इस जानकारी को छोड़ दें

विषय-सूची को छोड़ दें

हस्तमैथुन—मैं इस आवेग से कैसे लड़ूँ?

हस्तमैथुन—मैं इस आवेग से कैसे लड़ूँ?

अध्याय २६

हस्तमैथुन—मैं इस आवेग से कैसे लड़ूँ?

“यह एक बड़ी पक्की लत है,” १५ साल से अधिक समय तक हस्तमैथुन से जूझनेवाले एक युवक ने कहा। “किसी नशीले पदार्थ या शराब के जैसे इसकी भी लत पड़ सकती है।”

लेकिन, प्रेरित पौलुस ने अपनी लालसाओं को अपने ऊपर अधिकार नहीं जमाने दिया। इसके विपरीत, उसने लिखा: “मैं अपनी देह [शारीरिक कामनाओं] को मारता कूटता, और वश में लाता हूं।” (१ कुरिन्थियों ९:२७) उसने अपने साथ सख़्ती बरती! इसी तरह का प्रयास किसी को भी हस्तमैथुन से छुटकारा पाने में समर्थ करेगा।

‘कार्य करने के लिए अपनी बुद्धि की कमर कसो’

बहुतेरे लोग तनाव और चिन्ता दूर करने के लिए हस्तमैथुन करते हैं। लेकिन, हस्तमैथुन समस्याओं से निपटने का एक बचकाना ढंग है। (१ कुरिन्थियों १३:११ से तुलना कीजिए।) बेहतर है कि “सोचने की क्षमता” दिखाएँ और सीधे समस्या पर वार करें। (नीतिवचन १:४, NW) जब समस्याएँ और कुंठाएँ सहन से बाहर लगती हैं, तब “अपनी सारी चिन्ता [परमेश्‍वर] पर डाल दो।”—१ पतरस ५:६, ७.

यदि आप अचानक कोई ऐसी बात देख या सुन लेते हैं जो कामोत्तेजक है तो? बाइबल सलाह देती है: “कार्य करने के लिए अपनी बुद्धि की कमर कस कर आत्मा में संयमित हो जाओ।” (१ पतरस १:१३, NHT) अपनी बुद्धि का कड़ा प्रयोग कीजिए और उस अनैतिक विचार को ठुकराइए। उत्तेजना जल्द ही ठंडी पड़ जाएगी।

लेकिन, जब व्यक्‍ति रात को अकेला होता है तब बुरे विचारों को ठुकराना ख़ासकर कठिन होता है। एक युवती सलाह देती है: “सबसे अच्छा यह है कि तुरन्त बिस्तर से बाहर निकलकर किसी क़िस्म के काम में लग जाएँ, या शायद कुछ खाने लगें, ताकि आपका मन दूसरी बातों पर लग जाए।” जी हाँ, अपने आपको विवश कीजिए कि ‘जो बातें आदरणीय, उचित, पवित्र, सुहावनी, मनभावनी हैं’ उन पर विचार करें।—फिलिप्पियों ४:८.

जब आपको नींद नहीं आती, तब वफ़ादार राजा दाऊद की नक़ल करने की कोशिश कीजिए, जिसने लिखा: “जब मैं बिछौने पर पड़ा तेरा [परमेश्‍वर] स्मरण करूंगा, तब रात के एक एक पहर में तुझ पर ध्यान करूंगा।” (भजन ६३:६) परमेश्‍वर और उसके गुणों पर विचार करने के लिए अपने मन को विवश करना अकसर उस ललक को मार देगा। यह सोचते रहने से भी मदद मिलती है कि परमेश्‍वर इस गंदी आदत को किस दृष्टि से देखता है।—भजन ९७:१०.

निवारक क़दम उठाइए

“चतुर मनुष्य विपत्ति को आते देखकर छिप जाता है; परन्तु भोले लोग आगे बढ़कर दण्ड भोगते हैं,” उत्प्रेरित बुद्धिमान पुरुष ने लिखा। (नीतिवचन २२:३) आप दूरदृष्टि का प्रयोग करके अपने आपको चतुर दिखा सकते हैं। उदाहरण के लिए, यदि आपने देखा है कि अमुक गतिविधियों में भाग लेने, तंग कपड़े पहनने, या अमुक चीज़ें खाने से आप कामोत्तेजित हो जाते हैं, तो अवश्‍य ही इनसे दूर रहिए। उदाहरण के लिए, शराब व्यक्‍ति का संकोच कम कर सकती है और आत्म-संयम कठिन बना सकती है। साथ ही, मादक विषयों पर किसी पुस्तक, टीवी कार्यक्रम, या फ़िल्म से ऐसे दूर रहिए जैसे वह कोई महामारी हो। “मेरी आंखों को व्यर्थ वस्तुओं की ओर से फेर दे,” भजनहार ने प्रार्थना की।—भजन ११९:३७.

उस समय के लिए भी निवारक क़दम लिए जा सकते हैं जब आप ख़ासकर आसानी से शिकार बन सकते हैं। शायद एक युवती यह पाए कि महीने के अमुक समय उसकी लैंगिक कामनाएँ और तीव्र हो जाती हैं। या व्यक्‍ति शायद भावात्मक रूप से दुःखी या हताश हो। “यदि तू विपत्ति के समय साहस छोड़ दे, तो तेरी शक्‍ति बहुत कम है,” नीतिवचन २४:१० चिताता है। सो हो सके तो लम्बे-लम्बे समय तक अकेले मत रहिए। उन्‍नतिकारक गतिविधियों की योजना बनाइए जो आपके मन को चुनौतीपूर्ण कार्यों में व्यस्त रखेंगी, और उसे अनैतिक विचारों की ओर बहकने का कम अवसर देंगी।

आध्यात्मिक हमला

एक २७-वर्षीय पुरुष जो ११ की उम्र से इस आदत से जूझ रहा था, अंततः जय पाने में समर्थ हुआ। “यह पहले होकर हमला करने की बात थी,” उसने बताया। “मैं बिना नाग़ा, हर दिन बाइबल के कम-से-कम दो अध्याय पढ़ता हूँ।” उसको नियमित रूप से ऐसा करते हुए तीन साल से अधिक समय हो गया है। एक और मसीही सलाह देता है: “सोने से पहले, आध्यात्मिक बातों से सम्बन्धित कुछ पढ़िए। यह बहुत महत्त्वपूर्ण है कि दिन का अन्तिम विचार आध्यात्मिक हो। इस समय प्रार्थना भी अत्यधिक सहायक होती है।”

‘प्रभु के काम में सर्वदा बढ़ते जाना,’ जैसे दूसरों को बाइबल सिखाने का काम भी मदद करता है। (१ कुरिन्थियों १५:५८) हस्तमैथुन पर जय पानेवाली एक स्त्री ने कहा: “एक बात जो इस आदत से दूर रहने में सचमुच अभी मेरी मदद करती है वह यह है कि एक पूर्ण-समय सुसमाचारक के रूप में मेरा मन और शक्‍ति, सभी कुछ दूसरों को परमेश्‍वर के साथ एक स्वीकृत सम्बन्ध पाने में मदद देने की ओर लगा हुआ है।”

हार्दिक प्रार्थना के द्वारा, आप परमेश्‍वर से “असीम सामर्थ” के लिए भी बिनती कर सकते हैं। (२ कुरिन्थियों ४:७) “[परमेश्‍वर] से अपने अपने मन की बातें खोलकर कहो।” (भजन ६२:८) एक युवती कहती है: “प्रार्थना शक्‍ति का एक झटपट स्रोत है। जिस समय कामना उठती है उसी समय प्रार्थना करना निश्‍चित ही मदद करता है।” साथ ही, उठते समय और दिन के दौरान परमेश्‍वर को अपना संकल्प व्यक्‍त कीजिए और उसकी शक्‍तिदायी पवित्र आत्मा की याचना कीजिए।—लूका ११:१३.

दूसरों से मदद

यदि आपके व्यक्‍तिगत प्रयास सफल नहीं होते, तो किसी ऐसे व्यक्‍ति से बात कीजिए जो मदद कर सकता है, जैसे एक जनक या एक मसीही प्राचीन। युवतियाँ किसी प्रौढ़ मसीही स्त्री को अपने मन की बात बताना सहायक पा सकती हैं। (तीतुस २:३-५) हताशा की हद पर पहुँचे एक युवक ने कहा: “मैंने इस बारे में एक शाम अकेले में अपने पिता से बात की।” उसने बताया: “बड़ी मुश्‍किल से, दिल कड़ा करके मैं उन्हें बता पाया। उन्हें बताते समय मैं रोता गया, मैं इतना लज्जित था। लेकिन उन्होंने जो कहा उसे मैं कभी नहीं भूलूँगा। अपने चेहरे पर एक आश्‍वासन-भरी मुस्कान के साथ, उन्होंने कहा: ‘मुझे तुम पर इतना गर्व होता है।’ वह जानते थे कि मुद्दे पर आने के लिए मुझे कितनी मुश्‍किल हुई। कोई दूसरी बात मेरा इतना अधिक मनोबल और संकल्प नहीं बढ़ा सकती थी।

“तब मेरे पिता ने मुझे कुछ शास्त्रवचन दिखाए। उन्होंने यह देखने में मेरी मदद की कि ऐसा नहीं कि मैं ‘बहुत दूर चला गया’ हूँ,” युवा ने आगे कहा, “और फिर कुछ और शास्त्रवचन यह निश्‍चित करने के लिए दिखाए कि मुझे अपने ग़लत मार्ग की गंभीरता समझ आए। उन्होंने कहा कि कुछ समय तक ‘काग़ज़ कोरा रखूँ,’ और तब हम फिर से इस पर बात करेंगे। उन्होंने मुझसे कहा कि यदि मैं चूक जाता हूँ तो चूर-चूर न हो जाऊँ, बल्कि अगली बार बिना चूके ज़्यादा लम्बे समय तक दृढ़ रहूँ।” समस्या को पूरी तरह दूर करने के बाद, उस युवक ने आगे कहा: “सबसे बड़ी सहायता थी किसी और को अपनी समस्या बताना और उसकी मदद लेना।”

पुनःपतन से निपटना

इस आदत को छोड़ने के लिए कड़ा प्रयास करने के बाद, एक युवा फिर से हस्तमैथुन कर बैठा। उसने स्वीकार किया: “यह मुझ पर एक चूर करनेवाले भार के जैसा था। मैंने इतना अयोग्य महसूस किया। फिर मैंने सोचा: ‘मैं बहुत दूर चला गया हूँ। यहोवा का अनुग्रह तो मुझ पर वैसे भी नहीं है, सो अपने ऊपर सख़्ती क्यों करूँ?’” लेकिन, दुबारा चूकने का यह अर्थ नहीं कि व्यक्‍ति लड़ाई हार गया है। एक १९-वर्षीय लड़की याद करती है: “शुरू-शुरू में यह लगभग हर रात होता था, लेकिन तब मैंने यहोवा पर ज़्यादा भरोसा रखना शुरू किया, और उसकी आत्मा की मदद से अब मैं शायद साल में बस छः बार चूकती हूँ। बाद में मुझे बहुत बुरा लगता है, लेकिन हर बार जब मैं चूकती हूँ, तब अगला प्रलोभन आने पर मैं काफ़ी ज़्यादा मज़बूत होती हूँ।” सो धीरे-धीरे वह अपनी लड़ाई जीत रही है।

जब फिर से चूक जाते हैं, तब यह पता लगाइए कि इसका कारण क्या था। एक युवा कहता है: “मैं इस पर पुनःविचार करता हूँ कि मैं क्या पढ़ या सोच रहा था। लगभग हमेशा मैं पता लगा पाता हूँ कि मैं क्यों चूका। इस प्रकार मैं वह काम रोक सकता हूँ और सुधार कर सकता हूँ।”

अच्छी लड़ाई के प्रतिफल

हस्तमैथुन पर जय पानेवाले एक युवा ने कहा: “इस समस्या पर जय पाने के बाद से, मैं यहोवा के सामने एक शुद्ध अंतःकरण रख सकता हूँ, और वह एक ऐसी चीज़ है जिसका सौदा मैं किसी चीज़ के लिए नहीं करूँगा!”

जी हाँ, एक शुद्ध अंतःकरण, आत्म-सम्मान की भावना बढ़ना, नैतिक शक्‍ति बढ़ना, परमेश्‍वर के साथ और निकट का सम्बन्ध बनना, ये सभी हस्तमैथुन के विरुद्ध एक अच्छी लड़ाई के प्रतिफल हैं। हस्तमैथुन पर अंततः जय पानेवाली एक युवती कहती है: “मेरी मानिए, इस आदत पर जय पाना इसके लिए किए गए प्रयास से कहीं बढ़कर है।”

चर्चा के लिए प्रश्‍न

◻ कामोद्दीपक विचारों पर मनन करना क्यों ख़तरनाक है? अपना मन किसी और बात पर लगाने के लिए एक युवा क्या कर सकता है?

◻ हस्तमैथुन करने के प्रलोभन को कम करने के लिए एक युवा कौन-से निवारक क़दम उठा सकता है?

◻ एक आध्यात्मिक हमला क्यों सहायक है?

◻ इस आदत पर जय पाने में प्रार्थना कौन-सी भूमिका निभाती है?

◻ यदि इस सम्बन्ध में कोई समस्या है तो किसी को अपने मन की बात बताना क्यों सहायक है?

[पेज 208, 209 पर बक्स/तसवीर]

अश्‍लील-सामग्री—आदत-बननेवाली और ख़तरनाक!

“अश्‍लील-साहित्य हर जगह है: आप बाज़ार तक जाते हैं—वहाँ यह दुकानों पर खुलेआम सजाया गया होता है,” १९-वर्षीय रॉनल्ड ने याद किया। “हमारे कुछ शिक्षक इसे स्कूल लाते, और अगली कक्षा का इंतज़ार करते समय अपनी मेज़ पर रखकर पढ़ते।” जी हाँ, अलग-अलग उम्र, पृष्ठभूमियों, और शैक्षिक स्तरों के अनेक लोग अश्‍लील-साहित्य के उत्सुक पाठक हैं। मोहित नाम के एक युवा ने कहा: “जब मैंने घासलेटी पत्रिकाएँ पढ़ीं और चित्र देखे तब यह बड़ा रोमांचक लगा! . . . मैंने इन पत्रिकाओं के नए अंकों की उत्सुकता से आस देखी क्योंकि जिन्हें मैं पढ़ चुका था उन्हें फिर से देखने से मुझे उतना रोमांच नहीं हुआ। यह आदत-बननेवाला होता है।” लेकिन क्या यह एक अच्छी आदत है?

अश्‍लील-सामग्री का एक बुलन्द संदेश है: ‘सॆक्स केवल आत्म-संतुष्टि के लिए है।’ इसका अधिकतर भाग बलात्कार और परपीड़क हिंसा से भरा होता है। अनेक दर्शकों को जल्द ही पता लगता है कि “हलके” प्रकार (सॉफ़्ट कोर) अब उत्तेजक नहीं रहे और इसलिए वे ऐसे चित्र या फ़िल्में ढूँढते हैं जो और भी अश्‍लील हों! जैसे न्यू यॉर्क विश्‍वविद्यालय के एक सहायक प्रोफ़ॆसर, अरनॆस्ट वैन डॆन हाग ने कहा: “अश्‍लील-सामग्री हमें यह न्योता देती है कि दूसरों को केवल माँस के टुकड़ों के रूप में, स्वयं अपने सुख की अनुभूतियों के लिए शोषण की वस्तुओं के रूप में देखें।”

अश्‍लील-सामग्री सॆक्स के बारे में एक विकृत, अस्वाभाविक दृष्टिकोण भी प्रस्तुत करती है जो अकसर वैवाहिक समस्याओं का कारण बनता है। एक जवान पत्नी कहती है: “अश्‍लील साहित्य पढ़ने से मुझे अपने पति के साथ उन अस्वाभाविक बातों की इच्छा हुई जो पुस्तकों में दिखायी गयी थीं। इस कारण लैंगिक रूप से निरन्तर कुंठा और निराशा हुई।” १९८१ में कई सौ स्त्रियों के बीच एक सर्वेक्षण लिया गया कि उनके जीवन में जो अश्‍लील-साहित्य पढ़नेवाले पुरुष थे उनके साथ उनके सम्बन्ध में इसके क्या प्रभाव हुए। इनमें से लगभग आधी स्त्रियों ने कहा कि इसने गंभीर समस्याएँ उत्पन्‍न कीं। इसने कुछ विवाहों या सगाइयों को तो बरबाद भी कर दिया। एक पत्नी ने शोक मनाया: “अश्‍लील-सामग्री से लैंगिक सुख पाने की [अपने पति की] ज़रूरत और इच्छा से मैं केवल यह अनुमान लगा सकती हूँ कि मैं अयोग्य हूँ . . . मैं परमेश्‍वर से कहती हूँ कि काश मैं एक ऐसी स्त्री होती जो उन्हें संतुष्ट कर पाती, लेकिन उन्हें तो प्लास्टिक और काग़ज़ पसन्द हैं और उनकी ज़रूरत ने मेरे नारीत्व को चोट पहुँचायी है। . . . अश्‍लील-सामग्री . . . प्रेम-विरुद्ध है . . . यह भद्दी, क्रूर और विनाशक है।”

लेकिन, मसीही युवाओं की सबसे बड़ी चिन्ता यह सच्चाई है कि अश्‍लील-सामग्री परमेश्‍वर की दृष्टि में शुद्ध रहने के एक व्यक्‍ति के प्रयासों के एकदम विरुद्ध कार्य करती है। (२ कुरिन्थियों ६:१७–७:१) बाइबल दिखाती है कि “उनके मन की कठोरता के कारण” प्राचीन समय में कुछ लोग “सुन्‍न होकर, लुचपन में लग गए . . . , कि सब प्रकार के गन्दे काम लालसा से किया करें।” (इफिसियों ४:१८, १९) क्या आप ऐसी भ्रष्टता अनुभव करना चाहेंगे? याद रखिए, अश्‍लील-सामग्री को कभी-कभार प्रयोग करने से भी व्यक्‍ति के अंतःकरण पर सुन्‍न करनेवाला प्रभाव हो सकता है। यह कुछ युवा मसीहियों को हस्तमैथुन की ओर, और उससे भी बदतर, लैंगिक अनैतिकता की ओर ले गया है। तो फिर, बुद्धिमानी का काम है कि अश्‍लील-सामग्री से दूर रहने की पूरी कोशिश करें।

“बहुत बार अश्‍लील-सामग्री मुझे एकदम सामने दिखायी देती है,” युवा डॆरिल कहता है। “सो मैं पहली नज़र में उसे देखने के लिए मजबूर होता हूँ; लेकिन मुझे दूसरी बार देखने की ज़रूरत नहीं।” जी हाँ, वहाँ मत देखिए जहाँ यह खुलेआम सजायी गयी होती है, और सहपाठियों के कोंचने पर भी इसे मत देखिए। जैसे १८-वर्षीय कैरॆन ने तर्क किया: “एक अपरिपूर्ण व्यक्‍ति होने के कारण अपना मन पवित्र और प्रशंसा की बातों पर लगाने की कोशिश करना पहले ही कठिन है। क्या यह और भी कठिन नहीं होगा यदि मैं जानबूझकर अश्‍लील-साहित्य पढ़ूँ?”

[पेज 206 पर तसवीर]

“प्रार्थना शक्‍ति का एक झटपट स्रोत है। जिस समय कामना उठती है उसी समय प्रार्थना करना निश्‍चित ही मदद करता है”