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क्या मुझे स्कूल छोड़ देना चाहिए?

क्या मुझे स्कूल छोड़ देना चाहिए?

अध्याय १७

क्या मुझे स्कूल छोड़ देना चाहिए?

जैक २५ से अधिक साल से स्कूल उपस्थिति अधिकारी रहा है। इसलिए एक कामचोर युवा को ऐसा बहाना बनाने में दिक्कत होती है जो जैक ने अब तक न सुना हो। “बच्चे मुझ से सब कुछ कह चुके हैं,” वह कहता है, “जैसे ‘मुझे लगा आज मैं बीमार पड़नेवाला हूँ’ . . . ‘अलास्का में मेरी दादी मर गयीं।’” जैक का “मनपसन्द” बहाना? यह उन तीन लड़कों का था जिन्होंने दावा किया कि वे “स्कूल नहीं ढूँढ पाए क्योंकि बहुत धुँध थी।”

ये लज्जित करनेवाले खोखले बहाने स्कूल के प्रति अनेक युवाओं की घृणा को सचित्रित करते हैं, जो अकसर उदासीनता (“मेरे ख़याल से ठीक-ही है”) से लेकर खुले विरोध (“स्कूल के नाम से उलटी आती है! मुझे उससे नफ़रत है”) तक होती है। उदाहरण के लिए, समीर स्कूल के लिए उठता और तुरन्त उसके पेट में कुछ होने लगता। उसने कहा, “मैं स्कूल के पास पहुँचता, और मुझे इतना पसीना आता और घबराहट होती . . . मुझे अपने घर लौटना ही पड़ता।” इसी प्रकार अनेक युवा स्कूल की गहरी दहशत से पीड़ित हैं—जिसे डॉक्टर स्कूल भय कहते हैं। यह प्रायः स्कूल हिंसा, समकक्ष क्रूरता, और अच्छे नम्बर लाने के दबाव से उत्पन्‍न होता है। ऐसे युवा (माता-पिता के थोड़ा-बहुत मनाने पर) शायद स्कूल चले जाते हैं, लेकिन उन्हें हमेशा खलबली रहती है और शारीरिक व्यथा भी होती है।

यह आश्‍चर्य की बात नहीं कि बहुत बड़ी संख्या में युवा स्कूल बिलकुल भी नहीं जाने का चुनाव करते हैं! मात्र अमरीका में ही, प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों के कुछ पच्चीस लाख छात्र हर दिन अनुपस्थित रहते हैं! द न्यू यॉर्क टाइम्स में एक लेख ने आगे कहा कि न्यू यॉर्क सिटी हाई स्कूलों में इतने सारे (लगभग एक तिहाई) बच्चे “सामान्य रूप से अनुपस्थित” रहते हैं “कि उन्हें सिखाना लगभग असंभव है।”

दूसरे युवा और भी गंभीर क़दम उठा रहे हैं। “स्कूल उबाऊ, बहुत सख़्त था,” वॉल्टर नाम के एक युवक ने कहा। उसने हाई स्कूल (माध्यमिक स्कूल) छोड़ दिया। यही एन्टोनिया नाम की एक लड़की ने भी किया। उसे अपना स्कूल-काम करने में मुश्‍किल हो रही थी। “मैं वह काम कैसे करती जब मुझे समझ ही नहीं आ रहा था कि मैं क्या पढ़ रही हूँ?” उसने पूछा। “मैं वहाँ बैठी और भी बुद्धू होती जा रही थी, सो मैं निकल आयी।”

माना, संसार-भर में गंभीर समस्याएँ स्कूल प्रणालियों को जकड़े हुए हैं। लेकिन क्या यह स्कूल में सारी दिलचस्पी खोने और उसे छोड़ देने का कारण है? स्कूल छोड़ने के आपके जीवन पर बाद में क्या प्रभाव हो सकते हैं? क्या जब तक कि पढ़ाई पूरी न हो जाए, स्कूल में रहने के ठोस कारण हैं?

शिक्षा का महत्त्व

माइकल स्कूल वापस गया ताकि हाई स्कूल तुल्यता डिप्लोमा ले सके। कारण पूछे जाने पर, उसने कहा, “मुझे समझ आया कि मुझे शिक्षा की ज़रूरत है।” लेकिन “शिक्षा” है क्या? ढेर सारे प्रभावशाली तथ्यों को सुनाने की क्षमता? शिक्षा में इसका उससे अधिक योग नहीं जितना कि एक घर में ईंटों के ढेर का है।

शिक्षा को चाहिए कि आपको एक सफल प्रौढ़ जीवन के लिए तैयार करे। १८ साल से रहे एक स्कूल अध्यक्ष, ऐलॆन ऑस्टिल ने “उस शिक्षा” के बारे में कहा “जो आपको सिखाती है कैसे सोचें, समस्याएँ सुलझाएँ, क्या तर्कसंगत और तर्कहीन है, स्पष्ट रूप से सोचने की, यह जानने की कि जानकारी क्या है और अंशों और पूर्ण के बीच सम्बन्धों को जानने की मूलभूत क्षमता। फ़ैसले और भेद करना, यह सीखना कि कैसे सीखें।”

और इसमें स्कूल की क्या भूमिका है? सदियों पहले राजा सुलैमान ने नीतिवचन लिखे “कि भोलों को चतुराई, और जवान को ज्ञान और विवेक मिले।” (नीतिवचन १:१-४) जी हाँ, जवानी का दूसरा नाम अनुभवहीनता है। लेकिन, स्कूल आपको सोचने की क्षमता पोषित और विकसित करने में मदद दे सकता है। यह तथ्यों को सुनाने की ही नहीं बल्कि उनका विश्‍लेषण करने और उनमें से फलदायी विचार निकालने की भी क्षमता है। जबकि अनेक लोगों ने स्कूलों के सिखाने के तरीक़ों की आलोचना की है, स्कूल अवश्‍य ही आपको अपना दिमाग़ इस्तेमाल करने के लिए विवश करता है। यह सच है, रेखागणित के प्रश्‍न हल करना या ऐतिहासिक तारीख़ों की सूची रटना उस समय आपके जीवन में शायद प्रासंगिक न लगे। लेकिन जैसे बार्बरा मेयर ने हाई स्कूल सफलता कुंजी (अंग्रेज़ी) में लिखा: “सभी को वे सारे तथ्य और ज्ञान की बातें याद नहीं रहनेवालीं जो शिक्षक परीक्षाओं में पूछना पसन्द करते हैं, लेकिन कैसे अध्ययन करें, और कैसे योजना बनाएँ, जैसे कौशल कभी नहीं भूलेंगे।”

इसी प्रकार तीन विश्‍वविद्यालय प्रोफ़ॆसरों ने, जिन्होंने शिक्षा के दीर्घ-कालिक प्रभावों का अध्ययन किया, यह निष्कर्ष निकाला कि “ज़्यादा अच्छी तरह शिक्षित लोगों के पास ज़्यादा विस्तृत और गहरा ज्ञान होता है, न सिर्फ़ किताबी तथ्यों का बल्कि समकालिक संसार का भी, और कि इसकी संभावना अधिक है कि वे ज्ञान की खोज करेंगे और जानकारी के स्रोतों से संपर्क रखेंगे। . . . यह पाया गया है कि बुढ़ापे के और स्कूल से निकलने के अनेक सालों के बावजूद ये भिन्‍नताएँ बनी रहती हैं।”—शिक्षा के स्थायी प्रभाव (अंग्रेज़ी)।

सबसे महत्त्वपूर्ण, शिक्षा आपको अपनी मसीही ज़िम्मेदारियाँ पूरी करने के लिए सज्जित कर सकती है। यदि आपने अच्छी अध्ययन आदतें बनायी हैं और पढ़ने की कला में निपुणता हासिल की है, तो आप ज़्यादा आसानी से परमेश्‍वर के वचन का अध्ययन कर सकते हैं। (भजन १:२) स्कूल में अपने आपको व्यक्‍त करना सीख लेने के कारण, आप ज़्यादा आसानी से दूसरों को बाइबल सच्चाइयाँ सिखा सकते हैं। इसी प्रकार इतिहास, विज्ञान, भूगोल, और गणित का ज्ञान उपयोगी है और विभिन्‍न पृष्ठभूमियों, रुचियों, और विश्‍वासों के लोगों को समझने में आपकी मदद करेगा।

स्कूल और रोज़गार

स्कूल का आपकी भावी रोज़गार संभावनाओं पर भी एक बड़ा प्रभाव होता है। वह कैसे?

बुद्धिमान राजा सुलैमान ने कुशल कारीगर के बारे में कहा: “वह राजाओं के सम्मुख खड़ा होगा; छोटे लोगों के सम्मुख नहीं।” (नीतिवचन २२:२९) यह आज भी सच है। “बिन कौशल के, आप जीवन में बहुत-सी बातों में पीछे रह सकते हैं,” अमरीकी श्रम विभाग के अरनॆस्ट ग्रीन ने कहा।

तो फिर, यह स्वाभाविक है कि जो स्कूल छोड़ देते हैं उनको नौकरी मिलने की संभावना कम है। वॉल्टर (पहले उल्लिखित) ने यह बात दुःखद अनुभव से सीखी। “मैंने बहुत बार नौकरी के लिए अर्ज़ी दी और वह मुझे मिल नहीं सकी क्योंकि मेरे पास डिप्लोमा नहीं था।” उसने यह भी स्वीकार किया: “कभी-कभी लोग ऐसे शब्द प्रयोग करते हैं जो मुझे समझ नहीं आते, और मैं बुद्धू महसूस करता हूँ।”

हाई स्कूल छोड़नेवाले १६- से २४-वर्षीय युवाओं के बीच बेरोज़गारी “उनके समकक्षों की तुलना में लगभग दुगुनी है जिन्होंने स्नातक किया और कुल बेरोज़गारी दर की तुलना में लगभग तीन गुनी है।” (द न्यू यॉर्क टाइम्स) “जो अपनी शिक्षा जारी नहीं रखते वे अवसर के द्वार बंद कर रहे हैं,” अपनी पुस्तक किशोर (अंग्रेज़ी) में लेखक एफ. फिलिप राइस आगे कहता है। जिसने स्कूल छोड़ दिया है उसने संभवतः सरल से सरल कार्य करने के लिए ज़रूरी बुनियादी कौशल में निपुणता हासिल नहीं की है।

पॉल कॉपरमॆन अपनी पुस्तक साक्षरता छलावा (अंग्रेज़ी) में लिखता है: “एक हाल का अध्ययन दिखाता है कि रसोइये की नौकरी करने के लिए लगभग सातवीं-कक्षा पठन स्तर, मॆकैनिक की नौकरी करने के लिए आठवीं-कक्षा स्तर, और भंडार क्लर्क की नौकरी करने के लिए नौवीं- या दसवीं-कक्षा स्तर की ज़रूरत होती है।” वह आगे कहता है: “मेरे हिसाब से यह उचित निष्कर्ष है कि एक शिक्षक, नर्स, अकाउन्टॆंट, या इंजीनियर की नौकरी के लिए पठन क्षमता का निम्नतम स्तर इससे ज़्यादा की माँग करेगा।”

तो फिर, स्पष्ट है कि जो छात्र पठन जैसे बुनियादी कौशल सीखने के लिए सचमुच बड़ी मेहनत करते हैं, उनके पास कहीं बेहतर रोज़गार अवसर होंगे। लेकिन स्कूल जाने से कौन-सा एक और आजीवन लाभ प्राप्त किया जा सकता है?

आप में निखार

वह आजीवन लाभ है आपका अपनी ख़ूबियों और कमियों को जानना। मिशॆल ने, जिसने हाल में कम्प्यूटर क्षेत्र में नौकरी शुरू की है, कहा: “स्कूल में मैंने दबाव में काम करना, परीक्षा देना और अपने आपको व्यक्‍त करना सीखा।”

‘स्कूल ने मुझे सिखाया कि असफलता को किस दृष्टि से देखूँ,’ एक और युवती कहती है। उसकी प्रवृत्ति थी अपनी हार का कारण दूसरों को समझना, अपने आपको नहीं। दूसरों ने स्कूल के अनुशासित नित्यक्रम से लाभ उठाया है। अनेक इस कारण स्कूलों की आलोचना करते हैं, और यह दावा करते हैं कि यह युवा मस्तिष्क को दबा देता है। परन्तु सुलैमान ने युवाओं को प्रोत्साहित किया कि ‘बुद्धि और शिक्षा प्राप्त करें।’ (नीतिवचन १:२) जिन स्कूलों में अनुशासन होता है उनमें से सचमुच अनेक अनुशासित, साथ ही रचनात्मक मस्तिष्क निकले हैं।

इसलिए यह आपके लिए एकदम उचित है कि अपने स्कूल के सालों का पूरा लाभ उठाएँ। आप यह कैसे कर सकते हैं? आइए आपके स्कूल-काम से ही शुरू करें।

चर्चा के लिए प्रश्‍न

◻ इतने सारे युवा स्कूल के बारे में नकारात्मक दृष्टिकोण क्यों रखते हैं? इस विषय में आपको कैसा लगता है?

◻ स्कूल एक व्यक्‍ति को सोचने की क्षमता विकसित करने में कैसे मदद देता है?

◻ स्कूल छोड़ देना नौकरी पाने की आपकी भावी क्षमता को कैसे प्रभावित कर सकता है, और क्यों?

◻ स्कूल में रहने से और कौन-से व्यक्‍तिगत लाभ मिल सकते हैं?

[पेज 135 पर बड़े अक्षरों में लेख की खास बात]

“मैं वहाँ बैठी और भी बुद्धू होती जा रही थी, सो मैं निकल आयी”

[पेज 138 पर बड़े अक्षरों में लेख की खास बात]

“एक हाल का अध्ययन दिखाता है कि रसोइये की नौकरी करने के लिए लगभग सातवीं-कक्षा पठन स्तर, मॆकैनिक की नौकरी करने के लिए आठवीं-कक्षा स्तर, और भंडार क्लर्क की नौकरी करने के लिए नौवीं- या दसवीं-कक्षा स्तर की ज़रूरत होती है”

[पेज 136 पर तसवीरें]

स्कूल में सीखा अनुशासन आपको जीवन-भर लाभ पहुँचा सकता है

[पेज 137 पर तसवीर]

उनके लिए नौकरी की संभावनाएँ कम होती हैं जिन्होंने स्कूल में सिखाए गए बुनियादी कौशल में निपुणता हासिल नहीं की है