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एक कोढ़ी के प्रति करुणा

एक कोढ़ी के प्रति करुणा

अध्याय २५

एक कोढ़ी के प्रति करुणा

जैसे यीशु और उसके चार शिष्य गलील के शहरों में आते हैं, उसके अद्‌भुत कामों की ख़बर पूरे प्रान्त में फैल जाती है। उसके कार्यों का संदेश एक ऐसे नगर में पहुँचता है जहाँ एक मनुष्य कोढ़ से रोगग्रस्त है। “कोढ़ से भरा हुआ,” यह वैद्य लूका का वर्णन है। अपने उन्‍नत अवस्था में, यह खतरनाक बीमारी धीरे-धीरे शरीर के विभिन्‍न अंगों को विरूपित कर देती है। सो यह कोढ़ी एक दयनीय हाल में है।

जब यीशु उस नगर में पहुँचते हैं, कोढ़ी उनके पास आता है। परमेश्‍वर के नियम के मुताबिक, एक कोढ़ी को “अशुद्ध, अशुद्ध” कहते हुए चेतावनी देना पड़ता है, ताकि अन्य लोग रोग-संक्रमण के खतरे से सूरक्षित रह सके। कोढ़ी अपने मुँह के बल गिरता है और यीशु से बिनती करता है: “हे प्रभु, यदि तू चाहे तो मुझे शुद्ध कर सकता है।”

उस मनुष्य को यीशु पर कितना विश्‍वास है! फिर भी, उसकी बीमारी ने उसे कितना दयनीय किया होगा! यीशु अब क्या करेंगे? आप क्या करते? करुणा के कारण, यीशु अपना हाथ बढ़ाते हैं और उस मनुष्य को यह कहते हुए छूते हैं: “मैं चाहता हूँ। तू शुद्ध हो जा।” और फ़ौरन उसका कोढ़ मिट जाता है।

क्या आप इस तरह के किसी संवेदनशील व्यक्‍ति को अपना राजा होना पसंद करेंगे? जिस तरह यीशु इस कोढ़ी से पेश आया हमें यक़ीन दिलाता है कि उनके राज्य शासन में, बाइबल की यह भविष्यवाणी पूरी होगी: “वह कंगाल और दरिद्र पर तरस खाएगा, और दरिद्रों के प्राणों को बचाएगा।” हाँ, तब यीशु सब पीड़ित लोगों की सहायता करने की अपनी दिल की इच्छा को पूरा करेगा।

इस कोढ़ी को चंगा करने से पहले यीशु की सेवकाई लोगों में बहुत उत्तेजना उत्पन्‍न कर रही है। यशायाह की भविष्यवाणी की पूर्ति में, यीशु अब चंगा किए हुए मनुष्य को आदेश देते हैं: “देख, किसी से कुछ मत कहना।” फिर उसे सूचना देते हैं: “जाकर अपने आप को याजक को दिखा, और अपने शुद्ध होने के विषय में जो कुछ मूसा ने चढ़ावा ठहराया है उसे भेंट चढ़ा, कि उन पर गवाही हो।”

लेकिन वह आदमी इतना खुश है कि वह इस चमत्कार को अपने आप तक सीमित नहीं रख सकता। वह बाहर जाकर सब ओर इस ख़बर को फैलाता है, स्पष्टतया इससे लोगों की दिलचस्पी और जिज्ञासा इतनी बढ़ जाती है कि यीशु खुले-आम किसी नगर में नहीं जा सकते हैं। इस प्रकार, यीशु एकान्त स्थानों में रहते हैं जहाँ कोई नहीं रहता, और लोग सब जगह से उनके पास सुनने और अपनी बीमारियों से चंगा होने आते हैं। लूका ५:१२-१६; मरकुस १:४०-४५; मत्ती ८:२-४; लैव्यव्यवस्था १३:४५; १४:१०-१३; भजन संहिता ७२:१३; यशायाह ४२:१, २.

▪ कोढ़ का कैसा असर हो सकता है, और एक कोढ़ी को क्या चेतावनी देनी थी?

▪ एक कोढ़ी ने यीशु से कैसे बिनती की, और यीशु की प्रतिक्रिया से हम क्या सीख सकते हैं?

▪ कैसे वह चंगा किया गया मनुष्य यीशु की आज्ञा मानने में असफल रहा, और इसका नतीजा क्या है?