इस जानकारी को छोड़ दें

विषय-सूची को छोड़ दें

ग़ुमराह राष्ट्र, पर सभी नहीं

ग़ुमराह राष्ट्र, पर सभी नहीं

अध्याय ७९

ग़ुमराह राष्ट्र, पर सभी नहीं

एक फरीसी के घर के बाहर एकत्रित लोगों के साथ यीशु का वाद-विवाद के तुरन्त बाद, कुछ लोग उससे “गलीलियों की चर्चा करने लगे, जिनका लोहू [रोमी राज्यपाल पोन्तियुस] पीलातुस ने उन ही के बलिदानों के साथ मिलाया था।” शायद ये गलीली वही हैं जिसे उस समय मार डाला गया जब हज़ारों यहूदियों ने यरूशलेम में पानी लाने का कृत्रिम जल-प्रणाल बनाने के लिए पीलातुस का मन्दिर के खज़ाने से पैसे लेने का विरोध किया था। इस मामले के बारे में यीशु को बतानेवाले शायद यह सुझाव दे रहे हैं कि गलीलियों को स्वयं अपने बुरे कामों के वजह से विपत्ति भुगतना पड़ा।

तथापि, यीशु उन्हें यह पूछते हुए सीधा करते हैं: “क्या तुम समझते हो, कि ये गलीली, और सब गलीलियों से ज़्यादा पापी थे कि उन पर ऐसी विपत्ति पड़ी? मैं तुम से कहता हूँ, कि नहीं,” यीशु जवाब देते हैं। फिर वह उस घटना का प्रयोग यहूदियों को चेतावनी देने के लिए करता है: “परन्तु यदि तुम पश्‍चाताप न करोगे, तो तुम सब भी इसी रीति से नाश होंगे।”—NW.

आगे, यीशु एक और स्थानीय घटना का याद कराते हैं, जो शायद कृत्रिम जल-प्रणाल के निर्माण से भी संबंधित है। वे पूछते हैं: “या क्या तुम समझते हो, कि वे अठारह जन जिन पर शीलोम का गुम्मट गिरा, और वे दबकर मर गए, यरूशलेम के और सब रहनेवालों से अधिक अपराधी थे?” यीशु कहते हैं, नहीं, वे व्यक्‍ति अपने ही दुष्टता के कारण नहीं मरे। इसके बजाय, साधारणतः “समय और संयोग” ऐसी दुर्घटनाओं के लिए उत्तरदायी हैं। तथापि, यीशु एक बार फिर इस अवसर को चेतावनी देने के लिए उपयोग करते हैं: “परन्तु, यदि तुम पश्‍चाताप न करोगे तो तुम सब इसी रीति से नाश होंगे।”—NW.

फिर यीशु आगे समझाते हुए एक उपयुक्‍त दृष्टान्त देते हैं: “किसी की अंगूर की बारी में एक अंजीर का पेड़ लगा हुआ था, वह उस में फल ढूँढ़ने आया, परन्तु न पाया। तब उस ने बारी के रखवाले से कहा, ‘देख, तीन वर्ष से मैं इस अंजीर के पेड़ में फल ढूँढ़ने आता हूँ, परन्तु नहीं पाता। इसे काट डाल! वह भूमि को भी क्यों रोके रखे?।’ उसने उसे उत्तर दिया, ‘हे स्वामी, इसे इस वर्ष तो रहने दे कि मैं इस के चारों ओर खोदकर खाद डालूँ; अगर आगे फले तो भला, नहीं तो उसे काट डालना।’”

यीशु तीन बरसों से यहूदी राष्ट्र में विश्‍वास पैदा करने की कोशिश कर चुका है। परन्तु केवल कुछ सैकड़े शिष्य उसके परिश्रम के फल के रूप में गिने जा सकते हैं। अब, अपनी सेवकाई के चौथे वर्ष के दौरान, यहूदिया और पेरीया में उत्साहपूर्वक रूप से प्रचार करने और शिक्षा देने से वह यहूदी अंजीर वृक्ष के चारों ओर प्रतीकात्मक रूप से खोदकर और खाद डालते हुए, अपनी कोशिशों को तीव्र कर रहा है। फिर भी, कोई फायदा नहीं! राष्ट्र पश्‍चाताप करने से इनक़ार करता है और इस प्रकार उनका विनाश होगा। केवल राष्ट्र का अवशेष प्रतिक्रिया दिखाता है।

इसके तुरन्त बाद यीशु एक सब्त के दिन आराधनालय में शिक्षा दे रहे हैं। वहाँ वे एक स्त्री को देखते हैं, जो दुष्टात्मा के प्रभाव के कारण, १८ वर्षों से कुबड़ी है। सहानुभूति से, यीशु उसे संबोधित करते हैं: “हे नारी, तू अपनी दुर्बलता से छूट गई।” इस पर वह अपना हाथ उस पर रखता है, और वह फ़ौरन सीधी हो जाती है और परमेश्‍वर की बड़ाई करने लगती है।

तथापि, आराधनालय का सरदार क्रोधित है। “छः दिन हैं, जिन में काम करना चाहिए,” वह विरोध करता है। “सो उन ही दिनों में आकर चंगे हो जाओ, परन्तु सब्त के दिन नहीं।” इस प्रकार वह अधिकारी यीशु की चंगा करने की शक्‍ति को मान लेता है लेकिन सब्त के दिन चंगा होने के लिए लोगों की निन्दा करता है!

“हे कपटियों,” यीशु जवाब देते हैं, “क्या सब्त के दिन तुम में से हर एक अपने बैल या गदहे को थान से खोलकर पानी पिलाने नहीं ले जाता? और क्या उचित न था कि यह स्त्री जो इब्राहीम की बेटी है, जिसे शैतान ने अठारह वर्ष से बान्ध रखा था, सब्त के दिन इस बन्ध से छुड़ाई जाती?”

खैर, यह सुनकर, यीशु का विरोध करनेवाले शर्म महसूस करने लगते हैं। तथापि, भीड़ यीशु को यह सब चमत्कारपूर्ण काम करते हुए देखकर प्रसन्‍न होती है। इसके जवाब में यीशु परमेश्‍वर के राज्य के सम्बन्ध में दो भविष्यसूचक दृष्टान्तों को दोहराते हैं, जिसे उसने लगभग एक साल पहले गलील सागर में नाव से बताया था। लूका १३:१-२१; सभोपदेशक ९:११; मत्ती १३:३१-३३.

▪ यहाँ किन दुर्घटनाओं का ज़िक्र है, और यीशु उन से क्या सबक़ दिलाते हैं?

▪ फलरहित अंजीर वृक्ष, साथ ही उसे उत्पादक बनाने के प्रयास के सम्बन्ध में किस तरह का अनुप्रयोग किया जा सकता है?

▪ कैसे सरदार यीशु की चंगा करने की क्षमता को मान लेता है, फिर भी कैसे यीशु उस मनुष्य की कपटता का पर्दाफ़ाश करते हैं?