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पितृत्व का सवाल

पितृत्व का सवाल

अध्याय ६९

पितृत्व का सवाल

पर्व के दौरान, यहूदी अगुओं के साथ यीशु का विचार-विमर्श और तीव्र हो जाता है। “मैं जानता हूँ कि तुम इब्राहीम के वंश से हो,” यीशु मान लेते हैं, “तौभी मुझे मार डालना चाहते हो, क्योंकि मेरा वचन तुम्हारे दिल में बढ़ नहीं पाता। मैं वही कहता हूँ, जो अपने पिता के यहाँ देखा है; और तुम, वही करते रहते हो जो तुमने अपने पिता से सुना है।”—NW.

यद्यपि यीशु उनके पिता की पहचान नहीं करता, वह स्पष्ट करता है कि उनका पिता उसके पिता से भिन्‍न है। यीशु के मन में कौन है उससे अनजान होकर, यहूदी अगुए जवाब देते हैं: “हमारा पिता तो इब्राहीम है।” वे महसूस करते हैं कि उन में इब्राहीम, जो परमेश्‍वर का मित्र था, के समान विश्‍वास है।

तथापि, “यदि तुम इब्राहीम की सन्तान होते, तो इब्राहीम के समान काम करते,” इस जवाब से यीशु उन्हें सदमा पहुँचाते हैं। वाक़ई, एक सच्चा बेटा अपने पिता का अनुकरण करता है। “परन्तु अब तुम मुझ जैसे मनुष्य को मार डालना चाहते हो,” यीशु कहते हैं, “जिस ने तुम्हें वह सत्य वचन बताया जो परमेश्‍वर से सुना। इब्राहीम ने तो यह नहीं किया था।” अतः यीशु फिर से कहते हैं: “तुम अपने पिता के समान काम करते हो।”

यीशु किस के बारे में बात कर रहे हैं यह वे अभी भी समझते नहीं। वे यह कहकर दावा करते हैं कि वे इब्राहीम के औरस बेटे हैं: “हम व्यभिचारी से नहीं जन्में।” इसलिए, इब्राहीम के जैसे सच्चे उपासक होने का दावा करते हुए, वे बलपूर्वक कहते हैं: “हमारा एक पिता है, अर्थात परमेश्‍वर।”

परन्तु क्या असल में परमेश्‍वर उनका पिता है? यीशु जवाब देते हैं: “यदि परमेश्‍वर तुम्हारा पिता होता, तो तुम मुझ से प्रेम रखते, क्योंकि मैं परमेश्‍वर में से निकलकर आया हूँ। मैं आप से नहीं आया, परन्तु उसी ने मुझे भेजा। तुम मेरी बातें क्यों नहीं समझते?”

यीशु इन धार्मिक अगुओं को उसके अस्वीकृति के परिणामों को दिखाने की कोशिश करते हैं। परन्तु अब वह सुस्पष्ट रीति से कहता है: “तुम अपने पिता शैतान से हो, और अपने पिता की लालसाओं को पूरा करना चाहते हो।” शैतान किस प्रकार का पिता है? यीशु यह कहकर उसकी पहचान मानव हत्यारा के रूप में करते हैं: “वह झूठा है, बरन झूठ का पिता है।” अतः यीशु निष्कर्ष निकालते हैं: “जो परमेश्‍वर से होता है, वह परमेश्‍वर की बातें सुनता है। और तुम इसलिए नहीं सुनते, कि परमेश्‍वर की ओर से नहीं हो।”

यीशु की निन्दा से क्रोधित होकर, यहूदी लोग जवाब देते हैं: “क्या हम ठीक नहीं कहते कि तू सामरी है, और तुझ में दुष्टात्मा है?” यहूदी सामरियों से नफ़रत करते थे, इसलिए यह शब्द “सामरी” घृणा और बदनामी का अभिव्यक्‍ति है।

एक सामरी होने का तिरस्कारपूर्ण कलंक पर ध्यान नहीं देते हुए, यीशु जवाब देते हँ: “मुझ में दुष्टात्मा नहीं, परन्तु मैं अपने पिता का आदर करता हूँ, और तुम मेरा निरादर करते हो।” आगे, यीशु एक सनसनीख़ेज वादा करते हैं: “यदि कोई मेरे वचन पर चलेगा तो वह अनन्त काल तक मृत्यु को न देखेगा।” यीशु के कहने का मतलब यह नहीं कि वे सभी जो उसका अनुकरण करते हैं अक्षरशः मृत्यु को नहीं देखेंगे। इसके बजाय, उनका अर्थ है कि वे अनन्त विनाश, या “दूसरी मृत्यु”, को कभी नहीं देखेंगे जिससे कोई पुनरुत्थान नहीं।

तथापि, यहूदी लोग यीशु के शब्दों को शाब्दिक रूप में लेते हैं। इसलिए, वे कहते हैं: “अब हम ने जान लिया कि तुझ में दुष्टात्मा है। इब्राहीम मर गया, और भविष्यवक्‍ताएँ भी मर गए हैं और तू कहता है, ‘यदि कोई मेरे वचन का पालन करेगा, तो वह अनन्त काल तक मृत्यु को अनुभव न करेगा।’ हमारा पिता इब्राहीम तो मर गया, क्या तू उससे भी बड़ा है? और भविष्यवक्‍ता भी मर गए। तू अपने आप को क्या ठहराता है?”—NW.

इस पूरे विचार-विमर्श में, यह ज़ाहिर है कि यीशु इन मनुष्यों को यह असलियत दिखा रहे हैं कि वह प्रतिज्ञात मसीहा है। परन्तु अपनी पहचान के बारे में उनके सवाल का जवाब सीधे रूप से देने के बजाय, यीशु कहते हैं: “यदि मैं आप अपनी महिमा करुँ, तो मेरी महिमा कुछ नहीं। परन्तु मेरी महिमा करनेवाला मेरा पिता है, जिसे तुम कहते हो कि वह हमारा परमेश्‍वर है; और तुम ने तो उसे नहीं जाना। परन्तु मैं उसे जानता हूँ। और यदि कहूँ कि मैं उसे नहीं जानता, तो तुम्हारी नाईं झूठा ठहरुँगा।”

आगे, यीशु फिर यह कहते हुए वफादार इब्राहीम का उल्लेख करते हैं: “तुम्हारा पिता इब्राहीम मेरा दिन देखने की आशा पर बहुत ख़ुश था, और उसने देखा, और ख़ुश हुआ।” (NW) हाँ, इब्राहीम ने विश्‍वास की आँखों से प्रतिज्ञात मसीहा के आगमन को उत्सुकता से प्रतीक्षा की। अविश्‍वास से, यहूदी लोग पूछते हैं: “अब तक तू पचास वर्ष का नहीं, फिर भी तू ने इब्राहीम को देखा है?”

“मैं तुम से सच सच कहता हूँ,” यीशु जवाब देते हैं, “कि इसके पहले कि इब्राहीम उत्पन्‍न हुआ, मैं हूँ।” निश्‍चय ही, यीशु अपनी मानव-पूर्वी अस्तित्व का उल्लेख एक स्वर्गीय शक्‍तिशाली आत्मिक व्यक्‍ति की हैसियत से कर रहे हैं।

इब्राहीम से पहले अस्तित्व में रहने का यीशु के दावे पर क्रोधित होकर, यहूदी उस पर फेंकने पत्थर उठाते हैं। परन्तु वह छिप जाता है और सही-सलामत मंदिर से बाहर निकल जाता है। यूहन्‍ना ८:३७-५९; प्रकाशितवाक्य ३:१४; २१:८.

▪ कैसे यीशु दिखाते हैं कि उसका और उसके शत्रुओं का पिता अलग-अलग है?

▪ यहूदियों का यीशु को सामरी कहलाने का सार्थकता क्या है?

▪ कौनसे भाव में यीशु ने कहा कि उसके अनुयायी मृत्यु कभी न देखेंगे?