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यीशु को मार डालने की अधिक कोशिशें

यीशु को मार डालने की अधिक कोशिशें

अध्याय ८१

यीशु को मार डालने की अधिक कोशिशें

चूँकि यह जाड़े का वक़्त है, यीशु उस परिरक्षित क्षेत्र में टहल रहे हैं जिसे सुलैमान का ओसारा कहा जाता है। यह मंदिर की बगल में है। यहाँ यहूदी उसे घेर लेते हैं और यह कहना शुरू करते हैं: “तू हमारे मन को कब तक दुबिधा में रखेगा? यदि तू मसीह है, तो हम से साफ कह दे।”

“मैं ने तुम से कह दिया,” यीशु उत्तर देते हैं, “मगर तुम यक़ीन ही नहीं करते।” (NW) यीशु ने उन्हें सीधा यह नहीं बताया था कि वह मसीह है, जैसा उसने कुएँ पर सामरी स्त्री को बताया। फिर भी, असल में, उसने उन्हें अपना परिचय दिया जब यह स्पष्ट किया गया कि वह ऊपर के क्षेत्र से था और इब्राहीम से पहले अस्तित्व में था।

तथापि, बाइबल में पहले से बतलायी गयी मसीह द्वारा किए जानेवाले कर्म और उसके गतिविधियों को तुलना करने से यीशु चाहते हैं कि लोग ख़ुद इस निष्कर्ष पर पहुँचे कि वह मसीह है। इसीलिए उसने पहले से ही अपने शिष्यों को आदेश दिया कि वे किसी से यह न कहे कि वह मसीह है। और इसीलिए वह अब इन विरोधी यहूदियों से आगे कहता है: “जो काम मैं अपने पिता के नाम से करता हूँ वे ही मेरे गवाह हैं। लेकिन तुम यक़ीन नहीं करते।”—NW.

क्यों वे यक़ीन नहीं करते? यीशु मसीह है इसके लिए कम सबूत के कारण? नहीं, लेकिन यीशु ने दिया हुआ कारण के लिए जिसे वह अब उन्हें कहता है: “तुम मेरी भेड़ों में से नहीं हो। मेरी भेड़ें मेरी आवाज़ सुनती हैं, और मैं उन्हें जानता हूँ, और वे मेरे पीछे पीछे चलती हैं। और मैं उन्हें अनन्त जीवन देता हूँ, और वे कभी नाश न होंगी, और कोई उन्हें मेरे हाथ से छीन न लेगा। मेरे पिता ने जो कुछ मुझे दिया है वह दूसरी चीज़ों से श्रेष्ठ है, और कोई उन्हें पिता के हाथ से छीन नहीं सकता।”—NW.

फिर यीशु अपने पिता के साथ अपने निकट सम्बन्ध का वर्णन करते हैं: “मैं और पिता एक हैं।” चूँकि यीशु पृथ्वी पर है और उसका पिता स्वर्ग में है, स्पष्टतः वह यह नहीं कह रहा है कि वह और उसका पिता शाब्दिक रूप से, या शारीरिक रूप से एक हैं। इसके बजाय, उसका मतलब है कि वे मक़सद में एक हैं, और वे एकता में हैं।

यीशु के शब्द से क्रोधित होकर, यहूदी उसे मार डालने के लिए पत्थर उठाते हैं, जैसे उन्होंने पहले, तम्बुओं या मण्डपों के पर्व के दौरान किया था। हिम्मत के साथ अपने तथाकथित क़ातिलों का सामना करते हुए, यीशु कहते हैं: “मैं ने तुम्हें अपने पिता की ओर से बहुत से भले काम दिखाए हैं। उन में से किस काम के लिए तुम मुझे पत्थरवाह करते हो?”

“भले काम के लिए हम तुझे पत्थरवाह नहीं करते,” वे जवाब देते हैं, “परन्तु परमेश्‍वर की निन्दा के कारण, और इसलिए कि तू मनुष्य होकर अपने आप को परमेश्‍वर बनाता है।” चूँकि यीशु ने कभी परमेश्‍वर होने का दावा नहीं किया, क्यों यहूदी ऐसा कहते हैं?

ऐसा स्पष्टतया इसलिए है क्योंकि यीशु ख़ुद को उन शक्‍तियों का श्रेय देते हैं जिसे वे विश्‍वास करते हैं सिर्फ़ परमेश्‍वर में ही हैं। मसलन, उसने अभी-अभी “भेड़” के बारे में कहा, “मैं उन्हें अनन्त जीवन देता हूँ,” जिसे कोई मनुष्य नहीं कर सकता। तथापि, यहूदी इस तथ्य को भूल जाते हैं कि यीशु अपने पिता से अधिकार पाने की बात मंज़ूर करता है।

यीशु परमेश्‍वर से कम होने का दावा करता है, जिसे वह आगे यह पूछने के द्वारा दिखाता है: “क्या तुम्हारी व्यवस्था में [भजन संहिता ८२:६ में] नहीं लिखा है, ‘मैं ने कहा: “तुम ईश्‍वर हो”’? यदि उसने उन्हें ‘ईश्‍वर’ कहा जिन के पास परमेश्‍वर का वचन पहुँचा, . . . जिसे पिता ने पवित्र ठहराकर जगत में भेजा है, तुम उसे कहते हो, ‘तू निन्दा करता है,’ इसलिए कि मैं ने कहा, मैं परमेश्‍वर का पुत्र हूँ?”

चूँकि पवित्र शास्त्र अन्यायी मानव न्यायाधिशों को भी “ईश्‍वर” कहती है, तो ये यहूदी यीशु के इन कथन से क्या गलती पा सकते हैं, जब वह कहता है, “मैं परमेश्‍वर का पुत्र हूँ”? यीशु आगे कहते हैं: “यदि मैं अपने पिता के काम नहीं करता, तो मेरा यक़ीन न करो। परन्तु यदि मैं करता हूँ, तो चाहे मेरा यक़ीन न भी करो, मगर उन कामों का यक़ीन करो; ताकि तुम जानो, और समझो, कि पिता मुझ में है, और मैं पिता में हूँ।”—NW.

जब यीशु ऐसा कहते हैं तो यहूदी उसे पकड़ लेने की कोशिश करते हैं। पर वह भाग जाता है, जैसा उसने मण्डपों के पर्व के समय किया था। वह यरूशलेम छोड़कर यरदन नदी के पार चले जाता है, जहाँ लगभग चार साल पहले यूहन्‍ना ने बपतिस्मा देना शुरू किया था। स्पष्ट रूप से यह स्थान गलील सागर के दक्षिणी किनारे से बहुत दूर नहीं है, यरूशलेम से दो दिन की यात्रा।

अनेक लोग इस स्थान पर यीशु के पास आते हैं और यह कहने लगते हैं: “यूहन्‍ना ने तो कोई चिह्न नहीं दिखायी, परन्तु जो कुछ यूहन्‍ना ने इसके विषय में कहा था, वह सब सच था।” इस प्रकार यहाँ बहुतों ने यीशु पर विश्‍वास किया। यूहन्‍ना १०:२२-४२; ४:२६; ८:२३, ५८; मत्ती १६:२०.

▪ लोग उसे मसीह के रूप में पहचानें ऐसा यीशु किस ज़रिया से चाहते हैं?

▪ कैसे यीशु और उसका पिता एक हैं?

▪ स्पष्टतया, क्यों यहूदी लोग कहते हैं कि यीशु ख़ुद को ईश्‍वर बना रहा है?

▪ किस तरह भजन संहिता से यीशु का अवतरण दिखाता है कि वह परमेश्‍वर के बराबर होने का दावा नहीं कर रहा है?