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यीशु के गृहनगरीय आराधनालय में

यीशु के गृहनगरीय आराधनालय में

अध्याय २१

यीशु के गृहनगरीय आराधनालय में

इस में कोई संदेह नहीं कि जब यीशु अपने घर नासरत वापस लौटते हैं तब वहाँ सनसनी फैल जाती है। एक साल पहले जब यीशु यूहन्‍ना से बपतिस्मा लेने चल पड़ा था, तब वह एक बढ़ई के रूप में जाना जाता था। पर अब वह दूर-दूर तक चमत्कार करनेवाले के रूप में जाना जाता है। उसे अपने मध्य ऐसे ही कुछ आश्‍चर्य कर्मों को करते हुए देखने स्थानीय नगरवासी इच्छुक हैं।

उनकी प्रत्याशा बढ़ जाती है, जब यीशु अपने रिवाज के अनुसार, स्थानीय आराधनालय में जाते हैं। उपासना के दौरान, वह पढ़ने के लिए खड़े होते हैं और भविष्यवक्‍ता यशायाह की पुस्तिका उसे दी जाती है। वह उस जगह को ढूँढ़ निकालते हैं जहाँ यहोवा का आत्मा द्वारा अभिषिक्‍त व्यक्‍ति का ज़िक्र है, जिसे हम आज अपनी बाइबल में अध्याय ६१ में पाते हैं।

यह पढ़ने के बाद कि कैसे यह व्यक्‍ति क़ैदियों का रिहाई करेगा, अन्धों को दृष्टि देगा, और यहोवा के स्वीकार्य वर्ष के बारे में प्रचार करेगा, यीशु सेवक को पुस्तिका देते हैं और बैठ जाते हैं। सबकी आँखें उत्सुकता से उस पर केंद्रित हैं। फिर, संभवतः विस्तार में, वे स्पष्ट करते हैं: “आज ही यह लेख तुम्हारे सामने पूरा हुआ है।”

उनकी “आकर्षक बातों” (NW) से लोग आश्‍चर्यचकित होते हैं और वे एक दूसरे से कहते हैं: “क्या यह यूसुफ का पुत्र नहीं?” पर यह जानकर कि वे उसे कुछ चमत्कार करते हुए देखना चाहते हैं, यीशु आगे कहते हैं: “तुम मुझ पर यह कहावत अवश्‍य कहोगे, ‘हे वैद्य, अपने आप को अच्छा कर! जो कुछ हम ने सुना है कि कफरनहूम में किया गया है उसे यहाँ अपने देश में भी कर।’” स्पष्टतया, यीशु के भूतपूर्व पड़ोसी महसूस करते हैं कि चंगा करने का कार्य अपने ही शहर में, पहले अपने लोगों के लाभ के लिए शुरू होना चाहिए। इसलिए वे सोचते हैं कि यीशु ने उन पर ध्यान नहीं दिया है।

उनके विचारों को जानकर, यीशु इतिहास के कुछ उदाहरणों को दोहराते हैं। वे ग़ौर करते हैं कि एलिय्याह के दिनों में इस्राएल में बहुत सी विधवाएँ थी, परन्तु एलिय्याह को इन में से किसी के पास नहीं भेजा गया। इसके विपरीत, वह सैदा की एक ग़ैर-इस्राएली विधवा के पास गया, जहाँ उसने एक जीवनरक्षक चमत्कार किया। और इलीशा के दिनों में, बहुत से कोढ़ी थे, पर इलीशा ने केवल नामान सूरयानी को ही शुद्ध किया।

इतिहास के इन प्रतिकूल तुलनाओं से क्रोधित होकर, जो उनके स्वार्थ और विश्‍वास की कमी को प्रकट करता है, आराधनालय के लोग उठकर उसे शहर के बाहर ले जाते हैं। वहाँ, पहाड़ की चोटी से, जहाँ नासरत बसा हुआ था, वे उसे नीचे फेंकने की कोशिश करते हैं। पर यीशु उनकी चंगुल से छुटते हैं और सुरक्षित निकल जाते हैं। लूका ४:१६-३०; १ राजा १७:८-१६; २ राजा ५:८-१४.

▪ नासरत में इतनी सनसनी क्यों है?

▪ यीशु के भाषण के बारे में लोग क्या सोचते हैं, पर फिर उन्हें क्या इतना क्रोधित करता है?

▪ यीशु को लोग क्या करने की कोशिश करते हैं?