इस जानकारी को छोड़ दें

विषय-सूची को छोड़ दें

मैं एक नौकरी कैसे पाऊँ (और बनाए रखूँ!)?

मैं एक नौकरी कैसे पाऊँ (और बनाए रखूँ!)?

अध्याय २१

मैं एक नौकरी कैसे पाऊँ (और बनाए रखूँ!)?

पत्रिका सीनियर स्कॉलॆस्टिक में प्रकाशित एक सर्वेक्षण ने कुछ अमरीकी हाई स्कूल वरिष्ठ छात्रों से कहा कि जिन जीवन लक्ष्यों को वे “बहुत महत्त्वपूर्ण” समझते हैं उन्हें श्रेणीबद्ध करें। चौरासी प्रतिशत ने कहा: “एक टिकाऊ काम पाने में समर्थ होना।”

संभवतः आप व्यक्‍तिगत या घरेलू ख़र्चों में मदद देने के लिए एक स्कूल-उपरांत नौकरी में दिलचस्पी रखते हैं। या शायद आप एक अंश-कालिक नौकरी ढूँढ रहे हैं ताकि एक पूर्ण-समय सुसमाचारक के रूप में अपना निर्वाह कर सकें। (अध्याय २२ देखिए।) कारण जो भी हो, विश्‍वव्यापी मुद्रास्फीति और बेहुनर श्रमिकों की सीमित माँग ने युवाओं के लिए नौकरी पाना कठिन बना दिया है। तो फिर, आप रोज़गार बाज़ार में आसानी से कैसे प्रवेश कर सकते हैं?

स्कूल—कार्य-प्रशिक्षण स्थल

क्लीवलॆंड जोन्स, अनेक वर्षों का अनुभव रखनेवाला एक रोज़गार नियोजक यह सलाह देता है: “एक अच्छी हाई स्कूल शिक्षा प्राप्त कीजिए। अच्छी तरह से पढ़ना और लिखना और बोलना सीखना बहुत महत्त्वपूर्ण है। उचित शिष्टाचार भी सीखिए, ताकि आप व्यवसायिक जगत में लोगों से व्यवहार कर सकें।”

एक बस चालक को आगमन और प्रस्थान के लिए समय-सारणी पढ़ने में समर्थ होना चाहिए। कारख़ानों के श्रमिकों को यह जानने की ज़रूरत है कि कार्य-पूर्ति टिकट या मिलते-जुलते फ़ॉर्म कैसे भरें। दुकान-कर्मियों से हिसाब करने की अपेक्षा की जाती है। लगभग हर क़िस्म के काम में, संचार कौशल ज़रूरी होते हैं। ये ऐसे कौशल हैं जो आप स्कूल में अच्छी तरह सीख सकते हैं।

लगन रंग लाती है

“यदि आप स्कूल से निकल चुके हैं और एक नौकरी की तलाश में हैं, तो कभी हार मत मानिए,” जोन्स कहता है। “दो या तीन इंटरव्यू देने के बाद, घर में बैठकर इंतज़ार मत कीजिए। इस तरह आप कभी नौकरी के लिए नहीं बुलाए जाएँगे।” युवा सुरेश को सात महीने की तलाश के बाद नौकरी मिली। “मैं अपने आपसे कहता: ‘मेरा काम है काम ढूँढना,’” सुरेश बताता है। “मैंने सात महीने तक कार्य-सप्ताह के हर दिन, दिन में आठ घंटे नौकरी ढूँढने में बिताए। मैं हर सुबह जल्दी निकलता और शाम चार बजे तक ‘काम’ करता। कई बार रात को मेरे पैर सूज जाते। अगली सुबह मुझे ‘अपने आपको मनाना’ पड़ता कि फिर से तलाश शुरू करो।”

किस बात ने सुरेश को हार मानने से रोका? “हर बार जब मैं कर्मचारी कार्यालय में होता,” वह उत्तर देता है, “मैं यीशु की बात याद करता: ‘यत्न करो।’ मैं सोचता रहता कि एक दिन मैं काम कर रहा होऊँगा और कि यह बुरा समय गुज़र जाएगा।”—लूका १३:२४.

नौकरी कहाँ ढूँढें

यदि आप एक ग्रामीण क्षेत्र में रहते हैं, तो आपकी नौकरी खोज स्थानीय खेतों और बाग़ीचों से शुरू हो सकती है, या आप किसी क़िस्म का रखवाली काम ढूँढ सकते हैं। यदि आप एक बड़े नगर या शहर में रहते हैं, तो अख़बारों में आवश्‍यकता-है विज्ञापनों को देखिए। ये विज्ञापन इस बारे में संकेत देते हैं कि अमुक नौकरी के लिए कौन-सी योग्यताएँ ज़रूरी हैं और ये मालिक को यह समझाने में आपकी मदद कर सकते हैं कि क्यों आप उन माँगों को पूरा कर सकते हैं। माता-पिता, शिक्षक, रोज़गार एजन्सियाँ, कर्मचारी कार्यालय, मित्र, और पड़ोसी अन्य स्रोत हैं जिनकी मदद आप ले सकते हैं।

अपनी नौकरी बनाए रखना

दुःख की बात है, जब आर्थिक दबाव बेरोज़गारी पैदा करते हैं, तब प्रायः सबसे पहले नौकरी से युवाओं को निकाला जाता है। लेकिन ज़रूरी नहीं कि यह आपके साथ हो। “जो लोग नौकरी बनाए रखते हैं वे ऐसे लोग होते हैं जो काम करने के इच्छुक होते हैं और जो मालिक का हर कहा मानने के लिए इच्छुक मनोवृत्ति दिखाते हैं,” श्री. जोन्स कहता है।

आपकी मनोवृत्ति आपकी मानसिक अवस्था है—अपनी नौकरी के बारे में साथ ही उन लोगों के बारे में जिनके लिए और जिनके साथ आप काम करते हैं, आप कैसा महसूस करते हैं। आपकी मनोवृत्ति आपके काम की गुणवत्ता में दिखेगी। आपका मालिक आपका मूल्य न केवल आपके काम की मात्रा से बल्कि आपकी मनोवृत्ति से भी आँकेगा।

“अपने मालिक को यह देखने दीजिए कि आप न केवल आदेशों का पालन कर सकते हैं बल्कि निरन्तर निगरानी के बिना आवश्‍यकता से अधिक कर सकते हैं,” जोन्स आगे कहता है। “क्योंकि कड़े रोज़गार बाज़ार में, जो श्रमिक बचते हैं वे ज़रूरी नहीं कि वहाँ सबसे लम्बे अरसे से हों, बल्कि ये वे होते हैं जो फल लाते हैं।”

सुरेश ने यह सही पाया। वह कहता है: “मैंने हमेशा अपने मालिक की इच्छा रखने की कोशिश की। जब ज़रूरी होता मैं अपनी सारणी में बदलाव करने के लिए तैयार रहता, आदेशों का पालन करता और अपने निरीक्षकों का आदर करता।” यह बाइबल के एक प्रबोधन की याद दिलाता है कि “जो शरीर के अनुसार तुम्हारे स्वामी हैं, सब बातों में उन की आज्ञा का पालन करो, मनुष्यों को प्रसन्‍न करनेवालों की नाईं दिखाने के लिये नहीं, परन्तु मन की सीधाई और परमेश्‍वर के भय से।”—कुलुस्सियों ३:२२.

भय पर जय पाना

यदि आप काम पर नए-नए हैं, तो पहले कुछेक दिन भय का होना एक सामान्य भावना है। आप शायद सोचें: ‘क्या वे मुझे पसन्द करेंगे? क्या मैं यह काम कर सकता हूँ? क्या उन्हें मेरा काम पसन्द आएगा? काश कि मैं मूर्ख न दिखूँ।’ यहाँ आपको ध्यान रखने की ज़रूरत है, नहीं तो आपकी आशंकाएँ आपका सकारात्मक दृष्टिकोण चाट जाएँगी।

कंपनी के बारे में ज़्यादा जानकारी पाने के द्वारा आप ज़्यादा जल्दी स्थिर और सहज हो सकते हैं। देखिए, सुनिए, और पढ़िए। उचित समय पर अपने निरीक्षक से अपने काम के बारे में और आपने उसे कैसा किया है इस बारे में उपयुक्‍त प्रश्‍न पूछिए—इससे आप मूर्ख नहीं दिखेंगे। अपने आपसे पूछिए, ‘मेरा काम मेरे विभाग से, कंपनी के सामान्य लक्ष्य से कैसे मेल खाता है?’ इनके उत्तर अच्छी कार्य आदतें विकसित करने और कार्य संतुष्टि पाने में आपकी मदद कर सकते हैं।

सहकर्मियों के साथ मेल रखिए

हर काम में घूम-फिरकर दूसरों के साथ व्यवहार शामिल होता है। अतः यह जानना कि दूसरों के साथ अच्छे सम्बन्ध कैसे बनाकर रखें एक नौकरी बनाए रखने के लिए अत्यावश्‍यक है। “जहां तक हो सके, तुम अपने भरसक सब मनुष्यों के साथ मेल मिलाप रखो।” (रोमियों १२:१८) ऐसा करना आपको कार्य-स्थल पर अनावश्‍यक किचकिच या गरमागरम मुठभेड़ों से बचने में मदद दे सकता है।

जिन लोगों के साथ आप काम करते हैं कभी-कभी उनकी पृष्ठभूमियाँ और व्यक्‍तित्व आपसे काफ़ी भिन्‍न होते हैं। लेकिन यह मत सोचिए कि कोई तुच्छ है इसलिए कि वह भिन्‍न है। भिन्‍न होने के उसके अधिकार का आदर कीजिए। कोई व्यक्‍ति नहीं चाहता कि उसके साथ अनादरपूर्वक व्यवहार किया जाए; इससे उसे ऐसा लगता है मानो वह कुछ है ही नहीं। हर व्यक्‍ति यह महसूस करना चाहता है कि उसकी माँग और ज़रूरत है—वह कुछ है। अपने सहकर्मियों और मालिक के साथ आदर से व्यवहार करने के द्वारा उनका आदर जीतिए।

गपशप से दूर रहना

“यह एक बुरा फँदा है,” सुरेश कहता है, “क्योंकि गपशप आपको मालिक या दूसरों के बारे में एक ख़राब राय दे सकती है।” इधर-उधर की सुनना जानकारी का सर्वोत्तम स्रोत नहीं है, और इसके फलस्वरूप आपका काम बिगड़ सकता है। इधर-उधर फैल रही अफ़वाहें अकसर बहुत बढ़ा-चढ़ाकर कही जाती हैं जो दूसरों का—साथ ही आपका भी—नाम ख़राब कर सकती हैं। इसलिए, गपशप करने की इच्छा को मार दीजिए।

यह भी याद रखिए कि किसी को शिक़ायती-टट्टू पसन्द नहीं होते। यदि काम पर कोई बात आपको परेशान कर रही है, तो उसे इधर-उधर मत फैलाइए। जाकर अपने निरीक्षक से बात कीजिए। लेकिन, गुस्से में लाल-पीले होकर उसके दफ़्तर में मत घुसिए कहीं बिना विचारे हुए शब्दों के लिए बाद में पछताना न पड़े। साथ ही, व्यक्‍ति-आलोचना के फँदे से बचिए। तथ्यों तक ही सीमित रहिए। समस्या को बताते समय अपने भरसक स्पष्ट और सच्चे रहिए। आप शायद इस कथन के साथ शुरू कर सकते हैं जैसे, ‘मुझे आपकी मदद की ज़रूरत है . . . ’ या, ‘मैं ग़लत हो सकता हूँ, लेकिन मुझे ऐसा लगता है . . . ’

समयनिष्ठा महत्त्वपूर्ण है

लोग एक नौकरी बनाए रखने से क्यों चूक जाते हैं इसके दो बड़े कारण हैं, काम पर देर से आना और काम से छुट्टी लेना। एक बड़े औद्योगिक शहर के एक रोज़गार और प्रशिक्षण निदेशक ने युवा कर्मियों के बारे में कहा: “उन्हें सुबह उठना, और आदेश लेना सीखने की ज़रूरत है। यदि वे इन बातों को कभी नहीं सीखते, तो यह बस बेरोज़गारी समस्या को बढ़ाता जाता है।”

सुरेश ने समयनिष्ठा का सबक़ दुःखद अनुभव से सीखा। “मैंने सुस्ती के कारण तीन महीने बाद ही अपनी पहली नौकरी खो दी,” वह आह भरता है, “और इसने दूसरी नौकरियाँ ढूँढना ज़्यादा मुश्‍किल बना दिया।”

ईमानदारी का मूल्य

रोज़गार नियोजक जोन्स कहता है: “ईमानदारी एक व्यक्‍ति को नौकरी बनाए रखने में मदद देगी।” ईमानदार होने में न सिर्फ़ भौतिक वस्तुओं को चुराने बल्कि बार-बार काम रोकने के द्वारा समय चुराने से भी दूर रहना सम्मिलित है। एक ईमानदार कर्मचारी को मूल्यवान समझा जाता है और उस पर भरोसा किया जाता है। उदाहरण के लिए, एक युवा यहोवा का साक्षी जो एक ख़ास वस्त्रों की दुकान में काम करता था ईमानदारी के लिए जाना जाता था।

“एक दिन,” वह याद करता है, “मैनॆजर ने भण्डार में कुछ दूसरे कपड़ों के अन्दर छिपी एक चीज़ पायी। एक कर्मचारी दुकान से चोरी कर रहा था। दुकान बंद करने के समय मैं ऊपर मैनॆजर के दफ़्तर में गया और देखकर चकित हुआ कि सारे कर्मचारी वहाँ थे। सभी कर्मचारियों को वहाँ तलाशी देने के लिए रोका गया था। मैं एकमात्र कर्मचारी था जिसकी तलाशी नहीं ली गयी।”

अनेक मसीही युवाओं को इससे मिलते-जुलते अनुभव हुए हैं और वे मूल्यवान कर्मचारी बने हैं। तो फिर, काम ढूँढने के लिए मेहनत कीजिए। लगे रहिए। हार मत मानिए। और जब आपको वह नौकरी मिल जाती है जिसे आपने इतनी मेहनत से ढूँढा है, तब उसे बनाए रखने के लिए मेहनत कीजिए!

चर्चा के लिए प्रश्‍न

◻ आपका स्कूल-काम एक नौकरी पाने की आपकी क्षमता को कैसे प्रभावित कर सकता है?

◻ नौकरी तलाशते समय लगे रहना क्यों महत्त्वपूर्ण है?

◻ रोज़गार ढूँढते समय कौन-से कुछ स्थानों पर जा सकते हैं और लोगों से परामर्श ले सकते हैं?

◻ नौकरी का इंटरव्यू देते समय कौन-सी कुछ बातें ध्यान में रखनी चाहिए?

◻ आप क्या कर सकते हैं कि आपको नौकरी से निकाला न जाए?

[पेज 166 पर बड़े अक्षरों में लेख की खास बात]

“अच्छी तरह से पढ़ना और लिखना और बोलना सीखना बहुत महत्त्वपूर्ण है”

[पेज 170 पर बड़े अक्षरों में लेख की खास बात]

“मैं अपने आपसे कहता: ‘मेरा काम है काम ढूँढना’”

[पेज 168,169 पर बक्स/तसवीर]

नौकरी के इंटरव्यू पर व्यवहार

“नौकरी के इंटरव्यू पर जाने से पहले, याद रखिए कि पहली छाप स्थायी छाप होती है,” रोज़गार सलाहकार क्लीवलॆंड जोन्स सलाह देता है। वह एक इंटरव्यू पर जीनस्‌ और खेल के जूते न पहनने के लिए चिताता है और साफ़-सुथरा होने की ज़रूरत पर बल देता है। मालिक अकसर यह निष्कर्ष निकालते हैं कि एक व्यक्‍ति जिस तरह कपड़े पहनता है उसी तरह वह काम भी करेगा।

दफ़्तर की नौकरी के लिए जाते समय, औपचारिक ढंग के कपड़े पहनिए। कारख़ाने की नौकरी के लिए जाते समय, साफ़ और इस्त्री की हुई पैंट-कमीज़ और साफ़ जूते पहनिए। यदि आप एक स्त्री हैं, तो शालीनता से कपड़े पहनिए और ज़्यादा श्रंगार मत कीजिए। और यदि एक दफ़्तर की नौकरी के लिए जा रही हैं तो एक शालीन पोशाक के साथ अच्छी सैन्डल भी पहनिए।

नौकरी के इंटरव्यू के लिए हमेशा अकेले जाइए, जोन्स चिताता है। यदि आप इंटरव्यू पर अपने साथ अपनी माँ या मित्रों को लाते हैं, तो मालिक शायद यह निष्कर्ष निकाले कि आप प्रौढ़ नहीं।

‘मान लीजिए कि मालिक मुझसे पूछता है कि क्या मेरे पास पिछला कार्य अनुभव है, तो मैं कैसे उत्तर दूँ?’ आप शायद सोचें। गप्प मत मारिए। मालिक अकसर देख लेते हैं कि आप बढ़ा-चढ़ाकर बोल रहे हैं। सच बोलिए।

आप शायद महसूस न करें, लेकिन अति संभव है कि आपके पास पिछला कार्य अनुभव है चाहे आप अपनी पहली “असली” नौकरी की तलाश क्यों न कर रहे हों। क्या आपने कभी गर्मियों की छुट्टियों में नौकरी की है? या क्या आपने कभी बच्चों की देखरेख का काम किया है? क्या अपने घर में आपके पास परिवार के कामों को निपटाने के लिए एक नियमित कार्य-नियुक्‍ति थी? क्या आपके उपासना स्थान पर आपको कुछ कार्यों की देखरेख करने की ज़िम्मेदारी दी गयी थी? क्या आपको जन वक्‍तव्य में कभी प्रशिक्षण दिया गया है? यदि हाँ, तो ये बातें इंटरव्यू में बतायी जा सकती हैं या अपने योग्यता-पत्र में लिखी जा सकती हैं यह दिखाने के लिए कि आप ज़िम्मेदारी संभाल सकते हैं।

मालिकों की एक और बड़ी चिन्ता होती है कि आप उनकी कंपनी में और पेश की गयी नौकरी में कितनी दिलचस्पी रखते हैं। आपको उन्हें विश्‍वस्त करना है कि आप यह काम करना चाहते हैं और इसे कर सकते हैं। “इसमें-मेरे-लिए-क्या-है” मनोवृत्ति जल्द ही आपके इंटरव्यूकर्ता की दिलचस्पी आप पर से हटा देगी।

एक पूर्ण- या अंश-कालिक नौकरी के लिए आवेदन करना और उसे पाना एक चुनौती है जिसका सामना आप सफलतापूर्वक कर सकते हैं। और जब वह नौकरी सिर्फ़ अपनी नहीं, दूसरों की भी मदद करने के लिए एक साधन के रूप में प्रयोग की जाती है, तब संतुष्टि एक अतिरिक्‍त लाभ बन जाती है।

[पेज 171 पर बक्स]

नौकरी का इंटरव्यू देते समय क्या करें

प्रौढ़, औपचारिक बनिए। उचित आदर के साथ मालिक को नमस्कार कीजिए। उसे “सर” कहिए—“यार” या “दोस्त” नहीं।

कुर्सी पर सीधे होकर बैठिए, पैर ज़मीन पर जमाकर; सतर्क दिखिए। पूर्व तैयारी आपको शान्त, संतुलित, और सहज होने में मदद देगी।

किसी प्रश्‍न का उत्तर देने से पहले सोचिए। शिष्ट, सही, ईमानदार, और स्पष्टवादी होइए। पूरी जानकारी दीजिए। शेख़ी मत बघारिए।

अपने पास एक सूची रखिए, जिस पर आपके सभी काम, काम की तारीख़ें, मज़दूरी, जिस-जिस क़िस्म का काम आपने किया है, और उसे छोड़ने के कारण लिखे हों।

यह दिखाने के लिए तैयार रहिए कि कैसे आपका प्रशिक्षण और कार्य अनुभव आपको उस काम को कुशलता से करने में मदद देगा जो आप माँग रहे हैं।

प्रमाण के लिए, ऐसे तीन भरोसे के लोगों का नाम (और पूरा पता) दीजिए जो आपको और आपके काम को जानते हैं।

विश्‍वस्त, उत्साही होइए, लेकिन डींग मत मारिए। अच्छी हिन्दी बोलिए और स्पष्ट रीति से बोलिए। बहुत ज़्यादा बात मत कीजिए।

ध्यान से सुनिए; शिष्ट और व्यवहार-कुशल होइए। सबसे बढ़कर, अपने भावी मालिक के साथ किसी बहस में मत पड़िए।

मालिक को केवल इसमें दिलचस्पी है कि आप काम पर कितना ठीक बैठेंगे। निजी, घरेलू, या आर्थिक समस्याओं का ज़िक्र मत कीजिए।

यदि लगता है कि आपको नौकरी नहीं मिलेगी, तो उस कंपनी में निकलनेवाली दूसरी नौकरियों के बारे में मालिक की सलाह लीजिए।

इंटरव्यू के तुरन्त बाद मालिक को एक संक्षिप्त धन्यवाद-पत्र भेजिए। *

[फुटनोट]

^ पैरा. 65 स्रोत: न्यू यॉर्क राज्य रोज़गार सेवा कार्यालय पुस्तिका कैसे एक मालिक के “मन भाएँ।”

[पेज 167 पर तसवीर]

स्कूल में सीखे कौशल एक दिन नौकरी पर मूल्यवान साबित हो सकते हैं