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एक सेना अफ़सर का महान विश्‍वास

एक सेना अफ़सर का महान विश्‍वास

अध्याय ३६

एक सेना अफ़सर का महान विश्‍वास

जब यीशु अपना पहाड़ी धर्मोपदेश देता है, वह अपनी आम सेवकाई के मध्य चरण तक पहुँच चुका है। इसका अर्थ है कि उस के पास पृथ्वी पर अपना काम पूरा करने के लिए अब केवल एक साल और लगभग नौ महीने रह गए हैं।

यीशु अब कफरनहूम शहर में प्रवेश करते हैं, जो उनके गतिविधियों के लिए एक प्रकार का गृह मूलस्थान है। यहाँ यहूदियों के बुज़ुर्ग पुरुष एक निवेदन के साथ उसके पास आते हैं। वे रोमी सेना के एक अफ़सर द्वारा भेजे गए हैं जो अन्यजाति का है, यानी वह आदमी यहूदियों से अलग जाति का है।

सेना अफ़सर का प्रिय सेवक एक गंभीर बीमारी से मरने पर है, और वह चाहता है कि यीशु उसके सेवक को चंगा करें। यहूदी अफ़सर की ओर से गंभीरतापूर्वक बिनती करते हैं: “वह इस योग्य है कि तू उस के लिए यह करे, क्योंकि वह हमारे राष्ट्र से प्रेम रखता है, और उसी ने हमारे आराधनालय को बनवाया।”—NW.

बिना हिचकिचाहट के, यीशु उन आदमियों के साथ चले जाते हैं। तथापि, जब वे निकट पहुँचते हैं, सेना अफ़सर अपने मित्रों को यह कहने के वास्ते भेजता है: “हे प्रभु, तकलीफ़ न कर, क्योंकि मैं इस योग्य नहीं, कि तू मेरी छत के नीचे आए। इसी कारण मैं ने अपने आप को इस योग्य भी न समझा, कि तेरे पास आऊँ।”—NW.

एक अफ़सर के लिए क्या ही नम्र अभिव्यक्‍ति जो दूसरों को आदेश देने में आदी है! पर शायद वह यीशु के बारे में सोचता है, यह जानते हुए कि रस्म-रिवाज एक यहूदी का ग़ैर-यहूदियों के साथ सामाजिक सम्बन्ध रखने पर रोक लगाती है। पतरस ने भी कहा: “तुम जानते हो, कि अन्यजाति की संगति करना या उसके यहाँ जाना यहूदी के लिए अधर्म है।”

शायद यह नहीं चाहते हुए कि यीशु इस रिवाज का उल्लंघन करके दुःखद्‌ परिणामों को झेले, अफ़सर अपने मित्रों को उससे निवेदन करने भेजता है: “वचन ही कह दे, तो मेरा सेवक चंगा हो जाएगा। मैं भी पराधीन मनुष्य हूँ; और सिपाही मेरे हाथ में हैं, और जब एक को कहता हूँ, ‘जा!’, तो वह जाता है; और दूसरे से, ‘आ!’, तो वह आता है; और अपने किसी दास से, ‘यह कर!’, तो वह उसे करता है।”

खैर, यह सुनकर यीशु उस पर ताज्जुब करते हैं। “मैं तुम से सच कहता हूँ,” वह कहते हैं, “मैं ने इस्राएल में भी ऐसा विश्‍वास नहीं पाया।” अफ़सर के सेवक को चंगा करने के बाद, यीशु इस मौके का उपयोग यह बताने के लिए करते हैं कि कैसे विश्‍वास रखनेवाले ग़ैर-यहूदी उन आशिषों से अनुग्रहित होंगे जिन्हें अविश्‍वासी यहूदियों ने तिरस्कार किया।

“बहुतेरे,” यीशु कहते हैं, “पूर्व और पश्‍चिम से आकर इब्राहीम और इसहाक और याकूब के साथ स्वर्ग के राज्य में बैठेंगे; परन्तु राज्य के सन्तान बाहर अन्धियारे में डाल दिए जाएँगे। वहाँ उनका रोना और दाँतों का पीसना होगा।”

“राज्य के सन्तान जो बाहर अन्धियारे में डाल दिए” गए, स्वाभाविक यहूदी हैं जिन्होंने मसीह के साथ शासक बनने का सुअवसर अस्वीकार किया, जो पहले उन्हें दिया गया था। इब्राहीम, इसहाक, और याकूब परमेश्‍वर के राज्य की व्यवस्था का प्रतिनिधित्व करते हैं। इस प्रकार यीशु बतला रहे हैं कि कैसे अन्यजाति के लोग स्वर्गीय मेज़ पर, “स्वर्ग के राज्य में” बैठने के लिए स्वागत किए जाएँगे। लूका ७:१-१०; मत्ती ८:५-१३; प्रेरितों के काम १०:२८.

▪ यहूदियों ने अन्यजाति के एक सेना अफ़सर के पक्ष में क्यों निवेदन किया?

▪ अफ़सर यीशु को अपने घर में प्रवेश करने का निमंत्रण न देने का क्या व्याख्या हो सकता है?

▪ अपने अन्तिम उक्‍तियों से यीशु का अर्थ क्या है?