” फलस्वरूप, “वे अकसर अपने नर सहपाठियों को शिक्षकों की तुलना में,” या दूसरे उम्रदार, अप्राप्य पुरुषों की तुलना में “कम प्रौढ़ और रोमांचक पाती हैं।” (सॆवॆनटीन पत्रिका) अतः एक लड़की कल्पना कर सकती है कि उसका मनपसन्द शिक्षक, पॉप गायक, या कोई उम्रदार परिचित जन “आदर्श” पुरुष है। इसी तरह अकसर लड़के भी दीवाने हो जाते हैं। लेकिन, ऐसे दूर के लोगों पर आया प्रेम स्पष्टतः वास्तविकता से अधिक कल्पना पर आधारित होता है।

दीवानापन—यह हानिकर क्यों हो सकता है

जबकि अधिकतर दीवानापन बहुत ही क्षणिक होता है, फिर भी वह एक युवा को काफ़ी हानि पहुँचा सकता है। एक बात यह है, किशोर स्नेह के अनेक पात्र सम्मान के योग्य ही नहीं होते। एक बुद्धिमान पुरुष ने कहा: “मूर्ख बड़ी प्रतिष्ठा के स्थानों में ठहराए जाते हैं।” (सभोपदेशक १०:६) अतः एक गायक को पूजा जाता है क्योंकि उसकी आवाज़ मधुर है या वह देखने में सुन्दर है। लेकिन क्या उसकी नैतिकता प्रशंसा के योग्य है? क्या वह एक समर्पित मसीही के रूप में “प्रभु में” है?—१ कुरिन्थियों ७:३९.

बाइबल यह चेतावनी भी देती है: “संसार से मित्रता करनी परमेश्‍वर से बैर करना है।” (याकूब ४:४) यदि आप अपना दिल किसी ऐसे व्यक्‍ति पर लगाते हैं जिसके चालचलन की परमेश्‍वर निन्दा करता है तो क्या यह परमेश्‍वर के साथ आपकी मित्रता को ख़तरे में नहीं डालता? साथ ही, बाइबल आज्ञा देती है, “अपने आप को मूरतों से बचाए रखो।” (१ यूहन्‍ना ५:२१) जब एक युवा अपने कमरे की दीवारों का चप्पा-चप्पा किसी संगीत सितारे की तस्वीरों से सजाकर रखता है तब आप इसे क्या कहेंगे? क्या शब्द “मूर्तिपूजा” उपयुक्‍त नहीं होगा? यह परमेश्‍वर को किस हालत प्रसन्‍न कर सकता है?

कुछ युवा अपनी कल्पनाओं को तर्क से ऊपर उड़ने देते हैं। एक युवती कहती है: “जब भी मैं उससे पूछती हूँ कि उसे कैसा लगता है—वह हमेशा इससे इनकार कर देता है कि उसे मेरे लिए कोई भावना है। लेकिन जिस तरह वह देखता और व्यवहार करता है उससे मैं बता सकती हूँ कि यह सच नहीं।” इस संदर्भ में जो युवक है उसने मृदुलता से अपनी अरुचि व्यक्‍त करने की कोशिश की है, लेकिन वह लड़की न सुनने को तैयार ही नहीं।

एक और लड़की एक लोकप्रिय गायक पर अपनी दीवानगी के बारे में लिखती है: ‘मैं उसे अपना प्रेमी बनाना चाहती हूँ, और मैंने प्रार्थना की है कि यह सच हो! मैं उसके कैसॆट के साथ सोती थी क्योंकि मैं उसके इतने ही पास आ पाती थी। मैं उस हद पर हूँ कि यदि मैं उसे नहीं पा सकती, तो मैं आत्महत्या कर लूँगी।’ क्या ऐसी सरफिरी कामना परमेश्‍वर को प्रसन्‍न कर सकती है, जो हमें आज्ञा देता है कि “सुबुद्धि” के साथ उसकी सेवा करें?—रोमियों १२:३.

नीतिवचन १३:१२ में बाइबल कहती है: “जब आशा पूरी होने में विलम्ब होता है, तो मन शिथिल होता है।” अतः एक असंभव सम्बन्ध के लिए रोमांटिक आशाएँ बढ़ाना हानिकर है, यह ऐसा एकतरफ़ा प्रेम है जो डॉक्टरों के अनुसार “हताशा, चिन्ता, और सामान्य व्यथा . . . अनिद्रा या थकान, सीने के दर्द या साँस फूलने” का एक कारण है। (२ शमूएल १३:१, २ से तुलना कीजिए।) इश्‍क की मारी एक लड़की स्वीकार करती है: “मैं खा नहीं पाती। . . . अब मैं पढ़ाई भी नहीं कर पाती। मैं . . . दिन में उसके सपने देखती हूँ। . . . मेरा हाल ख़राब है।”

जब आप अपने जीवन में कल्पना को राज करने देते हैं तब जो बरबादी आप लाते हैं उसके बारे में सोचिए। डॉ. लॉरॆन्स बॉमॆन कहता है कि बेक़ाबू दीवानेपन के पहले सबूतों में से एक है “स्कूल से मन उखड़ना।” मित्रों और परिवार से दूर-दूर रहना एक और सामान्य परिणाम है। अपमान भी हो सकता है। “मुझे यह स्वीकार करने में शर्म आती है,” लेखक गिल श्‍वार्टज़ कहता है, “लेकिन जूडी पर मेरी दीवानगी के समय मैंने एक सनकी के जैसा बर्ताव किया।” दीवानगी चली जाने के बहुत समय बाद भी, किसी के पीछे चक्कर काटने, लोगों के सामने तमाशा करने, और कुल मिलाकर अपना बुद्धू बनाने की यादें बनी रह सकती हैं।

वास्तविकता का सामना करना

अब तक के सबसे बुद्धिमान पुरुषों में से एक, राजा सुलैमान को एक लड़की से अत्यधिक प्रेम हो गया जिसने उसकी भावनाओं को स्वीकार नहीं किया। अब तक लिखी गयी कविताओं में से कुछ अति सुन्दर कविताएँ उसने उस लड़की के लिए रचीं, उससे कहा कि वह “सुन्दरता में चन्द्रमा, और निर्मलता में सूर्य . . . के तुल्य” है—और फिर भी उस पर कोई असर नहीं पड़ा!—श्रेष्ठगीत ६:१०.

लेकिन, सुलैमान ने अंततः उसे जीतने की कोशिश छोड़ दी। आप भी अपनी भावनाओं पर फिर से नियंत्रण कैसे पा सकते हैं? “जो अपने ऊपर भरोसा रखता है, वह मूर्ख है,” बाइबल कहती है। (नीतिवचन २८:२६) यह ख़ासकर तब सच है जब आप एक रोमांटिक कल्पना में उलझ गए हैं। लेकिन, “जो बुद्धि से चलता है, वह बचता है।” इसका अर्थ है बातों को उनके वास्तविक रूप में देखना।

“आप उचित आशा और बेबुनियाद आशा में कैसे फ़र्क कर सकते हैं?” डॉ. हावर्ड हैल्पर्न पूछता है। “तथ्यों को ध्यान से और भावशून्यता से देखने के द्वारा।” विचार कीजिए: इस व्यक्‍ति के साथ एक सच्चा रोमांस होने की कितनी संभावना है? यदि वह व्यक्‍ति नामी है तो अधिक संभावना यह है कि आप उसे कभी मिल भी नहीं पाएँगे! आपकी संभावना उतनी ही कम है जब कोई उम्रदार व्यक्‍ति, जैसे कि एक शिक्षक सम्मिलित है।

इसके अलावा, जिस व्यक्‍ति को आप चाहते हैं क्या उसने अब तक आप में कोई भी दिलचस्पी दिखायी है? यदि नहीं, तो क्या यह मानने का कोई असली कारण है कि भविष्य में स्थिति बदल जाएगी? या क्या आप उसके सहज शब्दों और कार्यों को यूँ ही रोमांटिक दिलचस्पी समझ रहे हैं? प्रसंगवश, अधिकतर देशों में यह सामान्य है कि रोमांस में पुरुष पहल करते हैं। एक युवती किसी ऐसे व्यक्‍ति के पीछे हाथ धोकर पड़ने से जिसको दिलचस्पी नहीं, अपना अपमान करवा सकती है।

इसके अतिरिक्‍त, यदि उस व्यक्‍ति को भी आप में दिलचस्पी हो जाती है तब आप क्या करेंगे? क्या आप विवाह की ज़िम्मेदारियों के लिए तैयार हैं? यदि नहीं, तो कल्पना पर मनन न करने के द्वारा ‘अपने मन से खेद दूर कीजिए।’ “प्रेम करने का समय” होता है, और वह शायद सालों बाद हो जब आप बड़े हो गए हों।—सभोपदेशक ३:८; ११:१०.

अपनी भावनाओं का विश्‍लेषण करना

डॉ. चार्ल्स ज़ास्ट्रो कहता है: “दीवानगी तब होती है जब कोई उस व्यक्‍ति को एक ‘पक्के प्रेमी’ के रूप में आदर्श समझने लगता है जिस पर वह मर मिटा है; अर्थात्‌ यह निष्कर्ष निकालता है कि उस दूसरे व्यक्‍ति में एक साथी से चाही जानेवाली सभी विशेषताएँ हैं।” लेकिन, ऐसा कोई “पक्का प्रेमी” नहीं। “इसलिये कि सब ने पाप किया है और परमेश्‍वर की महिमा से रहित हैं,” बाइबल कहती है।—रोमियों ३:२३.

सो अपने आपसे पूछिए: जिस व्यक्‍ति पर मैंने अपना दिल लगाया है उसे मैं असल में कितनी अच्छी तरह जानता हूँ? क्या मैं एक प्रतिमा के प्रेम में हूँ? क्या मैं इस व्यक्‍ति की कमियों को अनदेखा कर रहा हूँ? अपने सपनों के प्रेमी पर एक व्यावहारिक दृष्टि आपको अपना रोमांटिक नशा उतारने के लिए शायद काफ़ी हो! इसका विश्‍लेषण करना भी सहायक हो सकता है कि इस व्यक्‍ति के लिए आपको किस क़िस्म का प्रेम है। लेखिका कैथी मॆकॉए कहती है: “कच्चा प्रेम एक क्षण में आ सकता और जा सकता है . . . केंद्र आप पर है, और आपको प्रेम में होने के विचार से प्रेम हो गया है . . . कच्चा प्रेम चिपकू, स्वार्थी, और ईर्ष्यालु होता है। . . . कच्चा प्रेम परिपूर्णता की माँग करता है।”—१ कुरिन्थियों १३:४, ५ से विषमता कीजिए।

उसे अपने मन से हटाना

माना, दुनिया-भर की दलीलें आपकी भावनाओं को पूरी तरह से नहीं मिटातीं। लेकिन आप समस्या को बढ़ाने से दूर रह सकते हैं। भड़कते रोमांस उपन्यास पढ़ना, टीवी प्रेम कहानियाँ देखना, या अमुक क़िस्म का संगीत सुनना भी आपके अकेलेपन की भावनाओं को बदतर कर सकता है। सो स्थिति पर मनन मत कीजिए। “लकड़ी न होने से आग बुझती है।”—नीतिवचन २६:२०.

जो लोग आपसे सचमुच प्रेम करते और आपकी परवाह करते हैं उनके बदले में काल्पनिक रोमांस नहीं रखा जा सकता। अपने आपको “औरों से अलग” मत कीजिए। (नीतिवचन १८:१) आप संभवतः पाएँगे कि आपके माता-पिता काफ़ी सहायक हो सकते हैं। अपनी भावनाओं को छिपाने की आपकी सारी कोशिशों के बावजूद, वे शायद पहले ही समझ गए हैं कि कोई बात आपको खाए जा रही है। क्यों न उनके पास जाएँ और उनसे अपने दिल की बात कहें? (नीतिवचन २३:२६ से तुलना कीजिए।) एक प्रौढ़ मसीही भी अच्छा श्रोता साबित हो सकता है।

“व्यस्त रहिए,” किशोर लेखिका ऎस्तर डेविडोवित्ज़ प्रोत्साहन देती है। कोई शौक़ बढ़ाइए, कुछ व्यायाम कीजिए, कोई भाषा सीखिए, एक बाइबल विषय पर शोध शुरू कीजिए। उपयोगी गतिविधियों में तल्लीन रहना विनिवर्तन लक्षणों को काफ़ी कम कर सकता है।

दीवानापन छोड़ना आसान नहीं। लेकिन समय के साथ-साथ, दर्द कम हो जाएगा। आपने अपने और अपनी भावनाओं के बारे में काफ़ी कुछ सीख लिया होगा, और यदि भविष्य में सच्चा प्रेम हो जाए तो आप उसके लिए ज़्यादा अच्छी तरह तैयार होंगे! लेकिन आप ‘सच्चा प्रेम’ पहचान कैसे पाएँगे?

चर्चा के लिए प्रश्‍न

◻ युवाओं के बीच दीवानापन सामान्य क्यों है?

◻ अकसर युवाओं की रोमांटिक कल्पनाओं के पात्र कौन होते हैं, और क्यों?

◻ दीवानापन हानिकर क्यों हो सकता है?

◻ दीवानापन छोड़ने के लिए एक युवा कौन-से कुछ काम कर सकता है?

◻ एक युवा किसी रोमांटिक कल्पना को बढ़ाने से कैसे दूर रह सकता है?

[पेज 223 पर बड़े अक्षरों में लेख की खास बात]

‘मैं खा नहीं पाती। अब मैं पढ़ाई भी नहीं कर पाती। मैं दिन में उसके सपने देखती हूँ। मेरा हाल ख़राब है’

[पेज 220 पर तसवीर]

विपरीत लिंग के उम्रदार, अप्राप्य व्यक्‍तियों पर मर मिटना काफ़ी सामान्य है

[पेज 221 पर तसवीर]

इस व्यक्‍ति पर एक भावशून्य, व्यावहारिक दृष्टि डालना आपकी रोमांटिक धारणाएँ दूर कर सकता है