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उपवास के विषय पर सवाल किया गया

उपवास के विषय पर सवाल किया गया

अध्याय २८

उपवास के विषय पर सवाल किया गया

यीशु सा.यु. वर्ष ३० के फसह में उपस्थित रहने से तक़रीबन एक वर्ष बीत चुका है। अब तक, यूहन्‍ना बपतिस्मा देनेवाला कई महीनों से क़ैद किया गया है। यद्यपि वह चाहता था कि उसके चेले मसीह के अनुयायी बनें, सभी नहीं बने।

अब क़ैद किए गए यूहन्‍ना के चेलों में से कुछ जन यीशु के पास आकर पूछते हैं: “क्या कारण है कि हम और फरीसी इतना उपवास करते हैं, पर तेरे चेले उपवास नहीं करते?” फरीसी अपने धर्म के विधि के अनुसार सप्ताह में दो बार उपवास करते हैं। और यूहन्‍ना के चेले शायद इसी प्रकार का दस्तूर का अनुकरण करते हैं। यह भी हो सकता है कि वे यूहन्‍ना को क़ैद किए जाने के शोक में उपवास कर रहे हैं और आश्‍चर्य करते हैं कि क्यों यीशु के चेले शोक की इस अभिव्यक्‍ति में उनके साथ शामिल नहीं होते हैं।

यीशु जवाब में स्पष्ट करते हैं: “क्या बाराती, जब तक दुल्हा उन के साथ है शोक कर सकते हैं? पर वे दिन आएँगे कि दुल्हा उन से अलग किया जाएगा, उस समय वे उपवास करेंगे।”

यूहन्‍ना के चेलों को याद करना चाहिए कि स्वयं यूहन्‍ना ने यीशु का उल्लेख दुल्हे के तौर से किया था। अतः जबकि यीशु उपस्थित है, यूहन्‍ना उपवास करना उचित नहीं समझता, और न ही यीशु के शिष्य इसे उचित समझते हैं। बाद में, जब यीशु मर जाते हैं, उसके शिष्य शोक मनाते और उपवास करते हैं। पर जब वह पुनर्जीवित किया जाता है और उसका स्वर्गारोहण होता है, तब उन्हें शोक से परेशान होकर उपवास करने का और अधिक कारण नहीं रह जाता।

फिर, यीशु यह दृष्टान्त देते हैं: “कोरे कपड़े का पैवन्द पुरानी पोशाक में कोई नहीं लगाता; क्योंकि वह पैवन्द पोशाक में से और कुछ खींच लेता है, और वह ज़्यादा फट जाती है। और नया दाखरस पुरानी मशकों में नहीं भरते हैं; क्योंकि ऐसा करने से मशकें फट जाती हैं, और दाखरस बह जाता है और मशकें बरबाद हो जाती हैं। परन्तु नया दाखरस नई मशकों में भरते हैं और वह दोनों बची रहती हैं।” (NW) उपवास से इन दृष्टान्तों का क्या सम्बन्ध?

यीशु यूहन्‍ना के चेलों को यह मूल्यांकन करने में मदद कर रहा था कि किसी भी व्यक्‍ति को उसके अनुयायियों से विधि से संबंधित उपवास जैसे यहूदी धर्म के पूरानी प्रथाओं के अनुरूप बनने की अपेक्षा नहीं करनी चाहिए। वह उपासना की फटी-पुरानी रीतियों पर, जो हटा दिए जाने के लिए तैयार थे, कच्ची मरम्मत करने और उन्हें ज़्यादा समय तक बढ़ाने नहीं आया। मसीहियता को उस समय के यहूदी-वाद की मानवी परम्पराओं के अनुरूप नहीं बनायी जाती। नहीं, वह पुरानी पोशाक पर नए पैवन्द या एक पुरानी मशक में नए दाखरस के जैसे नहीं होती। मत्ती ९:१४-१७; मरकुस २:१८-२२; लूका ५:३३-३९; यूहन्‍ना ३:२७-२९.

▪ कौन उपवास करते हैं, और किस उद्देश्‍य से?

▪ क्यों यीशु के शिष्य उपवास नही करते, जब वह उनके साथ है, और कैसे बाद में उपवास का कारण जल्द ही ख़त्म हो जाएगा?

▪ यीशु कौन से दृष्टान्तों को बताते हैं, और उनका मतलब क्या है?