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विवाह से पहले सॆक्स के बारे में क्या?

विवाह से पहले सॆक्स के बारे में क्या?

अध्याय २३

विवाह से पहले सॆक्स के बारे में क्या?

‘यदि आप एक दूसरे से प्रेम करते हैं, तब क्या यह सही है? या क्या आपको विवाह होने तक रुकना चाहिए?’ ‘मैं अभी तक कुँवारी हूँ। क्या मुझमें कोई ख़राबी है?’ युवाओं के बीच इस क़िस्म के ढेरों प्रश्‍न होते हैं।

फिर भी, “वह निराला युवा होता है जिसने किशोरावस्था में ही मैथुन नहीं किया होता,” दी ऐलन गुटमाकर इंस्टीट्यूट ने अपनी १९८१ की रिपोर्ट के अन्त में कहा। “दस में से ८ नर और दस में से ७ नारियाँ अपनी किशोरावस्था में ही मैथुन कर चुके होने की ख़बर देते हैं।”

‘और क्यों नहीं?’ आप शायद पूछें। आख़िरकार, यह चाहना कि आपसे प्रेम किया जाए अति स्वाभाविक है। और जब आप जवान होते हैं, तब आपकी कामनाएँ इतनी प्रबल हो सकती हैं कि विकर्षण तक बन सकती हैं। इसके अलावा, आपके समकक्षों का प्रभाव भी होता है। वे शायद आपसे कहें कि विवाहपूर्व सॆक्स में मज़ा है और कि जब आप सचमुच किसी को चाहते हैं, तब अंतरंगता बनाने की इच्छा अति स्वाभाविक है। कुछ तो शायद यह भी कहें कि संभोग करना आपके पुरुषत्व या नारीत्व को साबित करता है। अतः इस चाह में कि आपको अजीब न समझा जाए, आप शायद लैंगिक सम्बन्धों का अनुभव करने का दबाव महसूस करें।

सामान्य धारणा के विपरीत, सभी युवा अपना कुँवारापन खोने की जल्दबाज़ी में नहीं होते। उदाहरण के लिए, ऎस्तर नाम की एक अविवाहित युवती पर विचार कीजिए। जब वह एक डॉक्टरी जाँच करवा रही थी तब उसके डॉक्टर ने यूँ ही पूछ लिया: “आप किस क़िस्म का गर्भनिरोधक इस्तेमाल कर रही हैं?” जब ऎस्तर ने उत्तर दिया, “किसी क़िस्म का नहीं,” तब उसके डॉक्टर ने हैरान होकर कहा: “क्या! क्या आप गर्भवती होना चाहती हैं? यदि आप कुछ इस्तेमाल नहीं कर रहीं तो आप कैसे यह अपेक्षा कर सकती हैं कि गर्भवती न हों?” ऎस्तर ने उत्तर दिया: “क्योंकि मैं संभोग नहीं कर रही!”

उसके डॉक्टर ने हैरत से उसे देखा। “यह हो ही नहीं सकता,” उसने कहा। “यहाँ १३ साल के बच्चे आते हैं और वे कुँवारे नहीं होते। आप एक अनोखी लड़की हैं।”

किस बात ने ऎस्तर को “अनोखी” बनाया? उसने बाइबल की सलाह का पालन किया: “देह व्यभिचार [जिसमें विवाहपूर्व सॆक्स सम्मिलित है] के लिये नहीं . . . व्यभिचार से बचे रहो।” (१ कुरिन्थियों ६:१३, १८) जी हाँ, उसने विवाहपूर्व सॆक्स को परमेश्‍वर के विरुद्ध एक गंभीर पाप समझा! “परमेश्‍वर की इच्छा यह है,” १ थिस्सलुनीकियों ४:३ कहता है, “कि तुम . . . व्यभिचार से बचे रहो।” लेकिन, बाइबल विवाहपूर्व सॆक्स की मनाही क्यों करती है?

परिणाम

बाइबल समय में भी, कुछ लोगों ने विवाह से पहले यौन सम्बन्ध रखे। इसके लिए एक अनैतिक स्त्री शायद एक युवक को बुलाकर कहती: “अब चल हम प्रेम से भोर तक जी बहलाते रहें; हम परस्पर की प्रीति से आनन्दित रहें।” (नीतिवचन ७:१८) लेकिन, बाइबल ने चिताया कि आज का सुख-भोग कल पीड़ा दे सकता है। “क्योंकि पराई स्त्री के ओठों से मधु टपकता है, और उसकी बातें तेल से भी अधिक चिकनी होती हैं,” सुलैमान ने कहा। “परन्तु,” उसने आगे कहा, “इसका परिणाम नागदौना सा कड़ुवा और दोधारी तलवार सा पैना होता है।”—नीतिवचन ५:३, ४.

एक संभव परिणाम है लैंगिक रूप से फैलनेवाली बीमारी लगना। उस मनोव्यथा की कल्पना कीजिए यदि सालों बाद एक व्यक्‍ति को पता चले कि रति क्रिड़ा के कारण अनपलट नुक़सान पहुँचा है, संभवतः बाँझपन या एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या! जैसा नीतिवचन ५:११ चिताता है: “तू अपने अन्तिम समय में जब कि तेरा शरीर क्षीण हो जाए तब . . . हाय मारने लगे।” विवाहपूर्व सॆक्स जारजता (पृष्ठ १८४-५ देखिए), गर्भपात, और असमय विवाह का कारण भी बनता है—इनमें से हरेक के पीड़ादायी परिणाम होते हैं। जी हाँ, विवाहपूर्व यौन सम्बन्ध रखनेवाले सचमुच ‘अपनी ही देह के विरुद्ध पाप करते हैं।’—१ कुरिन्थियों ६:१८.

ऐसे ख़तरों को पहचानते हुए, डॉ. रिचर्ड ली ने येल जरनल ऑफ़ बायॉलोजी एण्ड मॆडिसिन (अंग्रेज़ी) में लिखा: “हम सबसे विश्‍वसनीय और स्पष्ट, सबसे सस्ती और सबसे कम ज़हरीली, गर्भ और यौन व्यथा, दोनों की निवारक—प्राचीन, आदरणीय, और यहाँ तक कि स्वास्थ्यकर कुँवारेपन की अवस्था—की उपेक्षा करते हुए, घमंड से अपने युवजनों को गर्भधारण रोकने और यौन रोग का इलाज करने में अपनी बड़ी उपलब्धियों के बारे में बताते हैं।”

दोष भावनाएँ और निराशा

अनेक युवाओं ने विवाहपूर्व सॆक्स को बहुत ही निराशाजनक भी पाया है। परिणाम? दोष भावनाएँ और आत्म-सम्मान गिरना। तेईस-वर्षीय डॆनिस ने स्वीकार किया: “इसने बड़ा निराश किया—जैसा इसे होना चाहिए था वैसी कोई अच्छी अनुभूति या प्रेम की गरमाहट नहीं थी। इसके बजाय, इस बात के पूर्ण बोध से मुझे चोट पहुँची कि यह कर्म कितना ग़लत था। मुझे अपने आत्म-संयम की कमी पर बहुत ही शर्म आयी।” एक युवती ने स्वीकार किया: “मैं एक घिनौने धक्के के साथ वास्तविकता में लौटी। . . . पार्टी समाप्त हो चुकी थी और मैं घिनौना, निकम्मा, और गंदा महसूस कर रही थी। उसके यह कहने से मुझे कोई राहत नहीं मिली, ‘इससे पहले कि बहुत देर हो गयी तुमने हमें रोका क्यों नहीं?’”

डॉक्टर जे सीगल के अनुसार, ऐसी प्रतिक्रियाएँ सामान्य हैं। २,४३६ कॉलेज छात्रों की लैंगिक क्रियाओं का अध्ययन करने के बाद, उसने निष्कर्ष निकाला: “असंतोषजनक और निराशाजनक पहले [रति क्रिड़ा] अनुभव उनकी तुलना में जो संतोषदायी और रोमांचक थे, लगभग दो और एक के अनुपात में अधिक थे। नर और नारियों, दोनों ने याद किया कि वे बहुत ही निराश हुए।” माना, कभी-कभी सॆक्स के सम्बन्ध में विवाहित दम्पतियों को भी कठिनाइयाँ हो सकती हैं। लेकिन एक विवाह में, जहाँ सच्चा प्रेम और वचनबद्धता होती है, सामान्यतः ऐसी समस्याओं का हल निकाला जा सकता है।

लैंगिक स्वच्छंदता का मूल्य

कुछ युवाओं को यौन सम्बन्ध रखने के बारे में कोई कचोट नहीं होती, सो वे काम संतुष्टि के लिए कोई कसर नहीं छोड़ते, तरह-तरह के साथियों के साथ मैथुन करते हैं। किशोरावस्था कामुकता के बारे में अपने अध्ययन में, अनुसंधायक रॉबर्ट सोरॆनसॆन ने देखा कि ऐसे युवा अपनी लैंगिक स्वच्छंदता का मूल्य चुकाते हैं। सोरॆनसॆन लिखता है: “हमारे व्यक्‍तिगत इंटरव्यू में, अनेक [स्वच्छंद युवा] प्रकट करते हैं . . . कि वे मानते हैं कि वे उद्देश्‍य और आत्म-संतुष्टि के बिना चल रहे हैं।” इनमें से ४६ प्रतिशत इस कथन से सहमत थे, “जिस तरह मैं अभी जी रहा हूँ, उससे मेरी अधिकतर क्षमताएँ व्यर्थ जा रही हैं।” सोरॆनसॆन ने आगे पाया कि इन स्वच्छंद युवाओं ने निम्न “आत्म-विश्‍वास और आत्म-गौरव” रिपोर्ट किया।

यह ठीक नीतिवचन ५:९ के जैसा है जो कहता है: अनैतिकता करनेवाले ‘अपना यश औरों के हाथ कर देते हैं।’

अगली सुबह

एक बार अनैतिक सम्बन्ध रख लेने के बाद, युगल अकसर एक दूसरे को अलग तरह से देखते हैं। एक लड़का शायद पाए कि उस लड़की के लिए उसकी भावनाएँ अब पहले जितनी तीव्र नहीं; यहाँ तक कि वह उसे शायद कम आकर्षक पाए। दूसरी ओर, एक लड़की शायद शोषित महसूस करे। युवक अम्नोन के बारे में बाइबल वृत्तान्त याद कीजिए कि कुँवारी तामार को लेकर वह कितना प्रेमातुर था। फिर भी, उसके साथ संभोग के बाद, “अम्नोन उस से अत्यन्त बैर रखने लगा।”—२ शमूएल १३:१५.

मरिया नाम की लड़की को इसी से मिलता-जुलता अनुभव हुआ। लैंगिक सम्बन्ध रखने के बाद, उसने स्वीकार किया: “(अपनी कमज़ोरी के लिए) मुझे अपने आपसे नफ़रत हो गयी, और अपने प्रेमी से भी। असल में, हमने सोचा था कि यौन सम्बन्ध हमें और पास ले आएगा परन्तु उसने हमारा सम्बन्ध समाप्त कर दिया। मैं उसे दुबारा देखना भी नहीं चाहती थी।” जी हाँ, विवाहपूर्व यौन सम्बन्ध रखने से, युगल एक रेखा पार कर जाते हैं जिसके पीछे वे फिर कभी नहीं आ सकते!

पारिवारिक जीवन के क्षेत्र में एक माननीय अनुसंधायक, पॉल एच. लैंडिस कहता है: “[विवाहपूर्व सॆक्स का] क्षणिक प्रभाव शायद सम्बन्ध को मज़बूत करने के लिए हो, लेकिन दीर्घ-कालिक प्रभाव शायद बहुत भिन्‍न हों।” सचमुच, जो युगल यौन सम्बन्ध रखते हैं उनके अलग होने की संभावना उनसे अधिक है जो इससे दूर रहते हैं! कारण? अनैतिक सॆक्स जलन और अविश्‍वास उत्पन्‍न करता है। एक युवा ने स्वीकार किया: “कुछ लड़के संभोग करने के बाद सोचते हैं, ‘यदि उसने मेरे साथ किया है तो शायद किसी और के साथ भी किया हो।’ सच कहूँ तो मैंने भी यही सोचा। . . . मुझे अत्यधिक जलन और अविश्‍वास, और संदेह हुआ।”

यह सच्चे प्रेम से कितना दूर है, जो “डाह नहीं करता; . . . अनरीति नहीं चलता, . . . अपनी भलाई नहीं चाहता।” (१ कुरिन्थियों १३:४, ५) जो प्रेम स्थायी सम्बन्ध बनाता है वह अन्धी वासना पर आधारित नहीं होता।

निष्कलंकता के लाभ—शान्ति और आत्म-सम्मान

लेकिन, निष्कलंक रहना एक युवा को गंभीर परिणामों से बचने में मदद देने के अलावा भी कुछ करता है। बाइबल एक कुँवारी युवती के बारे में बताती है जो अपने प्रेमी के लिए तीव्र प्रेम के बावजूद निष्कलंक रही। फलस्वरूप, वह गर्व के साथ कह सकी: “मैं शहरपनाह थी और मेरी छातियां उसके गुम्मट।” वह कोई ‘झूलता किवाड़’ नहीं थी जो अनैतिक दबाव में आसानी से ‘खुल जाता।’ नैतिक रूप से, वह एक शहरपनाह की दुर्गम दीवार की तरह खड़ी थी जिसके गुम्मट अगम्य थे! वह इस योग्य थी कि उसे “शुद्ध” (NW) कहा जाए और अपने भावी पति के बारे में कह सकी, “मैं अपने प्रेमी की दृष्टि में शान्ति लानेवाले के नाईं थी।” उसके अपने मन की शान्ति ने उन दोनों के बीच संतुष्टि में योग दिया।—श्रेष्ठगीत ६:९, १०; ८:९, १०.

पहले उल्लिखित निष्कलंक लड़की, ऎस्तर के पास वही आन्तरिक शान्ति और आत्म-गौरव था। उसने कहा: “मुझे अपने बारे में अच्छा लगता था। जब सहकर्मी मेरी हँसी उड़ाते, तब भी मैं अपने कुँवारेपन को एक हीरे की तरह समझती, मूल्यवान क्योंकि वह इतना कम मिलता है।” इसके अलावा, ऎस्तर जैसे युवा एक दोषी अंतःकरण से पीड़ित नहीं होते। “यहोवा परमेश्‍वर के प्रति एक अच्छा अंतःकरण रखने से भला कुछ नहीं,” एक १९-वर्षीय मसीही, स्टेफ़ान ने कहा।

‘लेकिन युगल एक दूसरे को अच्छी तरह कैसे जान सकते हैं यदि वे यौन सम्बन्ध न रखें?’ कुछ युवा सोचते हैं।

स्थायी आत्मीयता बढ़ाना

अपने आपमें सॆक्स पक्के सम्बन्ध नहीं बना सकता; न ही स्नेह की अभिव्यक्‍तियाँ, जैसे चूमना। ऐन नाम की एक युवती चिताती है: “मैंने अनुभव से सीखा कि कभी-कभी आप बहुत जल्दी शारीरिक रूप से बहुत पास आ सकते हैं।” जब युगल अपना समय एक दूसरे पर स्नेह न्योछावर करने में लगाते हैं, तब अर्थपूर्ण संचार बंद हो जाता है। अतः वे गंभीर मतभेदों को ढाँक देते हैं जो विवाह के बाद फिर से उठ सकते हैं। जब ऐन बाद में एक दूसरे पुरुष के साथ डेटिंग करने लगी—जिसके साथ बाद में उसने विवाह किया—वह बहुत शारीरिक अंतरंगता से दूर रहने के बारे में सावधान थी। ऐन बताती है: “हमने अपना समय समस्याओं का हल निकालने और जीवन में अपने लक्ष्यों पर चर्चा करने में बिताया। मैं यह जान पायी कि मैं किस क़िस्म के व्यक्‍ति से विवाह कर रही थी। विवाह के बाद, अनेक सुखद अनुभव हुए।”

क्या ऐन और उसके प्रेमी के लिए ऐसा आत्म-संयम दिखाना कठिन था? “जी हाँ, यह कठिन था!” ऐन ने स्वीकार किया। “मैं स्वाभाविक रूप से एक स्नेही व्यक्‍ति हूँ। लेकिन हमने ख़तरों के बारे में बात की और एक दूसरे की मदद की। हम दोनों की बड़ी चाह थी परमेश्‍वर को प्रसन्‍न करना और अपने निकट विवाह को ख़राब नहीं करना।”

लेकिन क्या एक नए-नए पति या पत्नी को पिछला लैंगिक अनुभव होने से मदद नहीं मिलती? जी नहीं, इसके विपरीत, यह अकसर वैवाहिक आत्मीयता को घटा देता है! विवाहपूर्व सम्बन्धों में, ज़ोर आत्म-संतुष्टि, सॆक्स के शारीरिक पहलुओं पर होता है। बेलगाम वासना के कारण परस्पर आदर को महत्त्व नहीं दिया जाता। एक बार जब ऐसी स्वार्थी आदतें पड़ जाती हैं, तब उन्हें छोड़ना कठिन होता है और आगे चलकर ये एक सम्बन्ध को तहस-नहस कर सकती हैं।

लेकिन विवाह में, एक हितकर आत्मीय सम्बन्ध नियंत्रण और आत्म-संयम की माँग करता है। महत्त्व पाने के बजाय देने पर, ‘अपना लैंगिक कर्तव्य निभाने’ पर होना चाहिए। (१ कुरिन्थियों ७:३, ४, NHT) निष्कलंक रहना आपको ऐसा आत्म-संयम विकसित करने में मदद देता है। यह आपको दूसरे के हित की निःस्वार्थ चिन्ता को अपनी अभिलाषाओं से आगे रखना सिखाता है। यह भी याद रखिए कि वैवाहिक संतुष्टि केवल शारीरिक तत्वों के कारण नहीं मिलती। समाजविज्ञानी सेमूर फ़िशर कहता है कि एक स्त्री की लैंगिक प्रतिक्रिया उसकी “आत्मीयता, घनिष्ठता, और विश्‍वसनीयता की भावनाओं” पर और ‘अपनी पत्नी के साथ घनिष्ठ सम्बन्ध स्थापित करने की उसके पति की क्षमता पर, और कि पति पर उसको कितना भरोसा था’ इस पर भी निर्भर करती है।

दिलचस्पी की बात है, १७७ विवाहित स्त्रियों के अध्ययन में, ऐसी तीन चौथाई स्त्रियों ने, जिन्होंने विवाह से पहले यौन सम्बन्ध रखे थे, विवाह के बाद के पहले दो सप्ताहों के दौरान लैंगिक कठिनाइयाँ बतायीं। इसके अलावा, दीर्घ-कालिक लैंगिक कठिनाइयाँ बतानेवाली सभी स्त्रियों का “विवाहपूर्व रति क्रिड़ा का इतिहास था।” शोध ने यह भी दिखाया है कि जो विवाह से पहले यौन सम्बन्ध रखते हैं उनके विवाह के बाद अन्यगमन करने की संभावना दुगुनी है! बाइबल के शब्द कितने सच हैं: ‘वेश्‍यागमन बुद्धि को भ्रष्ट करता है।’—होशे ४:११.

इसलिए, ‘आप जो कुछ बोते हैं, वही काटेंगे।’ (गलतियों ६:७, ८) वासना बोइए और शंकाओं और असुरक्षाओं की बड़ी फ़सल काटिए। लेकिन यदि आप आत्म-संयम बोते हैं, तो आप निष्ठा और सुरक्षा की कटनी काटेंगे। पहले उल्लिखित, ऎस्तर तब से कई साल हुए सुखी विवाहित जीवन बिता रही है। उसका पति कहता है: “घर पर अपनी पत्नी के पास आना और यह जानना कि हम केवल एक दूसरे के हैं, एक अवर्णनीय आनन्द है। विश्‍वास की इस भावना की जगह कुछ और नहीं ले सकता।”

जो विवाह तक रुकते हैं वे मन की शान्ति का आनन्द भी लेते हैं, क्योंकि वे जानते हैं कि वे परमेश्‍वर को प्रसन्‍न कर रहे हैं। फिर भी, इन दिनों निष्कलंक रहना आसान नहीं है। इसमें कौन-सी बात आपकी मदद कर सकती है?

चर्चा के लिए प्रश्‍न

◻ आपके पहचान के युवाओं के बीच विवाहपूर्व सॆक्स कितना व्याप्त है? क्या यह आपके लिए कोई समस्या या दबाव उत्पन्‍न करता है?

◻ विवाहपूर्व सॆक्स के कुछ नकारात्मक परिणाम क्या हैं? क्या आप ऐसे किसी युवा को जानते हैं जिसने इन तरीक़ों से दुःख भोगा है?

◻ क्या गर्भनिरोध किशोर गर्भधारण की समस्या का हल है?

◻ अनैतिक यौन सम्बन्ध रखने के बाद कुछ को दोष-भावना और निराशा क्यों होती है?

◻ क्या आपको लगता है कि लैंगिक सम्बन्ध एक अविवाहित युगल को एक दूसरे के और निकट आने में मदद देंगे? आप यह उत्तर क्यों देते हैं?

◻ डेटिंग करते समय युगल एक दूसरे को कैसे जान सकते हैं?

◻ आपके विचार से विवाह तक कुँवारे रहने के क्या लाभ हैं?

[पेज 182 पर बड़े अक्षरों में लेख की खास बात]

“वह निराला युवा होता है जिसने किशोरावस्था में ही मैथुन नहीं किया होता।”—दी ऐलन गुटमाकर इंस्टीट्यूट

[पेज 187 पर बड़े अक्षरों में लेख की खास बात]

“इसने बड़ा निराश किया—जैसा इसे होना चाहिए था वैसी कोई अच्छी अनुभूति या प्रेम की गरमाहट नहीं थी”

[पेज 190 पर बड़े अक्षरों में लेख की खास बात]

विवाहपूर्व यौन सम्बन्ध रखने से, युगल एक रेखा पार कर जाते हैं जिसके पीछे वे फिर कभी नहीं आ सकते!

[पेज 184,185 पर बक्स/तसवीर]

‘यह मेरे साथ नहीं हो सकता!’—किशोर गर्भधारण की समस्या

“दस किशोरियों में से १ से अधिक हर साल गर्भवती हो जाती हैं, और यह अनुपात बढ़ रहा है। यदि ढर्रे नहीं बदले, तो दस में से ४ युवतियाँ अपनी किशोरावस्था में ही कम-से-कम एक बार गर्भवती हो जाएँगी।” किशोर गर्भधारण: वह समस्या जो गयी नहीं (अंग्रेज़ी) इस प्रकार रिपोर्ट करती है। और किस क़िस्म की लड़कियाँ गर्भवती होती हैं? पत्रिका किशोरावस्था ने कहा: “जो स्कूल-आयु लड़कियाँ गर्भवती हो जाती हैं वे सभी सामाजिक-आर्थिक वर्गों से आती हैं . . . सभी जातियों, सभी धर्मों, और देश के हर भाग, गाँव और शहर [से]।”

शायद ही कोई लड़की असल में गर्भवती होना चाहती है। ४०० से अधिक गर्भवती किशोरियों के अपने महत्त्वपूर्ण अध्ययन में, फ्रैंक फर्स्टॆनबर्ग जूनियर ने पाया कि “इंटरव्यू में अधिकतर ने बार-बार कहा, ‘मैंने कभी नहीं सोचा था कि यह मेरे साथ हो जाएगा।’”

लेकिन यह देखकर कि उनकी कुछ सहेलियों ने बिना गर्भवती हुए लैंगिक सम्बन्धों का मज़ा लिया था, कुछ लड़कियों ने सोचा कि वे भी ऐसा कर सकती हैं। फर्स्टॆनबर्ग यह भी कहता है: “बहुतों ने कहा कि उन्होंने नहीं सोचा था कि ‘तुरन्त’ गर्भवती होना संभव है। दूसरों ने सोचा कि यदि वे केवल ‘कभी-कभार’ लैंगिक सम्बन्ध रखती हैं तो वे गर्भवती नहीं होंगी। . . . जितने लम्बे समय तक उन्हें गर्भधारण नहीं हुआ, उतनी ही अधिक संभावना थी कि वे और अधिक जोख़िम उठातीं।”

लेकिन, सच्चाई यह है कि जब कभी एक व्यक्‍ति लैंगिक सम्बन्ध रखता है गर्भधारण का जोख़िम होता है। (५४४ लड़कियों के एक समूह में से, ‘लगभग पाँच में से एक लड़की रति क्रिड़ा शुरू करने के छः महीने के अन्दर गर्भवती हो गयी।’) रॉबिन नाम की एक अविवाहित माँ की तरह, अनेक जानबूझकर गर्भनिरोधक नहीं प्रयोग करने का चुनाव करती हैं। रॉबिन को डर था—जैसे अनेक युवतियों को होता है—कि गर्भ-निरोधक गोली खाने से उसका स्वास्थ्य ख़राब हो जाएगा। वह आगे स्वीकार करती है: “यदि मैं गर्भ निरोधक लेती तो मुझे अपने सामने यह स्वीकार करना पड़ता कि मैं कोई ग़लत काम कर रही हूँ। वह मैं नहीं कर सकती थी। सो मैंने अपनी करनी की ओर से अपना मन बंद कर लिया और आशा रखी कि कुछ नहीं होगा।”

ऐसा सोच-विचार अविवाहित माताओं के बीच सामान्य है। फर्स्टॆनबर्ग के अध्ययन में, “लगभग आधी किशोरियों ने कहा कि एक स्त्री के लिए यह बहुत महत्त्वपूर्ण है कि मैथुन करना शुरू करने के लिए विवाह तक रुके . . . अकाट्य रूप से, कथनी और करनी में स्पष्ट अन्तर था . . . उन्होंने एक स्तर पाया था और दूसरे से जीना सीखा था।” इस भावात्मक उलझन ने “इन स्त्रियों के लिए अपने लैंगिक व्यवहार के परिणामों से व्यावहारिक रूप से निपटना ख़ासकर कठिन बना दिया।”

गर्भ निरोधक प्रयोग करना भी कोई गारंटी नहीं है कि एक लड़की अविवाहित मातृत्व से बच जाएगी। पुस्तक बच्चों के बच्चे होना (अंग्रेज़ी) हमें याद दिलाती है: “हर तरीक़े की एक असफलता दर है। . . . यदि अविवाहित किशोर हमेशा गर्भ निरोधक प्रयोग करते हैं तो भी . . . [अमरीका में] ५,००,००० हर साल गर्भवती होंगी।” फिर पैट नाम की एक १६-वर्षीय अविवाहित माँ को यह शोक मनाते हुए उद्धृत किया गया है: “मैंने [गर्भ-निरोधक गोलियाँ] बिना नाग़ा लीं। मैं सच में एक दिन नहीं भूली।”

“धोखा न खाओ,” बाइबल चिताती है। “परमेश्‍वर ठट्ठों में नहीं उड़ाया जाता, क्योंकि मनुष्य जो कुछ बोता है, वही काटेगा।” (गलतियों ६:७) गर्भधारण उन तरीक़ों में से मात्र एक है जिनसे एक व्यक्‍ति व्यभिचार की दुःखद कटनी काट सकता है। ख़ुशी की बात है, अविवाहित माताएँ, बाक़ी सभी की तरह जो अनैतिकता में फँस गए हैं, फिरकर परमेश्‍वर के पास राजा दाऊद की पश्‍चातापी मनोवृत्ति के साथ आ सकती हैं, जिसने प्रार्थना की: “मुझे भली भांति धोकर मेरा अधर्म दूर कर, और मेरा पाप छुड़ाकर मुझे शुद्ध कर।” (भजन ५१:२) परमेश्‍वर ऐसे पश्‍चातापी व्यक्‍तियों के प्रयासों पर आशिष देगा कि “प्रभु की शिक्षा और अनुशासन में” अपने बच्चों का पालन-पोषण करें।—इफिसियों ६:४, NHT.

लेकिन, इससे बेहतर है कि विवाहपूर्व सॆक्स से दूर रहें! उनके द्वारा मूर्ख मत बनाए जाइए जो कहते हैं कि आप इससे बच निकल सकते हैं।

[पेज 183 पर तसवीर]

अनैतिक सॆक्स के बाद, युवा अकसर शोषित या अपमानित तक महसूस करते हैं

[पेज 186 पर तसवीर]

लैंगिक रूप से फैलनेवाली बीमारियाँ अकसर विवाहपूर्व सॆक्स के कारण होती हैं

[पेज 188 पर तसवीर]

अत्यधिक स्नेह दिखाना युगल को नैतिक ख़तरों में डाल सकता है और अर्थपूर्ण संचार कम कर सकता है

[पेज 189 पर तसवीर]

वैवाहिक सुख एक दम्पति के शारीरिक सम्बन्ध पर ही निर्भर नहीं करता