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तैयार रहो!

तैयार रहो!

अध्याय ७८

तैयार रहो!

लालचीपन के बारे में भीड़ को चेतावनी देने, और भौतिक वस्तुओं पर अनावश्‍यक ध्यान देने के बारे में अपने शिष्यों को सावधान कराने के बाद, यीशु प्रोत्साहित करते हैं: “हे छोटे झुण्ड, मत डर; क्योंकि तुम्हारे पिता को भाया है, कि तुम्हें राज्य दे।” इस प्रकार वह प्रकट करता है कि केवल एक अपेक्षाकृत छोटी संख्या (बाद में इसका पहचान १,४४,००० किया गया) स्वर्गीय राज्य में होंगे। अनन्त जीवन पानेवाले अधिकांश जन राज्य की पार्थिव प्रजा होंगे।

“राज्य,” क्या ही अद्‌भुत उपहार है! उसे पाने पर शिष्यों की उचित प्रतिक्रिया का वर्णन करते हुए, यीशु उन्हें उकसाते हैं: “अपनी सम्पत्ति बेचकर दान कर दो।” हाँ, दूसरों को आध्यात्मिक रूप से फायदा पहुँचाने के लिए उन्होंने अपने माल-मता का उपयोग करना चाहिए और इस प्रकार “स्वर्ग में ऐसा खज़ाना” इकट्ठा करें “जो घटता नहीं।”—NW.

फिर यीशु अपने शिष्यों को अपनी वापसी के लिए तैयार रहने का उपदेश देते हैं। वे कहते हैं: “तुम्हारी कमर बन्धी रहें, और तुम्हारे दीए जलते रहें। और तुम उन मनुष्यों के समान बनो, जो अपने स्वामी की राह देखते हों, कि वह शादी से कब लौटेगा, ताकि जब वह आकर दरवाज़ा खटखटाए, तो तुरन्त उसके लिए खोल दें। ख़ुश हैं वे दास, जिन्हें स्वामी आकर जागता पाए! मैं तुम से सच कहता हूँ, कि वह कमर बान्धकर उन्हें भोजन खाने को बैठाएगा, और पास आकर उनकी सेवा करेगा।”—NW.

इस दृष्टान्त में, अपने स्वामी की वापसी पर सेवकों की मुस्तैदी उनके लम्बे वस्त्रों को खींचकर अपनी कमर के नीचे बांधने से और रात को तेल से अच्छी तरह भरे दीये की रोशनी में अपने कर्तव्य की ओर पूरा ध्यान देने के द्वारा दिखायी गयी है। यीशु स्पष्ट करते हैं: “यदि स्वामी रात के दूसरे पहर में [लगभग शाम के नौ बजे से आधी रात तक] या तीसरे पहर में [आधी रात से सुबह के लगभग तीन बजे तक] आकर उन्हें जागते पाए, तो वे दास धन्य हैं।”

स्वामी अपने सेवकों को असाधारण रीति से इनाम देता है। वह उन्हें मेज़ पर बैठाता है और उन्हें परोसता है। वह उन से दास नहीं, बल्कि वफादार मित्र के जैसे बरताव करता है। उसकी वापसी के इंतज़ार में सारी रात अपने स्वामी के लिए उनका काम करते रहने के लिए क्या ही बढ़िया इनाम! अन्त में यीशु कहते हैं: “तुम भी तैयार रहो; क्योंकि जिस घड़ी तुम सोचते भी नहीं, उस घड़ी मनुष्य का पुत्र आ जाएगा।”

अब पतरस पूछता है: “हे प्रभु, क्या यह दृष्टान्त तू हम ही से या सब से कहता है?”

सीधे जवाब देने के बदले, यीशु एक और दृष्टान्त देते हैं। वे पूछते हैं: “वह विश्‍वासयोग्य और बुद्धिमान भण्डारी कौन है, जिस का स्वामी उसे नौकर चाकरों पर सरदार ठहराए कि हर एक की खुराक समय पर दिया करे? खुश है वह दास, जिसे उसका स्वामी आकर ऐसा ही करता पाए। मैं तुम से सच कहता हूँ, वह उसे अपनी सब सम्पत्ति पर सरदार ठहराएगा।”—NW.

ज़ाहिर है कि “स्वामी” यीशु मसीह है। “भण्डारी” एक सामूहिक दल के रूप में शिष्यों के “छोटे झुण्ड” को चित्रित करता है, और “नौकर चाकर” १,४४,००० के उसी दल को संकेत करता है जो स्वर्गीय राज्य स्वीकार करते हैं, परन्तु यह अभिव्यक्‍ति उनके कामों को विशिष्ट करती है। वह “सम्पत्ति” जिसकी देखभाल के लिए विश्‍वासयोग्य भण्डारी नियुक्‍त किए गए हैं पृथ्वी पर स्वामी के शाही हिस्से हैं, जिस में राज्य के पार्थिव प्रजा भी अन्तर्ग्रस्त है।

दृष्टान्त को जारी रखते हुए, यीशु इस संभावना की ओर संकेत करते हुए व्याख्या करते हैं कि उस भण्डारी, या सेवक, वर्ग के सभी सदस्य वफादार नहीं होंगे: “लेकिन अगर वह दास अपने दिल में कहे, ‘मेरा स्वामी आने में देर कर रहा है,’ और दास और दासियों को मारने-पीटने और खा-पीकर मतवाला होना शुरू करे, तो उस दास का स्वामी ऐसे दिन आएगा जब वह उसका राह न देखता हो, . . .  और उसे भारी ताड़ना देगा।”—NW.

यीशु ध्यान देते हैं कि उसका आगमन ने यहूदियों के लिए उत्तेजनापूर्ण समय लाया है, चूँकि कुछ उसकी शिक्षा को स्वीकार करते हैं और दूसरे अस्वीकार करते हैं। तीन साल पहले, उसका पानी में बपतिस्मा हुआ था, परन्तु अब मृत्यु में उसका बपतिस्मा निकट आ रहा है, और वह कहता है: “जब तक वह न हो ले मैं क्या ही तंग रहूँगा!”—NW.

अपने शिष्यों को यह टिप्पणी कहने के बाद, यीशु फिर से भीड़ को संबोधित करते हैं। अपनी पहचान और उसका अभिप्राय के स्पष्ट सबूत को मंज़ूर करने में उनका हठीला इनक़ार पर वह शोक करते हैं। वह कहता है, “जब बादल को पश्‍चिम से उठते देखते हो, तो तुरन्त कहते हो, ‘वर्षा होगी,’ और ऐसा ही होता है। और जब दक्खिना चलती देखते हो तो कहते हो, ‘लूह चलेगी,’ और ऐसा ही होता है। हे कपटियों, तुम धरती और आकाश के रूप में भेद कर सकते हो, परन्तु इस युग के विषय में क्यों भेद करना नहीं जानते?” लूका १२:३२-५९.

▪ कितने जन “छोटे झूण्ड” में संघटित हैं, और उन्हें क्या प्राप्त होता है?

▪ कैसे यीशु अपने सेवकों को तैयार रहने की आवश्‍यकता पर ज़ोर देते हैं?

▪ यीशु के दृष्टान्त में, कौन “स्वामी”, “भण्डारी”, “नौकर चाकर” और “सम्पत्ति” हैं?