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यरूशलेम में यीशु का विजयी प्रवेश

यरूशलेम में यीशु का विजयी प्रवेश

अध्याय १०२

यरूशलेम में यीशु का विजयी प्रवेश

अगले सबेरे, रविवार, निसान ९, यीशु अपने शिष्यों के साथ बैतनियाह से निकलकर जैतून पहाड़ पर से यरूशलेम की ओर जाते हैं। कुछ समय बाद, वे बैतफगे के निकट पहुँचते हैं जो जैतून के पहाड़ पर स्थित है। यीशु अपने शिष्यों में से दो को आदेश देते हैं:

“अपने सामने के गाँव में जाओ, वहाँ पहुँचते ही एक गधी बन्धी हुई, और उसके साथ बच्चा तुम्हें मिलेगा; उन्हें खोलकर मेरे पास ले आओ। यदि तुम से कोई कुछ कहे, तो कहो, ‘प्रभु को इन का प्रयोजन है।’ तब वह तुरन्त उन्हें भेज देगा।”

यद्यपि शुरुआत में शिष्य इस बात को समझने में चूकते हैं कि यह आदेश बाइबल की भविष्यवाणी की पूर्ति के संबंध में दिए जा रहे हैं, बाद में वे इसे समझते हैं। भविष्यवक्‍ता जकर्याह ने पूर्व बतलाया था कि परमेश्‍वर का प्रतिज्ञात राजा यरूशलेम में एक गधे पर, हाँ, “गधे पर वरन गधी के बच्चे पर” चढ़कर आएगा। उसी प्रकार राजा सुलैमान भी अभिषिक्‍त होने के लिए गधे के बच्चे पर सवार होकर गए थे।

जब शिष्य बैतफगे पहुँचकर गधी के बच्चे और उसकी माँ को खोलकर ले जाने लगते हैं, तो वहाँ खड़े कुछ लोग कहते हैं: “यह क्या करते हो?” परन्तु जब उन से यह कहा गया कि ये जानवर प्रभु के लिए हैं तो उन लोगों ने शिष्यों को उन्हें यीशु के पास ले जाने दिया। शिष्य गधी और उसके बच्चे पर अपने बाहरी वस्त्र डालते हैं, लेकिन यीशु गधी के बच्चे पर सवार हो जाते हैं।

जैसे यीशु यरूशलेम की ओर सवारी करते हैं, वैसे भीड़ बढ़ती जाती है। अधिकतर लोग अपने बाहरी वस्त्र को सड़क पर बिछा देते है, और अन्य लोग पेड़ों की डालियाँ काटकर बिछाते हैं। वे पुकारते हैं, “धन्य है वह जो यहोवा के नाम से राजा होकर आता है! स्वर्ग में शान्ति, और ऊँचे से ऊँचे स्थानों में महिमा हो!”—NW.

भीड़ में से कुछ फरीसी इस घोषणाओं से परेशान हो जाते हैं और यीशु से शिकायत करते हैं: “हे गुरु, अपने चेलों को डाँट।” परन्तु यीशु जवाब देते हैं: “मैं तुम से कहता हूँ, यदि ये चुप रहें, तो पत्थर चिल्ला उठेंगे।”

जैसे-जैसे यीशु यरूशलेम के नज़दीक आते हैं, वे शहर को देखते हैं और उस पर रोकर कहते हैं: “क्या ही भला होता कि तू, हाँ, तू ही, इसी दिन में कुशल की बातें जानता, परन्तु अब वे तेरी आँखों से छिप गयी है।” जैसे यीशु पूर्वसूचित करते हैं, जानबूझकर आज्ञा-भंग के लिए यरूशलेम को क़ीमत चुकाना चाहिए:

“तेरे बैरी [सेनापति तितुस के अधीन रोमी] मोर्चा बांधकर तुझे घेर लेंगे, और चारों ओर से तंग करेंगे, और तुझे और तेरे बालकों को जो तुझ में है ज़मीन पर पटकेंगे, और तुझ में पत्थर पर पत्थर भी न छोड़ेंगे।” (NW) यीशु द्वारा पूर्वबतलायी गयी यरूशलेम का यह विनाश दरअसल सा.यु. वर्ष ७० में, ३७ साल बाद हुआ।

कुछ ही हफ़्तों पहले, भीड़ में से बहुत से लोगों ने यीशु को लाज़र को पुनरुत्थित करते देखा था। अब यह लोग दूसरों को उस चमत्कार के बारे में बताते रहते हैं। इसलिए जब यीशु यरूशलेम में प्रवेश करते हैं, सारा शहर में खलबली मच जाती है। “यह कौन है?” लोग जानना चाहते हैं। और भीड़ कहती है: “यह गलील के नासरत का भविष्यवक्‍ता यीशु है!” यह सब कुछ देखकर, फरीसी यह कहते हुए विलाप करते हैं कि उन से कुछ भी नहीं बन पड़ता: “देखो, संसार उसके पीछे हो चला है।”

यरूशलेम के अपनी यात्राओं में अपनी रिवाज के अनुसार, यीशु मंदिर में सिखाने गए। वहाँ पर अंधे और लंगड़े उनके पास आते हैं, और वह उन्हें चंगा करता है! जब मुख्य याजक और शास्त्री यीशु द्वारा किए जानेवाले अद्‌भुत कामों को देखते हैं और जब वे मंदिर में लड़कों को यह चिल्लाते हुए सुनते हैं, “हे दाऊद के संतान को होशाना!” वे बहुत क्रोधित हो जाते हैं। “क्या तू सुनता है कि ये क्या कहते हैं?” वे विरोध प्रकट करते हैं।

यीशु जवाब देते हैं, “हाँ, क्या तुम ने यह कभी नहीं पढ़ा, ‘बालकों और दूध पीते बच्चों के मुँह से तू ने स्तुति सिद्ध कराई?’”

यीशु सिखाने का काम जारी रखते हैं, और वह मंदिर में रखी गयी सब वस्तुओं को देखता है। फिर, बहुत देर होने लगती है। इसलिए वह १२ प्रेरितों के साथ निकलता है, और वापस बैतनियाह की ओर लगभग तीन किलोमीटर की यात्रा करता है। वहाँ वह संभवतः अपने मित्र लाज़र के घर, रविवार की रात बिताता है। मत्ती २१:१-११, १४-१७; मरकुस ११:१-११; लूका १९:२९-४४; यूहन्‍ना १२:१२-१९; जकर्याह ९:९.

▪ कब और किस ढंग से यीशु यरूशलेम में राजा के रूप में प्रवेश करते हैं?

▪ भीड़ का यीशु की स्तुति करना कितना आवश्‍यक है?

▪ जब यीशु यरूशलेम को देखता है तो उसे कैसा लगता है, और वह कौनसी भविष्यवाणी करता है?

▪ यीशु के मंदिर जाने पर क्या होता है?