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पाठ 3

दिल से परवाह कीजिए

दिल से परवाह कीजिए

सिद्धांत:  “प्यार . . . कृपा करता है।”​—1 कुरिं. 13:4.

यीशु ने क्या किया?

1. वीडियो देखिए या यूहन्‍ना 9:1-7 पढ़िए। फिर आगे दिए सवालों के बारे में सोचिए:

  1.   क. यीशु ने पहले क्या किया​—उस अंधे आदमी को गवाही दी या उसे ठीक किया?​—यूहन्‍ना 9:35-38 देखिए।

  2.  ख. यीशु ने जो किया उसका उस पर क्या असर हुआ? वह क्या करने के लिए तैयार हो गया?

यीशु से हम क्या सीखते हैं?

2. जब सामनेवाले को एहसास होगा कि हम उसकी परवाह करते हैं तो उसका मन करेगा कि वह हमारी बात सुने।

यीशु की तरह हमें क्या करना है?

3. सामनेवाले से हमदर्दी रखिए। सोचिए कि आप उसकी जगह होते तो आपको कैसा लगता।

  1.   क. इन सवालों के बारे में सोचिए: ‘उसे किस बात की चिंता होगी? उसे किस बात से तसल्ली मिलेगी या क्या सुनना अच्छा लगेगा?’ जब हम इन बातों के बारे में सोचेंगे, तो सामनेवाले का दर्द समझ पाएँगे और सच में उसकी परवाह करेंगे।

  2.  ख. जब सामनेवाला बताने लगता है कि उसे किस बात को लेकर चिंता है या वह क्या सोच रहा है, तो ध्यान से सुनिए। बात बदलिए मत।

4. प्यार से और आदर से बात कीजिए। आप जिस तरह बात करेंगे उससे पता चलेगा कि आप सामनेवाले की परवाह करते हैं और उसकी मदद करना चाहते हैं। ध्यान से सोचिए कि आप क्या बोलेंगे और किस अंदाज़ में बोलेंगे। ऐसा कुछ मत कहिए जिससे सामनेवाले को बुरा लग सकता है।

5. मदद कीजिए। यह देखने की कोशिश कीजिए कि आप किस तरह सामनेवाले की मदद कर सकते हैं। जब वह देखेगा कि आप उसकी मदद कर रहे हैं तो हो सकता है एक अच्छी बातचीत शुरू हो जाए।