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मैं अपना अकेलापन कैसे दूर करूँ?

मैं अपना अकेलापन कैसे दूर करूँ?

अध्याय १४

मैं अपना अकेलापन कैसे दूर करूँ?

शनिवार की रात है। लड़का अपने कमरे में अकेला बैठा है।

“मुझे छुट्टियों से नफ़रत है!” वह चिल्लाता है। लेकिन उसकी सुनने के लिए कमरे में कोई नहीं। वह एक पत्रिका उठाता है और समुद्र किनारे युवाओं के एक समूह की तस्वीर देखता है। वह पत्रिका को दीवार पर दे मारता है। आँसू निकल पड़ते हैं। वह अपने निचले होंठ पर दाँत भींचता है, लेकिन आँसू नहीं रुकते। और ज़्यादा न जूझ पाने पर, वह सिसकते हुए अपने बिस्तर पर गिर पड़ता है, “हमेशा मुझे ही क्यों छोड़ दिया जाता है?”

क्या कभी-कभी आपको ऐसा लगता है—दुनिया से दूर, अकेला, बेकार, और खोखला? यदि हाँ, तो निराश मत होइए। क्योंकि जबकि अकेलापन महसूस करने में कोई मज़ा नहीं, यह कोई घातक बीमारी नहीं। सरल शब्दों में कहें तो, अकेलापन एक चेतावनी चिन्ह है। भूख आपको चिताती है कि आपको भोजन की ज़रूरत है। अकेलापन आपको चिताता है कि आपको संगति, घनिष्ठता, आत्मीयता की ज़रूरत है। ठीक-से काम करने के लिए हमें भोजन की ज़रूरत है। उसी तरह, ठीक महसूस करने के लिए हमें संगति की ज़रूरत है।

क्या आपने कभी जलते कोयलों का अम्बार देखा है? जब आप ढेर में से एक कोयला हटा देते हैं, तब उस एक कोयले की चमक मर जाती है। लेकिन जब आप उस कोयले को ढेर में दुबारा डाल देते हैं, तब वह फिर से चमकने लगता है! पृथकता में, उसी तरह हम मनुष्य भी ज़्यादा समय तक ठीक-से “चमकते” नहीं, या काम नहीं करते। संगति की ज़रूरत हमारी संरचना में डाली गयी है।

अकेले परन्तु अकेलापन नहीं

निबन्धकार हॆन्री डेविड थॉरो ने लिखा: “मुझे ऐसा कोई साथी नहीं मिला जिसकी संगति एकान्तता से भली हो।” क्या आप इससे सहमत हैं? “जी हाँ,” २०-वर्षीय शरद कहता है। “मुझे प्रकृति पसन्द है। कभी-कभी मैं अपनी छोटी-सी नाँव लेकर किसी झील में चला जाता हूँ। मैं वहाँ घंटों एकदम अकेला बैठा रहता हूँ। यह मुझे इस पर चिंतन करने का समय देता है कि मैं अपने जीवन के साथ क्या कर रहा हूँ। मुझे बहुत अच्छा लगता है।” इक्कीस-वर्षीय स्टीवन इससे सहमत है। “मैं एक बड़े आवासीय-भवन में रहता हूँ,” वह कहता है, “और कभी-कभी मैं बस एकान्तता पाने के लिए भवन की छत पर चला जाता हूँ। मैं कुछ सोच-विचार और प्रार्थना करता हूँ। इससे स्फूर्ति मिलती है।”

जी हाँ, यदि ठीक से प्रयोग किए जाएँ तो एकान्तता के क्षण हमें गहरी संतुष्टि दे सकते हैं। यीशु ने भी ऐसे क्षणों का आनन्द लिया: “भोर को जब अन्धेरा ही था [यीशु] उठा और बाहर निकल कर एकान्त में गया और वहां प्रार्थना करने लगा।” (मरकुस १:३५, NHT) याद रखिए, यहोवा ने यह नहीं कहा, ‘मनुष्य का कुछ समय के लिए अकेला रहना अच्छा नहीं।’ इसके बजाय, परमेश्‍वर ने कहा कि मनुष्य का “हमेशा अकेला रहना” अच्छा नहीं। (उत्पत्ति २:१८-२३, NW) तो फिर, लम्बे-लम्बे समय तक अकेला रहना अकेलापन दे सकता है। बाइबल चिताती है: “जो औरों से अलग हो जाता है, वह अपनी ही इच्छा पूरी करने के लिये ऐसा करता है, और सब प्रकार की खरी बुद्धि से बैर करता है।”—नीतिवचन १८:१, २.

क्षणिक अकेलापन

कभी-कभी हमारे बस से बाहर परिस्थितियों के कारण हमें अकेलेपन का सामना करना पड़ता है, जैसे नयी जगह घर बदलने के कारण घनिष्ठ मित्रों से दूर होना। स्टीवन याद करता है: “वहाँ घर पर जेम्स मेरा मित्र था और भाई से भी बढ़कर था। जब मैं वहाँ से गया, तब मैं जानता था कि मैं उसकी कमी महसूस करूँगा।” स्टीवन रुकता है, मानो विदाई की घड़ी आँखों के सामने आ गयी हो। “जब मुझे विमान में चढ़ना था, तब मेरा गला भर आया। हमने झप्पी मारी, और मैं चला गया। मुझे लगा कोई अनमोल चीज़ छूट गयी।”

अपने नए माहौल में स्टीवन कैसे जमा? “मुश्‍किल था,” वह कहता है। “वहाँ घर पर मेरे मित्र मुझे पसन्द करते थे, लेकिन यहाँ जिनके साथ मैं काम करता था उनमें से कुछ ने मुझे ऐसा महसूस कराया मानो मैं बेकार हूँ। मुझे याद है घड़ी देखकर पीछे की तरफ़ चार घंटे गिनना (वह समय का अन्तर था) और सोचना कि इस समय जेम्स और मैं क्या कर रहे होते। मुझे अकेलापन लगा।”

जब सब कुछ ठीक-से नहीं चल रहा होता, तब हम अकसर अतीत की सुखद घड़ियों के बारे में सोचते हैं। लेकिन, बाइबल कहती है: “यह न कहना, बीते दिन इन से क्यों उत्तम थे?” (सभोपदेशक ७:१०) यह सलाह क्यों?

एक बात यह है, परिस्थितियाँ बेहतर बदलाव ला सकती हैं। इसी कारण अनुसंधायक अकसर “क्षणिक अकेलेपन” के बारे में बोलते हैं। अतः स्टीवन अपने अकेलेपन को दूर कर सका। कैसे? “अपने किसी हमदर्द से अपनी भावनाओं के बारे में बात करने से मदद मिली। आप अतीत में नहीं जी सकते। मैंने दूसरे लोगों से मिलने और उनमें दिलचस्पी दिखाने के लिए अपने आपको विवश किया। यह काम कर गया; मुझे नए मित्र मिल गए।” और जेम्स के बारे में क्या? ‘मैं ग़लत था। दूर जाने से हमारी मित्रता टूट नहीं गयी। कुछ दिन पहले मैंने उसे फ़ोन किया। हमने सवा घंटे तक ख़ूब बात की।’

जीर्ण अकेलापन

लेकिन, कभी-कभी अकेलेपन की पीड़ा टीसती रहती है, और कोई निकास नहीं दिखता। एक हाई स्कूल छात्र, रॉनी बताता है: “मैं आठ साल से इस क्षेत्र में स्कूल जा रहा हूँ, लेकिन अब तक मैं एक मित्र नहीं बना पाया! . . . किसी को नहीं पता कि मुझे कैसा लगता है और किसी को परवाह नहीं। कभी-कभी मैं सोचता हूँ कि अब और मेरे बस की नहीं!”

रॉनी की तरह, अनेक किशोर उसका अनुभव करते हैं जिसे अकसर जीर्ण अकेलापन कहा जाता है। यह क्षणिक अकेलेपन से अधिक गंभीर है। असल में, अनुसंधायक कहते हैं, दोनों इतने भिन्‍न हैं “जितने भिन्‍न ज़ुकाम और निमोनिया हैं।” लेकिन जैसे निमोनिया का इलाज किया जा सकता है, ठीक वैसे ही जीर्ण अकेलेपन को भी दूर किया जा सकता है। पहला क़दम है उसका कारण जानने की कोशिश करना। (नीतिवचन १:५) और १६-वर्षीय रॉन्डा यह कहते हुए जीर्ण अकेलेपन का सबसे सामान्य कारण स्पष्ट करती है: “मेरे विचार से मैं बहुत अकेलापन इस कारण महसूस करती हूँ क्योंकि—आपको मित्र नहीं मिल सकते यदि आप अपने बारे में बुरा महसूस करते हैं। और मेरे ख़याल से मैं अपने आपको ज़्यादा पसन्द नहीं करती।”—अमरीका में अकेले (अंग्रेज़ी)।

रॉन्डा का अकेलापन अन्दर से आता है। उसका निम्न स्वाभिमान एक बाधा बन जाता है जो उसे आगे बढ़कर मित्र बनाने से रोकता है। एक अनुसंधायक कहता है: “जीर्ण रूप से अकेलों के बीच इस प्रकार के विचार कि ‘मैं आकर्षक नहीं,’ ‘मैं रुचिकर नहीं,’ ‘मैं किसी काम का नहीं,’ सामान्य चिन्ता-विषय होते हैं।” अतः अपने अकेलेपन को दूर करने की कुंजी शायद अपने आत्म-सम्मान को बढ़ाने में हो। (अध्याय १२ देखिए।) जैसे-जैसे आप वह विकसित करते हैं जिसे बाइबल ‘नया मनुष्यत्व’ कहती है, जिसकी विशेषता है कृपा, मन की दीनता, और नम्रता, वैसे-वैसे आपका आत्म-सम्मान अवश्‍य ही बढ़ेगा!—कुलुस्सियों ३:९-१२.

इसके अलावा, जैसे-जैसे आप ख़ुद को पसन्द करना सीखते हैं, वैसे-वैसे दूसरे आपके आकर्षक गुणों की ओर खिंचेंगे। लेकिन जिस तरह आप एक फूल के खिलने के बाद ही उसके पूरे रंग देख सकते हैं, ठीक उसी तरह दूसरे भी आपके गुणों की सराहना पूरी तरह तभी कर पाएँगे जब आप उनके साथ खुलकर पेश आएँगे।

झिझक छोड़ना

‘एक अकेले व्यक्‍ति के लिए सबसे अच्छी सलाह है कि दूसरे लोगों के साथ सम्बन्ध बनाए,’ मानसिक स्वास्थ्य अमरीकी राष्ट्रीय संस्थान का एक हाल का प्रकाशन कहता है। यह सलाह बाइबल की सलाह के साथ मेल खाती है कि ‘खुलें’ और “सहानुभूति” या समानुभूति दिखाएँ। (२ कुरिन्थियों ६:११-१३; १ पतरस ३:८, NW) यह कारगर है। दूसरों की परवाह करने से न सिर्फ़ आपका मन अपने अकेलेपन से हट जाता है बल्कि यह दूसरों को भी प्रेरित करता है कि आपमें दिलचस्पी लें।

अतः १९-वर्षीय नैटली ने फ़ैसला किया कि वह इस आस में नहीं बैठेगी कि लोग पहले होकर उसे हैलो कहें। ‘मुझे भी मिलनसार होना है,’ वह कहती है। ‘नहीं तो लोग सोचेंगे कि मैं घमंडी हूँ।’ सो एक मुस्कान से शुरू कीजिए। बदले में शायद दूसरा व्यक्‍ति भी मुस्कराए।

फिर, एक बातचीत छेड़िए। पंद्रह-वर्षीय लिलियॆन स्वीकार करती है: “पहली बार अजनबियों के पास जाना सचमुच डरावना था। मुझे डर था कि वे मुझे स्वीकार नहीं करेंगे।” लिलियॆन बातचीत कैसे शुरू करती है? वह कहती है: “मैं आसान प्रश्‍न पूछती हूँ, जैसे ‘आप कहाँ के हैं?’ ‘क्या आप फ़लाँ-फ़लाँ को जानते हैं?’ हो सकता है कि हम दोनों एक व्यक्‍ति को जानते हों, और देखते ही देखते हम बात कर रहे होते हैं।” उसी प्रकार कृपालु कार्य और उदार आत्मा आपको अनमोल मित्रता बढ़ाने में मदद देंगे।—नीतिवचन ११:२५.

यह भी याद रखिए कि आप एक ऐसा मित्र बना सकते हैं जो कभी आपको निराश नहीं करेगा। यीशु मसीह ने अपने शिष्यों से कहा: “मैं अकेला नहीं क्योंकि पिता मेरे साथ है।” (यूहन्‍ना १६:३२) यहोवा आपका भी निकटतम मित्र बन सकता है। बाइबल पढ़ने और उसकी सृष्टि देखने के द्वारा उसका व्यक्‍तित्व जानिए। प्रार्थना के द्वारा उसके साथ अपनी मित्रता मज़बूत कीजिए। अंततः, यहोवा परमेश्‍वर के साथ मित्रता अकेलेपन का सबसे बढ़िया इलाज है।

इसके बाद भी यदि आपको समय-समय पर अकेलापन लगता है तो परेशान मत होइए। यह कोई अजीब बात नहीं। लेकिन, तब क्या यदि बहुत ही शर्मीलापन आपको मित्र बनाने और दूसरों की संगति करने से रोक रहा है?

चर्चा के लिए प्रश्‍न

◻ क्या यह ज़रूरी है कि अकेला होना बुरी बात है? क्या एकान्तता के लाभ हैं?

◻ अधिकतर अकेलापन क्षणिक क्यों होता है? क्या आपने अपने किस्से में इसे सही पाया है?

◻ जीर्ण अकेलापन क्या है, और आप इससे कैसे लड़ सकते हैं?

◻ दूसरों के साथ ‘झिझक छोड़ने’ के कुछ तरीक़े क्या हैं? आपके लिए क्या कारगर हुआ है?

[पेज 119 पर बड़े अक्षरों में लेख की खास बात]

‘एक अकेले व्यक्‍ति के लिए सबसे अच्छी सलाह है कि दूसरे लोगों के साथ सम्बन्ध बनाए,’ मानसिक स्वास्थ्य अमरीकी राष्ट्रीय संस्थान कहता है

[पेज 117 पर तसवीरें]

बहुत दूर होने पर भी मित्र संपर्क रख सकते हैं

[पेज 118 पर तसवीर]

एकान्तता का समय आनन्दपूर्ण हो सकता है