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जब मनुष्य का पुत्र प्रगट होता है

जब मनुष्य का पुत्र प्रगट होता है

अध्याय ९३

जब मनुष्य का पुत्र प्रगट होता है

जब कि यीशु अभी भी उत्तर में है (सामरिया में या गलील में), फरीसी उन से राज्य के आगमन के बारे में पूछते हैं। वे विश्‍वास करते हैं कि राज्य बहुत धूमधाम और उत्सव के साथ आएगी, लेकिन यीशु कहते हैं: “परमेश्‍वर का राज्य प्रगट रूप से नहीं आता, और लोग यह न कहेंगे, ‘देखो, यहाँ हैं,’ या ‘वहाँ है,’ क्योंकि देखो, परमेश्‍वर का राज्य तुम्हारे बीच में है।”

यीशु के शब्द “तुम्हारे बीच में” को कई बार “तुम्हारे अन्दर” अनुवाद किया गया है। इसलिए कुछ लोगों ने यह सोचा है कि यीशु का मतलब था कि परमेश्‍वर का राज्य, परमेश्‍वर के सेवकों के हृदय में शासन करता है। लेकिन, स्पष्टतया, परमेश्‍वर का राज्य उन अविश्‍वासी फरीसियों के हृदयों में नहीं है जिन से यीशु बात कर रहे हैं। तो भी, यह उनके बीच में है, क्योंकि परमेश्‍वर के राज्य का नियुक्‍त राजा, यीशु मसीह, ठीक उनके बीच में है।

शायद फरीसियों के चले जाने के बाद यीशु अपने शिष्यों से राज्य के आने के बारे में आगे बात करते हैं। ख़ास तौर से अपने मन में वह राज्य सत्ता में अपनी भावी उपस्थिति रखते हुए चेतावनी देते हैं: “लोग तुम से कहेंगे, ‘देखो, वहाँ है!’ या ‘देखो, यहाँ है!,’ परन्तु तुम चले न जाना और न [झूठे मसीहों] के पीछे हो लेना। क्योंकि जैसे बिजली कौंधकर आकाश की एक ओर से आकाश की दूसरी ओर तक चमकती है, वैसे ही मनुष्य का पुत्र भी अपने दिन में प्रगट होगा।” इस तरह, यीशु दर्शा रहे हैं कि जैसे बिजली एक बहुत बड़े क्षेत्र पर दिखायी देती है वैसे ही राज्य सत्ता में उसकी उपस्थिति का प्रमाण उन सभी को स्पष्ट दिखायी देगा जो देखना चाहते हैं।

यीशु अब प्राचीन घटनाओं से तुलना करते हुए बताते हैं कि भविष्य में उसकी उपस्थिति के समय लोगों की प्रवृत्ति कैसी होगी। वे समझाते हैं: “जैसे नूह के दिनों में हुआ था, वैसे ही मनुष्य के पुत्र के दिनों में होगा . . . इसी तरह, जैसे लूत के दिनों में हुआ था: लोग खाते-पीते, लेन-देन करते, पेड़ लगाते और घर बनाते थे। परन्तु जिस दिन लूत सदोम से निकला, उस दिन आग और गन्धक आकाश से बरसी और सब को नाश कर दिया। मनुष्य के पुत्र के प्रगट होने के दिन भी ऐसा ही होगा।”

यीशु यह नहीं कह रहे हैं कि नूह और लूत के दिनों में लोग सिर्फ़ इसलिए नाश किए गए क्योंकि वे खाने, पीने, लेन-देन करने, रोंपने, और बाँधने जैसे सामान्य गतिविधियों में लगे हुए थे। नूह और लूत और उनके परिवारों ने भी यह कार्य किया। लेकिन अन्य लोग परमेश्‍वर की इच्छा पर ध्यान दिए बग़ैर इन दैनिक गतिविधियों को करते रहे, और इसी कारण से वे नाश किए गए थे। इसी कारण से, जब यीशु इस रीति-व्यवस्था के भारी क्लेश के दौरान प्रगट होंगे, लोग नाश किए जाएँगे।

राज्य सत्ता में उनकी भावी उपस्थिति का प्रमाण पाकर फ़ौरन प्रतिक्रिया दिखाने की महत्त्वत्ता पर ज़ोर देते हुए, यीशु आगे कहते हैं, “उस दिन जो कोठे पर हो, और उसका सामान घर में हो, वह उसे लेने को न उतरे, और वैसे ही जो खेत में हो वह पीछे न लौटे। लूत की पत्नी को स्मरण रखो।”

जब मसीह की उपस्थिति का प्रमाण दिखायी देगी, तो लोग अपनी भौतिक सम्पत्ति से लगाव को तुरन्त कार्यवाही करने में बाधा बनने नहीं दे सकते हैं। सदोम से बाहर आते समय, लूत की पत्नी ने पीछे छोड़ी हुई चीज़ों के लिए चाहत के साथ पीछे मुड़कर देखा और वह नमक का खम्भा बन गयी।

अपनी भावी उपस्थिति के दौरान रहनेवाली स्थिति का वर्णन जारी रखते हुए, यीशु अपने शिष्यों को बताते हैं: “उस रात दो मनुष्य एक खाट पर होंगे; एक ले लिया जाएगा, परन्तु दूसरा छोड़ दिया जाएगा। दो स्त्रियाँ एक साथ चक्की पीसती होंगी; एक ले ली जाएगी परन्तु दूसरी छोड़ दी जाएगी।”

ले लिया जाना नूह का अपने परिवार के साथ जहाज में प्रवेश करने और स्वर्गदूतों का लूत और उसके परिवार को सदोम से बाहर ले जाने से मेल खाता है। इसका मतलब उद्धार है। इसके विपरीत, छोड़ दिए जाने का मतलब विनाश भोगना है।

इस पर, शिष्य पूछते हैं: “हे प्रभु, यह कहाँ होगा?”

यीशु जवाब देते हैं, “जहाँ लोथ है, वहाँ गिद्ध इकट्ठे होंगे।” जो उद्धार के लिए “ले लिए” जाएँगे वे दूरदर्शी गिद्ध के समान हैं क्योंकि वे “लोथ” के पास इकट्ठे होते हैं। लोथ का उल्लेख सच्चे मसीह का राज्य सत्ता में अदृश्‍य उपस्थिति और उस आध्यात्मिक भोज से है जो यहोवा प्रदान करते हैं। लूका १७:२०-३७; उत्पत्ति १९:२६.

▪ किस तरह राज्य फरीसियों के बीच में था?

▪ किस तरह मसीह की उपस्थिति बिजली के समान है?

▪ मसीही की उपस्थिति के दौरान अपने कार्यों के लिए लोगों को क्यों नाश किया जाएगा?

▪ ले लिया जाना और छोड़ दिया जाना का क्या अर्थ है?